10 Short moral stories in hindi – प्रेरणादायक छोटी कहानियाँ हिन्दी में

You are currently viewing 10 Short moral stories in hindi – प्रेरणादायक छोटी कहानियाँ हिन्दी में
Image sources: leonardo

कहानी एक ऐसा माध्यम हैं, जिससे हम अपने बच्चे के ज्ञान में वृद्धि बिना कलम और किताब के कर सकते हैं। जबकि, बच्चों के लिए कहानी छोटी, प्रेरणादायक और मनोरंजन से भरपूर होनी चाहिए। जिससे बच्चे की उत्सुकता कहानी में बनी रहे। लेकिन, हमें हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि कहानी के माध्यम से बच्चोंं को नैतिक सीख जरूर मिलें।

इसलिए, कहानीज़ोन आपके बच्चों के लिए हमेशा अच्छी-अच्छी शिक्षाप्रद कहानियाँ लाते रहते हैं। आज के इस लेख में हम आपको 10 Short moral stories in hindi में सुनाने जा रहे हैं जो आपके बच्चे के ज्ञानवर्धन में सहायक सिद्ध हो सकती हैं।

1. लक्ष्य पर निगाह रखें – Keep an eye on the target:

donkey-and-wolf
Image sources: bing.com

नदी के किनारे कई जानवर पानी पी रहे थे। तभी उस तरफ एक भेड़िए आता दिखा। सभी जानवर अपने-अपने घरों की तरफ भाग निकले। उन्ही जानवरों में एक गधा भी पानी पी रहा था। उसे भेड़िए के आने के बारे में कुछ जानकारी नहीं थी। गधे ने अचानक जब अपने पास भेड़िए को देखा तो वह लँगड़ाने का नाटक करने लगा। गधे को देख भेड़िए ने पूछा- तुम क्यों लँगड़ा रहे हो?

गधे ने जबाब दिया- “भेड़िया भाई मेरे पिछले एक पैर में नुकीला काँटा चुभ गया हैं, कृपया निकाल दो” जिससे तुम आसानी से मुझे खा सको नहीं तो काँटा तुम्हारे गले में फँस जाएगा। गधे को देख भेड़िए के मुँह में पानी आ रहा था। उसने सोचा चलो जल्दी से कांटे को निकल देते हैं। जब भेड़िया गधे के पैर से कांटा निकालने के लिए ध्यान से उसके पैर को देख रहा था।

गधे ने अपना पैर उसके मुँह पर दे मारा। भेड़िया दूर जाकर गिरा, गधे का पैर भेड़िए के सिर पर लगने के कारण उसका सिर चकरा गया। भेड़िया को कुछ समझ नहीं आया कि उसके साथ क्या हुआ। इतने में मौका पाकर गधा तेजी से भाग निकला।

कहानी से सीख:

लक्ष्य के पास पहुंचकर दूसरों की बातों का ध्यान मत दे।

2. अपने आप से प्यार करें – Love yourself:

imitation-of-peacock
Image sources: bing.com

एक कौवा आकाश में उड़ रहा था। उड़ते-उड़ते उसने देखा कि राजा के उपवन में बहुत से रंग-बिरंगे पक्षी चहचाह रहे थे। उन पक्षियों में सबसे अधिक मोर थे। जिसे देखकर कौवा बहुत खुश हो रहा था। कौए ने सोचा क्यों न मैं भी इसी उपवन में आ जाऊँ। ये मोर कितने खुशनसीब हैं। जिन्हे राजा के दरबार में बैठे-बैठे अच्छा-अच्छा खाने को भी मिल रहा हैं।

कौवा किसी भी हाल में उस चिड़ियाघर में घुसना चाहता था। उसने दिमाग लगाया क्यों न मैं जंगल से गिरे हुए मोर के पंखोंं को अपने पंख में लगा लेता हूँ। जिससे मोरो को लगेगा कि यह भी हमारी प्रजाति का पक्षी हैं। कौए ने ठीक अपनी सोच के अनुसार ही किया। वह नकली मोर पंख लगाकर राजा के महल के अंदर उपवन में रहने के लिए चला गया।

