10 प्रेरणादायक छोटी हिन्दी कहानियां – Inspirational Short Stories in Hindi

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बच्चों आज हम आपको 10 अच्छी-अच्छी मजेदार नैतिक कहानियाँ हिन्दी में सुनाने जा रहे हैं जो आपके मन को बहलाने के साथ-साथ आपका ज्ञानवर्धन भी करेगी। इस लेख में छोटी कहानी हिन्दी में मिलेगी जिससे आपको बहुत कम शब्दों में बहुत ज्यादा ज्ञान और मनोरंजन प्राप्त होगा। कहानीज़ोन की हर कहानी का यही उद्देश होता हैं कि कहानी के माध्यम से बच्चे के बौद्धिक विकास को बढ़ावा दिया जाए। इसलिए, यहाँ पर आपको नैतिक कहानियों का संग्रह मिलेगा, जोकि इस प्रकार हैं:

1. हंस और बातूनी कछुए की कहानी – The Story of the Swan and the Talking Turtle:

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एक समय की बात हैं मानसरोवर नामक झील में दो हंस और एक कछुआ रहते थे। उन तीनों में बहुत गहरी दोस्ती थी। वें तीनों एक दूसरे के बिना नहीं रह पाते थे। हर सुबह कछुआ एक टीले पर बैठ कर दोनों हंसों को बहुत बड़ी-बड़ी बातें सुनाता था। एक बार जब कछुआ बोलना शुरू कर देता था तो वह जल्दी चुप नहीं होता था। कछुआ अपने आपको बहुत बड़ा ज्ञानी समझता था।

एक बार मानसरोवर झील में सूखा पड़ गया। अब कछुआ कहाँ जाए। इस बात को सोच कर चिंतित रहने लगा। उसने अपना दिमाग लगाया और अपने दोस्त हंस को बोला क्या आप मुझे यहाँ से किसी और तालाब में ले चलोगे? दोनों हंस, कछुए को ले जाने के लिए तैयार हो गए और बोले, लेकिन तुम कैसे चलोगे।

कछुए ने बोला,”आप एक लकड़ी का डंडा लेकर आओ जिसको आप दोनों अपने पैर में दबा के रखना, मैं बीच में पकड़ के लटक जाऊंगा”। हंस ने ठीक उसके कहने के अनुसार ही किया। लेकिन, हंस ने कछुए से कहा आप अपना ज्ञान रास्ते में मत देने लगना नहीं तो नीचे जा गिरोगे। कछुए ने बोला जो आज्ञा मेरे मालिक, लेकिन जल्दी मुझे यहाँ से लेकर चलो।

दोनों हंस कछुए को लेकर उड़ गए। आकाश से नीचे देखने में कछुए को बहुत मजा आ रहा था। कुछ दूर चलने के बाद कछुए ने नीचे देखा तो एक शिकारी दिखा, जो बोल रहा था कि हंस कितने बुद्धिमान हैं। वे अपने दोस्त को कैसे सैर करा रहे हैं। शिकारी की बात सुन मूर्ख कछुआ अभिमान से भर गया और इस तरकीब को अपना नाम देने के लिए जैसे मुंह खोला नीचे जा गिरा और शिकारी ने उसे पकड़ लिया।

नैतिक सीख: ज्यादा बोलने से अच्छा हैं कम बोलना और ज्यादा सुनना। अगर कछुआ अपने आपको उस समय वक्ता नहीं समझता तो शायद वह दूसरे तालाब में आसानी से पहुँच जाता।

2. सियार से राजा बनने की कहानी – The Story of Becoming a King from a Jackal:

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एक बार की बात हैं एक जंगल में हायना नाम का एक सियार रहता था। जोकि, बहुत आलसी और कामचोर था। जिसे मेहनत करना बिल्कुल भी पसंद नहीं था। उसे अपने खाने के लिए शिकार करने में भी आलस आता था। वह हमेशा यही सोचता था कि “मैं शेर की तरह जंगल का राजा कैसे बनू”? जिससे जंगल के सारे जानवर मेरे पास आए और मुझसे सलाह मशविरा करें। यही सोचते-सोचते हर दिन उसकी सुबह से शाम हो जाती थी, उसको कोई तरकीब नहीं सूझ रही थी।

