कहानी एक ऐसा माध्यम हैं, जिससे हम अपने बच्चोंं के ज्ञान में वृद्धि बिना कलम और किताब के कर सकते हैं। जबकि, बच्चों के लिए कहानी छोटी, प्रेरणादायक और मनोरंजक होनी चाहिए। जिससे बच्चे की उत्सुकता कहानी में बनी रहे। लेकिन, हमें हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि कहानी के माध्यम से बच्चोंं को नैतिक शिक्षा अवश्य मिलें। इसलिए, कहानीज़ोन आपके लिए हमेशा अच्छी-अच्छी शिक्षाप्रद कहानियाँ लाते रहते हैं। आज के इस लेख में हम आपको 10 छोटी कहानियाँ बताने जा रहे हैं जो आपके बच्चे के ज्ञानवर्धन में सहायक सिद्ध हो सकती हैं।
1. गधा और भेड़िया – Gadha aur bhediya:

एक नदी में कई जानवर पानी पी रहे थे। अचानक एक भेड़िए को नदी के किनारे आता देख सभी जानवर अपने-अपने घरों की तरफ भाग निकले। उन्ही जानवरों में एक गधा भी पानी पी रहा था। उसे भेड़िए के आने के बारे में कुछ जानकारी नहीं थी। गधे ने जब अपने पास भेड़िए को देखा तो वह लँगड़ाने का नाटक करने लगा। गधे को देख भेड़िए ने पूछा- तुम क्यों लँगड़ा रहे हो?
गधे ने जबाब दिया- “भेड़िया भाई मेरे पिछले एक पैर में नुकीला काँटा चुभ गया हैं, कृपया निकाल दो” जिससे तुम आसानी से मुझे खा सको नहीं तो काँटा तुम्हारे गले में फँस जाएगा। गधे को देख भेड़िए के मुँह में पानी आ रहा था। उसने सोचा चलो जल्दी से कांटे को निकल देते हैं। जब भेड़िया गधे के पैर से कांटा निकालने के लिए ध्यान से उसके पैर को देख रहा था।
गधे ने अपना पैर उसके मुँह पर दे मारा। भेड़िया दूर जाकर गिरा, गधे का पैर भेड़िए के सिर पर लगने के कारण उसका सिर चकरा गया। भेड़िए को कुछ समझ नहीं आया कि उसके साथ क्या हुआ। इतने में मौका पाकर गधा तेजी से भाग निकला।
नैतिक शिक्षा:
किसी के कहने पर अपने लक्ष्य से ध्यान न भटकाएं
2. मोर की नकल – Mor ki nkal:

एक बार की बात हैं एक कौए ने आसमान में उड़ते हुए राजा के महल के चिड़ियाघर को देखा। उस चिड़िया घर में बहुत से रंग-बिरंगे पक्षी थे। उनमें अत्यधिक मात्रा में मोर थे। जिसे देखकर कौवा बहुत खुश हो रहा था। कौए ने सोचा क्यों न हम भी इन्ही की संगत में आ जाए। कौवा सोचने लगा कि ये मोर कितने खुशनसीब हैं जिन्हे राजा के दरबार में बैठे-बैठे अच्छा-अच्छा खाने को भी मिल जाता होगा।
अब कौवा किसी भी हाल में उस चिड़ियाघर में घुसना चाहता था। उसने दिमाग लगाया क्यों न मैं जंगल से गिरे हुए मोर के पंखोंं को अपने पंख में लगा लेता हूँ जिससे मोरो को लगेगा कि यह भी हमारी प्रजाति का पक्षी हैं। कौए ने ठीक अपनी सोच के अनुसार ही किया। वह नकली मोर पंख लगाकर राजा के महल के अंदर चिड़ियाघर में रहने के लिए चला जाता हैं।
वह एक दो दिन बिना किसी से बात किये हुए वहाँ रहता हैं। जब उससे अन्य मोरों ने बात करने की कोशिश की तो कौवे की असलियत सभी को पता चल गई। सभी मोरो ने उसके ऊपर हमला कर दिया और उसके द्वारा लगाए नकली पंखोंं को नोच डाला और कौवे को भगा दिया।