इन्हें भी देखें: 5 Small story in hindi language – छोटी नैतिक कहानियाँ हिन्दी में

वह एक दो दिन बिना किसी से बात किये हुए रहने लगा। जब उससे अन्य मोरों ने बात करने की कोशिश की तो कौवे की असलियत सभी को पता चल गई। सभी मोरो ने उसके ऊपर हमला कर दिया और उसके द्वारा लगाए नकली पंखोंं को नोच डाला और कौवे को भगा दिया।

कहानी से सीख:

बनावटी दिखावा बहुत जल्द पता चल जाता हैं।

3. सफलता की खुशी – Joy of success:

sher-aur-macchar
Image sources: bing.com

एक समय की बात हैं किसी जंगल में एक बूढ़ा शेर रहता था। वह अत्याधिक बूढ़ा होने के कारण अपना शिकार करने के लिए जंगल में नहीं जाता था। वह एक जगह बैठ कर सोता रहता था। एक बार उसके पास एक मच्छर आया और उसके जबड़े पर डंक मारा। शेर नींद से जाग जाता हैं। मच्छर उसके कान के आसपास भिनभिनाने लगता हैं।

शेर अपने गरज से मच्छर को भगाने की कोशिश करता हैं। लेकिन मच्छर नहीं गया। वह फिर से उसके आसपास घूमता रहा। उसने सोचा अगर मच्छर आएगा तो मैं उसे अपने पंजे में दबा लूँगा। जैसे ही मच्छर ने शेर के मुँह पर डंक मारा। शेर दहाड़ मारकर उसे पकड़ने की कोशिश करने लागा। लेकिन वह उसे पकड़ नहीं सका।

दुबारा शेर उसे पकड़ने की कोशिश नहीं किया। मच्छर को लगा कि उसने शेर को हरा दिया। वह जोर-जोर से इधर उधर उड़ने लगा। मच्छर उड़ते हुए एक मकड़ी के जाल में फँस गया। वह वहाँ से निकलने के लिए बहुत कोशिश करता हैं। लेकिन वहाँ से नहीं निकल पाता हैं। इस तरह से अंत में वह थक हारकर उसी जाल में दम तोड़ देता हैं।

कहानी से सीख:

सफलता की खुशी मनाने के चक्कर में अपने जज़्बात पर काबू रखना चाहिए। 

4. कुछ भी असंभव नहीं हैं – Nothing is impossible:

ramu-and-stone-story-in-hind
Image sources: bing.com

एक बार की बात हैं, रामू को उसके पापा ने एक पत्थर देते हुए कहा- “इस पत्थर को लेकर बाजार में जाओ और कोई तुमसे इसे खरीदने के लिए बोले तो तुम अपनी दो उँगलियाँ उठा देना।” अगली सुबह रामू वही पत्थर लेकर बाजार गया वहाँ पर एक बूढ़ी औरत ने उस पत्थर का दाम पूँछा, तो रामू ने अपने दो अंगुलियाँ दिखा दिया।

बूढ़ी औरत ने बोला मुझे दे दो मै 200 रुपये दे दूँगी। रामू तुरंत भाग कर अपने पापा के पास गया और बूढ़ी औरत की बात बता दी। अब उस बच्चे के पापा ने रामू को फिर वही पत्थर लेकर एक संग्रहालय में जाने को बोला। रामू पत्थर लेकर संग्रहालय पहुँच गया। वहाँ पर एक व्यक्ति ने रामू से पत्थर की कीमत पूछी, रामू ने अपनी दो उँगलियों को दिखाया। वह व्यक्ति 2000 रुपये देने के लिए तैयार हो गया। रामू तुरंत भाग कर अपने पापा के पास गया और सारी बातें बता दी।