एक दिन वह अपने खाने की तलाश करते-करते जंगल से भटक कर गाँव में घुस गया। जहाँ पर दिन में लोगो के डर से छिपने के लिए एक हौदे में जाके बैठ गया। देखते-देखते रात हो गई, सियार रात में गाँव से भागकर जंगल आ पहुँचा। लेकिन सियार के हौदे में बैठने के कारण उसका रंग नीला हो गया था। क्योंकि उस हौदे में घर की पेंटिंग के लिय पेंट डालकर रखा था। जिसके कारण उस सियार को देखकर सभी जानवर डरने लगे।

सियार ने बोला आप सब मेरे बच्चे हो मुझसे डरने की जरूरत नहीं हैं। मुझे भगवान ने आप सब की रक्षा के लिए भेजा हैं। उसकी बातें सुन जंगल के सारे जानवर उसको अपना देवता मानने लगे। वह सुबह शाम अपने पास दरबार लगाने लगा। सियार अब बहुत खुश रहने लगा। वह ऐसा ही चाहता था, एक दिन सियार दरबार लगा के बैठा था। एक शेर उसके पास आ गया और उसको बोला आप हमारे देवता हो तो अपनी आवाज में हमें गाना गा कर सुनाओ।

सभी जानवरों ने शेर की हाँ में हाँ मिलाया। अब जैसे ही सियार ने गाना गाने के लिए “हुआ-हुआ” बोलना शुरू किया उसकी पोल खुल गई। सभी जानवर समझ गए कि यह कोई देवता नहीं हैं बल्कि यह तो एक सियार हैं, जो हम लोगों को मूर्ख बना रहा हैं। शेर और सभी जानवर उसके ऊपर टूट पड़े और उसको मार डाला।

नैतिक सीख: ज़्यादा होशियारी बहुत दिन तक नहीं चलती, सच्चाई एक न एक दिन जरूर सामने आती हैं। किसी भी इंसान को मूर्ख समझना इंसान की सबसे बड़ी भूल होती हैं। क्योंकि हर इंसान के अंदर एक न एक अच्छाई जरूर होती हैं।

और देखें: 7 प्रेरणादायक छोटी नैतिक कहानियाँ – Short moral stories in hindi

3. अंधे पति और पत्नी की कहानी – Story of Blind Husband and Wife:

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सूरदास नाम का एक व्यक्ति था जो जन्म से अंधा था। लेकिन, सूरदास बहुत बुद्धिमान व्यक्ति था। किसी तरह पढ़ाई-लिखाई करके शादी योग्य हो गया। सूरदास के माता-पिता ने उसकी शादी कर दी। उसकी पत्नी की आँखें ठीक थी। जोकि सूरदास को उनकी बुद्धिमतत्वा के आधार पर अपना पति बनाया था। दोनों का जीवन अच्छे से चलने लगा। कदम-कदम पर सूरदास की पत्नी उसकी सहायता में लगी रहती थी।

एक दिन सूरदास के घर में किलकारी गूंजी और उन्हें एक पुत्र रत्न प्राप्त हुआ। जबकि, सूरदास की पत्नी की आँखों में कीड़ा चले जाने की वजह से वह भी अंधी हो गई। जिसके कारण उन्हें अपना जीवन जीने में बहुत परेशानी आने लगी। क्योंकि, सूरदास की पत्नी जब खाना बनाती तो कुत्ता आकर खा जाता था और दोनों को कुछ खाने को नहीं मिलता था।

एक दिन सूरदास किसी जानकार व्यक्ति के पास गए और अपनी बात बताए। उस व्यक्ति ने सूरदास को बोला जब आपकी पत्नी खाना बनाने लगे तो आप घर के चौकठ पर बैठ कर डंडा पीटते रहा करो। जिसके कारण, आपके घर पर कुत्ता नहीं आएगा। ऐसा करते कुछ दिन बीत गए और सूरदास और उनकी पत्नी की मृत्यु हो गई। अब बच्चा अकेले रह गया गाँव वालों ने उस बच्चे के शादी करा दी।

