10 ज्ञानवर्धक छोटी नैतिक कहानी – Short story in hindi with moral

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बच्चों आज आपके लिए इस लेख में 10 छोटी नैतिक कहानी लेकर आए हैं। जोकि, आपके सोचने की क्षमता को बढ़ाने में मदद करेगी। यह सभी कहानियाँ नैतिक सीख के साथ बतायी गई हैं। सीखने के लिए हमारे पास कई माध्यम होते हैं जिनमें से कहानी एक प्रमुख माध्यम हैं। इसलिए, हम बच्चों के लिए हमेशा अच्छी-अच्छी कहानियां लेकर आते रहते हैं। आज की इस कड़ी में आपको मनोरंजन से भरपूर छोटी हिंदी कहानियों का संग्रह मिलेगा, जोकि इस प्रकार हैं।

1. मेमना और शेर की कहानी – Story of the lamb and the lion:

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एक समय की बात हैं सई नदी के किनारे एक भेड़ और उसका बच्चा मेमना रहता था। जंगली जानवरों से बचने के लिए मेमना झाड़ियों में ही छिपा रहता था। जल्दी कभी बाहर नहीं निकलता था, उसकी माँ उसे खाने पीने के लिए चीजें लाती थी। कुछ दिन बाद मेमना बड़ा हो गया और बहुत चतुर चालाक हो गया। जिसके कारण अब वह खुद अपने खाने की तलाश में नदी के आस–पास जाने लगा था।

जब भी मेमना नदी किनारे हरी-हरी घास खाता था तब वह नदी के तीनों तरफ दायें, बायें तथा पीछे की तरफ देखता रहता था। लेकिन नदी के सामने की तरफ कभी ध्यान नहीं देता था। वह सोचता था कि नदी से तो कोई आ नहीं सकता। एक दिन नदी के किनारे मेमना घास खा रहा था तब नदी के दूसरे किनारे से एक शेर ने मेमने को देखा और चुपके-चुपके नदी के रास्ते मेमने के पास आ पहुँचा उसे दबोच लिया और मार डाला।

नैतिक सीख: जीतता वही हैं जो चारों तरफ से किसी भी परिस्थितियों का सामना करने के लिए तैयार रहता हैं।

2. बगुला और भेड़िया की कहानी – Story of the heron and the wolf:

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एक जंगल में नदी के किनारे एक भेड़िये को मरा हुआ शेर दिखाई दिया। भेड़िया उस मरे हुए शेर के मांस को खाने लगा उसे बहुत मजा आ रहा था। वह सोच रहा था कि उसने शेर का शिकार किया हैं। दूसरे जानवरों को दिखाने के चक्कर में उसने शेर की हड्डी को भी खा लिया, जोकि उसके गले में फँस गई।

वह जोर-जोर से चिल्लाने लगा और इधर-उधर भागने लगा। भेड़िया तेजी से भागते हुए नदी के किनारे बैठे एक बगुले के पास गया और बोला मेरे गले में हड्डी फंस गई हैं। क्या आप अपनी चोंच से निकाल दोगे? बगुला ने बोला, “आपका क्या भरोसा, मेरी गर्दन अपने मुँह में देख के मुझे खा जाओ”। भेड़िया ने हंस को विश्वास दिलाया कि वह ऐसा नहीं करेगा। भेड़िये की हालत देख हंस को भी दया आ गई। उसने अपनी लंबी चोंच उसके गले में डालकर फंसी हुई हड्डी को निकाल दिया।

भेड़िये ने उसका बहुत धन्यवाद किया। लेकिन, थोड़ी देर में भेड़िया सोचने लगा, “यह बगुला कितना मुलायम है , उस मरे हुए शेर को खाने से अच्छा हैं इस बगुले को खा लेता हूँ”। भेड़िये बगुले के सामने अपने गले को पकड़ कर फिर से बैठ गया और बगुले से बोलने लगा अभी शायद पूरी हड्डी नहीं निकली हैं। उसने बगुले से फिर हड्डी निकालने के लिए बोला। इस बार भेड़िये ने बगुले के गर्दन को अपने मुँह में दबोच लिया और उसे मार डाला।

नैतिक सीख🧠: हमें किसी की मदद बहुत सोच समझ कर करनी चाहिए। कुछ लोग आपके सीधेपन का फ़ायदा उठा सकते हैं।

3. धोबी और कुत्ता की कहानी – Story of the washerman and the dog:

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एक बार की बात हैं होशियारपुर गाँव में एक गरीब धोबी रहता था। जो अपना जीवन यापन लोगों के कपड़े धुलकर करता था। एक दिन धोबी कपड़े का गट्ठर लेकर शहर गया हुआ था। शाम को आते समय उसको रास्ते में एक छोटा सा कुत्ता दिखा जो घायल पड़ा था और बहुत चिल्ला रहा था। धोबी ने उसके पास जाकर देखा तो उसके पैर से खून निकल रहा था जिसके कारण वह बहुत चिल्ला रहा था।

धोबी को छोटे कुत्ते के ऊपर दया आयी वह उसे अपने साथ घर ले आया और उसका इलाज किया व कुत्ता ठीक हो गया। अब कुत्ता धोबी के घर पर ही रहने लगा। धोबी उसकी बहुत अच्छी तरह से देख-भाल करता था। धोबी कुत्ते को समय-समय से खाने-पीने के लिए देता रहता था। जिसके कारण धोबी और कुत्ता दोस्त बन गये जोकि अब एक दूसरे के बिना नहीं रह पाते थे।

एक दिन धोबी शहर गया हुआ था तो उसके घर पर बहुत सारे जंगली कुत्ते आए और धोबी के कुत्ते से बोलने लगे। क्या तुम जानते हो जंगल में कुत्तों को सभी जानवर राजा की तरह सम्मान देते हैं। तुम मेरे साथ जंगल चलो वहाँ पर आपको बहुत कुछ खाने को भी मिलेगा। धोबी का कुत्ता जंगली कुत्तों के बहकावे में आ गया और उनके साथ जंगल चला गया। धोबी जब घर आया तो देखा उसका कुत्ता घर पर नहीं था। धोबी ने कुत्ते को बहुत खोजने के बाद जंगल में पाया।

धोबी कुत्ते को घर लेकर आया और उसे बहुत समझाया कि अब वह जंगल नहीं जाएगा। एक दिन फिर जंगली कुत्ते धोबी के घर पर आये और उसके कुत्ते को फिर अपने साथ लेकर चले गये। इस बार धोबी को कुत्ते के ऊपर बहुत गुस्सा आया और उसने कुत्ते को नहीं खोजा। कई दिन बीत गये थे एक दिन धोबी के कुत्ते के ऊपर जंगली कुत्तों ने हमला कर दिया।

जिसके कारण वह बहुत बुरी तरह से घायल हो गया था। उसने सोचा चलो धोबी के पास चलते हैं वही रहेंगे अब जंगल नहीं जाएंगे। धोबी ने कुत्ते को अपने घर के पास आते देखा। तभी उसने एक डंडा लेकर उस कुत्ते को मारते-मारते जंगल में वापस भगा दिया। अब धोबी का कुत्ता न घर का बचा, न घाट का।

नैतिक सीख🧠: हमें कभी भी किसी के बहकावे में नहीं आना चाहिए। अपने पुराने दिन को हमेशा याद रखना चाहिए कि हम किन परिस्थितयों से निकले हुए हैं, उस समय हमारी मदद किसने की थी।

4. लकड़हारा और गधे की कहानी – Story of the woodcutter and the donkey:

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तेजपुर गाँव में एक रामू नाम का लकड़हारा रहता था। जोकि बहुत गरीब था वह अपने परिवार का पालन-पोषण लकड़ियों को बेच कर करता था। लेकिन उसका परिवार बड़ा होने के कारण उसको अपने परिवार को चलाने में बहुत परेशानी होती थी। लकड़हारे के पास एक गधा भी था। जिस पर वह लकड़ियों के गट्ठर को लाद कर जंगल से लाया करता था। लेकिन, गधे को सही से खाने को भी नहीं मिल पाता था जिसके कारण गधा बहुत कमजोर हो गया था

एक दिन लकड़हारा लकड़ी काटने के लिए जंगल जा रहा था। उसको जंगल में एक मरा हुआ शेर दिखा। लकड़हारा सोचने लगा की हमारा गधा बहुत कमजोर हो गया हैं। अगर इसे शेर की खाल पहना दें और खेतों में छोड़ दें तो उसे खाने को बहुत कुछ मिल जाएगा और किसान शेर समझ कर गधे के पास भी नहीं आएगा।

लकड़हारे ने अपनी सोच के अनुसार ही किया। जब गधा किसान के खेत में गया तो किसान ने शेर आया शेर आया बोलते हुए अपने घर की तरफ भाग गया। जिसके कारण गधा खेत की सारी फसल को खा गया। अगले दिन जब किसान आया तो देखा कि उसकी सारी फसल गधा खा गया था। किसान चिंता में पड़ गया और अपने गाँव के मुखिया को जाकर सारी बात बता दी।