इस बार रामू के पिता ने वही पत्थर लेकर एक सुनार की दुकान पर जाने के लिए कहा। रामू वह पत्थर लेकर एक सुनार की दुकान पर पहुँचा। सुनार ने दूर से देख कर बोला, “इस पत्थर की खोज में, मैं कब से था, लाओ यह पत्थर मुझे दे दो।” इस पत्थर के कितने पैसे लोगे। रामू ने दो उँगलियाँ दिखा दी। सुनार ने कहा- दो लाख, “मैं देने को तैयार हूँ लाओ दो मुझे”।

और भी देखें: Hindi stories with moral – प्रेरणा और मनोरंजन से भरपूर कहानियाँ

रामू तुरंत अपने पापा के पास वपास गया और सारी बात फिर से बता दी। रामू के पिता ने अपने बेटे से कहा, “हम सभी के जीवन की अहमियत इसी प्रकार होती हैं। यह आपके ऊपर निर्भर करता हैं कि आपको 200 रुपये का इंसान बनकर मर जाना हैं या दो लाख का इंसान बनना हैं। अपने ऊपर काम करो और अपने आपको जैसा चाहते हो ठीक वैसा बनाओ। इस दुनिया में कुछ भी असंभव नहीं हैं।”

कहानी से सीख:

आप जैसा चाहते हो, वैसा बनने के लिए जी जान से प्रयास करो।

5. अटूट विश्वास – Unwavering faith:

a-sage-dancing-in-rain
Image sources: bing.com

एक समय की बात हैं रामनगर गाँव में एक साधु महात्मा रहते थे। वह बहुत ही ज्ञानवान और दृढ़ संकल्प के धनी व्यक्ति थे। वे जो भी ठान लेते थे, उसको पूरा करके ही छोड़ते थे। साधु महात्मा धीरे-धीरे अपने ज्ञान और बुद्धिमत्त्व के लिए बहुत प्रसिद्ध हो गये। एक बार साधु के गाँव में बारिश नहीं हुई जिसके कारण नदी, तालाब सब सूख गये। गाँव वालों को पीने के पानी की भी समस्या आने लगी।

उस गाँव के लोग परेशान हो गए। सभी लोगों ने कहा चलो साधु महात्मा के पास चलते हैं वही हमें कुछ सलाह देंगे। सभी गाँव वाले मिलकर साधु महात्मा के पास गये और अपनी बात बताई। साधु महात्मा ने गाँव वालों की बात सुनकर नृत्य करना शुरू कर दिया। जिसके कारण इंद्रदेव प्रसन्न होकर वर्षा करना शुरू कर दिए। इस प्रकार, देखते-ही-देखते पूरे गाँव में खुशी का माहौल बन गया।

अब साधु महात्मा अपने इस नेक काम के कारण इतना प्रसिद्ध हो गये कि उनकी प्रशंसा दूर-दूर तक होने लगी। जिसके कारण एक दिन दूर गाँव से कुछ लोग आए और साधु महात्मा को बोले हमारे गाँव में बारिश नहीं हो रही, जिसके कारण हम लोग परेशान हैं। अगर आप बारिश करवा दे तो हम लोग आप के आभारी रहेंगे।

साधु महात्मा ने नृत्य करना शुरू कर दिए। लेकिन बारिश नहीं शुरू हुई। धीरे-धीरे साधु महात्मा को नृत्य करते-करते आठ से दस घंटे बीत गया। अब लोगों ने साधु महात्मा के बारे में तरह-तरह की बातें करना शुरू कर दिया। लेकिन, साधु महात्मा ने अपना नृत्य करना जारी रखा। दस घंटे बाद बारिश शुरू हो गई। सभी लोग साधु महात्मा की वाह-वही करने लगे। फिर किसी ने साधु महात्मा से पूछा आप यह कैसे करते हो।

