भारत में सास-बहू की कहानियाँ अधिकतर सुनी जाती हैं। क्योंकि, सास और बहू का रिश्ता ही ऐसा होता हैं जिसमे अधिक प्यार और तकरार आमतौर पर देखने को मिलती हैं। कुछ लोगों के निगाह में यह रिश्ता ठीक नहीं होता वही। कुछ लोगों का कहना हैं बहू बेटी के समान हैं। उसे भी बेटे और बेटी की तरह ही इज्जत और सम्मान मिलना चाहिए। तो चलिए आज के इस लेख में 5 saas bahu ki kahaniya देखते हैं। जोकि, निम्नलिखित प्रकार से हैं:
1. बहू को सास की जरूरत:

मोहित, सुरेश और निशा तीन भाई बहन थे। इनका बचपन बहुत मुश्किलों से भरा था। इनके माता-पिता इन्हें पढ़ा-लिखाकर बड़ा कर दिए। अब तीनों बच्चों के अच्छे दिन आ चुके थे। सभी की नौकरी लग चुकी थी, पैसों को कोई कमी नहीं थी। माता-पिता ने सोचा अब बच्चों की शादी करने का समय हो चुका हैं। उन्होंने जल्द ही तीनों बच्चों की शादी कर दी।
निशा मम्मी-पापा का घर छोड़कर अपने ससुराल चली गई। घर में मोहित, सुरेश उनकी पत्नियाँ और मम्मी-पापा रहते थे। सबकुछ अच्छा चल रहा था। लेकिन कुछ समय बाद सुरेश की पत्नी को लगने लगा कि माँ जी मोहित की पत्नी से ज्यादा लगाव रहती है। जबकि, मुझसे कम लगाव रखती हैं। सुरेश की पत्नी अब चाहती थी कि वह इस घर में न रहे। वह अलग होना चाहती थी।
एक दिन सुरेश किसी बात को लेकर अपनी माँ पर बिगड़ गया। उसने कहा, “मैं और मेरी पत्नी अलग रहने जा रहे हैं।” अब हम इस घर में नहीं रहेंगे। सुरेश अपने घर से किराये के घर में आ चुका था। उसने पूरी ग्रहस्ती बनाया और रहने लगा। कुछ समय बाद सुरेश को एक बेटा पैदा हुआ। अब सुरेश की पत्नी की देखभाल के लिए। किसी न किसी की सख्त जरूरत थी। लेकिन सुरेश की हिम्मत अपने माँ के पास जाने की नहीं हो रही थी।
अब सुरेश और उसकी पत्नी को बहुत पछतावा होने लगा था कि उस दिन की बात बहुत छोटी थी, जिसके लिए हम अलग हो गए। आज अगर हम अपने परिवार के साथ होते तो माँ जी और मोहित की पत्नी जरूर हमारी मदद करते। सुरेश अपनी पत्नी को समझाते हुए कहा, “मैं माँ जी को अच्छी तरह से जानता हूँ। उन्होंने आज तक मेरे और मोहित में कभी भेद-भाव नहीं किया।” लेकिन तुम्हारे कहने पर मैंने माँ जी को भला-बुरा सुना दिया था।
सुरेश के नौकरी के कारण अपनी पत्नी की देखभाल नहीं कर पा रहा था। सुरेश और उसकी पत्नी घर जाकर अपनी गलती के लिए माँ से माँफी मांगी। बच्चे की खबर सुकर माँ बहुत खुश हुई उसने कहा, “अब से तुम दोनों यही रहोगे।” बच्चे के देखभाल हम लोग कर लेंगे। उस दिन से सुरेश और उसकी पत्नी फिर से अपने घर में खुशी-खुशी रहने लगे।
2. बहु बनी सास:

सरिता की शादी उसके माता-पिता ने बहुत धूमधाम से की। सरिता अपने ससुराल चली गई। उसके माता-पिता ने अपनी बेटी के पसंद की हर एक चीज दी थी। किसी बात की कोई कमी नहीं थी। क्योंकि सरिता का पति महेश बहुत सीधा-साधा और नेक इंसान था। उसका स्वभाव सरिता के माता-पिता को खूब पसंद आता था।
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महेश भी सरिता के चेहरे पर हमेशा मुस्कान देखना चाहता था। वह सरिता के हर एक सुख-दुख को आसानी से समझ जाता था। महेश का एक बड़ा भाई और भाभी तथा दो छोटे-छोटे भाई बहन भी थे। महेश की पत्नी सरिता बहुत ही जिम्मेदार थी। वह किसी भी चीज को बहुत सोच समझकर करती थी। आए दिन महेश के बड़ी भाभी सासू माँ से सरिता की बुराई करने लगी। लेकिन, माँ जी सरिता के बात व्यवहार से अच्छी तरह वकिफ़ थी। जिसके कारण बुराइयों को कोई असर नहीं पड़ता था।
एक दिन ऐसा आया की महेश की माँ की मृत्यु हो गई। अब घर की सारी जिम्मेदारी महेश की बड़ी भाभी के ऊपर आ गई। लेकिन वह अपनी जिम्मेदारी निभाने के डर के कारण घर से अलग हो गई। अब महेश का पूरा घर और उसके दो छोटे-छोटे भाई बहन की देख-रेख सारी जिम्मेदारी सरिता के ऊपर आ गई। सरिता बहुत बहादुर थी। उसने हर समस्या का डटकर सामना किया।
महेश के छोटे भाई-बहन का इस तरह से पालन-पोषण किया जैसे मानो उनकी माँ उनके साथ हो। उन दोनों को कभी अपने माँ की कमी नहीं खली। सरिता और महेश अपने दोनों भाई बहन को पढ़ा-लिखकर बड़ा कर दिया। दोनों अपना फर्ज निभाते हुए भाई-बहन की शादी कर दी। जब घर में छोटी बहू आई तो सरिता ने अपना फर्ज सासू माँ की तरह निभाई।
3. बेटी भी बहू बनेगी:

पूनम और रवि दो भाई बहन थे। पूनम घर की बड़ी लड़की थी। जबकि रवि छोटा भाई था। दोनों पढ़ाई कर रहे थे। रवि की जल्द नौकरी लगा गई। जबकि अभी तक पूनम की नौकरी नहीं लगी थी। माता-पिता ने कहा, बेटा पूनम अच्छे-अच्छे रिश्ते आ रहे हैं। मैं तुम्हारी शादी मान लेता हूँ। पूनम ने कहा, “जब तक मेरी नौकरी नहीं लग जाती, मैं शादी नहीं करूंगी।” अगर आपको लगता हैं कि माँ जी को दिक्कत हो रही हैं तो रवि की शादी करवा दीजिए।
माता-पिता ने सोचा रवि की नौकरी भी लगा चुकी हैं। क्यों न हम रवि की ही पहले शादी कर दे। जब तक पूनम अपनी तैयारी करती रहेगी। इस तरह से रवि की शादी मीना नाम की लड़की के साथ हो गई। मीन और रवि दोनों की आपसी समझ बहुत अच्छी थी। दोनों हंसी-खुशी रहने लगे थे। लेकिन कुछ समय बाद पूनम मीना को हर बात में रोका-टोकी करने लगी थी। फिर भी मीना उसकी बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं देती थी।
लेकिन बात तब ज्यादा बढ़ने लगी जब बिना वजह पूनम मीना को परेशान करना शुरू कर दिया। मीना ने सारी बात रवि से बता दिया। रवि ने पूरी सच्चाई पता कर माँ को सारी कहानी सुना दी। माँ ने अब पूनम के ऊपर ध्यान रखने लगी। माँ को भी ऐहसास हो गया कि पूनम बिना वजह मीना को परेशान कर रही हैं। एक दिन शाम के समय डाइनिंग टेबल पर सभी खाना खा रहे थे। मीना किचन से खाना लाकर दे रही थी।
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माँ ने पूनम से कहा, बेटा पूनम तुम्हारा व्यवहार जिस तरह से मीना के प्रति हैं कल को तुम भी ससुराल जाओगी अगर तुम्हारी ननद का व्यवहार तुमसे भी ज्यादा खराब हुआ तो तुम क्या करोगी। इसलिए तुम्हारे हित की बात यही होगी कि तुम मीना के प्रति अपना बर्ताव ठीक कर लो नहीं तो एक दिन यही रवैया तुम्हें भी देखने को मिलगा। मैं तुम्हारी हर एक बातों को नजरअदांज करती जा रही हूँ तो इसका मतलब यह नहीं की मैं कुछ नहीं जानती।
पूनम खाने की टेबल से उठकर अपने कमरे में चली गई। उसे अपने किए पर बहुत पछताव हो रहा। अगली सुबह पूनम ने अपने मम्मी-पापा से माँफी मांगी। अब वह अपना पूरा ध्यान अपनी पढ़ाई पर लगा दी। कुछ ही दिन बाद उसे एक अच्छी नौकरी भी मिल गई। एक दिन पूनम बेटी से बहू बनकर चली गई।
4. सास का बहू से लगाव:

सरला अपने घर की अकेली लड़की थी। जिसके कारण उसका मान-सम्मान और दुलार बहुत अधिक था। उसकी माँ उसे कभी भी किसी काम को करने के लिए नहीं कहती थी। सरला ने कभी भी किचन में काम नहीं किया था। सरला के पिता अपनी पत्नी से कहते थे कि बेटी को कुछ गुण ढंग भी सीखाए। सरला की माँ ने कहा, “जब शादी योग्य हो जाएगी तो अपने आप सीख जाएगी।”
धीरे-धीरे समय बीतता गया। सरला की उम्र अठारह साल से भी अधिक हो चुकी थी। उसके माता पिता शादी के लिए रिश्ते देखना शुरू कर चुके थे। लेकिन उन्हें ढंग का रिश्ता मिलने में समय लग रहा था। क्योंकि उन्हें अपनी लड़की के स्वभाव के बारें में अच्छे से पता था। वे चाहते थे की कोई छोटा परिवार मिले।
बड़ी मुश्किल से एक रिश्ता मिला। उस परिवार में अजय और उसके माता-पिता ही रहते थे। सिर्फ तीन लोगों का परिवार था। अजय और उसके माता-पिता को सरला पसंद थी। सरला के माता पिता ने अपनी बेटी के बारे में सबकुछ बता दिए थे। अजय की माँ बहुत ही परिवरिक महिला थी। उन्होंने सरला के माता-पिता को विश्वास दिलाया की वे चिंता न करे। आपकी लड़की हमारे घर पर बेटी की तरह ही रहेगी न कि बहू की तरह।
अजय और सरला की शादी हो गई। सरला की सासू माँ अपनी बहू को कदम दर कदम छोटी से बड़ी बातों को समझाती रहती थी। बहुत जल्द सरला अपने सासू माँ से बहुत सारी चीजे सीख ली। एक दिन सरला के मम्मी-पापा अपनी बेटी से मिलने के लिए आए। मम्मी पापा की खिदमत में सरला ने कई तरह के व्यंजन बनाए। खाने की टेबल पर कई तरह के पकवान देखकर उसके माता-पिता आश्चर्यचकित रह गए।
उन्होंने सरला की सासू माँ का बहुत आभार व्यक्त किया। अपनी बेटी को खुश देख सरला के मम्मी-पापा के आत्मा को ठंडक मिली। जब उसके मम्मी-पापा ने घर चलने के लिए कहा तो सरला अपनी सासू माँ की तबीयत ठीक नहीं होने का बहन बनाते हुए टाल-मटोल करने लगी। उसके माता-पिता को लगने लगा कि अब सरला को उसका ससुराल अच्छा लगने लगा हैं। जिसका प्रमुख कारण उसकी सास का सरला के प्रति लगाव था।
5. सास की फ़रमाइश:

कबीर अपने माता-पिता का एकलौता लड़का था। वह बहुत ही बुद्धिमान और आज्ञाकारी था। धीरे-धीरे कबीर अठारह साल का हो चुका था। उसके माता-पिता ने उसकी शादी किसी एक उच्च खानदान में सीमा नाम की लड़की के साथ कर दिया। सीमा जब ससुराल आई तो उसकी सासू माँ उसके साथ ऐसा व्यवहार करती थी जैसे मानो, वह बहू नहीं नौकरानी हो। कबीर की माँ ने सीमा को आदेश दे दिया था कि प्रतिदिन अलग-अलग किस्म के व्यंजन बनने चाहिए।
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सीमा किसी तरह कुछ दिन अपने सासू माँ की फ़रमाइश पूरी करती रही। लेकिन आए दिन कुछ न कुछ और आदेश देने लगी। जिसे करने के लिए सीमा के पास समय नहीं बचता था। अब वह परेशान रहने लगी। एक दिन उसने सासू माँ की सारी बात कबीर से बता दी। कबीर ने अपने माँ के वार्ताव को देखकर पिता से सारी बातें बता दी।
कबीर के पिता ने एक दिन उसकी माँ को अकेले में बुलाकर समझाते हुए पूछा, “हमारी शादी के बाद, क्या मेरी माँ ने तुम्हारे साथ ऐसा व्यवहार किया था? जैसा व्यवहार तुम सीमा के साथ कर रही हो।” हम अपने घर में बहू लाए हैं, नौकरानी नहीं जिसे हमेशा काम में लगाए रखो। लोग तो नौकरनी को भी इस तरह से व्यवहार नहीं करते जैसा तुम अपनी बहू के साथ कर रही हो।
जरा सोचो अगर अगर तुम्हारी बेटी ससुराल जाए और उसके साथ ऐसा व्यवहार हो तो तुम्हें कैसा लगेगा। इस तरह से कबीर के पिता ने अपनी पत्नी को बहुत समझाया। कबीर की माँ ने अपने पति से गलतियों के लिए माँफी माँगते हुए वादा किया कि वह आगे से सीमा को परेशान नहीं करेगी।