हम अपने बच्चों का बौद्धिक विकास कहानियों के माध्यम से कर सकते हैं। इसलिए, बच्चों को कहानी कुछ इस प्रकार सुनाना चाहिए कि जिससे बच्चे के अंदर कहानी सुनने की जिज्ञासा बढ़े जैसे कि कहानी में आगे क्या होने वाला हैं तथा कौन सही और कौन गलत था, इसमें अंतर करने की समझ हो सके। इसके अलावा, देखा जाए तो कहानी बच्चों का मन बहलाने वाला एक सबसे आसान और सही तरीका हैं। जिसके माध्यम से बच्चों के मानसिक विकास को भी बढ़ावा मिलता हैं। इसलिए, कहानीज़ोन के इस लेख में हम आपको 10 मजेदार नैतिक कहानियां सुनाने जा रहे हैं। हमें उम्मीद हैं ये कहनियाँ आपके बच्चे को बहुत पसंद आएंगी, जोकि इस प्रकार हैं:
1. बंदर और बकरी की कहानी – The Story of Monkey and Goat:

चंपकवन नाम का एक जंगल था, जिसमें एक बंदर और एक बकरी रहते थे, दोनों पक्के दोस्त थे। वे दोनों एक दूसरे के सुख-दुख में हमेशा मदद करते थे। दोनों की दोस्ती देख, जंगल के सभी जानवर उनके साथ रहना चाहते थे। क्योंकि, जंगल के जानवर बंदर और बकरी से अच्छी-अच्छी बातें सीखना चाहते थे। बंदर बहुत चंचल और बुद्धिमान था। वह जंगल के कोने-कोने से परिचित था।
एक दिन बंदर ने बकरी से बोला,”तुम हर दिन जंगल की यही हरी घास और पत्ते खाती रहती हो। मेरे प्यारे दोस्त चलो आज मै तुम्हें इस जंगल का सबसे अच्छा फल स्ट्रॉबेरी खिलाता हूँ जो आपको बहुत पसंद आएगा”। अपने दोस्त की बात सुनते ही बकरी के मुँह में पानी आ गया और अंदर ही अंदर वह सोचने लगी कि मेरा दोस्त कितना अच्छा हैं जो मेरे बारे में इतना सोचता हैं और मेरा इतना ख्याल भी रखता हैं।
दोनों दोस्त जंगल के किनारे पर जाते हैं जहाँ पर एक पेड़ पर लाल-लाल स्ट्रॉबेरी लगे होते हैं। बंदर झट से पेड़ पर चढ़ जाता हैं और बकरी को फल तोड़-तोड़ कर देने लगता हैं। लेकिन ऐसे में बहुत समय लग रहा था। तभी बंदर ने दिमाग लगाया और पेड़ की डाल को पकड़ कर जोर-जोर से हिलाने लगा। और बहुत सारी स्ट्रॉबेरी नीचे गिर गई और उसका दोस्त उसे जल्दी-जल्दी खाने लगा।
उसी पेड़ पर चिड़िया का एक घोंसला भी था। जिसमें चिड़िया अपने बच्चों के साथ रहती थी। उस समय चिड़िया अपने बच्चों के लिए खाना लाने बाहर गई हुई थी। बंदर के डाल हिलाने के कारण चिड़िया के बच्चे घोंसले से नीचे गिर गए थे। यह सब बकरी देख रही थी जोकि उसे अच्छा नहीं लग रहा था। उसने अपने दोस्त बंदर से बोला कि चिड़िया के बच्चों को आप ऊपर घोंसले में रख दो, बंदर ने वैसे ही किया।
तभी, चिड़िया की माँ अपने बच्चों के पास खाना लेकर वपास आ जाती हैं। चिड़िया के बच्चे इस पूरी घटना को अपनी माँ को सुना देते हैं। फिर, बंदर और बकरी वहाँ से जाने लगते हैं। चिड़िया उन दोनों को जाते देख उनके पास जाती हैं और बोलती हैं कि आप लोग यही रुक जाओ, आपने हमारे बच्चे को बचाया हैं। आप लोग अच्छे जानवर हो। आपको यहाँ पर अच्छे-अच्छे और भी फल मिल जाएंगे।
चिड़िया की बात सुन बंदर और बकरी आपस में बात करने लगे। कुछ देर बाद बंदर ने चिड़िया से बोला,”ठीक हैं हम लोग आपके लिए कुछ दिन इसी जंगल में रुक जाएंगे”। अब तीनों मिलकर खुशी से हवा में उछल पड़े और तीनों दोस्त बन गए।
नैतिक सीख: हमें अपने स्वार्थ के लिए कभी किसी का अनहित नहीं करना चाहिए, बकरी और बंदर की दोस्ती से हमें सीख लेना चाहिए।
2. जैसे को तैसा – Tit For Tat:

दूर पहाड़ों के पास नदी के किनारे भेड़िया और ऊँट दो दोस्त रहते थे। ऊँट बहुत सीधा-साधा और भेड़िया बहुत लालची और मतलबी था। एक दिन भेड़िए ने देखा कुछ पंछी और जानवर नदी उस पार से तरबूज खा कर आ रहे थे। तभी उसके अंदर लालच आई और उसने अपने दोस्त ऊँट के पास जा कर बोला कि ऊँट भैया नदी उस पार बहुत सारे तरबूज लगे हैं। चलो हम लोग भी तरबूज खा कर आते हैं। ऊँट उसकी बातों में आ गया और उसे अपने पीठ पर बैठा कर नदी के उसपार तरबूज के खेत के पास ले गया।
खेत में लगे तरबूज को देखते ही भेड़िए के मुहँ में पानी आ गया और जल्दी से खेत में कूद गया और तरबूज को खाने लगा। थोड़े समय में ही भेड़िए का पेट भर गया और उसका दोस्त ऊँट अभी तरबूज खा ही रहा था। फिर, भेड़िया ने सोचा इसका पेट तो बहुत बड़ा हैं, ये तो एक दिन में सारे तरबूज खा जाएगा फिर हमें नहीं मिलेगा।
उसके दिमाग में शरारत सूझी वह तरबूज को तोड़-तोड़ कर फेंकने लगा और खुशी के कारण नाचने और चिल्लाने लगा। ऊँट ने उसे ऐसा करने से माना किया तो भेड़िया बोला हमें खाना खाने के बाद चिल्लाने और नाचने की आदत हैं। तभी भेड़िए की आवाज सुन बगल के खेत से किसान आ गया और ऊँट की पिटाई शुरू कर दी, यह देख भेड़िया तेजी से भाग निकला और नदी के किनारे जा कर रुका।
पिटाई खाने के बाद ऊँट किसी तरह नदी के किनारे आ पहुँचा अब दोनों नदी पार कर रहे थे तभी बीच नदी में ऊँट बैठने लगा उसके पीठ पर बैठे भेड़िया ने बोला, भैया ये क्या कर रहे हो। ऊँट ने बोला मुझे खाना खाने के बाद पानी में बैठने की आदत हैं और वह पानी में बैठ गया और लेटने भी लगा। भेड़िया पानी में बहते-बहते बहुत मुश्किल से किनारे लगा और उसको अपने किए पर पछतावा होने लगा।
नैतिक सीख: हमें किसी को धोखा नहीं देना चाहिए और किसी के सीधेपान का फायदा भी नहीं उठाना चाहिए।
3. बूढ़ा शेर और चूहे की कहानी – Story of the Old Lion and the Mouse:

