बच्चे शेर, भालू, लोमड़ी जैसी अनेकों कहानियाँ बार-बार सुनकर ऊब जाते हैं। इसलिए उन्हें कहानी में कुछ नया अनुभव चाहिए होता हैं। जिससे बच्चे के अंदर कहानी में आगे क्या होने वाला हैं। इसके लिए जिज्ञासा उत्पन्न हो सके। कहानी का प्रमुख उद्देश बच्चे का मनोरंजन के साथ-साथ ज्ञानवर्धन भी हो सके। जबकि आज की नई कहानियाँ कुछ इस प्रकार से हैं:
1. सोच समझकर बोले:
कुछ समय पहले की बात हैं। एक गाँव में दो किसान रहते थे। दोनों का घर आस-पास में था। एक का नाम हरी और दुसरे का नाम महेश था। दोनों प्रतिदिन एक साथ खेत में जाते थे। एक दिन दोनों में किसी बात को लेकर कहा-सुनी हो गई। जिसके कारण महेश हरी को खरी-खोटी सुना दिया। दोनों लड़ झगड़कर अपने-अपने घर को चले गए।
रात को जब हरी विश्राम करने लगा। उसने सारी बातों को बहुत ध्यान से सोची। उसे ऐहसास हुआ कि सारी गलती उसकी ही हैं। जबकि महेश का कोई दोष नहीं था। अगले दिन हरी गाँव के एक बुजुर्ग अंकल के पास जाकर सारी बात बता दी। हरी कहने लगा, उससे बहुत बड़ी गलती हो गई। जिसके कारण उसने अपना एक अच्छा दोस्त खो दिया।
बुजुर्ग अंकल हरी की बातों को आँख बंद करके बहुत ध्यान से सुन रहे थे। तभी अचानक बुजुर्ग अंकल ने अपनी आँखों को खोली और तेज आवाज में कहा, “मूर्ख व्यक्ति! तुम्हारे अंदर गधे जैसा दिमाग हैं, निकल जाओ यहाँ से” बुजुर्ग व्यक्ति की बातों को सुनकर हरी सोचने लगा बाबाजी को क्या हो गया? अभी तो ठीक थे।
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हरी ने उस बुजुर्ग व्यक्ति से पूछा आप ठीक हो न। आप उल्टी-सीधी बातें कैसे करने लगे। बुजुर्ग व्यक्ति हरी को समझाते हुए कहा, “मेरी बातें आपको कष्ट जरूर दी होंगी।” लेकिन मैं अपने द्वारा बोले उल्टे-सीधे शब्द वापस लेना चाहूँ तो चाह कर भी वापस नहीं ले सकता। ठीक इसी प्रकार कभी कुछ बोलने से पहले कुछ सेकंड सोच कर बोलो। जिससे आपकी बातें बिल्कुल नपी-तुली और दूसरों के चेहरों पर मुस्कान देने वाली होगी।
नैतिक सीख:
बोलने से पहले सोचे, कम और अच्छा बोलने का प्रयास करे सारे रिश्ते बने रहेंगे।
2. जीवन जीने की राह:
मोहित स्कूल से वापस घर आने के बाद अपने दादा जी के पास जाकर कहा, “दादाजी! कल हमें अपने क्लास में बच्चों के सामने ‘जीवन’ की परिभाषा के बारें में समझाना हैं। लेकिन मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा कि मैं क्या बोलू। दादा जी ने कहा, “मोहित बेटा जीवन की परिभाषा बहुत आसान हैं। जिसके तीन प्रमुख कारक हैं। कुछ लोग जीवन को संघर्ष तो कुछ लोग खेल और कुछ उत्सव मानते हैं।
मोहित ने कहा, लेकिन कैसे दादाजी? बेटा, जिस बच्चे को सही दिशा बताने वाला गुरु नहीं मिला उसके लिए जीवन संघर्ष हैं। जिस बच्चे को सही मार्ग दिखलाने वाला गुरु मिल गया उसके लिए जीवन खेल हैं। गुरु के बताए मार्ग पर चलकर जीवन यापन करना उसके लिए जीवन उत्सव जैसा हो जाता हैं। उसे जीवन जीने की राह समझ आ जाती हैं।
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नैतिक सीख:
दिशा निर्धारित होने पर लक्ष्य को हासिल करना आसान होता हैं।
3. New kahaniyan in hindi – गुरु का सहारा:
दीपक अपने मामा के साथ नाव में बैठकर कही जा रहा था। नाव का मल्लाह नाव की चप्पू चालते हुए चला जा रहा था। दीपक को नाव में बहुत मजे आ रहे थे। नाव हल्की-हल्की हिचकोली लेती हुई बीच मजधार में पहुँच चुकी थी। दीपक अपने मामा से प्रश्न पर प्रश्न किए जा रहा था। तभी दीपक की नजर नाव में लगी कील पर गई।
उसने अपने मामा से पूछा, “मामा जी मेरे टीचर एक दिन बता रहे थे की लोहा पानी में डूब जाता हैं। जबकि इस नाव में भी लोहे की किल लगी हैं। लेकिन यह नाव पानी के ऊपर तैर रही हैं, ऐसा क्यों? दीपक को उसके मामा समझाते हुए कहा, “इस नाव में लगे लोहे को लकड़ी का सहारा हैं। इसलिए वह पानी में नहीं डूब रहा हैं।” मामा जी दीपक को और समझते हुए कहा, “हमें जीवन में गुरु रूपी नाव का सहारा लेना चाहिए। जो हमें जीवन जीने की राह दिखलाते हैं।