नैतिक शिक्षा:
बाहरी सुंदरता से अच्छी, आंतरिक सुंदरता होती हैं।
3. शेर और मच्छर – Sher aur macchar:

एक समय की बात हैं किसी जंगल में एक बूढ़ा शेर रहता था। अत्याधिक बूढ़ा होने के कारण वह अपना शिकार करने के लिए जंगल में नहीं जाता था। वह एक जगह बैठ कर सोता रहता था। एक बार उसके पास एक मच्छर आया और उसके जबड़े पर डंक मारा। शेर नींद से जाग जाता हैं, मच्छर शेर के कान के आसपास भिनभिनाने लगता हैं। शेर अपने गरज से मच्छर को भगाने की कोशिश करता हैं। लेकिन मच्छर नहीं जाता। वह फिर से शेर के आसपास घूमता रहता हैं।
इस बार उसने सोचा अगर मच्छर आएगा तो उसे मैं अपने पंजे में दबा लूँगा। इस बार जब मच्छर शेर के मुँह पर डंक मारता हैं तो शेर दहाड़ मारकर उसे पकड़ने की कोशिश करता हैं, लेकिन वह उसे पकड़ नहीं पाता। इस तरह से शेर अब उसे पकड़ने की दुबारा कोशिश नहीं करता हैं। मच्छर को लगता हैं उसने शेर को हरा दिया। वह जोर-जोर से इधर उधर उड़ने लगता हैं। मच्छर सोचता हैं कि उसने जंगल के राजा को पराजित कर दिया।
मच्छर उड़ते हुए एक मकड़ी के जाल में जाकर फँस जाता हैं। वह वहाँ से निकलने के लिए बहुत कोशिश करता हैं। लेकिन वहाँ से नहीं निकल पाता हैं। इस तरह से अंत में वह थक हारकर उसी जाल में दम तोड़ देता हैं।
नैतिक सीख:
सफलता पाने के बाद खुशी मनाते हुए हमें अपने जज़्बात का भी ध्यान रखना चाहिए।
और कहानी देखें: 5 छोटी नैतिक कहानियाँ हिंदी में – Short Story in Hindi with Moral
4. रामू और पत्थर – Ramu aur patthar:

एक बार की बात हैं, रामू को उसके पापा ने एक पत्थर देते हुए कहा- “इस पत्थर को लेकर बाजार में जाओ और कोई तुमसे इसे खरीदने के लिए बोले तो तुम अपनी दो उँगलियाँ उठा देना।” अगली सुबह रामू वही पत्थर लेकर बाजार गया वहाँ पर एक बूढ़ी औरत ने उस पत्थर का दाम पूँछा तो रामू ने अपने दो अंगुलियाँ दिखा दिया। बूढ़ी औरत ने बोला मुझे दे दो मै 200 रुपये दे दूँगी। रामू तुरंत भाग कर अपने पापा के पास गया और बूढ़ी औरत की बात बता दी।
अब उस बच्चे के पापा ने रामू को फिर वही पत्थर लेकर एक संग्रहालय में जाने को बोला। रामू पत्थर लेकर संग्रहालय पहुँच गया जहाँ पर एक व्यक्ति ने रामू से पत्थर की कीमत पूछी, रामू ने अपनी दो उँगलियों को दिखाया। वह व्यक्ति 2000 रुपये देने के लिए तैयार हो गया। रामू तुरंत भाग कर अपने पापा के पास गया और सारी बातें बता दी। इस बार रामू के पापा ने वही पत्थर लेकर एक सुनार की दुकान पर जाने के लिए कहा।
रामू वही पत्थर लेकर एक सुनार की दुकान पर पहुँचा। सुनार ने दूर से देख कर बोला, “इस पत्थर की खोज में, मैं कब से था, लाओ यह पत्थर मुझे दे दो।” इस पत्थर के कितने पैसे लोगे। रामू ने दो उँगलियाँ दिखा दी। सुनार ने कहा- दो लाख, “मैं देने को तैयार हूँ लाओ दो मुझे”। रामू तुरंत अपने पापा के पास वपास गया और सारी बात फिर से बता दी।
