सिद्धार्थ द्वारा नगर भ्रमण पर देखे गए दृश्य

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महाराज शुद्धोधन ने अपने महल को राजकुमार सिद्धार्थ के लिए सभी सुख-सुविधाओ से भरपूर बनवाया था। उन्होंने राजकुमार सिद्धार्थ के लिए अपने महल को तीनों ऋतुओं के अनुसार बनवाया था। इसके अलावा महल में किसी भी चीज की कोई कमी नहीं थी। उनकी देखरेख व नाच-गाने और मनोरंजन के लिए दास दासियों को लगा रखा था।

एक बार राजकुमार सिद्धार्थ ने अपने पिता शुद्धोधन से नगर घूमने का आग्रह किया। राजा शुद्धोधन ने राजकुमार की बात को स्वीकारते हुए नगर की सड़कों को भव्य तरह से सजवा दिया। और नगरवासियों को आदेश दिया कि बूढ़े, बीमार, भिखारी, गरीब सभी लोग अपने घर के अंदर रहेंगे। इस तरह के लोग राजकुमार की शोभा यात्रा देखने के लिए बाहर नहीं आएंगे।

राजा शुद्धोधन ने छंदक को आदेश दिया कि वे राजकुमार सिद्धार्थ को नगर घूमाकर लाए। छंदक ने रथ को सजवाया और राजकुमार को बैठाकर नगर भ्रमण के लिए निकले। राजकुमार रास्ते में लोगों को देखते हुए जा रहे थे। कुछ दूर चलने के बाद राजकुमार सिद्धार्थ को एक बूढ़ा व्यक्ति दिखाई दिया। जोकि, हाथ में एक डंडा लिए हुआ था, जिसके सहारे वह खड़ा था।

उसके सिर के बाल सफेद थे कमर झुकी हुई थी। मुंह में दांत दिखाई नहीं दे रहे थे, शरीर बहुत पतला था और उसकी आँखें बहुत डरावनी और अंदर घुसी हुई थी। उसे देख राजकुमार सिद्धार्थ ने अपने सारथी, छंदक से पूछा- यह व्यक्ति ऐसा क्यों हैं? छंदक, राजकुमार को समझाते हुए कहता हैं- “समय का चक्र ऐसे ही चलता हैं बच्चे से बड़े और बड़े से बुजुर्ग हो जाते हैं। हम सभी को एक दिन ऐसे ही होना हैं।

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सारथी की बातों को सुनकर राजकुमार सिद्धार्थ दुख हुआ। छंदक जुलूस को और आगे लेकर बढ़ता हैं, बीच रास्ते में अचानक राजकुमार सिद्धार्थ की नजर एक बीमार व्यक्ति के ऊपर पड़ी। जोकि अपनी पीड़ा से कराह रहा था। उसकी आँखें पीली पड़ गई थी। उसकी साँसे तेज-तेज चल रही थी और उसके आँखों से आँसू निकल रहे थे।

उसे देख राजकुमार सिद्धार्थ ने अपने सारथी से कहा- “इस व्यक्ति को क्या हुआ हैं? छंदक राजकुमार को समझता हैं कि यह व्यक्ति बीमारी से ग्रसित हैं। आगे और समझाते हुए कहा जीवन में कभी भी कोई भी इंसान बीमारी से ग्रसित हो सकता हैं। उसकी बातों को सुनकर राजकुमार विचारशील अवस्था में आ जाते हैं।

राजकुमार का जुलूस थोड़ा आगे बढ़ा ही था कि उसे चार लोग शव लेकर जाते हुए दिखाई देते हैं। उसे देख राजकुमार अपने सारथी से कहा- “ये लोग किसे ले जा रहे हैं और इनके पीछे औरतें और बड़े बुजुर्ग क्यों रो रहे हैं।” छंदक राजकुमार को समझता हैं- यह व्यक्ति इस दुनिया को छोड़कर चला गया, लोग इसे अंतिम संस्कार के लिए ले जा रहे हैं।

उसे आगे और समझाया कि इस दुनिया में जो आया हैं उसे एक दिन इस दुनिया को छोड़कर जाना पड़ेगा। जीवन का कटु सत्य यही है। क्योंकि, यह दुनिया नाशवान हैं आपकी आँखों से जो कुछ भी दिख रहा हैं, उसका भी एक दिन अंत निश्चित हैं। राजकुमार अपने सारथी की बातों को सुनकर विचारमग्न हो गया। अब वह और नगर भ्रमण नहीं करना चाहता था।

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इसलिए, उसने अपने सारथी को रथ, महल की ओर ले चलने ले लिए कहा। महल वापस जाते समय राजकुमार सिद्धार्थ को एक सन्यासी दिखाई दिया। उसने भंगवा वस्त्र धारण किया था। उसके चेहरे पर तेज था और वह खुश दिखाई दे रहा था। सिद्धार्थ पूछा, “यह व्यक्ति कौन हैं जो बहुत खुश दिखाई दे रहा हैं।

सारथी राजकुमार को समझाते हुए कहा- “यह सन्यासी हैं जिसे इस दुनिया की मोह-माया से कोई लगाव नहीं हैं।” ये संसार के भौतिक सुखों से दूर रहते हैं। इनका जीवन सत्य की खोज में रहता हैं। इन्हे आत्मिक शान्ति चाहिए होती हैं। आप इन्हें मोक्ष का मार्ग खोजते हुए पाएंगे। इस प्रकार राजकुमार सिद्धार्थ अपने महल पहुंचकर, नगर भ्रमण पर देखे दृष्टांत के बारें में सोचता है।

उसे देख शुद्धोधन ने उसकी पत्नी यशोधरा से सिद्धार्थ का मन बहलाने के लिए बोले। लेकिन, राजकुमार अब भौतिक सुखों से निर्लिप्त होना चाहते थे। एक दिन रात्री में राजकुमार सिद्धार्थ अपनी पत्नी और बच्चे को सोया हुआ छोड़ कर महल से निकल गए और सत्य की खोज में लग गए।

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