गाँव के मुखिया ने बोला शेर कभी घास नहीं खाता, जरूर वह कोई और जानवर हैं। तुम खेत में छिप कर उस जानवर को देखो। अगले दिन किसान खेत में छिपा था, फिर से वही गधा शेर की खाल पहन कर खेत में आया। कुछ समय बाद गधे को किसी गधी की आवाज सुनाई दी। फिर गधा भी चिपों-चिपों की आवाज निकालने लगा। किसान समझ गया यह शेर नहीं, यह तो गधा हैं। किसान ने डंडे से पीट-पीट कर गधे को मार डाला।

नैतिक सीख🧠: हम किसी को मूर्ख कुछ ही दिन बना सकते हैं। सच्चाई एक न एक दिन सामने जरूर आ जाती हैं।

इन्हें भी देखें: 7 प्रेरणादायक छोटी नैतिक कहानियाँ – Short moral stories in hindi

5. बंदर और साधु की कहानी – Story of the monkey and the monk:

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कृष्णा वाटिका में एक बहुत विशाल बरगद का पेड़ था जिसके नीचे साधु संत बैठ कर प्रवचन करते थे। उसी पेड़ पर बंदरों का झुंड भी रहता था। उनमें से एक बंदर जिसका नाम जैकी था जोकि अपने साथियों को पसंद नहीं करता था। वह हमेशा सोचता था कि मुझे इंसान होना चाहिए था। ये बंदर किसी काम के नहीं हैं। जैकी बंदर ने अपने साथ के बंदरों से लड़ाई कर ली और वहाँ से चला गया।

एक दिन जैकी बंदर, साधु संत की तरह कपड़े पहन कर बरगद के पेड़ के नीचे जाकर बैठ गया और इंसानों की तरह जीवन जीने के लिए सोचने लगा। तभी उसके बगल में बैठे एक छोटे बच्चे को केला खाते हुए देखा और तुरंत उछल कर बच्चे के हाथ से केला छीन लिया और खाने लगा। यह देखकर सभी साधुओं ने उसकी पिटाई कर दी और उसके कपड़े भी फाड़ दिये।

बंदर दुबारा उसी बरगद के पेड़ के ऊपर चढ़ गया। उसके साथी बंदरों ने उसको बोला, गये थे इंसान बननेनकल करने के लिए अकल की जरूरत होती हैं। जिसके कारण बंदर बहुत अपमानित हुआ और सोचा कि हमें अपने आप से प्यार करना चाहिए। किसी को देखकर उसके जैसा बनने के बारे में नहीं सोचना चाहिए।

नैतिक सीख🧠: हमें अपने ऊपर ध्यान देना चाहिए। अपने आपको प्रेरणादायक बनाना चाहिए। कब तक हम दूसरों की नकल करते रहेंगे।

6. मेमना और मछुहारे की कहानी – The story of the lamb and the fisherman:

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एक बार की बात हैं एक शिकारी ने जंगल में एक मेमना देखा और उसे पकड़ने के लिए उसके पीछे तेज दौड़ लगा दी। मेमना भी तेजी से भाग रहा था और मन ही मन में सोच रहा था आज तेज नहीं भागा तो मारा जाऊँगा। आगे जाके उसने देखा नदी के किनारे एक मछुआरा खड़ा था। मेमने ने मछुआरे से उसकी नाव में छिपने के लिए पूछा और उसने हाँ बोल दिया।

थोड़ी देर बाद शिकारी मछुआरे के पास आया और उससे मेमने के बारें में पूछने लगा। मछुआरा बोला मुझे नहीं पता और इशारे से नाव की तरफ दिखा रहा था। लेकिन, शिकारी मछुआरे के इशारे को समझ नहीं पाया और आगे चला गया। मेमना नाव से बाहर निकल आया तो मछुआरा उससे बोलने लगा देखो मैंने आपकी जान कैसे बचा दी?

