मोटिवेशन वह शब्द हैं जिसे हर कोई अपने अंदर महसूस करना चाहता हैं। क्योंकि, मोटिवेशन से ही हम बड़े से बड़ा मुश्किल लगने वाला लक्ष्य आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। ठीक इसी प्रकार से देखा जाए तो कहानीज़ोन अपने हर एक लेख में मोटिवेशन से भरपूर कहानियाँ सुनाने की कोशिश करते हैं। आज की 5 hindi story for motivation निम्न प्रकार से लिखित हैं।
1. कुछ करने की चाहत – Desire to do something:

अहिरपुर नामक गाँव में सोनू नाम का एक लड़का रहता था। सोनू का गाँव बहुत छोटा था। उस गाँव में लगभग दस से पंद्रह घर थे। सभी किसी तरह अपना जीवन यापन कर रहे थे। उसके गाँव में कोई भी व्यक्ति पढ़ा-लिखा नहीं था। क्योंकि उस गाँव की मान्यता थी कि अगर इस गाँव में कोई बच्चा पढ़ने के लिए स्कूल जाएगा तो उस गाँव में सूखा पड़ जाएगा। जिसके कारण उस गाँव में भुखमरी फैल जाएगी।
इसी बात का फ़ायदा दूसरे गाँव के लोग उठाते थे। वे इस गाँव के लोगों को अपने घरों में काम करवाने के लिए ले जाते थे। यह बात सोनू को अच्छी नहीं लगती थी। वह दूसरे गाँव के बच्चों को देख बहुत प्रेरित होता था। उसके अंदर कुछ करने की चाहत थी। एक दिन शाम को सोनू अपने दादा से पूछा, “दादा जी स्कूल जाने से सूखा कैसे पड़ सकता हैं।”
दादाजी ने सोनू को पूरी कहानी सुनाते हुए कहा- “मेरे बाबा कहते थे कि एक बार इस गाँव के बच्चे स्कूल जाना शुरू किए थे। उसी साल पूरे गाँव में सूखा पड़ गया। तब से हमारे गाँव का कोई बच्चा स्कूल नहीं जाता। सोनू को बात समझ आ गई। जरूर हमारे गाँव वालों को कोई भ्रम हो गया हैं। वह गाँव वाले से चुपके-चुपके स्कूल जाना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे कई साल बीत गए। लेकिन उस गाँव में कभी सूखा नहीं पड़ा।
धीरे-धीरे सोनू ने अपनी पढ़ाई पूरी कर ली। उसने अपने गाँव के मुखियाजी से मिलकर पूरी बात बता दी। उसने अपने गाँव में एक स्कूल खोला। एक दिन गाँव के मुखिया जी ने सभी लोगों को बुलाकर सोनू के बारें में पूरी बात बता दी। गाँव के लोग अब अपने बच्चों को पढ़ने के लिए स्कूल भेजना शुरू कर दिया। सोनू ने सभी गाँव वालों से कहा, “हमे जाने अनजाने में चली आ रही पुरानी प्रथा को बदलना चाहिए।
नैतिक सीख:
जीवन में कुछ करने की चाहत हो तो व्यक्ति अपने आप रास्ते खोज लेता हैं।
2. परिश्रम का फल – Fruit of hard work:

