विद्यार्थी के लिए प्रेरणादायक कहानी – राजा और लकड़हारा

You are currently viewing विद्यार्थी के लिए प्रेरणादायक कहानी – राजा और लकड़हारा
Image sources: bing.com

चंदनगढ़ के राजा विजय सिंह राज्य में जगह-जगह अपने महल बनवा दिए थे। वह सोचता है कि वह जहाँ जाए वहाँ उसके विश्राम के लिए महल हो। राज्य में उसके अनेक महल थे। उसी राज्य में जंगल के निकट एक झोपड़ी में गोपाल अपनी बूढ़ी माँ के साथ रहता था। जब वह बच्चा था तब उसके पिता की मृत्यु हो गई थी।

उसके पास जो खेती योग्य भूमि थी वह लगान न दे पाने के कारण जमींदार ने उससे छीन ली थी। गोपाल जंगल से सूखी लकड़ियां काट कर लाता और उन्हें बेचकर अपनी माँ का पेट भरता। गोपाल बड़ा दयालु स्वभाव का था। वह जंगल के सूखे पेड़ों को ही काटता। एक बार जंगल में उसे एक बहुत बड़ा सूखा पेड़ मिला। उसने सोचा इस पेड़ से उसे बहुत दिनों तक लकड़ियां मिलती रहेगी।

गोपाल ने कुल्हाड़ी उठाई और पेड़ को काटने लगा। तभी उसे सुनाई दिया “इस पेड़ को मत काटो, गोपाल चौक कर इधर-उधर देखने लगा।” मैं तुम्हारे पैरों के पास खड़ा हूँ। गोपाल ने देखा कि एक गुड्डे जैसा बौना वहाँ खड़ा था। इस सूखे पेड़ से तुम्हें क्या लाभ होगा?- गोपाल ने आश्चर्य से पूछा- “बौना बोला, इस पेड़ के अंदर से हमारी बस्ती का रास्ता है। हमारी बस्ती जमीन के अंदर है।

अगर तुम इस पेड़ को काट दोगे तो हम लोगों को नया रास्ता बनाना पड़ेगा। “ठीक है, मैं इस पेड़ को नहीं काटूँगा कहते हुए गोपाल ने अपनी कुल्हाड़ी उठाई और दूसरा सूखा पेड़ खोजने चला गया। एक दिन राजा जंगल में शिकार खेलने आया। वह एक हिरण का पीछा करते-करते सैनिकों से बिछुड़ गया।

और कहानी पढ़ें: Moral Hindi Kahani : बच्चों के लिए सीख देने वाली कहानियां

भूख-प्यास के कारण उसका बुरा हाल था। वह जंगल से बाहर आ गया। वह गोपाल की झोपड़ी में जा पहुंचा। उस समय झोपड़ी में गोपाल की बूढी माँ थी। उसने राजा को ठंडा पानी पिलाया और खाने को मीठे फल दिए। कुछ ही देर में उसे खोजते हुए सैनिक भी आ गए। राजा ने सोचा कि एक छोटा महल यहाँ भी हो, जब वह शिकार खेलने आए तो वहाँ विश्राम कर सके। राजा ने आदेश दिया, यहाँ पर मेरे लिए तुरंत छोटे महल का निर्माण शुरू कर दो। 

महाराज! हम कहाँ जाएंगे गोपाल की माँ हाथ जोड़ते हुए बोली। विजय सिंह ने कुछ नहीं कहा, वह घोड़े पर बैठकर आगे चला गया। दूसरे दिन सैनिकों ने आकर गोपाल की झोपड़ी तोड़ दी। सदमें के कारण गोपाल की माँ की मृत्यु हो गई। सैनिकों ने गोपाल को भगा दिया। वहाँ महल बनने लगा। गोपाल रोता हुआ जंगल में चला गया और एक पेड़ के नीचे बैठकर रोने लगा। 

inspirational-story-for-students
Image sources: bing.com

गोपाल को रोते देख एक बौना उससे पूछा, तुम क्यों रो रहे हो? गोपाल ने कहा, “राजा ने मेरी झोपड़ी तुड़वा दी, जिसके कारण मेरी माँ मर गई। वहाँ राजा का महल बन रहा है।” तुम रोओ मत तुम सामने वाली गुफा में निश्चिन्त होकर रहो। हम लोग तुम्हारा ख्याल रखेंगे। बौने ने कहा। गोपाल गुफा में चला गया। गुफा में उसके लिए स्वादिष्ट भोजन का थाल रखा हुआ था।

दूसरे दिन लोगों ने देखा कि राजधानी में बहने वाली शारदा नदी का तेज कटान करना शुरू हो गया हैं। जमीन के बड़े-बड़े टुकड़े टूटकर नदी में गिर रहे थे। लोगों ने नदी में इतनी तेज कटान कभी नहीं देखा था। नदी का कटान महल की ओर हो रहा था। नदी तेजी से महल की ओर बढ़ रही थी।

और पढ़ें: बच्चों के लिए कहानियाँ हिंदी में | Stories for Childrens in Hindi

मंत्री ने नदी के कटान को रोकने के लिए पत्थर डलवाए। कटान नहीं रुका विजय सिंह यह देखकर चिंतित हो गए कि यदि नदी का कटान नहीं रुका तो उसका यह महल नदी में कट कर ढह जाएगा। चिंतित विजय सिंह नदी के किनारे घूम रहा था। उसने देखा नदी के अंदर सैकड़ो बौने छोटे-छोटे फावड़ों से खुदाई कर रहे हैं। विजय सिंह समझ चुका था कि नदी का कटान इन बौनों द्वारा की जा रही खुदाई के कारण हो रहा हैं। 

राजा ने एक पत्थर नदी में फेंका जिससे खुदाई कर रहे बौने ऊपर देखने लगे विजय सिंह ने हाथ के इशारे से बौनों को बुलाया। एक बौना जिसकी लंबी दाढ़ी थी, वह नदी के बाहर आया। तुम लोग नदी के बहाव को दूसरी तरफ क्यों मोड रहे हो? राजा ने पूँछा- “महाराज! आपने सीधे-साधे गोपाल का घर तोड़कर महल बनवा लिया। इसलिए हम तुम्हारा यह महल नदी में बहा देंगे। बौने ने कहा। 

बौने की बात सुनकर राजा घबरा गया। अगर तुम जंगल के किनारे वाला महल और सात गाँव की जमींदारी गोपाल को दे दो तो हम नदी के बहाव को कटना बंद कर देंगे, बौना बोला। विजय सिंह ने बौने की बात मानकर अपना नया महल और साथ गाँवों की जमींदारी गोपाल को दे दी। नदी का कटान बंद हो गया। अब राजा भी प्रसन्न था और गोपाल भी।

Leave a Reply