मेमना बोली “अकलमंदे इशारा काफी” अगर शिकारी बुद्धिमान होता तो मैं आज आपके कारण मारी जाती। आपने उसे मेरी तरफ इशारा करके अच्छा नहीं किया। तुम पर विश्वास करने लायक नहीं है और तेजी से अपने घर की तरफ भाग निकली। उसकी बातें सुनकर मछुआरे को बहुत पछतावा हुआ और आगे से उसने किसी के साथ विश्वासघात न करने की कसम खाई।

नैतिक सीख🧠: इस दुनिया में विश्वास बहुत बड़ी चीज हैं जोकि, हम एक दूसरे के ऊपर निश्चिंत होकर रखते हैं। हमें कभी भी किसी के साथ विश्वासघात नहीं करना चाहिए।

और देखें: किसान और गौरैया की कहानी – The story of farmer and sparrow

7. हंस और कछुआ की कहानी – Story of the swan and the tortoise:

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एक नदी में एक कछुआ रहता था, उसी नदी के किनारे पेड़ पर एक हंस भी रहता था। दोनों में बहुत गहरी दोस्ती थी। एक बार कछुए ने हंस से बोला आप दूर-दूर उड़ कर सैर कर आते हो। मैं तो सिर्फ इसी तालाब में ही रहता हूँ मुझे भी घूमने का बहुत मन करता हैं पर मैं कही जा नहीं सकता। उसकी बात सुनकर हंस को अपने दोस्त पर दया आई। उसने कछुए को घुमाने की तरकीब निकाली।

कछुए को अपनी पीठ पर बैठा कर उड़ गई और उस तालाब से बहुत दूर निकल गई। देखते-दखते रात हो गई। हंस और कछुए ने एक झील के पास रुकने को सोचा। कछुआ उस झील में चला गया और हंस एक पेड़ पर बैठ के सो गया और रात बीत गई। अगले दिन हंस ने कछुए से बोला चलो अब आपको तालाब में छोड़ देता हूँ।

कछुए ने हंस से बोला,”अब मेरा उस छोटे से तालाब में जाने का मन नहीं हैं, मैं कुछ दिन यही पर बिताना चाहता हूँ”। हंस ने बोला हमें अंजान जगह पर ऐसे नहीं रुकना चाहिए। यहाँ पर हमें कोई जानता भी नहीं हैं किसी दिन हम बड़ी मुसीबत में फँस जाएंगे। लेकिन, कछुए ने उसकी बात का ध्यान नहीं दिया और दुबारा पानी में चला गया और मस्ती करने लगा।

एक दिन उस झील का मालिक मछलियाँ पकड़ने आया और झील में जाल लगा दिया जिसमें कछुआ भी फंस गया। पेड़ पर बैठा हंस अपने दोस्त कछुए को जाल में फंसा देख एक चूहे को अपने पीठ पर बैठा कर लाया और जाल को काट कर कछुए को बचा लिया। कछुए ने अपने दोस्त का बहुत ऐहसान माना और दुबारा से अपने तालाब में चला गया।

नैतिक सीख🧠: लालच बुरी बला होती हैं। हमें किसी भी अंजान जगह पर सतर्क होकर रहना चाहिए।

8. राजा और वैद्य की कहानी – Story of King and Vaidya:

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चंदनपुर में एक राजा रहता था उसका साम्राज्य बहुत दूर तक फैला हुआ था। उसकी प्रजा उसकी हर आज्ञा का पालन करती थी। एक दिन राजा की पत्नी को बहुत तेज बुखार हुआ। बहुत सारे वैद्य से इलाज कराया गया। लेकिन, रानी की तबीयत ठीक नहीं हुई। राजा के एक मंत्री ने बोला महाराज रामनगर में एक वैद्य रहता हैं जो इसी बीमारी का इलाज करने के लिए प्रसिद्ध हैं। एक बार हमें उसको भी बुला कर देखना चाहिए।

राजा ने वैद्य को बुलाने का आदेश दे दिया। जब वैद्य जंगल के रास्ते राजा के महल में जा रहा था तो कुछ बंदरों ने मिलकर उसके सिर पर रखी पगड़ी को छीन कर खेलने लगे और फाड़ दी। जिसके लिए वैद्य बहुत क्रोधित हुआ और बंदर के साम्राज्य को खत्म करने के लिए कसम खा ली। जब राजा के महल में वैद्य पहुँचा और रानी की हालत को देखा तो राजा से बोला। यह बीमारी ठीक तो हो जाएगी लेकिन, इसके लिए हमें एक तेल चाहिए जो बंदरों के अंदर पाया जाता हैं।

राजा ने साम्राज्य के सारे बंदरों को मारने का आदेश दे दिया। राजा को ऐसा करते हुए देख एक मंत्री राजा के पास गया और राजा से बोला महाराज बंदरों के अंदर ऐसा कोई तेल नहीं पाया जाता हैं। जो यह वैद्य मांग रहा हैं इसमें जरूर कोई साजिश हैं। राजा के कहने पर दरबारियों ने वैद्य को बंदी बना लिया। और उसका कारण जानना चाहा तब वैद्य ने सारी बातें बता दी कि,”महल आते समय किस प्रकार से बंदरों ने मुझे परेशान किया, जिसका बदला मैं लेना चाहता था”। जिसके लिए वैद्य को दंड दिया गया।