नैतिक सीख:
जीवन में गुरु का सहारा लेकर बच्चा अपने आपको अंधकार से प्रकाश की तरफ ले सकता हैं।
4. मेहनत और लगन का परिणाम:
सोनू इस बार फिर परीक्षा में फेल गया। उसने घर जाने के बजाय शहर जाने का रास्त चुना। सोनू किसी बच्चे से किताबों से भरा बैग अपने घर यह कहकर भेजवा देता हैं कि अब उसे इन रद्दी कागजों की जरूरत नहीं। मैं अपनी दुनिया खोजने जा रहा हूँ। और हाँ, कृपया मुझे खोजने मत आना।
सोनू बहुत दुखी मन से रेलवे स्टेशन पर जा पहुँचा। उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसे जाना कहाँ हैं। इतने में एक ट्रेन चलने के लिए हार्न देती हैं। सोनू बिना कुछ सोचे-समझे उस ट्रेन में चढ़ जाता हैं। उसी ट्रेन में उसके सीट के सामने एक सूट-बूट पहना हुआ व्यक्ति बैठा हुआ होता हैं। उसने सोनू को देखकर समझ गया कि यह बच्चा घर छोड़कर भाग रहा हैं।
उस व्यक्ति ने सोनू से पूछा, तुम कहाँ जा रहे हो। सोनू कुछ बता न सका। उसने सिर्फ एक बात कही यह ट्रेन जहाँ तक जाएगी वही जाऊँगा। धीरे-धीरे उस व्यक्ति ने सोनू से पूरी बात समझ ली। वह व्यक्ति अगले स्टेशन पर उतरने वाला था। उसने बोला यह ट्रेन इसके आगे नहीं जाएगी, चलो यही उतार जाओ। प्लेटफ़ॉर्म पर वह व्यक्ति सोनू को समझाते हुए कहा, “तुम पढ़ाई कर रहे थे, इस बात का कोई मायने नहीं हैं।
तुम क्या और क्यों पढ़ाई कर रहे हो इस बात का मायने रखता हैं। इसके अलावा सोनू को यह समझाते हुए कहा, अगर तुमने यह ठान लिया कि किसी भी चीज को हासिल कर के ही छोड़ूँगा तो तुम एक दिन उस चीज को जरुर हासिल कर लोगे। लेकिन इसके लिए तुम्हें अपनी इच्छा शक्ति को बहुत मजबूत बनाना पड़ेगा।
उस व्यक्ति के बातें सोनू को झकझोर कर रख दिया। उसने अपने आप से कहा, “मैं पढ़ूँगा, मुझे अपनी कक्षा में प्रथम आने से कोई नहीं रोक सकता।” उस व्यक्ति ने सोनू को अपना मोबाइल नंबर देते हुए कहा, “अगर तुम्हें किसी चीज की दिक्कत हो तो मुझे फोन कर लेना।” चलो मैं तुम्हें तुम्हारे घर की तरफ जाने वाली ट्रेन पर बैठा देता हूँ।
सोनू वापस अपने घर को आ गया। उस दिन से पढ़ाई के लिए सब कुछ समर्पित कर दिया। इस बार परीक्षा हुई उसने अपनी कक्षा में प्रथम स्थान हासिल करके दिखा दिया कि अगर पूरे मन और दिलों दिमाग के साथ कुछ भी करो उसमें सफलता मिलना निश्चित हैं।
नैतिक सीख:
कुछ भी करो जीवन में सब कुछ समर्पित कर दो एक न एक दिन सफलता मिलना निश्चित हैं।
5. New kahaniyan in hindi – ईमानदारी का फल:
रामू घर की खराब दशा और आर्थिक तंगी के कारण पढ़ाई नहीं कर सका। वह पैसे कमाने के लिए ईंट के भट्टे पर काम करने जाता था। उसके पैर में जूते भी नहीं होते थे। जिसके कारण तपती गर्मी में वह बेहाल रहता था। लेकिन उसके सामने उसके घर की खराब हालात थे। रामू बहुत ही ईमानदार और नेक लड़का था।
दीपावली का दिन था, उस दिन भट्टे पर काम करने वाले मजदूर नहीं आए थे। रामू पैसे कमाने के लिए भट्टे के मालिक से पूछकर ईंट को ढोने का काम कर रहा था। उसे सुबह से शाम होने को आ चुकी थी तभी ईंट हटाते समय उसे एक पैसों से भरा थैला मिला। उस थैले को लेकर इधर-उधर गया। लेकिन भट्टे का मालिक जा चुका था।
उसने उस थैले को लेकर अपने घर चला गया। घर जाकर अपनी माँ से सारी बातें बता दिया। माँ ने उससे कहा, “कल तुम इन सभी पैसों को मालिक को दे देना। रामू अगली सुबह पैसों की पोटली लेकर मालिक के पास पहुँचा। उसने सारी बातें सच-सच बता दिया। मालिक ने रामू को उसकी ईमानदारी के लिए उसका आर्थिक सहयोग किया और उसे किसी अच्छे स्कूल में दाखिला दिलवा दिया। जिससे वह पढ़ाई करने लगा।
नैतिक सीख:
ईमानदारी इंसान का एक बहुत बड़ा गहना हैं। जिसे कोई चाहकर भी नहीं चुरा सकता।