साधु महात्मा ने जवाब दिया- “मैं कोई ज्ञानी नहीं हूँ और न ही कोई मंत्र जानता हूँ।” यह सब मेरे विश्वास का परिणाम हैं, मुझे दृढ़ विश्वास हैं कि मेरे नृत्य करने से बारिश होगी। जब तक बारिश नहीं होगी तब तक मैं अपना नृत्य करना भी नहीं छोड़ूँगा। इसी का नतीजा हैं कि आज बारिश हो रही हैं।

कहानी से सीख:

लक्ष्य के प्रति अटूट विश्वास ही सफलता का मूल मंत्र हैं।

6. अपनी गलतियों से सीख लो – Learn from your mistakes:

story-of-a-child-who-thinks-too-much
Image sources: bing.com

श्रीनाथपुर गाँव में एक लड़का रहता था, जिसका नाम राजू था। राजू अक्सर अपने अतीत में ही जीता था। अगर उसे कोई कुछ बोल दें तो वह हमेशा उसी बात के बारें में सोचता रहता था। राजू या तो उसका जबाब देने के बारे में सोचता या फिर उसका बदला लेने के बारे में सोचता रहता था। यही वह कारण हैं जिसकी वजह से राजू दिनों प्रतिदिन परेशान रहने लगा। जिसके कारण उसका स्वास्थ भी खराब होने लगा।

उसकी यह स्थिति देख उसके एक दोस्त ने बोला क्या बात हैं राजू? तुम आजकल तुम चिंता में डूबे रहते हो। राजू ने सारी बात अपने दोस्त को बता दी। उसके दोस्त ने बोला कल सुबह तुम मेरे साथ चलो। राजू को उसका दोस्त अगली सुबह उसी गाँव के एक बुजुर्ग आदमी के पास ले गया जिसे लोग अब्दुल चाचा के नाम से जानते थे। वहाँ जाकर राजू ने अपनी सारी बात अब्दुल चाचा से बताई।

राजू की बात सुनकर अब्दुल चाचा उठे और अंदर से एक लोटे में जल लेकर आए और राजू से बोले मेरे हाथ में यह लोटा देखकर क्या सोच रहे हो। राजू ने बोला कुछ नहीं, यह तो लोटा हैं और उसमें पानी हैं। अब्दुल चाचा ने दुबारा से कहा, “अगर इस लोटे के पानी को अपने दोनों हाथों में कई दिनों तक ऐसे लिए रहूँ तो क्या होगा। धीरू ने बोला आपका हाथ सुन्न हो जाएगा, हो सकता हैं हाथ को लकवा भी मार दें।

और कहानी पढ़ें: 5 Best Hindi Stories in Hindi with Moral – नैतिक कहनियाँ हिन्दी में

फिर, अब्दुल चाचा ने राजू को समझना शुरू किया, ठीक इसी प्रकार किसी अनावश्यक बात को अगर लंबे समय तक अपने दिमाग में लिए रहोगे तो उसका नतीजा बुरा हो सकता हैं। इसलिए, आप अपने किए पर पछताने के बजाए, उस गलती से सीख कर आगे बढ़ो। ज़्यादा चिंता बेकार होती हैं। चिंता, चिता के समान होती हैं जो व्यक्ति को पतन की तरफ ले जाती हैं।

कहानी से सीख:

हमें अपने गलतियों से सीख लेते हुए आगे बढ़ना चाहिए।

7. अंजान व्यक्ति पर विश्वास मत करो – Don’t trust a stranger:

rabbit-and-farmer-story-in-hindi
Image sources: bing.com

एक किसान था जो गाजर बेचकर अपना जीवन यापन करता था। एक दिन उसके खेत में एक चतुर खरगोश आया जो किसान से मीठी-मीठी बातें करने लगा। धीरे-धीरे खरगोश ने किसान से दोस्ती कर ली। एक दिन खरगोश ने जंगल में अपने और सथियों से बताया की उसका एक दोस्त हैं, जो उसे खाने के लिए गाजर देता हैं।