नैतिक सीख🧠: अपने स्वार्थ के लिए किसी की मजबूरी का फ़ायदा नहीं उठाना चाहिए। हमारे अंदर बदले की भावना कभी नहीं होनी चाहिए।

9. साँप और कोयल की कहानी – Story of snake and cuckoo:

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एक बहुत बड़ा हरा भरा पेड़ था जिसपर बहुत सारे पंछी रहते थे। उसी पेड़ के एक बिल में एक बहुत बड़ा साँप था जो अपनी लंबाई और मोटाई के कारण पेड़ से जल्दी नीचे नहीं उतरता था। उसको अपना शरीर बहुत भारी लगता था। जिसके कारण कभी-कभी वह भूखे ही सो जाता था। उसी पेड़ पर एक कोयल ने भी अपने घोंसले में अंडे दिए हुए थे। एक दिन कोयल का एक अंडा गिर कर साँप के बिल में चला गया। कोयल डरते-डरते साँप के पास गई और साँप ने उसका अंडा वापस कर दिया।

उसी दिन से कोयल और साँप दोस्त बन गये जब भी कोयल बाहर से खाना लेकर आती साँप के बिल के पास भी कुछ खाने के लिए रख देती थी। एक दिन एक शिकारी कोयल के बच्चे को पकड़ने के लिए पेड़ पर चढ़ा। कोयल के बच्चों की आवाज सुन साँप बिल से निकला और शिकारी के पैर में काट लिया। जिससे शिकारी पेड़ से गिर पड़ा और उसकी मृत्यु हो गई।

जब कोयल अपने बच्चों के लिए खाना ले कर वापस घोंसले के पास आई तो उसके बच्चों ने कोयल को सारी बात सुना दी। कोयल साँप के पास जाकर उसका आभार व्यक्त किया।

नैतिक सीख🧠: हमें दूसरों के भले के बारे में भी सोचना चाहिए। कहते हैं कि कर भला सो हो भला।

10. मोहन और सोहन की कहानी – Story of Mohan and Sohan:

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एक बार की बात हैं मोहन और सोहन दो दोस्त थे दोनों मिलकर साथ स्कूल आते-जाते और खूब पढ़ाई करते थे। दोनों बड़े हुए और दोनों की शादी हुई और बच्चे भी हो गये। दोनों दोस्त अलग-अलग शहर में रहते थे। एक दिन मोहन अपने दोस्त सोहन के घर पर गया जोकि गाँव में रहता था। वह अपने बचपन के दोस्त को देख कर बहुत खुश हुआ और अपने गले लगा लिया।

सोहन ने अपने बेटे को बोला “टूटी” खाट ला, देख मेरा दोस्त आया हैं। मोहन अचंभित हो गया और सोहन को बोलने लगा रहने दो खड़े होकर बात कर लेंगे कोई बात नहीं। फिर कुछ देर बाद सोहन ने बोला “फटी” गिलास में पानी ला। फिर मोहन ने बोला रहने दो कोई बात मुझे प्यास नहीं लगी हैं। दोनों में खड़े खड़े बात चलती रही फिर मोहन ने सोहन को बोला अच्छा चलता हुआ। सोहन ने मोहन को बोला रुको मैं कुछ दूर छोड़ देता हूँ।

सोहन ने फिर आवाज लगाई पंचर गाड़ी ला। मोहन हड़बड़ा गया और बोला रहने दो मैं पैदल चला जाऊंगा। घर जा कर मोहन ने अपने दोस्त को फोन करके बोला आज से हमारी तुम्हारी दोस्ती खत्म। तुम दोस्ती के लायक नहीं हो, सोहन ने बोला क्या हुआ। मोहन ने बोला टूटी खाट पर बैठना, फटी गिलास में पानी पिलाना और पंचर गाड़ी से मुझे छोड़ना। फिर सोहन मुस्कुराया और बोला यह सब मेरे बच्चों का नाम हैं आप तो गलतफैमी में पड़ गये। फिर दोनों दोस्त जोर-जोर से हंसने लगे और मोहन ने बोला,”भला ऐसा नाम कौन अपने बच्चों का रखता हैं”।

नैतिक सीख🧠: वास्तविकता को समझ के ही फैसला लेना चाहिए। बिना समझे कोई फैसला नहीं लेना चाहिए।

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