बच्चों और बड़ों की सबसे लोकप्रिय अकबर बीरबल की कहानी जो चतुराई के साथ निर्णय करना सिखाती हैं। इस कहानी के माध्यम से बच्चों का मनोरंजन के साथ-साथ ज्ञानवर्धन भी होता हैं। ठीक इसी प्रकार से हम कह सकते हैं कि अकबर बीरबल की कहानी को लोग न्याय के लिए अधिक पसंद करते हैं। तो चलिए हम शानदार कहनियों को देखते हैं, जोकि निम्नलिखित प्रकार से हैं:
1. सपने का सच – Spne ka sach:

एक समय की बात हैं, किसी गाँव में एक गरीब धोबी रहता था। एक दिन वह स्वप्न देखता हैं कि वह अपने गाँव के सेठ जगराम से एक हजार रुपये उधार लेता हैं। अगले दिन सुबह उठकर गाँव के कई लोगों से अपने स्वप्न के बारें में बता देता हैं। देखते ही देखते यह खबर सेठ जगराम तक पहुँच जाती हैं। अगले दिन सेठ जगराम धोबी के पास आता हैं। वह धोबी से दिए हुए अपने पैसे वापस माँगता हैं।
धोबी उसको समझाता हैं कि वह स्वप्न में उससे पैसे लिए थे। क्या कभी स्वप्न सच होता हैं? लेकिन सेठ उसकी बातों को नहीं मानता वह पैसे देने के लिए रट लगाए रहता हैं। धोबी बहुत गरीब था, वह चाह कर भी सेठ को एक हजार रुपये नहीं से सकता था। धोबी न्याय पाने के लिए अपनी फ़रियाद लेकर अकबर के दरबार में जाता हैं। अपने साथ हुए सारी घटना को बादशाह अकबर से बताता हैं।
राजा सेठ जगराम को भी बुलाकर सच्चाई जानने की कोशिश करता हैं। दोनों की बातों को सुनने के बाद राजा अकबर असमंजस में पड़ जाता हैं कि वह फैसला किस तरफ सुनाए। बादशाह, अकबर बीरबल से दोनों के बीच मध्यस्थता करने के लिए कहता हैं। बीरबल सेठ से पूंछता हैं- “तुम्हारे पास क्या साबूत हैं कि तुम धोबी को एक हजार रुपये दिए थे।
सेठ ने कहा- “धोबी अपने आप से गाँव के लोगों से बताया हैं।” बीरबल को एक तरकीब सूझती हैं वह दरबारी से एक हजार रुपये मांगा कर एक दर्पण के सामने ऐसे रखने के लिए कहता हैं की वह पैसा दर्पण में पूरी तरह से दिखे। बीरबल दर्पण पर पड़ने वाले पैसे के प्रतिबिंब की तरफ इशारा करते हुए सेठ से कहता हैं- “यहाँ पर तुम्हारे पैसे रखे हुए हैं, तुम अपने पैसे को ले सकते हो।
सेठ कहने लगा दर्पण में दिखने वाला पैसा मैं कैसे ले सकते हूँ। बीरबल ने फरमाया कि स्वप्न में तुम कैसे किसी को पैसा दे सकते हो। इस प्रकार से बीरबल के सामने सेठ की एक भी चतुराई नहीं चली। जिसे किसी निर्दोष व्यक्ति को दोषी ठहराने के लिए सेठ को भरी सभा में सजा सुनाई जाती हैं।
2. झूठ कभी नहीं छिपता – Jhooth kabhi nahi chipta:

घनश्याम एक कोयले के खदान में काम करता था। एक बार कोयले की खुदाई करते समय घनश्याम को एक हीरा मिला। जिसे वह एक पोटली में बांधकर अपने घर ले जा रहा था। घर जाते समय अंधेरा हो चुका था। उसी रास्ते से उसके गाँव का एक पंडित पूजा सुनाकर वापस आ रहा था।
अंधेरा अधिक होने की वजह से पंडित और घनश्याम आपस में टकरा जाते हैं। जिसके कारण दोनों की पोटली नीचे जमीन पर गिर जाने से आपस में बदल जाती हैं। घनश्याम जब घर पहुंचकर पोटली खोलता हैं तो देखता हैं की उसकी पोटली में कुछ सिक्के पड़े हैं। जबकि, पंडित जब अपनी पोटली खोलता हैं तो उसे हीरा मिलता हैं। पंडित खुशी के मरे फुले नहीं समाता।
वह सारी घटना अपनी पत्नी को बता देता हैं। अगली सुबह घनश्याम पंडित के पास उसकी पोटली लेकर जाता हैं और उससे कहता हैं, “कल हम टक्कर खाकर गिर गये थे तो हमारी पोटली बदल गई थी। कृपया मेरी पोटली वापस कर दो और आप अपनी पोटली ले लो।” लेकिन पंडित पोटली देने से माना करता हैं। घनश्याम न्याय के लिए अकबर के दरबार में जाता हैं।
वह बादशाह अकबर से सारी घटना को बता देता हैं। बादशाह अकबर अपने सैनिकों को भेजकर पंडित को पोटली के साथ बुलवाता हैं। पंडित से भी उस घटना के बारें में पूंछता हैं। बादशाह अकबर दोनों को पोटली छोड़कर जाने के लिए कहा। अगले दिन राजा अकबर बीरबल को अपने फैसला सुनने के लिए कहता हैं। बीरबल दोनों पोटली को दो अलग-अलग बाल्टी में डाल देता हैं।
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पंडित के दिए पोटली में कोयला लगा होने के कारण बाल्टी के पानी का रंग हल्का काला जाता हैं। इससे पता चलता हैं की यह पोटली घनश्याम की हैं। जबकि, घनश्याम के दिए पोटली के बाल्टी का रंग पीला पड़ जाता हैं। इससे यह पता चलता हैं की पंडित पूजा कराते समय हल्दी का उपयोग करता था।
इस तरह से बीरबल ने दोनों के मालिक का पता लगा लेता हैं। इस प्रकार पंडित को झूठ बोलने के जुर्म में उसे सजा देने का हुक्म दिया जाता हैं।
3. जैसे को तैसा – Jaise ko taisa:

एक समय की बात हैं अकबर का बीरबल के प्रति अधिक लगाव देख अन्य सभी मंत्री बीरबल को प्रधानमंत्री पद से हटाने योजना बनाते हुए कहा- “जहाँपनाह हम सभी में अब्दुल रहीम खान-ए-खाना जोकि बीरबल से भी ज्यादा चतुर और बुद्धिमान हैं।” कृपया आप उसे इस दरबार का प्रधानमंत्री बनाइए। बादशाह अकबर ने कहा, “पहले आपको साबित करना पड़ेगा कि बीरबल बुद्धिमान और चतुर नहीं हैं।”
अब्दुल रहीम खान-ए-खाना ने कहा- “महाराज, हम बीरबल से तीन सवाल करना चाहते हैं। उसके जबाब सुनकर आपको उसके बुद्धिमता की परख हो जाएगी। बादशाह अकबर ने कहा, “कल दरबार में आप अपने तीनों सवालों के जबाब बीरबल से पूँछ लेना।” अगले दिन दरबार लगा बीरबल को बुलाया गया।
अब्दुल रहीम खान-ए-खाना ने अपने पहले प्रश्न का जबाब बीरबल से पूछते हुए कहा- “पृथ्वी की लंबाई कितनी हैं? बीरबल कहता हैं- “दो लाख किलोमीटर” अगर अब्दुल रहीम खान-ए-खाना जी को विश्वाश नहीं हैं तो वें फ़ीते से पृथ्वी की लंबाई नापकर मुझे गलत साबित कर सकते हैं।
अब्दुल रहीम खान-ए-खाना ने अपना दूसरा सवाल पूंछते हुए कहा- “ब्रम्हांड में तारों की संख्या कितनी हैं?, बीरबल ने एक भालू मँगवाकर कहा- “इस भालू के शरीर में जीतने बाल हैं, उतने ही ब्रम्हांड में तारों की संख्या हैं। अगर खान-ए-खाना जी को विश्वाश नहीं हैं तो वें भालू के बालों को गिन सकते हैं, जिससे उन्हें तारों की संख्या का पता चाल जाएगी।
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बादशाह अकबर, खान-ए-खाना को बीरबल से तीसरा सवाल पूछने का हुक्म देते हैं। खान-ए-खाना बीरबल से पूंछता हैं- “इस संसार में कितने पुरुष, महिला, बच्चे और बुजुर्ग रहते हैं? बीरबल अपने जबाब देते हुए बादशाह अकबर से कहा- “जहाँपनाह, इस संसार में प्रतिदिन पुरुष, महिला, बच्चों की जन्म और मृत्यु होने के कारण संख्या घटती बढ़ती रहती हैं। इसलिए आप सभी को मेरे सामने लाकर खड़े कर दो मैं आपको संख्या बता दूंगा।
राजा अकबर तीनों प्रश्नों के सही जबाब पाकर खुश हो गया। उसने अब्दुल रहीम खान-ए-खाना से पूँछा और कुछ पूछना हैं। खान-ए-खाना ने कहा- “महाराज बीरबल सभी प्रश्नों के जबाब सही नहीं दिए हैं। वें बस आपको गुमराह किए हैं। राजा अकबर कहता हैं जैसा प्रश्न वैसा ही जबाब हैं। इसलिए, बीरबल ही इस दरबार का प्रधानमंत्री रहेगा।
4. लँगड़ा घोडा – Langda ghoda:

एक बार बादशाह अकबर का सबसे ताकतवर घोड़ा ‘चेतक’ प्रशिक्षण के समय गिर गया। जिससे उसके पैर में कुछ मामूली सी चोट भी आई। राजा ने घोड़े की कई सारे बड़े-बड़े वैद्यों से इलाज करवाया। लेकिन फिर भी वह लँगड़ाते हुए ही चलता था। इस बात की खबर बीरबल को पता चली।
वह अस्तबल के मालिक को अपने पास बुलाया और उससे सारी घटना को समझने के बाद कहा, “घोड़े को जो व्यक्ति प्रशिक्षित करता हैं उसके बारे में कुछ बताओ।” घोड़े का मालिक कहता हैं- “श्रीमानजी! जब प्रशिक्षक घोड़े के साथ गिरा था तो उसका एक पैर हमेशा के लिए विकलांग हो गया। जिसके कारण वह अब लँगड़ाते हुए चलता हैं।
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बीरबल अस्तबल के मालिक से कहता हैं। घोड़े का प्रशिक्षक बदल दो। क्योंकि, यह घोड़ा अपने प्रशिक्षक की नकल कर रहा हैं। घोड़े का प्रशिक्षक को बदल बदलने के बाद देखते ही देखते घोड़ा ठीक से दौड़ने लगा। इसप्रकार, दरबार में फिर एक बार बीरबल की बुद्धिमानी की सराहना होने लगती हैं।
5. मोम का शेर – Mom ka sher:

एक बार बादशाह अकबर दरबार लगाए बैठे थे। उनके पास फारस के राजा ने अपने दरबारियों के साथ एक पिजरे में कैद शेर को भेजा। दरबारी राजा के सामने सिर झुकते हुए अपना परिचय देते हुए एक खत दिया। बादशाह अकबर का दरबारी खत को पढ़ता हैं। जिसमें लिखा होता हैं, इस पिजरें में कैद शेर को बिना पिंजरा खोले शेर को बाहर निकलना हैं। अगर नहीं निकल पाए तो तुम्हें मुझसे युद्ध करना पड़ेगा।
राजा ने अपने मंत्रियों से शेर को बाहर निकलने के लिए सलाह मांगी। लेकिन, किसी को कुछ तरकीब नहीं सूझ रहा था। राजा ने बीरबल को बुलाकर शेर को बाहर निकलने के लिए कहा। बीरबल, पिंजरे तक गया और शेर को बहुत ही ध्यान से देखा। उसने एक लंबी और मोटी जलती हुई मोमबत्ती को शेर के मुह में डाल दिया। देखते ही देखते वह शेर मोम की तरह पिघलकर पिंजरें से बाहर आने लगा।
इस तरह से बीरबल अपनी बुद्धिमता के कारण बिना पिंजरा खोले शेर को बहार निकल दिया। बादशाह अकबर बीरबल की बुद्धिमानी के लिए उसे सम्मानित किया।
6. खेत का असली मालिक कौन – Ped ka asli malik kaun:

एक बार बात हैं रहीमपुर गाँव में माधो नाम का एक किसान रहता था। जिसके दो बेटे थे बड़े बेटे का नाम हरीराम तथा छोटे बेटे का नाम रामपाल था। किसान अब बहुत बुजुर्ग हो गया था। उसने सोच क्यों न हम अपनी जमीन को समान भागों में अपने बेटों में बाँट दे। एक दिन माधो अपने दोनों बेटों को खेतों में ले जाकर जमीन को बराबर हिस्सों में बाँट दिया।
कुछ महीनों बाद किसान मर गया। किसान का बड़ा बेटा हरीराम आलसी और निकम्मा था। वह खेतों में काम करना नहीं चाहता था। पैसों की जरूरत पड़ने पर अपने एक-एक खेत को बेचता चला गया। एक समय ऐसा आया कि अब उसके पास कुछ भी जमीन नहीं बची। अब उसको अपने भरण-पोषण करने में परेशानी आने लगी। एक दिन वह अपने भाई रामपाल की भी कुछ जमीन बेच दिया।
जब रामपाल उसको मना किया तो उसका बड़ा भाई उससे मार-पीट किया। रामपाल बादशाह अकबर के दरबार में जाकर पूरी घटना को बता दिया। बादशाह अकबर उसके बड़े भाई हरीराम को दरबार में बुलवाया। बादशाह अकबर, बीरबल को निष्कर्ष निकालने के लिए कहा।
बीरबल, हरीराम से पूँछा की आप अपनी जमीन क्या किए। हरीराम ने कहा- “श्रीमान! हमारे पिता ने अपने जमीन का बँटवारा किया ही नहीं था। इसलिए मैंने अपने हिस्से की जमीन बेची हैं। उसका छोटा भाई बीरबल से कहता हैं, महाराज! हमारे पिताजी ने मरने से पहले हम दोनों को जमीन का बँटवारा कर दिया थे।
जोकि, मेरे बड़े भाई ने अपने हिस्से की सारी जमीन बेच दी अब मेरे हिस्से की जमीन बची हैं उसे भी बेचने लगा हैं। बीरबल को बात समझ आ गई। वह अपने सैनिकों को कहता हैं- “एक-एक खेत दोनों को दे जिसपर दोनों खेती करेंगे। रामपाल उस खेत में खूब मेहनत की और उसमें अच्छी फसल उगाई।
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जबकि हरीराम बिना मन के खेती की जिसमें फसल आए ही नहीं। उसके दिमाग में एक ही बातें चाल रही थी की राजा के द्वारा दिया जमीन कैसे बेचा जाए। जब फसल की कटाई हुई तो रमपाल को इतने अनाज मिले की उसके घर में रखने की जगह नहीं थी। जबकि, हरीराम मुहँ लटकाकर घर बैठा था। बीरबल एक दिन दोनों को दरबार बुलाकर खेती-बाड़ी का हालचाल पूंछता हैं।
रामपाल कहता हैं- “महाराज आपके द्वारा दिए खेत अधिक उपजाऊ होने के कारण इतने अधिक अनाज पैदा हुआ हैं कि हमारे पास रखने की जगह नहीं हैं। जब हरीराम से पूछा गया तो उसने कहा, महाराज! पथरीली और कंकड़ से भरे जमीन में कुछ नहीं हुआ। बीरबल बातों को समझ गया उसने कहा- “जो खेत मैंने तुम्हें दिया हैं उस खेत में पिछले साल बहुत अधिक अनाज पैदा हुआ था।
जबकि, तुम्हारे छोटे भाई वाले खेत में काम अनाज पैदा हुआ था। इस तरह उसकी खराब हरकतों के कारण बादशाह अकबर उसे सजा सुनाते हैं। रामपाल को वह खेत हमेशा की लिए दे दिया।
7. बीरबल और राजाई – Birbal aur rajai:

एक बार शहंशाह अकबर अपने मंत्रियों की परीक्षा लेना चाहते थे। उन्होंने अपने से थोड़ी छोटी एक राजाई बनवाई। दरबार में सभी मंत्रियों के सामने ऐलान कर देते हैं कि इस राजाई से जो मुझे अच्छे से ढक देगा। उसे अपने दरबार का मुख्य प्रधानमंत्री के रूप में चुना जाएगा। लेकिन शर्त यह हैं कि मेरे शरीर का कोई भी हिस्सा खुला नहीं होना चाहिए।
सभी मंत्री हँसने लगे की यह कौन सी परीक्षा राजा ले रहा हैं। जोकि, बहुत आसान हैं इसमें जो पहले जाएगा वही राजा के शरीर को आसानी से ढक देगा। राजा दरबार में बीचों-बीच लेट गया। एक-एक मंत्री राजा के शरीर को ढकने की कोशिश करते हैं। लेकिन राजा का शरीर कोई नहीं ढक सका। क्योंकि, राजाई छोटी होने की वजह से राजा का शरीर कही न कही से खुला ही रहता था।
जब बीरबल का नंबर आता हैं तो राजाई से ढँकते हुए बीरबल कहता हैं- “महाराज अपने पैर थोड़ा समेट लो। बादशाह अकबर अपने पैर समेट लेता हैं। इस प्रकार बीरबल राजा अकबर के पूरे शरीर को ढँक देता हैं। इसलिए कहा जाता हैं जीतनी चदार उतने पैर पसारो। बीरबल की बुद्धिमता देख राजा उसे अपने दरबार का प्रधानमंत्री चुन लिया।