पति और पत्नी के बीच एक ऐसा संबंध होता हैं। जिससे दोनों के जीवन में रोशनी अथवा अंधेरा हो सकता हैं। यह इस बात पर निर्भर करता हैं कि दोनों का आपसी तालमेल कैसा हैं? कुछ लोगों का जीवन देखें तो पति-पत्नी के बीच आपसी समझ बहुत अच्छा देखने को मिलता हैं। जबकि कुछ लोगों के बीच आपसी सामंजस्य की कमी देखने को मिलती हैं। ऐसे ही लोगों के जीवन में अंधेरे का बादल देखने को मिलता हैं। तो चलिए आज पति-पत्नी के बीच शानदार तालमेल वाली एक कहानी देखते हैं, जोकि इस प्रकार से हैं।
आज्ञाकारी बेटा:
विनय अपने माता-पिता का इकलौता बेटा था। विनय बुद्धिमान नेक और होनहार लड़का था। वह अपने माता-पिता के हर एक कहने को मानता था। जिससे उसके माता-पिता भी बहुत खुश रहते थे। विनय की उम्र लगभग बाईस साल हो चुकी थी। उसके माता-पिता की उम्र ढलती जा रहती थी। जिससे उसकी माँ को खाना-पीना बनाने में भी दिक्कतें आने लगी थी।
एक दिन विनय की माँ ने उसके पिता से कहा, “हमें अब अपने बेटे की शादी कर देनी चाहिए, क्योंकि अब हमारा बेटा सेटल हो चुका हैं।” जिससे हमें भी घर के काम में थोड़ा-बहुत आराम मिल जाएगा। विनय के पिता ने कहा, “ठीक कह रही हो, अब हमें विनय के लिए रिश्ता खोजना चाहिए।” विनय के पिता ने अपने रिश्तेदारों से विनय की शादी के लिए बात चला दी।
विनय और राधिका:
कुछ ही दिन में विनय के लिए अच्छे-अच्छे रिश्ते आने लगे। लेकिन विनय अपने ऑफिस में एक लड़की से प्यार करता था। जिसका नाम राधिका था। वे दोनों बहुत अच्छे दोस्त थे। विनय ने उससे बहुत सोच समझकर दोस्ती की थी। क्योंकि वह जानता था कि इस रिश्ते को आगे बढ़ाने के लिए मुझे माता-पिता को समझाना पड़ेगा। राधिक ने अपने घर पर विनय के बारें में बता दी थी।
जबकि विनय राधिका के बारें में अपने घर पर किसी से नहीं बताया था। एक दिन राधिका के पिता विनय के घर पर अपनी बेटी का रिश्ता लेकर आए। विनय के माता-पिता उनका बहुत आदर सत्कार किए। राधिका के पिता ने कहा- “मेरी बेटी और आपका बेटा एक ही कंपनी में काम करते हैं।” दोनों एक दूसरे को पसंद भी करते हैं।
हम चाहते हैं कि उन दोनों की यह दोस्ती रिश्ते में बदल जाए। राधिका के पिता की बात सुनकर विनय के पिता थोड़ा आश्चर्य में पड़ गए।उन्होंने कहा, “लेकिन मेरा बेटा मुझे ऐसा कुछ बताया नहीं।” राधिका के पिता ने कहा, “मैंने विनय से इस बारें में पूछा था। उसने मुझसे कहा, “अंकल जी इस बारे में मुझे पापा से बात करना ठीक नहीं लग रहा, आप ही बात कर लो।”
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विनय के पिता ने अपने बेटे से पूछा तो विनय ने कहा, “हाँ पापा हम दोनों एक दूसरे को अच्छे से जानते हैं।” विनय के पिता ने राधिका के पिता से कहा, “ठीक हैं, फिर यह रिश्ता आप पक्का समझो।” क्योंकि जिस खुशी में मेरे बेटे की खुशी हैं, उसी में हमारी भी खुशी हैं। राधिका के पिता के जाने के बाद विनय की माँ ने अपने पति से कहा, “आप बिना लड़की देखे रिश्ता पक्का कर दिए।”
कम-से-कम हमें एक बार लड़की को देख लेना चाहिए था। विनय के पिता ने कहा, “जब हमारे बेटे को लड़की पसंद हैं तो हम सभी को भी पसंद आएगी।” क्योंकि हमारा बेटा कोई भी काम बहुत सोच समझकर कर ही करता हैं। विनय और राधिका की धूमधाम से शादी हो गई। दोनों नौकरी पेशे वाले थे। फिर भी राधिका पहले ही दिन से विनय के घर को अपना घर मानने लगी।