रामू के पापा ने अपने बेटे से कहा हम सभी के जीवन की अहमियत इसी प्रकार होती हैं। यह आपके ऊपर निर्भर करता हैं कि आपको 200 रुपये का इंसान बनकर मर जाना हैं या दो लाख का इंसान बनना हैं। अपने ऊपर काम करो और अपने आपको जैसा चाहते हो ठीक वैसा बनाओ। इस दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं हैं।
नैतिक सीख:
आप जैसा चाहते हो, वैसा बनने की कोशिश करो।
5. अटूट विश्वास – Atut vishvas:

एक समय की बात हैं ऊधमपुर नामक गाँव में एक साधु महात्मा रहते थे। वह बहुत ही ज्ञानवान और दृढ़ संकल्प के धनी व्यक्ति थे। वे जो भी ठान लेते थे, उसको पूरा करके ही छोड़ते थे। साधु महात्मा धीरे-धीरे अपने ज्ञान और बुद्धिमत्त्व के लिए बहुत प्रसिद्ध हो गये। एक बार साधु के गाँव में बारिश नहीं हुई जिसके कारण नदी, तालाब सब सूख गये। गाँव वालों को पीने के पानी की भी समस्या आने लगी।
ऊधमपुर गाँव के लोग परेशान हो गए। सभी लोगों ने कहा चलो साधु महात्मा के पास चलते हैं वही हमें कुछ सलाह देंगे। सभी गाँव वाले मिलकर साधु महात्मा के पास गये और अपनी बात बताई। साधु महात्मा ने गाँव वालों की बात सुनकर नृत्य करना शुरू कर दिया। जिसके कारण इंद्रदेव प्रसन्न होकर वर्षा करना शुरू कर दिए। इस प्रकार, देखते ही देखते पूरे गाँव में खुशी का माहौल बन गया।
अब साधु महात्मा अपने इस नेक काम के कारण इतना प्रसिद्ध हो गये कि उनकी प्रशंसा दूर-दूर तक होने लगी। जिसके कारण एक दिन दूर गाँव से कुछ लोग आए और साधु महात्मा को बोले हमारे गाँव में बारिश नहीं हो रही, जिसके कारण हम लोग परेशान हैं। अगर आप बारिश करवा दे तो हम लोग आप के आभारी रहेंगे।
साधु महात्मा ने नृत्य करना शुरू कर दिया लेकिन बारिश शुरू नहीं हुई। धीरे-धीरे साधु महात्मा को नृत्य करते-करते आठ से दस घंटे बीत गया। अब लोगों ने साधु महात्मा के बारे में तरह-तरह की बातें करना शुरू कर दिया। लेकिन, साधु महात्मा ने अपना नृत्य करना जारी रखा। दस घंटे बाद बारिश शुरू हो गई। सभी लोग साधु महात्मा की वाह-वही करने लगे। फिर किसी ने साधु महात्मा से पूछा आप यह कैसे करते हो।
साधु महात्मा ने जवाब दिया- “मैं कोई ज्ञानी नहीं हूँ और न ही कोई मंत्र जानता हूँ।” यह सब मेरे विश्वास का परिणाम हैं, मुझे दृढ़ विश्वास हैं कि मेरे नृत्य करने से बारिश होगी। जब तक बारिश नहीं होगी तब तक मैं अपना नृत्य करना भी नहीं छोड़ूँगा। इसी का नतीजा हैं कि आज बारिश हो रही हैं।
नैतिक सीख:
लक्ष्य के प्रति अटूट विश्वास ही सफलता का मूल मंत्र हैं।
6. ज़्यादा सोचने वाले बच्चा – Jyada sochne vala baccha:

कबीरपुर नामक गाँव में एक लड़का रहता था, जिसका नाम धीरू था। धीरू अक्सर अपने अतीत में ही जीता था। अगर उसे कोई कुछ बोल दें तो वह हमेशा उसी बात के बारें में सोचता रहता था। धीरू या तो उसका जबाब देने के बारे में सोचता या फिर उसका बदला लेने के बारे में सोचता रहता था। यही वह कारण हैं जिसकी वजह से धीरू दिनों प्रतिदिन परेशान रहने लगा। जिसके कारण उसका स्वास्थ भी खराब होने लगा।