खरगोश के सभी साथी उस दोस्त से मिलने की इच्छा जताते हैं। खरगोश ने एक प्लान बनाया तुम लोग झाड़ी के पीछे छिप कर बस मुझे देखना। आज मैं किसान को कैसे मूर्ख बनाता हूँ? अगली सुबह खरगोश किसान के खेत में पहुँचा। उसने किसान से कहा, “क्या आपको पता हैं कि बगल वाले खेत के मालिक गाजर के बजाए बाजार में गाजर का हलवा बेचते हैं, जिससे उनकी कमाई आप से दुगुनी हैं।”

किसान ने खरगोश से कहा, “हमारे पास गाजर तो हैं पर हमें हलवा बनाना नहीं आता। खरगोश ने कहा गाजर का हलवा बनाने में मैं आपकी मदद कर सकता हूँ। किसान ने पूछा- कैसे? खरगोश बोला, यह सभी गाजर आप जंगल में रख दो, मैं अपने जंगल के राजा से बोलकर गाजर का हलवा तैयार करवा दूंगा। आप कल आकर हलवा ले जाना, किसान मान गया।

उस रात जंगल के सभी खरगोशों ने मिलकर पार्टी की और सारे गाजर खा गये। अगले दिन जब किसान आया, न तो गाजर मिला न ही खरगोश। किसान समझ गया, मैं मूर्ख बन गया।

कहानी से सीख:

किसी अंजान व्यक्ति पर आँख बंद करके विश्वास करना खतरे से खाली नहीं होता।

8. ज्यादा चतुराई अच्छी नहीं होती – Too much cleverness is not good:

short-moral-story-in-hindi
Image sources: bing.com

एक कुम्हार के पास एक गधा था। जिसके ऊपर वह मिट्टी के बर्तन को लादकर बाजार में बेचने जाता था। गधा बहुत आलसी था, वह किसी भी तरह का बोझ नहीं उठाना चाहता था। एक बार कुम्हार गधे पर मिट्टी के बर्तन लाद कर बेचने जा रहा था। गधे का पैर एक गड्ढे में चले जाने के कारण गधा गिर गया। जिससे कुम्हार के मिट्टी का बर्तन टूट गया।

कुम्हार बहुत दुखी हुआ और गधे को लेकर वपास घर आ गया। गधा मन ही मन बहुत खुश हुआ, उसने सोच ये तो बहुत अच्छी तरकीब हैं। अगले दिन फिर कुम्हार बर्तन लेकर बाजार जा रहा था तो गधा फिर से गड्ढे में जानबूझ कर गिर गया। इस बार कुम्हार ने गधे को ऐसा करते हुए देख लिया।

और कहानी पढ़ें: छोटी कहानियां हिन्दी में – Story in Hindi Small

कुम्हार गुस्सा हो गया और उसने गधे को धोबी को बेच दिया। धोबी प्रतिदिन प्रतिदिन उसपर कपड़े लादकर नदी ले जाता। धोबी के साथ भी गधा कई बार गिरने कोशिश की। लेकिन, उससे धोबी को कोई नहीं हुआ। इस तरह से गधा अब पछताने लगा कि वह कुम्हार के घर पर ही ठीक था। वहाँ पर अच्छे से खाने को मिलता था। कभी-कभी बाजार जाना पड़ता था।

नैतिक सीख: 

किसी भी इंसान को एक समय तक ही मूर्ख बना सकते हो।

9. शुरुआत छोटे से होती हैं – Starts small:

short-moral-story-in-hindi
Image sources: bing.com

किसी शहर में दो दोस्त रहते थे दोनों में बहुत गहरी दोस्ती थी। पहला दोस्त बहुत बुद्धिमान था जो अपने दिमाग के अनुसार काम करता था। जबकि, दूसरा दोस्त लोगों को देखकर उसी प्रकार के काम करना चाहता था। एक दिन दोनों दोस्त समुद्र के किनारे बैठे थे और पैसे कमाने के बारें में बात कर रहे थे।