राधिका का जबाब:
वह अपनी सासू माँ के ऊपर किसी भी काम को नहीं डालती थी। वह हर काम को करके ही ऑफिस जाती थी। विनय भी अपनी पत्नी का खूब सपोर्ट करता था। दोनों की जिंदगी बहुत खुशनुमा तरीके से बीत रही थी। विनय के माता-पिता भी इस रिश्ते से खुश थे। एक दिन राधिका के ऑफिस में उसकी कुछ दोस्तों ने मजाक उड़ते हुए कहा, “राधिका! मैंने सुना हैं तुम अपनी सासू माँ को एक भी काम नहीं करने देती। “तुम विनय के घर में दुल्हन बनकर गई हो या फिर कामवाली बाई।
अपने दोस्तों की बातों को सुनकर राधिका आग-बाबुला हो उठी। वह अपने दोस्तों से ऊंची आवाज में बोली, “तुम्हें मेरे परिवार के बीच में बोलने की अनुमति किसने दी। कौन होती हो तुम मेरे परिवार के बारें में बोलने वाली।” मैंने कभी तुम्हारे परिवार के बारे में कुछ कहा हैं क्या? मुझे सब पता हैं, आए दिन तुम्हारे घर में झगड़े होते रहते हैं। इसलिए तुम्हारे लिए अच्छा होगा की आज के बाद हमारे घर के बारे में बोलने की हिम्मत मत करना, वरना ठीक नहीं होगा। उस दिन से राधिका अपने उन दोस्तों का साथ भी छोड़ दी।
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राधिका के तेवर वाली बातों की खबर विनय को पता चली तो विनय का सिर गर्व से ऊँचा हो गया। उसके दिल में राधिका के लिए और प्यार बढ़ गया। इस बात को विनय ने अपने माता-पिता से भी बता दिया। उसके माता-पिता ने भी अपनी बहू के ऊपर फक्र महसूस किया। इस तरह से दिनों-प्रतिदिन राधिका और विनय के जीवन में उत्साह, उमंग और जोश भरा रहता था।
दोनों की सोच बहुत समान थी। अगर किसी बात को लेकर राधिका को अच्छा नहीं लगता तो वह तुरंत उस बात को बोल देती। ठीक इसी प्रकार विनय भी करता था। उन दोनों का रहन-सहन उसके आस-पास के लोगों के लिए एक मिसाल बन चुकी थी। लोग अपने बेटे और बहू से कहते थे कि विनय और राधिक से कुछ सीखो।

विनय और राधिका के जीवन में खुशियां:
इस तरह से बहुत जल्द उन दोनों के जीवन में एक बहुत बड़ी खुशी आई। राधिका ने बेटे को जन्म दिया। उस दिन विनय और उसके माता-पिता बहुत खुश थे। विनय ने राधिक की मदद के लिए अपने ऑफिस से छुट्टी ले ली थी। वह राधिका की बहुत अच्छे से देखभाल करता था। जिससे राधिका भी बहुत खुश रहती थी।
एक दिन राधिक के माता-पिता अपनी बेटी से मिलने उसके घर पर आए। उन्होंने राधिका को अपने घर ले जाने के लिए कहा। लेकिन राधिका ने किसी तरह बातों को घूमा कर मना कर दिया। क्योंकि उसे अपने घर पर रहना अच्छा लगता था। वह विनय को अकेला नहीं छोड़ना चाहती थी। धीरे-धीरे राधिका का बेटा बड़ा हो गया। अब उसे संभालने के लिए विनय के माता-पिता के ऊपर दबाव पड़ने लगा।
राधिका ने किसी दूसरे कंपनी में इंटरव्यू दिया। वहाँ उसका सेलेक्शन हो गया। उसे वर्क फर्म होम जॉब मिल गई। अब राधिका को किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं होती थी। वह बच्चे के साथ-साथ अपने सास-ससुर की भी देखभाल करती रहती थी। इस तरह से दोनों ने हर परिस्थतियों में यह साबित करके दिखा दिया कि पति-पत्नी का रिश्ता एक अनमोल रिश्ता होता हैं। इसे चलाने के लिए दोनों की आपसी समझ अच्छी होनी चाहिए।