उसकी यह स्थिति देख उसके एक दोस्त ने बोला क्या बात हैं धीरू, तुम आजकल तुम चिंता में डूबे रहते हो। धीरू ने सारी बात अपने दोस्त को बता दी। उसके दोस्त ने बोला कल सुबह तुम मेरे साथ चलो। धीरू को उसका दोस्त अगली सुबह उसी गाँव के एक बुजुर्ग आदमी के पास ले गया जिसे लोग रहीम चाचा के नाम से जानते थे। वहाँ जाकर धीरू ने अपनी सारी बात रहीम चाचा से बताई।
धीरू की बात सुनकर रहीम चाचा उठे और अंदर से एक लोटे में जल लेकर आए और धीरू से बोले मेरे हाथ में यह लोटा देखकर क्या सोच रहे हो। धीरू ने बोला कुछ नहीं, यह तो लोटा हैं और उसमें पानी हैं। रहीम चाचा ने दुबारा से बोला अगर इस लोटे के पानी को अपने दोनों हाथों में कई दिनों तक ऐसे लिए रहे तो क्या होगा। धीरू ने बोला आपका हाथ सुन्न हो जाएगा, हो सकता हैं हाथ को लकवा भी मार दें।
फिर, रहीम चाचा ने धीरू को समझना शुरू किया, ठीक इसी प्रकार किसी अनावश्यक बात को अगर लंबे समय तक अपने दिमाग में लिए रहोगे तो उसका नतीजा बुरा हो सकता हैं। इसलिए, आप अपने किए पर पछताने के बजाए, उस गलती से सीख कर आगे बढ़ो। ज़्यादा चिंता बेकार होती हैं। चिंता, चिता के समान होती हैं जो व्यक्ति को पतन की ओर ले जाती हैं।
नैतिक सीख:
हमें अपने पुरानी गलतियों से सीख लेते हुए आगे बढ़ना चाहिए।
7. किसान और खरगोश – Kisan aur khargosh:

एक किसान था जो गाजर को बेचकर अपना जीवन यापन करता था। एक दिन उसके खेत में एक चतुर खरगोश आया जो किसान से मीठी-मीठी बातें करने लगा। धीरे-धीरे खरगोश ने किसान से दोस्ती कर ली। एक दिन खरगोश ने जंगल में अपने और सथियों से बताया की उसका एक दोस्त हैं, जो उसे खाने के लिए गाजर देता हैं।
खरगोश के सभी साथी उस दोस्त से मिलने की इच्छा जताते हैं। खरगोश ने एक प्लान बनाया तुम लोग झाड़ी के पीछे छिप कर बस मुझे देखना आज मैं किसान को कैसे मूर्ख बनाता हूँ? अगली सुबह खरगोश किसान के खेत में पहुँचा। उसने किसान से कहा क्या आपको पता हैं कि बगल वाले खेत के मालिक गाजर के बजाए बाजार में गाजर का हलवा बेचते हैं, जिससे उनकी कमाई आप से दुगुनी हैं।
किसान ने खरगोश से कहा हमारे पास गाजर तो हैं पर हमें हलवा बनाना नहीं आता। खरगोश ने कहा गाजर का हलवा बनाने में मैं आपकी मदद कर सकता हूँ। किसान ने पूछा- कैसे आप कर सकते हो? खरगोश बोला, यह सभी गाजर आप जंगल में रख दो, मैं अपने जंगल के राजा से बोलकर आपका हलवा बनवा दूंगा। आप कल आकर हलुआ ले जाना, किसान मान गया।
उस रात जंगल के सभी खरगोशों ने मिलकर पार्टी की और सारे गाजर खा गये। अगले दिन जब किसान आया, न तो गाजर मिला न ही खरगोश। किसान समझ गया, मैं मूर्ख बन गया।
नैतिक सीख:
किसी अंजान व्यक्ति पर आँख बंद करके विश्वास करना खतरे से खाली नहीं होता।