अब सूरदास के बेटे की पत्नी जब खाना बनाती तो उसका बेटा अपने पिता की तरह चौकठ पर बैठ के डंडा पीटता रहता था। एक दिन गाँव के किसी बुजुर्ग ने उसको ऐसा करते हुए देख लिया। और उससे पूछा आप ऐसा क्यों कर रहे हो। उसने बोला जब मेरी माँ खाना बनाती थी तो मेरे पिताजी भी ऐसे ही करते थे, इसलिए मैं भी कर रहा हूँ।

बुजुर्ग ने बोला उनको ऐसा करने के लिए मैंने ही बताया था। क्योंकि आपके माता-पिता की आँखें नहीं थी। जिसके कारण खाना कुत्ता आकर खा जाता था। आपके पिताजी खाने को कुत्ते से बचाने के लिए डंडा पीटते रहते थे। बुजुर्ग की बातें सुनकर सूरदास के बेटे की आंखे खुली की खुली रह गई और आगे से ऐसा करना बंद कर दिया।

नैतिक सीख: कोई भी कार्य बिना जाने समझे नहीं करना चाहिए, हमें पता होना चाहिए कि कोई कार्य हम क्यों कर रहे हैं।

4. हाथी और चींटी की कहानी – Story of Elephant and Ant:

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एक वन में एक शरारती और घमंडी हाथी रहता था। जोकि बिना किसी बात के सभी जानवरों से उलझ जाता था और उनको बर्बाद कर देता था। उसकी इस शरारती हरकत से जंगल के सभी जानवर परेशान थे। एक दिन वह हाथी रास्ते में जा रहा था। उसको एक जामुन का पेड़ दिखाई दिया। जिस पर कुछ बंदर जामुन तोड़कर खा रहे थे। हाथी को यह सब देख कर अच्छा नहीं लगा। उसने जामुन के पेड़ को उखाड़ के फेक दिया। जिसके कारण बंदर बहुत दुखी हुए।

हाथी थोड़ा और आगे बढ़ा और उसने देखा कि एक कबूतर अपना घोंसला बना रहा था। हाथी को फिर शरारत सूझी और उसके घोंसले को उठा कर फेंक दिया जिसके कारण कबूतर भी बहुत दुखी हुआ। लेकिन करे तो क्या करें, हाथी का कुछ कर नहीं सकते थे क्योंकि वह बहुत शक्तिशाली था।

अगले दिन हाथी सुबह-सुबह घूमने निकला ही था उसने देखा की कुछ चींटियाँ अपना खाना एकट्ठा कर रही थी। उसने बगल के तलाब से अपने सूंड़ में पानी भरकर चींटी के घर पर डाल दिया जिसके कारण उसका घर तहस-नहस हो गया। चींटियों ने हाथी को सबक सिखाने के लिए प्रण कर लिया। एक दिन हाथी अपने घर पर सो रहा था। तभी चींटियां हाथी की सूंड़ में घुस गई और काटने लगी। जिसके कारण हाथी तड़प-तड़प कर मर गया और जंगल के सभी जानवरों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी।

नैतिक सीख: अत्याचार का अंत बहुत बुरा होता हैं। चींटी से सीख, कभी किसी को छोटा नहीं समझना चाहिए। कोई भी इंसान बड़े से बड़ा काम कर सकता हैं।

और पढ़ें: 10 ज्ञानवर्धक छोटी नैतिक कहानी – Short story in hindi with moral

5. भेड़िया और चरवाहे की कहानी – Story of Wolf and Shepherd:

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रामसिंह नाम का एक चरवाह था, उसके पास बहुत सारे भेड़ थी। जिससे उसका जीवनयापन होता था। चरवाहा एक दिन अपने भेड़ों को लेकर जंगल में चराने के लिए ले गया था। उसी जंगल में एक बहुत ही खूंखार भेड़िया रहता था जो रामसिंह के भेड़ों को झाड़ी के पीछे छिप कर कई दिनों से देख रहा था तथा अपना शिकार करने का प्लान बना रहा था। लेकिन चरवाहा बहुत ही चौकन्ना रहता था।

प्रतिदिन रामसिंह अपने भेड़ों को जंगल लेकर जाया करता था। जंगल में कभी उसको कोई खूंखार जानवर नहीं दिखा जिसके कारण चरवाहा अब निश्चिंत रहने लगा। उसने सोचा इस जंगल में ऐसा कोई खतरनाक जानवर नहीं हैं जो मेरे भेड़ों को हानि पहुँचा सके। एक दिन रामसिंह अपनी भेड़ों को जंगल लेकर गया था।

जब भेड़ घास चर रही थी तो वह सोच चलो थोड़ा आराम कर लेते हैं और वह खेत में लेट गया और वह निश्चिंत होकर सो गया। खूंखार भेड़िया मौका पाकर झाड़ी से निकल कर भेड़ों के पास आया और सभी भेड़ों को एक-एक कर के मार डाला। जब चरवाहा नीद से जगा तो देखा उसके सारे भेड़ मरे पड़े थे। चरवाहा अपनी लापरवाही के लिए बहुत पछताया।

नैतिक सीख: कभी भी हमें एकदम निश्चिंत होकर नहीं रहना चाहिए। किसी भी चुनौतियों से निपटने के लिए, हमें हमेशा सतर्क रहना चाहिए ।

6. कौआ और मांस का टुकड़ा – Crow and the Piece of Meat:

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एक कौआ आकाश में उड़ रहा था जोकि बहुत भूखा था। उसे खाने की बहुत जरूरत थी जिसके कारण अब उससे उड़ा नहीं जा रहा था। उसने आकाश से देखा तो पेड़ के नीचे एक पैकेट में मांस का टुकड़ा रखा हुआ था। कौए के मुँह में पानी आ गया लेकिन कौआ उस पैकेट को खोल नहीं पा रहा था। कौआ उस पैकेट को इधर उधर पटक रहा था। लेकिन मांस का टुकड़ा नहीं निकल पा रहा था।

उसको ऐसा करते हुए देखकर, एक चतुर कौए ने उसके पास आकर बोला। अगर आपको यह मांस का टुकड़ा निकालना हैं तो, आप इस पैकेट को ऊपर आकाश में ले जाकर, इस इस पेड़ की डाल पर गिरा दो जिससे यह पैकेट फट जाएगा और आपको मांस का टुकड़ा खाने के लिए आसानी से मिल जाएगा। यह विचार भूखे कौए को बहुत पसंद आया, उसने वैसा ही किया।

लेकिन आकाश से मांस का पैकेट गिरते ही, मांस को दूसरा कौआ लेकर उड़ गया। जब भूखे कौए ने नीचे आकर देखा तो पैकेट नहीं मिला। कौआ समझ गया कि दूसरे कौए ने उसे मूर्ख बना दिया।

नैतिक सीख: इंसान के ऊपर विश्वास करना तो ठीक हैं। लेकिन बिना जाने समझे किसी भी अंजान व्यक्ति की सलाह लेना और उसके ऊपर आँखें बंद करके विश्वास करना ठीक नहीं होता हैं।

7. बिल्ली और बंदर – Cat and Monkey:

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एक बिल्ली किसी घर से एक ब्रेड लेकर आई उसे देख दूसरी बिल्ली अपने हिस्से का ब्रेड मांगने लगी। लेकिन, दूसरी बिल्ली ने ब्रेड को देने से मना कर दिया। देखते-देखते दोनों में बहस शुरू हो गई और दोनों बिल्लियाँ लड़ाई करने लगी। तभी वहाँ से एक बंदर गुजर रहा था। उसने दोनों की लड़ाई देख, कारण जानना चाहा।

