बच्चे के दिमाग को बढ़ावा देने के लिए कहानियां एक ऐसा माध्यम हैं जोकि मनोरंजन के साथ-साथ ज्ञानवर्धन भी करती हैं। इसके अलावा कहानियां बच्चे को सोचने के लिए मजबूर करती हैं। ठीक इसी प्रकार से देखा जाए तो कहानीज़ोन के इस लेख में आज हम 5 Very short story in hindi with moral बताने जा रहे हैं, जोकि निम्नलिखित प्रकार से हैं।
1. शैतान मुर्गा और चील:
हरिया के बाड़े में कई सारे मुर्गे और मुर्गियाँ थी। उसी बाड़े में एक शैतान मुर्गा रहता था। जोकि, उस बाड़े का राजा बनना चाहता था। एक दिन हरिया मुर्गी के अंडों को लेकर बाजार बेचने गया हुआ था। उसी दिन शैतान मुर्गा एक मुर्गे से झगड़ पड़ा, दोनों में तेज लड़ाई शुरू हो गई। दोनों लड़ते-लड़ते बाड़े से बाहर आ गए।
लेकिन, शैतान मुर्गा पीछे हटने का नाम नहीं ले रहा था। कुछ समय बाद शैतान मुर्गा दूसरे मुर्गे को हरा दिया। वह मुर्गा जाकर बाड़े के अंदर बैठ गया। शैतान मुर्गा अपनी जीत सबको बताने के लिए बाड़े की छत पर चढ़कर जोर-जोर से बाग लगाने लगा। उसकी आवाज ऊपर उड़ रहे चील के कानों में पड़ी। उसने फुर्ती के साथ अपने शक्तिशाली पंजों में शैतान मुर्गे को दबोच कर अपने घोंसले की तरफ उड़ गया।
कहानी से सीख:
अहंकार पतन की तरफ ले जाता हैं।
2. शेर की खाल में गधा:
जंगल के रास्ते में गधे को एक शेर की खाल मिली जिसे वह पहन लिए। अब उसे जंगल के जानवर देख दूर भागने लगे। जानवरों को अपने आप से दूर भागते देख गधा अपनी हँसी नहीं रोक पाता था। इस तरह उसका डर और भय कई दिनों तक चलता रहा। एक दिन जंगल के कुछ जानवर उसे देख भागने लगे।
जानवरों को भागते देख गधा अपनी कर्कश हँसी न रोक सका। एक लोमड़ी भी बाकी जानवरों के साथ भाग रही थी। गधे की हँसी सुनते ही वह रुकी और गधे के सामने जाकर बोली- “अगर तुम अपनी हँसी रोक लिए होते तो मैं भी मूर्ख बन जाती। लेकिन, अब मैं तुम्हारी असलियत जंगल के सभी जानवरों तक पहुचाऊँगी।
कहानी से सीख:
मूर्ख व्यक्ति अपने पहनावे और दिखावे से धोखा दे सकते हैं। लेकिन, उनकी असलियत उनकी जुबान बायाँ कर देती हैं।
3. दो यात्री और भालू:
रामू और श्यामू में घनिष्ट मित्रता थी। दोनों कही भी एक साथ आते-जाते थे। रामू थोड़ा डरपोक किस्म का लड़का था। जबकि, श्यामू बुद्धिमान तथा तुरंत फैसला लेने वाला लड़का था। फिर भी दोनों में अच्छी दोस्ती थी। एक दिन रामू और श्यामू स्कूल से वापस अपने घर को जा रहे थे। बीच रास्ते में अचानक उन्हें सामने से एक भालू आता दिखाई दिया।
भालू को देख रामू झट से एक पेड़ पर चढ़ गया। श्यामू को पेड़ पर चढ़ना नहीं आता था। श्यामू के दिमाग में तुरंत ख्याल आया कि भालू मरे हुए व्यक्ति को नहीं खाता। श्यामू ने अपनी साँसे रोककर जमीन पर लेट गया। भालू श्यामू के पास आया और उसके कानों को सूंघा उसे मरा समझ वह आगे निकाल गया। रामू पेड़ पर बैठा यह सब देख रहा था।
भालू के जाने के बाद रामू ने श्यामू से पूछा, भालू ने तुम्हारे कान में क्या कहा? “श्यामू ने उसे जबाब दिया कि “भालू ने कहा मुश्किल घड़ी में अकेला छोड़ने वाले स्वार्थी व्यक्ति का साथ नहीं करना चाहिए।” रामू को अपने आप पर शर्मिंदगी महसूस हुई।