और देखें: किसान और गौरैया की कहानी – The story of farmer and sparrow
8. कुम्हार और गधा – Kumhar aur gadha:

एक कुम्हार के पास एक गधा था। जिसके ऊपर वह मिट्टी के बर्तन को लादकर बाजार में बेचने जाता था। गधा बहुत आलसी था, वह किसी भी तरह का बोझ नहीं उठाना चाहता था। एक बार कुम्हार गधे पर मिट्टी के बर्तन लाद कर बेचने जा रहा था। गधे का पैर एक गड्ढे में चले जाने के कारण गधा गिर गया जिससे कुमहर का मिट्टी का बर्तन टूट गया।
कुम्हार बहुत दुखी हुआ और गधे को लेकर वपास घर आ गया। गधा मन ही मन बहुत खुश हुआ, उसने सोच ये तो बहुत अच्छी तरकीब हैं। अगले दिन फिर कुम्हार बर्तन लेकर बाजार जा रहा था तो गधा फिर से गड्ढे में जानबूझ कर गिर गया। इस बार कुम्हार ने गधे को ऐसा करते हुए देख लिया।
कुम्हार गुस्सा हो गया और उस गधे को एक व्यापारी को बेच दिया। व्यापारी नदी पार करके सामान लाने जाता था। एक दिन व्यापारी, गधे के ऊपर नामक लाद कर नदी के इसपार से उसपार जा रहा था। गधा नदी में गिर पड़ा जिससे नमक बह नदी में बह गया। इस तरह से गधे का बोझ बोझ हल्का हो गया।
अगली बार किसान चीनी की बोरी गधे पर लाद के ला रहा था तो गधा जानबूझकर नदी में बैठ गया जिसके कारण चीनी गल गई और पानी में बह गई। इस बार गधे को ऐसा करते हुए व्यापारी ने देख लिया था। व्यापारी ने गधे को मजा चखाना चाहा। उसने अगले दिन गधे के ऊपर रुई का एक बड़ा सा गट्ठर लाद दिया। जब गधा बीच नदी में बैठा तो उस गट्ठर में पानी भर गया। जिसके कारण गट्ठर का भार बहुत ज्यादा बढ़ गया और गधे से नहीं चला जा रहा था। उस दिन से गधे ने नदी में बैठना छोड़ दिया।
नैतिक सीख:
किसी भी इंसान को एक समय तक मूर्ख बना सकते हैं। दूसरी सीख आलस हमें पतन की तरफ लेकर जाती हैं।
9. दो दोस्त – Do dost:

किसी शहर में दो दोस्त रहते थे दोनों में बहुत गहरी दोस्ती थी। पहला दोस्त बहुत बुद्धिमान था जो अपने दिमाग के अनुसार काम करता था। जबकि, दूसरा दोस्त लोगों को देखकर उसी प्रकार के काम करना चाहता था। एक दिन दोनों दोस्त एक समुद्र के किनारे बैठे थे और पैसे कमाने के बारें में बात कर रहे थे।
पहला दोस्त बोला, “देखो भाई हमें बहुत ज्यादा नहीं सोचना हैं, हम जहाँ हैं वही से कुछ न कुछ शुरू करते हैं”। दूसरा दोस्त भी उसकी बातों से सहमत हो गया। कुछ समय बाद पहले वाले दोस्त के दिमाग में विचार आया कि क्यों न हम इसी समुद्र से शंख इकट्ठा करके शहर चलकर बेचें। जिससे हमें कुछ पैसे भी मिल जाए।
दूसरे दोस्त को, यह काम करना थोड़ा कम पसंद आ रहा था। क्योंकि वह कोई काम बहुत बड़े स्तर से शुरू करना चाहता था। उसे यह काम छोटा दिख रहा था। दोनों दोस्त समुद्र में शंख ढूंढने चल पड़े। पहले वाले दोस्त को जल्द ही एक बड़ा शंख मिल गया। जिसको देख दूसरा दोस्त सोचने लगा कि अब इसको बहुत सारे पैसे मिल जाएंगे। उसने भी बड़ा शंख खोजना शुरू कर दिया।
