5 Best Hindi Stories in Hindi with Moral – नैतिक कहनियाँ हिन्दी में

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बच्चों के ऊपर संगत का बहुत बड़ा असर पड़ता हैं। बच्चे अपने आस-पास के लोगों को देखकर बहुत जल्द सीख जाते हैं। इसलिए हमें अपने घर का परिवेश को अच्छा बनाए रखना चाहिए। बच्चों को मोबाइल फोन और टेलीविजन से दूर रखने के लिए आप उन्हें उनके मनपसंद रोचक कहानियाँ भी सुना सकते हैं। कहानियों से बच्चे का मनोरंजन के साथ-साथ मानसिक वृद्धि भी होती हैं। आज की कहानियाँ Hindi stories in hindi with moral निम्न प्रकार से हैं।

1. किसान और आम का पेड़:

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एक गाँव में राधेश्याम नाम का एक किसान रहता था। गाँव से कुछ दूर नदी के किनारे ऊबड़-खाबड़ बंजर जमीन थी। एक दिन राधेश्याम उस बंजर जमीन पर आम के पौधें लगा दिये। राधेश्याम पौधें की अच्छे से देख-भाल की। जिससे वे कुछ महीनों में पेड़ का रूप ले लिए। राधेश्याम को उन वृक्षों से इतना लगाव हो गया था कि वह काफी समय उनकी देखभाल में ही गुजारता था।

परिश्रमी राधेश्याम की मेहनत रंग लाई सुनसान बंजर रहने वाली भूमि में हरे-भरे वृक्ष लहलहाने लगे। फलों की अच्छी खेती देखकर कुछ लोगों को ईर्ष्या होने लगी। जिसके कारण वें लोग उस जमीन पर अपना अधिकार जमाने लगे। इस बात को राधेश्याम ने गाँव के मुखिया से बात दिया।

गाँव के मुखिया ने कहा, “इस भूमि पर अभी तक किसी ने अपना हक नहीं दिखाया। लेकिन अब राधेश्याम ने मेहनत करके इसे उपजाऊ बना दिया तो तुम लोग इस पर अपना अधिकार दिखा रहे हो।

मुखिया जी ने आगे पंचायत में कहा, “इस भूमि पर जब तक ये पेड़ लगे रहेंगे तब तक इस जमीन पर राधेश्याम का ही हक होगा। मुखिया जी की बात सुनकर राधेश्याम खुशी-खुशी जाकर पेड़ों से चिपक गया। उसे ऐसा प्रतीत हो रहा था कि मानो पेड़ भी उसे अपने गले लगा लिए हो। कुछ महीनों बाद राधेश्याम की मृत्यु हो गई।

उसके बच्चे पेड़ों पर ध्यान नहीं देते थे। जिससे पेड़ धीरे-धीरे पेड़ सूखते जा रहे थे। जो भी बचे थे वे आंधी तूफान में गिर गए। कुछ दिन बाद अधूरे मन से उनके बच्चों ने नए आम के पेड़ लगाने की कोशिश की। लेकिन, देख-भाल अच्छी न होने के कारण पौधें बढ़ नहीं सके।

कुछ समय बाद वह जमीन पहले जैसी हो गई। वहाँ पर झाड़ियाँ और कँटीले पेड़ उग आए। एक दिन मुखिया जी ने राधेश्याम के बेटों को बुलाकर कहा, “इस जमीन पर अब तुम लोगों का कोई अधिकार नहीं हैं।” क्योंकि राधेश्याम के द्वारा लगाए गए पेड़ की रक्षा तुम लोग नहीं कर सके। मुखिया जी की बातों को सुनकर राधेश्याम के बेटों को बहुत दुख हुआ।

नैतिक शिक्षा:

लगाए पेड़ बाबुल का फल कहाँ से होय।

2. फूट डालो राज करो:

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एक समय की बात हैं एक चरवाह था, उसके पास बहुत सारी बकरियाँ थी। जिसको चराने के लिए वह जंगल ले जाया करता था। उसी जंगल में एक शेर रहता था। जोकि बकरियों को अपना शिकार बनाने के चक्कर में झाड़ी में छिपा हुआ था। लेकिन सभी बकरियाँ हमेशा एक साथ रहती थी। जिसके कारण शेर उनके ऊपर हमला नहीं कर पता था।

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एक दिन शेर ने सोचा इस चरवाहे को मार देते हैं। जिससे हमें शिकार करने में आसानी हो जाएगी। अगले दिन शेर चरवाहे को मारने के लिए जा रहा था तभी उसने सोचा। अगर वह चरवाहे को नहीं मार पाया, तो उसके हाथ से सभी बकरियाँ भी निकल जाएंगी। और वह इस जंगल में बकरियों को लेकर कभी नहीं आएगा। उसने चरवाहे को मारना उचित नहीं समझा।

शेर को कोई तरकीब नहीं सूझ रही थी। एक दिन शेर ने सोचा, मुझे सबसे पहले इन बकरियों को अलग-अलग करना होगा। जिससे चरवाहा सभी बकरियों पर ध्यान नहीं दे पाएगा। बकरियों में फूट डालने के शेर ने बंदर से दोस्ती कर ली। शेर के कहने पर बंदर ने बकरियों को हरी-हरी घास के लिए गुमराह करके अलग-अलग स्थान पर ले गया। जिसके कारण अब बकरियों के झुंड में फूट डल गई।

शेर अलग-अलग बकरियों को देख उन पर टूट पड़ा और मार कर खा डाला। अब चरवाहे के पास एक भी बकरी नहीं बची हुई थी। जिसके कारण चरवाहा बहुत दुखी हुआ और अपने घर वापस लौट गया। इलसिए यह कहा जाता हैं कि जब तक हम एक हैं तो कोई भी हमारा कुछ बिगाड़ नहीं सकता। लेकिन अलग होने पर हर कोई हमारा फ़ायदा उठा सकता हैं।