कहानी से सीख:
सुख-दुख में साथ देने वाला व्यक्ति ही सच्चा दोस्त होता हैं।
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4. समय का महत्त्व:
रोहित पूरे दिन दोस्तों के साथ खेलता और अपना समय बर्बाद कर रहा था। उसके माता-पिता उसे कई बार समझा चुके थे कि समय बहुत कीमती हैं। आज जो समय बीत गया दुबारा वापस नहीं आएगा बस तुम्हें पछतावा ही मिलेगा। लेकिन, रोहित को इस बात का कोई फर्क नहीं पड़ रहा था। वह प्रतिदिन की तरह अपने समय को नष्ट करता जा रहा था।
एक दिन सुबह-सुबह रोहित के दादा चाय-नाश्ते पर बैठे पेपर पढ़ रहे थे। तभी कबाड़ी वाले ने आवाज लगाई। दादा रोहित को भेजकर कबाड़ी वाले को रुकने के लिए कहा। कबाड़ी वाले ने रोहित के घर से बहुत सारा रद्दी पेपर ले गया बदले में कुछ ही रुपये दिए। रोहित ने अपने दादा से पूछ ही लिया कि इतने सारे पेपर के बदले इतने काम पैसे क्यों दिए?
रोहित के दादा उसे अपने पास सोफ़े पर बैठाते हुए कहते हैं- “देखो बेटा! सुबह जो अखबार आता हैं, उसकी कीमत दस रुपये होती हैं। शाम को उसी अखबार की कीमत दस रुपये किलो हो जाती हैं।” इसलिए, कहा जाता हैं, “किसी चीज का होना बड़ी बात नहीं हैं, उस चीज का समय पर होना बड़ी बात हैं।” रोहित को अपने दादा की बात समझ में आ जाती हैं कि समय का कितना बड़ा महत्त्व हैं। उस दिन से रोहित अपने हर कार्य समय पर करने लगा।
कहनी से सीख:
समय गया फिर हाथ न आए अंत समय पछताएगा।
5. चार दोस्त
रमेश के घर पर उसके तीन दोस्त आए हुए थे। सभी दोस्त बहुत समय बाद इकठ्ठा हुए थे। उस दिन मौसम बहुत सुहाना था। आसमान में काले-काले बदल उमड़ रहे थे। बारिश का मौसम बन चुका था। रमेश की मम्मी ने घर के आँगन में कुर्सी और मेज लगाकर उसके दोस्तों को गरमा-गरम चाय और पकौड़े तल कर दिए जा रही थी। उसके दोस्त आपस में गप्पे मारे जा रहे थे।
तभी रमेश के पापा आफिस से घर आ गए। रमेश और उनके दोस्तों की जुगलबंदी देख कुर्सी लेकर उनके दोस्तों के पास बैठ गए। कुछ समय बाद तेज मूसलाधार बारिश शुरू हो गई। रमेश के पापा ने एक टेबल पर चम्मच, कप, गिलास और बाल्टी रखते हुए। रमेश और उनके दोस्तों से कहा- ”आप चारों लोग एक-एक बर्तन को उठा कर उसमें पानी भरकर ले आओ।”
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सभी बर्तन को उठाकर पानी भरने चले गए। सबसे पहले चम्मच में पानी भर गया फिर कप, गिलास और आखिर में बाल्टी में पानी भरा। रमेश के पापा चारों दोस्तों को समझाते हुए कहते हैं। बारिश सबके लिए बराबर हो रही थी। किसी ने चम्मच में पानी भरा तो किसी ने बाल्टी में पानी भरा।
ठीक इसी प्रकार इस दुनिया में कुछ करने के लिए मौके सब के पास हैं। उस मौके का लाभ कौन कितना और किस तरीके से उठता हैं। अगर आप लोग कुछ बड़ा करना चाहते हो तो सब्र रखना सीखो कड़ी मेहनत करो। क्योंकि, बड़ी बाल्टी भरने में समय लगता हैं।
कहानी से सीख:
बड़ी सफलता मिलने में समय लगता हैं। जोकि लंबे समय तक लाभ देती हैं।