लेकिन, उसे छोटे-छोटे शंख ही मिल रहे थे जिसे वह फेक दे रहा था। फेंके हुए छोटे शंखों को पहला दोस्त उठाता जा रहा था। इस तरह सुबह से शाम हो गई दूसरे दोस्त को कोई बड़ा शंख नहीं मिला। अब दोनों दोस्त शहर चले गये और पहले वाला दोस्त अपने शंख को बेचने लगा। उसको बड़े वाले शंख के एक हजार रुपये और छोटे शंख के चार हजार रुपये मिले। दूसरे दोस्त के पास बड़ा शंख खोजने के कारण कोई शंख नहीं था। अब उसको अपने किए पर पछतावा होने लगा।
नैतिक सीख:
कोई भी काम छोटा नहीं होता, बशर्ते आप उसको किस प्रकार से करते हो।
10. भाग्य को कोसने वाले इंसान – Bhagy ko kosne wala insan:

एक हरिया नाम का एक व्यक्ति था। जोकि अपने जीवन से बहुत परेशान रहता था। वह अपने भाग्य को हमेशा कोसता रहता था। अपने इंसानी जीवन को देखकर बहुत दुखी था। एक दिन वह नदी के किनारे बैठा था और अपनी जिंदगी को कोस रहा था। तभी उसे आकाश में एक चील उड़ती हुई दिखाई दी। उसे देख उसके मन में कई तरह के ख्याल आ रहे थे जैसे, इस चील की कितनी अच्छी जिंदगी हैं।
उसने आसमान की तरफ देखा और जोर-जोर से चिल्लाने लगा, हे भगवान! कैसी जिंदगी दी हैं मुझे, नहीं चाहिए ऐसी जिंदगी। मुझे चील जैसी जिंदगी चाहिए। तभी आसमान से आवाज आई क्या तुम चील बनना चाहते हो। हरिया ने तुरंत जबाव दिया हाँ। दुबारा आसमान से फिर आवाज आई इतनी अच्छी जिंदगी को तुम मत छोड़ो।
हरिया ने तुरंत बोला- नहीं, मुझे चील बनना हैं। आसमान से फिर आवाज आती हैं देख लो अगर तुम एक बार चील बन गये तो दुबारा इंसान नहीं बन पाओगे। हरिया ने बोला ठीक हैं और वह चील बन गया और आसमान में उड़ गया। आसमान में उड़ते-उड़ते उसे सुबह से शाम हो गई। अब चील ने सोचना शुरू कर दिया कि चलो रहने के लिए अपना घर तो बना ले। उसने एक पेड़ पर घोंसला बनाया।
अगले दिन चील सुबह उठ कर अपने खाने के तलाश में निकल पड़ी लेकिन आसपास के तलाब सूखे होने के करना उसे मछलियाँ खाने को नहीं मिली। बहुत दूर उड़ने के बाद एक पेड़ पर जाके बैठ गया। उसी पेड़ पर एक बीमार चिड़िया उसे दिखाई दी। उसने सोचा चलो आज इसी को खा कर पेट भर लेते हैं। उसने उस चिड़िया को मर कर खा लिया। अगले दिन वह फिर अपने शिकार पर निकला लेकिन, उसे उस दिन कुछ भी नहीं मिला जिसके कारण उसे भूखा सोना पड़ा।
इसी तरह कई दिन बीत गये उसको खाने को कुछ भी नहीं मिल रहा था। जिसके कारण, अब वह चील बहुत कमजोर हो चुका था और ज़्यादा दूर तक उड़ भी नहीं पा रहा था। एक दिन वह अपने घोंसले में सोया हुआ था तभी जोर की आंधी आई और वह घोंसले के साथ नीचे जा गिरा जिसके कारण उसके पैर में बहुत गहरी चोट आई। अब वह और परेशान हो उठा जोकि बिना जुबान का था। अब हरिया चील को अपने आप पर बहुत दया आने लगी और सोचने लगा आज अगर मैं इंसान होता तो अपने दुख दर्द दूसरे को बता सकता था।
नैतिक सीख:
जहाँ हो जैसे भी हो खुश रहो जिंदगी बहुत छोटी हैं, अपने आप से प्यार करें।