कुछ समय पहले की बात हैं एक जंगल में एक बूढ़ा शेर रहता था। वह बहुत दयालु और सीधा था। उससे जंगल के सभी जानवर बहुत प्यार करते थे। एक दिन शेर जब अकेला सो रहा था तब एक चूहे को मस्ती सूझी और उसने सोचा चलो जंगल के राजा के साथ मस्ती करता हूँ और फिर वह शेर के पास गया और उसके ऊपर चढ़ कर नाचने और कूदने लगा।
तभी जंगल के राजा शेर सिंह की नींद खुल गई उसने अपने नुकीले नाखून के पंजों से चूहे को दबा लिया और बोलने लगा आज तो तुम्हें सजा मिल के ही रहेगी। यह बात सुन चूहा बहुत डर गया और रोने लगा। शेर अपनी दयालुता के कारण दूर-दूर के जंगलों में बहुत प्रसिद्ध था। इसलिए उसने चूहे को किसी भी प्रकार की हानि नहीं पहुंचाई और चूहे को छोड़ दिया।
चूहा पंजे से निकलते ही शेर से बोला, आपके इस ऐहसान का बदला जरूर चुकाऊँगा। चूहे की इस बात पर शेर जोर से हंस पड़ा और फिर वही सो गया। अगले दिन शेर को शिकारियों ने जाल में फंसा लिया। सारे शिकारी शेर को जाल में फंसे देख बहुत खुश हो रहे थे। तभी वही चूहा ये सब देख अपने दोस्तों को लेकर आया और उस जाल को काट दिया और शेर जाल से बाहर आ गया। शेर को उस दिन चूहे का किया हुआ वादा याद आया।
नैतिक सीख: किसी भी इंसान को छोटा या फिर बिना काम का नहीं समझना चाहिए। कौन इंसान किस समय काम आ जाए, किसी को पता नहीं होता हैं।
4. सोने की अंडे देने वाली मुर्गी की कहानी – Story of the Hen that Lays the Golden Eggs:

एक समय की बात हैं रामपुर गाँव में एक किसान रहता था। वह बहुत गरीब था बड़ी मुश्किल से उसके परिवार का भरण-पोषण हो पता था। एक दिन वह मायूस होकर अपने खेत के पास बैठा था। तभी उसी रास्ते से एक संत महात्मा जा रहे थे। उन्होंने किसान से पूछा आप इतना उदास क्यों बैठे हो। किसान ने सारी बात संत महात्मा को बता दी, उसने अपने पास से कुछ पैसे किसान को दिए और बोले इस पैसे से आप 6 मुर्गियाँ खरीद कर लाओ।
किसान ने वैसा ही किया उन पैसों से मुर्गियाँ खरीद कर ले आया। अगले दिन उनमें से एक मुर्गी ने एक सोने का अंडा दिया। यह देख किसान और उसकी पत्नी खुशी से भर गए। प्रतिदिन मुर्गी एक सोने का अंडा देती यह देख किसान की पत्नी के अंदर लालच आ गई वह जल्दी आमिर बनना चाहती थी।
उसने अपने पति को समझाया और बोली ऐसे कब तक हम एक एक अंडे इकट्ठे करते रहेंगे। ऐसा करो इसका पेट फाड़ कर सारे अंडे निकाल लो। किसान ने ठीक वैसा ही किया, लेकिन उसके पेट में कुछ नहीं मिला किसान की हालत फिर से वैसे ही हो गई और वह अपने किए पर पछताने लगा।
नैतिक सीख: बिना विचारे जो करे सो पीछे पछताए, किसान को सब्र रखना चाहिए था।
5. भेड़िया और चरवाहे की कहानी – Story of Wolf and Shepherd:

एक बार की बात हैं एक गाँव में एक चरवाहा रहता था उसके पास कई भेड़ थी जिनको गाँव से दूर जंगल के पास चराने जाता था। उसके पास कोई नहीं होता था। वह अकेले भेड़ों के साथ रहता था। एक दिन जब वह अपनी भेड़ों को चरा रहा था तभी उसके मन में शरारत सूझी।
किसान अपने पास लोगों को बुलाने के लिए जोर-जोर से चिल्लाने लगा “भेड़िया आ गया, भेड़िया आ गया, बचाओ-बचाओ”। उसकी आवाज गाँव वालों ने सुनी तो सभी लाठी, डंडे लेकर जंगल की ओर भागे। चरवाहे के पास आकर देखा तो कुछ भी नहीं था। तभी चरवाहा जोर-जोर से हंसने लगा और बोला,”मैं तो मजाक कर रहा था”। उसके बाद गाँव के लोग उसके ऊपर गुस्सा हो कर वापस घर चले गए।
कुछ दिन बाद चरवाहे ने फिर वैसा ही किया और फिर से गाँव वाले इकट्ठा हुए। लेकिन कोई भेड़िया नहीं आया था सिर्फ वह अपने गाँव वालों को मूर्ख बनाता था। एक बार भेड़िया सच में आ गया और उसके भेड़ों को खाने लगा और फिर चरवाहा चिल्लाने लगा। लेकिन उसे बचाने कोई नहीं आया। गाँव वालों ने सोचा कि आज भी माजक कर रहा होगा। इसलिए कोई उसे बचाने नहीं गया और भेड़िया उसकी सभी भेड़ों को मारकर खा गया।
नैतिक सीख: हमें किसी के साथ झूठ नहीं बोलना चाहिए और किसी के साथ विश्वासघात नहीं करना चाहिए।
और देखें: 10 ज्ञानवर्धक छोटी नैतिक कहानी – Short story in hindi with moral
6. चालाक बंदर और मगरमच्छ की कहानी – The Story of the Clever Monkey and the Crocodile:

नदी के किनारे एक पेड़ पर बंदर तथा नदी में एक मगरमच्छ रहता था, दोनों में बहुत गहरी दोस्ती थी। बंदर मगरमच्छ को पेड़ पर लगे फल को खिलाता था। जबकि, मगरमच्छ बंदर को अपनी पीठ पे बैठा के नदी की सैर कराता था। एक बार मगरमच्छ की पत्नी बोली आपका दोस्त बंदर हम लोगों को इतने अच्छे-अच्छे फल खिलाता हैं।
एक दिन मगरमच्छ की पत्नी ने अपने पति से कहा कि बंदर प्रतिदिन ऐसे मीठे-मीठे फल खाता हैं। जिसके कारण उसके अंदर का दिल बहुत मीठा हो गया होगा। चलो! हम लोग उसके दिल को खा कर देखते हैं कि कैसा लगता हैं। मगरमच्छ ने अपने पत्नी के कहने पर बंदर को अपनी गुफा में बुलाया और सारी बातें बता दी। बंदर ने बहुत चतुराई से बोलते हुए कहा,”एक दोस्त दूसरे दोस्त के काम न आए तो दोस्ती कैसी”।
अगर आपको मेरे दिल को खाना हैं तो मैं जरूर दूंगा लेकिन, मै तो अपना दिल पेड़ पर ही भूल आया हूँ। मैं जाकर ले आता हूँ, तो तुम लोग खा लेना। यह बोलकर बंदर अपनी दुम दबा कर भाग गया और पेड़ पर चढ़ गया और बोला,”तुम्हारे लिए मैंने क्या नहीं किया। अब तुम मेरे साथ ऐसा व्यवहार कर रहे हो, आज से मेरी और तुम्हारी दोस्ती खत्म।
नैतिक सीख: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती हैं कि परिस्थितियाँ कैसी भी हो हमें घबराना नहीं चाहिए। हमें अपने दिमाग से काम लेना चाहिए।
7. साँप और चिड़िया की कहानी – Story of Snake and Bird:

एक पेड़ पर एक चिड़िया अपने बच्चों के साथ रहती थी। चिड़िया और उसके बच्चे बहुत खुश रहते थे। एक दिन चिड़िया अपने बच्चों के लिए खाना लाने की तलाश में गई हुई थी और वापस आ कर देखा तो उसके घोंसले के पास एक जहरीला साँप था जो उसके बच्चे को खाने की कोशिश कर रहा हैं।
चिड़िया ने भरसक प्रयास किया, उसको रोकने के लिए लेकिन वह हार चुकी थी। साँप से लड़ते-लड़ते उसने हिम्मत नहीं छोड़ी। यह सब आकाश में उड़ता हुआ एक चील देख रहा था। जब चिड़िया खून से लथपथ होकर गिरकर गई और साँप चिड़िया के बच्चे को खाने के लिए आगे बढ़ा ही था तभी चील ने अपने मजबूत पंजों से साँप को पकड़कर नदी में गिरा दिया और चिड़िया के बच्चे मरने से बच गए।
नैतिक सीख: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती हैं हमें अंत तक प्रयास करना चाहिए, हार नहीं माननी चाहिए।
8. धोबी की ईमानदारी की कहानी – Story of Washerman’s Honesty:

एक बहुत गरीब धोबी था, वह पूरे दिन कपड़े इकट्ठा करता और उसको धुलकर वापस पहुंचाकर कुछ पैसे कमाता था। धोबी बहुत ईमानदार था। एक दिन उसे कपड़ों में से पैसे मिले जिसे देख वह आश्चर्यचकित हो गया और उसके मन में सवाल आने लगा कि यह पैसे किसके होंगे। उसने सभी लोगों से पूछा और जिसके पैसे थे, वपास कर दिए।
उस व्यक्ति को धोबी की ईमानदारी पर बहुत दया आई और धोबी को उन्ही पैसों से कपड़े धुलने की कई मशीने दिला दिया जिससे धोबी का काम और आसान हो गया। देखते-देखते उसका काम और बढ़ गया और वह एक दिन बड़ा आदमी बन गया।
नैतिक सीख: ईमानदारी से किया गया काम एक न एक दिन फल जरूर देता हैं।
और कहानी देखें: 10 प्रेरणादायक छोटी हिन्दी कहानियां – Inspirational Short Stories in Hindi
9. गरीब लकड़हारे की कहानी – Story of the Poor Woodcutter:

एक समय की बात हैं एक जंगल में एक लकड़हारा और उसके साथ उसका बच्चा रहता था। लकड़हारा बहुत मेहनती और दयावान था और उसका बच्चा अपने पिता को देखकर सीख रहा था। लकड़हारे का जंगली जानवरों से बहुत लगाव था। जिसके कारण जंगली जानवर लकड़हारे की झोपड़ी के पास आते थे और लकड़हारा उन्हें खाने को भी दिया करता था।
एक बार जंगल में बहुत ठंड पड़ रही थी लकड़हारे की झोपड़ी के पास कुछ मेमने आ के खड़े हो गए, जो ठंड के कारण कांप रहे थे। जानवरों को देख, लकड़हारे के बच्चे ने जल्दी से लकड़ी काट कर जला दी। जिसके आस-पास जंगल के और जानवर एकट्ठा हो गए। लकड़हारा अपने बेटे को ऐसा करते देख बहुत खुश हुआ।
वह अपने बेटे के पास गया और उसे गले लगा लिया और अपने बेटे को बताने लगा ,”बेटा जैसा तुम दूसरों के लिए करोगे वैसा तुम्हारे लिए कोई और करने के लिए तैयार मिलेगा”। इसलिए हमेशा अच्छा काम करना चाहिए हमें जीवों पर दया करनी चाहिए। हम लोग तो अपना दुख दर्द दूसरों से बता सकते हैं। लेकिन, ये बेजुबान जानवर अपने मन की बात हम लोगों से कैसे बताएं।
नैतिक सीख: हमें दूसरों की मदद करनी चाहिए।
10. व्यापारी और गधे की कहानी – Story of The Merchant and the Donkey:

एक व्यापारी था वह अपना समान लाने नदी पार करके जाता था और गधे के ऊपर सामान लाद कर लाता था। एक दिन वह व्यापारी गधे के ऊपर नमक लाद कर आ रहा था बीच नदी में अचानक गधे का पैर फिसल गया और गधा नदी मे गिर गया। जिसके कारण नमक गल कर पानी में बह गया। जब गधा बाहर निकला तो उसे बहुत हल्का महसूस होने लगा।
अगली बार गधे पर व्यापारी चीनी लाद कर ला रहा था तब गधा जानबूझ कर नदी में बैठ गया। जिसके कारण व्यापारी की चीनी गल कर नदी में बह गई। गधे को ऐसा करते हुए व्यापारी ने देख लिया था। इस बात से व्यापारी बहुत दुखी था। इस बार, उसने गधे को सबक सीखाने की सोची और उसके ऊपर रुई का गट्ठर लाद दिया। जब गधा बीच नदी में पहुंचा, फिर से नदी में बैठ गया और जब नदी से निकल रहा था तो उसका भार दुगुने से भी ज्यादा हो गया। इस प्रकार, गधे को सीख मिल गई। तब से वह दुबारा नदी में नहीं बैठा।
नैतिक सीख: इस कहानी से हमने सीखा की हमें किसी भी गलती को अपने स्वार्थ के लिए जानबूझ कर नहीं करना चाहिए।