अहंकारी राजा की कहानी – Raja ki kahani

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किसी राज्य में रंजीत सिंह नाम का एक राजा रहता था। वह बहुत ही क्रोधी और अहंकारी था। राजा से उसकी प्रजा बहुत डरती थी। इसलिए उसके पास कोई न्याय मांगने भी नहीं जाता था। क्योंकि वह बातों-बातों में गुस्सा हो जाता था। एक बार राजा अपने सिपाहियों के साथ शिकार खेलने गया हुआ था।

बीच जंगल में उन्हे एक हिरण दिखाई दिया। राजा बिना कुछ समझे उसका पीछा करने लगे। हिरण का पीछा करते-करते राजा बहुत दूर निकल गए। राजा के सिपाही बहुत पीछे छूट गए। शाम होने को आ चुकी थी, राजा को वापस अपने महल भी जाना था। लेकिन, अधिक गर्मी के कारण राजा का गला सुख रहा था।

उन्हें लगा कि अगर बहुत जल्द पीने का पानी नहीं मिला तो मेरे प्राण निकल सकते हैं। राजा अपने घोड़े से तेज भागते हुए वापस आ रहा था। तभी उसे एक झोपड़ी दिखाई दिया। राजा ने सोचा शायद मुझे यहाँ पानी पीने के लिए मिल जाए। राजा घोड़े से उतरकर झोपड़ी में जाकर देखा कि एक बच्ची खेल रही थी।

राजा ने बच्ची से कहा, “बेटी! क्या मुझे एक गिलास पीने का पानी मिल जाएगा। प्यास के कारण मेरे कंठ सूखे जा रहे हैं। बच्ची ने राजा को चारपाई पर बैठने के लिए कहा। वह राजा को पहचान नहीं रही थी। उसने राजा को एक गिलास पानी लाकर दिया। राजा जैसे ही पानी पीने के लिए गिलास उठाया। उसने देखा कि गिलास थोड़ा टूटी हुई थी।

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राजा गुस्से में आकार उस पानी को गिलास सहित दूर फेंक दिया। राजा गुस्से से लाल-पीला हो गया। राजा ने उस बच्ची से कहा, “मूर्ख लड़की, लगता हैं तुम मुझे जानती नहीं हो। मैं इस राज्य का राजा हूँ।” मेरे आज्ञा के बिना इस राज्य का एक पत्ता भी नहीं हिल सकता। जाओ, दूसरे गिलास में पानी लेकर आओ। बच्ची ने कहा, महाराज! हमारे घर में एक ही गिलास पानी बच था। अब पूरा घड़ा खाली हैं।

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अब मेरे पिता के आने पर ही पानी मिल सकता हैं। कहाँ हैं तुम्हारे पिता, मुझे उनसे मिलवाओ। बच्ची ने कहा, “मेरे पिता लकड़ी काटने गए हुये हैं।” बच्ची की बात सुनकर राजा और क्रोधित हो गया। उसने कहा, “मैं तुमसे ठीक तरह से सवाल कर रहा हूँ। तुम हो कि उसका जवाब उल्टा दे रही हो। मैं तुम्हें और तुम्हारे परिवार को दंड दूंगा। तभी अचानक लड़की का पिता आ गया। वह राजा को देखकर पहचान गया।

उसने कहा, “महाराज की जय हो! आपके पधारने से हमारी कुटिया धन्य हो गई। बताइए, मैं आपकी क्या सेवा कर सकता हूँ। राजा ने कहा, “तुम्हारी लड़की ने मुझे टूटे गिलास में पानी देकर मेरा अपमान किया हैं। जिसका दंड तुम दोनों को मिलेगा। वह व्यक्ति अपनी बेटी से पूरी बात पूछता हैं। उसने कहा, “महाराज आप थोड़ी देर इंतजार करें मैं नदी से पानी लेकर आता हूँ।”

उस व्यक्ति नदी से पानी लेने चल गया। कुछ ही समय बाद प्यास के कारण राजा की जान निकल गई। जब वह व्यक्ति पानी लेकर वापस कुटिया में आया तो देखा राजा की श्वास थम चुकी थी। उस व्यक्ति को ऐहसास हुआ कि राजा अपने अहंकार और क्रोध को सभालकर रखता तो आज उसकी मृत्यु नहीं होती। वह एक गिलास पानी पीकर अपनी जान बचा सकता था।

नैतिक सीख:

क्रोध और अहंकार इंसान को पतन की तरफ ले जाती हैं।

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