किसी गाँव में पूनम नाम की एक औरत रहती थी। पूनम का पति शराबी तथा निकम्मा किस्म का इंसान था। उसे अपनी पत्नी और बेटे की कोई खबर नहीं रहती थी। पूनम अपने पति से बहुत परेशान रहती थी। वह उसे कई बार समझा चुकी थी कि वह अपनी जिम्मेदारियों को समझे। लेकिन वह पूनम की बातों को नहीं समझता था। बल्कि उसे मारना-पीटना शुरू कर दिया था।

एक दिन पूनम को लगा कि उसका पति सुधरने वाला नहीं हैं। वह अपने बेटे सूरज को लेकर रेलवे स्टेशन जा पहुंची। उसने देखा कि एक ट्रेन निकल रही थी। वह बिना कुछ सोचे समझे उस ट्रेन में चढ़ गई। वह भूखी-प्यासी दिन और रात का सफर तय करने के बाद मुंबई शहर पहुँच गई। पूनम का मुंबई शहर में कोई जानने वाला नहीं था। वह अपने बच्चे को लेकर इधर-उधर भटकने लगी।
वह कई दिनों तक स्टेशन पर ही रात गुजारती रही। वह खाने के लिए किसी मंदिर तथा गुरुद्वारे का सहारा लेती थी। एक दिन उसने सोचा ऐसे कब तक चलेगा। उसने सोचा, क्यों न मैं स्टेशन पर यात्रियों का सामान उतरवाने में मदद करूँ। जिससे मुझे थोड़े बहुत पैसे भी मिल जाएंगे।
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अब पूनम ट्रेन में चढ़कर यात्रियों का सामान उतारने लगी। इसके बदले में उसे कुछ पैसे भी मिलने लगे। उसका विश्वास अब बढ़ने लगा। उसने सोचा मैं भी कुछ कर सकती हूँ। उसे कुली का काम करते हुए कई महीने हो चुके थे। एक दिन पूनम एक डिब्बे के सामने यात्रियों का सामान उतारने के लिए खड़ी थी।

जैसे ही ट्रेन रुकी पूनम ट्रेन के अंदर जाकर लोगों के सामान उतारने के लिए पूछने लगी। उसने देखा एक परिवार जिसमें बहू-बेटे, बच्चे और माता-पिता थे। वे पूनम से सामान उतारने के लिए पैसे पूछे, “पूनम ने कहा, बाबूजी आपको जो भी उचित लगे दे देना। उसने तीन सूटकेस अपने सिर पर रखा। दो अपने कंधे पर टाँगकर स्टेशन के बाहर आ गई।
उसकी बहादुरी देख वह परिवार बहुत अचंभित हो उठा। पूनम ने सामान को ऑटो में रख दिया। बुजुर्ग व्यक्ति ने पूनम को पाँच सौ रुपये दिए। पूनम ने कहा, “बाबूजी ये पैसे बहुत ज्यादा हैं। आज तक मैंने इतना पैसा किसी भी यात्री से नहीं लिया हैं। मुझे सिर्फ सौ रुपये दे दीजिए। बुजुर्ग व्यक्ति पूनम की ईमानदारी देख बहुत प्रभवित हुआ।

उसने पूनम से पूछा तुम कहाँ रहती हो? पूनम कहा, “मेरा घर यही रेलवे स्टेशन हैं। उसने बातों-बातों में अपनी पूरी कहानी सुना दी।” उस व्यक्ति ने पूनम से पूछा, “क्या तुम मेरे घर पर काम कर सकती हो।” हमारे यहाँ तुम्हें रहने खाने-पीने के साथ-साथ पैसे भी मिलेंगे। गाँव जाने से पहले हमारे घर की बाई काम छोड़ दी थी। अगर तुम चाहो तो हमारे घर पर काम कर सकती हो।
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पूनम ने सोचा, “वहाँ काम करने से मैं अपने बच्चे के ऊपर भी अधिक ध्यान दे पाऊँगी।” वह अपने बच्चे को लेकर उस परिवार के साथ चली गई। पूनम वहाँ पहुंचकर देखी कि वहाँ एक बहुत बड़ी कोठी थी। उसने उस घर में झाड़ू-पोंछा और घर के कई सारे काम करना शुरू कर दी। उसके काम से उस परिवार के सभी लोग बहुत प्रभवित थे।
वे लोग एक दिन पूनम के बेटे को स्कूल में दाखिला भी करवा दिए। उस घर में अब पूनम परिवार की तरह रहने लगी। उसे लगता नहीं था कि वह कामवाली बाई हैं। क्योंकि उसे परिवार के सभी लोगों से बहुत सपोर्ट मिलता था। इस तरह अब पूनम की जिंदगी बदल चुकी थी। उसे अपना काम पसंद आ रहा था और उस घर के लोगों को पूनम पसंद आ रही थी।

उस घर में पूनम के ऊपर कई तरह की जिम्मेदारियाँ आ चुकी थी। जिसे वह बहुत बखूबी ढंग से निभाती थी। अब वह परिवार अपने घर में पूनम और उसके बच्चे को अकेले भी छोड़कर जाने लगे थे। उन्हें पूनम की ईमानदारी के ऊपर विश्वास हो चुका था। यही वह कारण था कि अब पूनम वहाँ इस बात को लेकर भी बहुत खुश रहती थी कि उस घर में उसके बच्चे को संस्कार और शिक्षा दोनों मिलने लगे थे।
इस तरह पूनम ने साबित कर दिया की ईमानदारी और मेहनत के दम पर कोई भी अपनी किस्मत बदल सकता हैं। भगवान किसी के साथ कभी बुरा नहीं करता। हाँ, उसे मजबूत बनाने के लिए बड़े-बड़े चुनौतियां जरूर देता हैं। जीवन बहुत खूबसूरत हैं, इसे हँसकर जियो न की रो कर।
कहानी से सीख:
बुद्धिमान लोग मुश्किल समय में अवसर की तलाश में रहते हैं। जबकि, कायर लोग अपने किस्मत का रोना रोते हैं।