पहला दोस्त बोला, “देखो भाई हमें बहुत ज्यादा नहीं सोचना हैं, हम जहाँ हैं वही से कुछ न कुछ शुरू करते हैं”। दूसरा दोस्त भी उसकी बातों से सहमत हो गया। कुछ समय बाद पहले वाले दोस्त के दिमाग में विचार आया कि क्यों न हम इसी समुद्र से शंख इकट्ठा करके शहर चलकर बेचें। जिससे हमें कुछ पैसे मिल जाएंगे।

दूसरे दोस्त को, यह काम करना थोड़ा कम पसंद आ रहा था। क्योंकि वह कोई काम बहुत बड़े स्तर से शुरू करना चाहता था। उसे यह काम छोटा दिख रहा था। दोनों दोस्त समुद्र में शंख ढूंढने चल पड़े। पहले वाले दोस्त को जल्द ही एक बड़ा शंख मिल गया। जिसको देख दूसरा दोस्त सोचने लगा कि अब इसको बहुत सारे पैसे मिल जाएंगे। उसने भी बड़ा शंख खोजना शुरू कर दिया।

लेकिन, उसे छोटे-छोटे शंख ही मिल रहे थे, जिसे वह फेक दे रहा था। फेंके हुए छोटे शंखों को पहला दोस्त उठाता जा रहा था। इस तरह सुबह से शाम हो गई दूसरे दोस्त को कोई बड़ा शंख नहीं मिला। अब दोनों दोस्त शहर चले गये और पहले वाला दोस्त अपने शंख को बेचने लगा। उसको बड़े वाले शंख के एक हजार रुपये और छोटे शंख के चार हजार रुपये मिले। दूसरे दोस्त के पास बड़ा शंख खोजने के कारण कोई शंख नहीं था। अब उसको अपने किए पर पछतावा होने लगा।

नैतिक सीख: 

कोई भी काम छोटा नहीं होता, बशर्ते आप उसको किस प्रकार से करते हो।

10. सोच की शक्ति – Power of thinking:

power-of-thinking
Image sources: bing.com

दो दोस्त थे, पहले का नाम राजू जिसकी उम्र 12 साल थी। दुसरे दोस्त का नाम मोहित जिसकी उम्र 8 साल थी। एक दिन दोनों पतंग उड़ाते-उड़ाते गाँव से दूर जंगल की तरफ निकल गए। अचानक राजू पैर फिसलने के कारण कुए में जा गिरा। उसे देख उसका दोस्त मोहित मदद के लिए जोर-जोर चिल्लाने लगा। लेकिन उसे बचाने कोई नहीं आया।

उसने देखा कि कुएं के पास रस्सी रखी थी। बिना देर किए उसने उस रस्सी को कुएं में डाल दिया और अपने दोस्त को रस्सी पकड़ने के लिए कहा। उस आठ साल के बच्चे ने अपनी पूरी ताकत से उस रस्सी को खींचता रहा, जब तक कि उसका दोस्त बाहर नहीं आ गया। बाहर आकर दोनों दोस्त आपस में गले मिलकर रहे थे। लेकिन उन्हें इस बात का डर लग रहा था कि जब वह इस घटना को घर पर बताएगा तो उसकी बातों का कोई विश्वास नहीं करेगा।

दोनों घर जाकर सारी घटना सबको बता दी। कोई इस बात का विश्वास नहीं कर रहा था कि आठ साल का छोटा बच्चा रस्सी खींच सकता। तभी उनके घर के सामने से एक पंडित जी गुजरे उन्होंने सारी घटना को सुनकर कहा। ये बच्चे झूठ नहीं बोल रहे हैं। जिस समय उसका दोस्त कुएं में गिरा था। उस समय उसे यह बताने वाला कोई नहीं था की यह काम तू नहीं कर सकता। इसलिए इस बच्चे ने पूरी ताकत से रस्सी खींचकर अपने दोस्त को बाहर निकल दिया।

नैतिक सीख: 

इंसान तब तक नहीं हारता, जब तक कि उसे कोई यह न कहे की यह काम तुमसे नहीं होगा।

Leave a Reply