रोहन एक चतुर बुद्धिमान और मेहनती लड़का था। वह कभी मुश्किल परिस्थितियों में पीछे नहीं हटता था। बल्कि उसका डटकर सामना करता था। रोहन के पिता दूधिया का काम करते थे। वे घर-घर जाकर दूध पहुँचाते थे। रोहन अपनी पढ़ाई से समय निकालकर अपने पिता की मदद करता था। कुछ समय बाद उसके पिता की मृत्यु हो गई। अब घर की जिम्मेदारी रोहन पर आ चुकी थी।
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लेकिन रोहन इन सभी मुश्किलों को चुनौती के रूप में स्वीकार किया। उसने भी गाय और भैंस के दूध को बेचना शुरू कर दिया। देखते-देखते उसके ग्राहक दिन-प्रतिदिन बढ़ते गए। एक समय ऐसा आया कि उसके दूध की मांग अधिक बढ़ गई। उसने भैंस के ताबेला को बड़ा बना दिया। अब रोहन दूध बेचने के अलावा डेयरी उत्पाद जैसे: दूध, दही, मक्खन, घी आदि बेचना शुरू कर दिया।
रोहन अपने दिमाग में पिता की बताई एक बात हमेशा ध्यान में रखता था कि हमें कभी भी गुणवत्ता से समझौता नहीं करना हैं। पिता के इसी मंत्र ने रोहन को उचाइयों के शिखर पर पहुँचा दिया। इस तरह रोहन ने साबित कर दिया कि अथक प्रयास और मेहनत के बल पर उचाइयों पर पहुँचा जा सकता हैं।
नैतिक सीख:
बच्चों की एक कविता से सीख लेना चाहिए। मेहनत पर बल दुनिया हैं, नाम अमर कर जाएगी।
3. मजबूत आत्मविश्वास – Strong confidence:

किसी राज्य में एक राजा उदयभान सिंह रहते थे। राजा बहुत ही साहसी निडर और निर्भीक था। उसने कई राज्य को परास्त करके उस पर अपना कब्जा जमा चुका था। उसका नाम सुनते ही दूसरे राज्य के राजा काँप उठते थे। लेकिन, राजा उदयभान सिंह को एक बात की चिंता थी। क्योंकि, उसके राज्य को संभालने के लिए कोई उत्तराधिकारी नहीं था।
राजा की उम्र बढ़ती चली जा रही थी। एक बार राजा उदयभान सिंह ने अपने राज्य के ऋषि-मुनि को बुलाया। सभी के सामने अपने राज्य को संभालने के लिए उत्तराधिकारी का प्रस्ताव रखा। एक ऋषि ने राजा को एक औषधि दिया, जिससे उन्हें राजकुमार की प्राप्ति हुई। राजकुमार धीरे-धीरे बड़ा हो गया। लेकिन राजकुमार हमेशा बहुत भयभीत रहता था। उसके अंदर डर और भय समा चुका था।
राजा अपने राजकुमार का वार्ताव देखकर बहुत चिंतित रहने लगा। राजा उसी ऋषि से मिलने गया। ऋषि ने राजा की बात सुनकर कहा, “क्या आप राजकुमार को कुछ दिन के लिए हमारे आश्रम में छोड़ सकते हैं। राजा ने हाँ कहा और अपने राजकुमार को आश्रम में छोड़ दिया। ऋषि राजकुमार को हमेशा अपने साथ रखते और उसे प्रेरणादयक बातें बताते थे। जिससे राजकुमार के अंदर आत्मविश्वास बढ़ता गया।
एक दिन महात्मा जी राजकुमार को लेकर जंगल जा रहे थे। महात्मा जी ने राजकुमार को उसके पिता की बहादुरी के सारी कहानी सुना चुके थे। जिससे राजकुमार के अंदर का आत्मविश्वास मजबूत हो चुका था। अचानक ऋषि महात्मा के ऊपर कुछ जंगली आदिवासी हमला कर दिए। जिसे देख राजकुमार ने अपनी तलवार निकलकर ढेर कर दिया। राजकुमार का आत्मविश्वाश देख महात्मा जी राजा के पास संदेश भेजवा दिया कि आपका राजकुमार अब क्षत्रिय बन चुका हैं।
नैतिक सीख:
आसमान छूने की हिम्मत सब के अंदर होती हैं। बशर्ते अपने अंदर छिपे हुए जज़्बों को समझने की जरूरत हैं।
4. किस्मत के भरोसे मत बैठो – Don’t rely on luck:

दूधनाथ नाम का एक किसान था। उसके पास बहुत सारी उपजाऊ जमीन थी। लेकिन दूधनाथ बहुत आलसी था। वह ठीक से खेती नहीं करता था। जिसके कारण उसके घर की स्थिति दयनीय बनी रहती थी। दूधनाथ हमेशा भगवान के भरोसे बैठा रहता था। उसे लगता था कि रातों रात कोई ऐसा चमत्कार होगा जिससे उसके खेतों में लहलहाते फसल लग जाएंगे।
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लेकिन, ऐसा कभी नहीं हो सका। एक दिन दूधनाथ अपने खेत में बैठे-बैठे सोच रहा था कि अपनी गरीबी कैसे दूर करें। तभी उसे सामने से एक फकीर आता हुआ दिखाई दिया। फकीर गाँव से भिक्षा मांगकर वापस अपने घर को जा रहा था। फकीर बहुत खुश नजर आ रहा था। तभी दूधनाथ ने उस फकीर से पूछा, “बाबा आप इतना खुश क्यों हो।” फकीर ने कहा, “आज मुझे अधिक भिक्षा मिली हैं इसलिए।
फकीर ने पूछा तुम दुखी क्यों हो? दूधनाथ ने अपनी कहानी फकीर से बता दी। फकीर ने कहा, “तुम भगवान के भरोसे क्यों बैठे हो। भगवान भी उसी का साथ देते हैं जो खुद कुछ करना चाहता हैं। क्योंकि हमारे माता-पिता को भी हमसे उम्मीद होती हैं कि एक दिन हमारा बेटा हमारा सहारा बनेगा। इसलिए तुम्हारे पास इतनी ज्यादा जमीन हैं उस पर खेती क्यों नहीं करते।
फकीर की बात किसान दूधनाथ के समझ में आ गई उसने उस दिन से अपने खेतों में मेहनत करना शुरू कर दिया। बारिश भी अच्छी हो गई देखते-देखते उसके खेतों में फसल लहलहाने लगे। किसान दूधनाथ को विश्वास हो गया कि भगवान भी बहादुरों का साथ देते हैं, न की कायरों का।
नैतिक सीख:
आलस व्यक्ति का सबसे बड़ा शत्रु हैं।
5. लक्ष्य पर नजर – Eye on target:

वैभव एक होनहार लड़का था। उसे जीवन में कुछ करना था। जिसके लिए वह हमेशा उत्साहित रहता था। उसने सेना में जाने का मन बना लिया था। एक दिन उसके मामा घर पर आए। उसके मामा सेना में लेफ्टिनेंट कमांडर थे। वैभव अपने मामा से मिलकर बहुत खुश था। क्योंकि उसके सभी सवालों के जबाब उसके मामा दिए जा रहे थे।
मामा जी रात्री का भोजन कर रहे थे। वैभव भी उनके साथ खाना खा रहा था। तभी मामा जी ने पूछा, “मेरे प्यारे भांजे तुम बड़े होकर क्या बनना चाहते हो।” वैभव ने कहा, “मामा जी मैं अभी तक तो सेना में सिपाही बनना चाहता था। लेकिन आज मैं आपके वर्दी पर लगे सितारे देखकर अपना लक्ष्य बदल दिया। मुझे भी लेफ्टिनेंट कमांडर बनना हैं।
मामा जी ने अपने भांजे की बात सुनकर तेजी से हँसे। उन्होंने कहा, अच्छा हुआ मेरे सीनियर सर मेरे साथ नहीं आए नहीं तो मेरा भांजा उनके वर्दी पर लगे सितारे देखकर उनके जैसा बनने की कोशिश करता। मामाजी अपने भांजे को समझाते हुए कहा, “सबसे पहले आप अपनी क्षमता के अनुसार अपना लक्ष्य निर्धारित करो, फिर उस लक्ष्य के प्रति अपनी नजर हमेशा बनाकर रखो। देखना सफलता एक दिन आपके कदम चूमेगी।
नैतिक सीख:
सही दिशा में प्रयास से सफलता एक दिन जरूर मिलती हैं।