पहली बिल्ली बोली,”मैं इस ब्रेड को लेकर आई हूँ, जिस पर मेरा पूरा अधिकार हैं”। दूसरी बिल्ली से बंदर ने पूछा आप हिस्सा क्यों मांग रही हो। उसने जबाव दिया कि जब यह खाने की तलाश में बाहर गई हुई थी तो मैं इसके बच्चों की रखवाली कर रही थी। चतुर बंदर ने उस ब्रेड के दो टुकड़े कर दिए एक थोड़ा बड़ा था और एक छोटा था।

लेकिन, फिर से बड़े वाले हिस्से के लिए दोनों बिल्लियों में लड़ाई शुरू हो गई। बंदर ने छोटे वाले टुकड़े को खा लिया और बड़े वाले टुकड़े को फिर से दो छोटे बड़े हिस्से में बाँट दिया। लेकिन, दोनों बिल्लियों में बड़े टुकड़े के लिए फिर से लड़ाई शुरू हो गई। इस बार बंदर पूरे ब्रेड को खाकर खत्म कर दिया, और यह बोलते हुए वह भाग गया की आप दोनों को कोई समझा नहीं सकता। अब दोनों बिल्लियों को आपस में झगड़ने के लिए पछतावा होने लगा।

नैतिक सीख: मिल बाँट कर खाना सीखें कभी किसी के हिस्से पर अपना अधिकार नहीं जमाना चाहिए नहीं तो बिल्ली की तरह सिर्फ पछतावा ही मिलता हैं।

8. चूहा, मेढक और बिल्ली की कहानी – The Story of Frog, Mouse and Cat:

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एक बार चूहे ने अपने रहने के लिए एक बहुत शानदार घर बनाया। कुछ समय बाद चूहा दूर अपने दोस्त के घर रहने के लिए चला गया। इसके बाद उस घर में एक मेढक आकर रहने लगा। मेढक को उस घर में रहते-रहते कई महीने बीत गए। एक दिन चूहा वापस अपने घर में रहने के लिए आया तो देखा वहाँ पर अब मेढक रहने लगा था।

चूहे ने मेढक को बोला,”यह घर मेरा हैं जिसे मैंने बनाया था। मैं कुछ दिन के लिए अपने दोस्त के घर गया था। अब मैं वपास आ गया हूँ आप इस घर को खाली कर दो”। चूहे की बात सुन मेढक गुस्से से लाल-पीला हो गया। उसने बोला मैं यहाँ पर कई महीनों से रह रहा हूँ। अब मैं इस घर को नहीं छोड़ने वाला। दोनों में लड़ाई शुरू हो चुकी थी तभी उसके घर के बगल से एक बिल्ली जा रही थी।

चूहे और मेढक ने बिल्ली को अपनी सारी बात बता दी। बिल्ली कई दिनों से भूखी थी उसने अपना दिमाग लगाया और बोली,”मैं अभी दूर के जंगल से इसी प्रकार की लड़ाई सुलझा कर आ रही हूँ”। मेरी उम्र बहुत ज्यादा हो जाने के करना मुझे थोड़ा कम सुनाई देता हैं। आप दोनों मेरे पास आके अपनी समस्या को सुनाओ। जैसे चूहा और मेढक बिल्ली के पास आए तो बिल्ली दोनों के ऊपर झपट पड़ी और मार कर खा गई।

नैतिक सीख: अनजान व्यक्तियों से सलाह लेना घातक सिद्ध हो सकता हैं। हमें मिलकर किसी भी समस्या का समाधान निकालना चाहिए।

9. कोयल और घमंडी कौए की कहानी – The story of the cuckoo and the arrogant crow:

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दूर जंगल में एक विशाल पेड़ था उस पर कौआ अपना घोंसला बना कर रहता था। कौआ एक बार खाने की तलाश में दूर निकल गया। उसे अपने घोंसले में पहुँचते शाम हो गई थी और मौसम भी खराब हो चुका था, काले-काले बादल छा चुके थे। कुछ समय बाद उसके घोंसले के पास एक कोयल आयी और कौए से बोली भैया मौसम खराब हो गया हैं, बारिश भी होने वाली है। मुझे अपने घर पहुँचने में अभी और समय लगेगा। क्या मैं कुछ समय के लिए आपके घोंसले में रुक सकती हूँ।

कौआ भरे मन से बोला मेरे पास जगह नहीं हैं, तुम कही और ठहरने के लिए देख लो। कोयल उसी पेड़ के नीचे गिरे एक सूखे पेड़ के अंदर जाके बैठ गई। थोड़ी देर में मूसलाधार बारिश शुरू हो गई। देखते-देखते बड़े-बड़े ओले भी पड़ने लगे। जिसके कारण पेड़ पर लगा कौआ का घोंसला भी टूट कर नीचे आ गिरा। कौआ और उसके बच्चे बहुत बुरी तरह से घायल हो गये कुछ की मृत्यु भी हो गई।

बारिश बंद होने के बाद कोयल लकड़ी के बिल से बाहर आई और देखा कि कौए का परिवार नष्ट हो चुका था और कौआ भी घायल पड़ा था। कौआ कोयल को देखकर बोला आपको चोट नहीं लगी। कोयल ने अपने मन में सोचा जैसे को तैसा और बिना कुछ बोले अपने घर के लिए उड़ गई।

नैतिक सीख: कर भला सो हो भला! हमेशा हमें अपने स्वार्थ के बारे में ही नहीं सोचना चाहिए हमें कभी किसी के लिए भी जी कर देखना चाहिए।

10. बंदर और शंख की कहानी – Story of Monkey and Conch:

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एक छोटा सा गाँव रामपुर था जहाँ पर सब बहुत खुशी-खुशी जीवन यापन करते थे। उस गाँव के लोग एक दूसरे की मदद के लिए हमेशा तैयार रहते थे। गाँव से दूर चंपारण नाम का एक वन था जहाँ पर बहुत सारे पशु-पक्षी आपस में मिलकर रहते थे। उसी जंगल में एक चीकू नाम का बंदर रहता था जो अपनी शरारत के लिए जाना जाता था।

एक दिन चीकू बंदर रामपुर गाँव आ गया और चुपके से पंडित जी के घर से उनकी शंख को चुरा ले गया। चीकू को एक रात शरारत सूझी, रात के बारह बजे थे, पीपल के घने पेड़ पर चढ़ कर शंख को तेज-तेज बजाने लगा। रामपुर गाँव के सभी निवासी रात में जाग गये और शंख की आवाज के लिए तरह-तरह की बातें करने लगे। चीकू उस दिन से हमेशा रात को ऐसा करता था। जिसके कारण गाँव वालों की नींद भी खराब होती थी।

पूरे गाँव में डर का माहौल रहने लगा उस गाँव के पंडित जी एक दिन पूजा सुनाने जा रहे थे और उनको उनकी शंख नहीं मिल रही थी। पंडित जी के दिमाग में तुरंत विचार आया कि रात में जो शंख की आवाज आती हैं, कही वह मेरी शंख से तो नहीं होती ही। उसी रात पंडित जी चंपारण वन पीपल के पेड़ के पास गये और देखे की एक बंदर शंख को बाजा रहा हैं।

अगली रात पंडित जी ने अपने साथ केले लेकर गए, पंडित जी ने पीपल के पेड़ के नीचे केले रख दिए, पेड़ के ऊपर से चीकू बंदर केले को देखते ही, शंख को छोड़ कर नीचे भागा। पंडित जी शंख लेकर अपने गाँव चले गए और सभी ग्रामवासियों को चंपारण वन की घटना सुनाई। उस रात से शंख बजने की आवाज बंद हो गई और रामपुर गाँव के लोग चैन की नीद सोने लगे।

नैतिक सीख: किसी बात की अफवाह पर विश्वास करने से अच्छा हैं उसके पास जाकर सच्चाई को देखना और समझना चाहिए।

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