नैतिक सीख: यह कहानी हमें सिखाती है एक हैं तो सेफ हैं।

3. विनम्रता का महत्त्व:

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एक बार गुरु और शिष्य यात्रा पर निकले हुए थे। रास्ता बहुत खराब पहाड़ीनुमा था। गुरुजी आगे-आगे बढ़ते जा रहे थे। शिष्य भी अपने गुरु के पीछे-पीछे चले जा रहा था। कुछ दूर चढ़ाई पर चढ़ने के बाद शिष्य का पैर लड़खड़ा गया।

वह फिसल कर नीचे लुढ़कने लगा। शिष्य गहरी खाई में गिरने वाला ही था कि उसके हाथ में एक बाँस का पौंधा आ गया। जिसे वह मजबूती से पकड़ लिया। बाँस लचीला था। इसलिए वह धनुष की तरह नीचे झुक गया।

तभी गुरु जी खाई के पास आए आए और शिष्य को अपना हाथ पकड़ने के लिए कहा। जिसे पकड़कर शिष्य बाहर आ गया। गुरुजी ने शिष्य को समझाते हुए कहा, “तुमने बाँस से क्या सीखा?” शिष्य ने कहा, “गुरु जी बाँस ने मेरी जान बचाई।

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हम उसे दयालु कह सकते हैं। गुरु जी कहा, “बाँस इसलिए उसने तुम्हारी जान और खुद को उखड़ने से बचा लिया। क्योंकि उसके अंदर लचीलापन था। अगर बाँस में कठोरता होती तो वह खुद टूट जाती और तुम्हें भी नीचे गिरा देती। इसलिए हमें अपने अंदर लचीलापन बनाए रखना चाहिए। जिसकी वजह से इंसान खुद को और दूसरों को लाभ पहुँचता हैं।

बाँस के अंदर लचीलापन होने के कारण वह बडे से बड़ा आंधी-तूफान को झेल लेता हैं। वह किसी भी परिस्थितियों में टूटता नहीं। बल्कि, तूफान से जितना नीचे झुकती है। हवा के झोंकों से उससे कही ऊपर उठ जाती हैं।

नैतिक सीख:

विनम्रता और लचीलापन व्यक्ति को उचाइयों पर ले जाती हैं।

4. Hindi stories in hindi with moral – अनुभव:

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ठंड बहुत थी किसी करखाने में एक बड़ी मशीन के द्वारा गर्म कपड़े बनाए जा रहे थे। उन दिनों गर्म कपड़े की माँग अधिक थी। जिसके कारण कंपनी का मालिक दिन-रात एक करके कपड़े का उत्पादन कर रहा था। कंपनी के मजदूर काम में इतने व्यस्त थे कि उन्हें खाने-पीने का समय नहीं मिल पा रहा था।

अचानक एक दिन कंपनी के मेन मशीन में खराबी आ गई। जिसके कारण कपड़े का उत्पादन ठप हो गया। सभी मजदूर मशीन ठीक होने का इंतजार करने लगे। कपनी के मकैनिक और इंजीनियर मशीन को जल्द से जल्द ठीक करने की कोशिश करने लगे। लेकिन धीरे-धीरे चार से पाँच घंटे गुजर चुके थे।

आनन-फानन में कंपनी के मालिक को सूचना दी गई। कंपनी का मालिक अच्छे से अच्छा इंजीनियर बुलाकर मशीन को दिखाया। लेकिन किसी ने उस मशीन को ठीक नहीं न कर सका। तभी लोगों में ने एक प्रख्यात मकैनिक के बारें में मालिक को बताया। सभी को विश्वास था की वह मकैनिक बडे से बडे कमियों को मिनटों में पकड़ लेता हैं।

मालिक ने उस मकैनिक को बुलाने के लिए अपने मैनेजर को गाड़ी से भेजा। मैनेजर मकैनिक को लेकर आया। मकैनिक उस मशीन के चारों तरफ घूम-घूम सभी पार्ट देखता फिर आगे बढ़ जाता। इस तरह से उसने मशीन के चक्कर लगाते हुए लगभग दो घंटे होने को आ चुके थे। सभी इंजीनियर और वर्कर उस मकैनिक के बारें में कानफूसी करने लगे।

कंपनी के लोग एक दूसरे से कहने लगे किसी व्यक्ति को पकड़ लाए। वह कुछ कर नहीं रहा बस मशीन के चारों तरफ चक्कर लगाए जा रहा हैं। तभी उस मकैनिक ने अपने टूल बॉक्स में से एक हथौड़ा निकलकर मशीन के किसी एक पार्ट पर दे मारा। मशीन तुरंत चालू हो गई। कंपनी के वर्कर के अंदर खुशी की लहर दौड़ पडी।

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तभी मकैनिक अपने घर को जाने के लिए अपना टूल किट उठाने लगा। कंपनी का मालिक बोला कितना पैसा दूँ? मकैनिक ने कहा, “पचास हजार रुपये। कंपनी का मालिक बोल आपने तो सिर्फ 100 रुपये का काम किया हैं। लेकिन पचास हजार क्योंं माँग रहे हो। मकैनिक ने कहा, “40900 रुपये इस जानकारी के लिए हैं कि इस हथौड़े को कब और किस जगह मारना हैं। जिसे सीखने में मैं पूरी उम्र लगा दिया। कंपनी का मालिक शर्मिंदा हो गया।

नैतिक सीख:

काम तो सभी सीखते हैं, लेकिन मेहनत लगान, संघर्ष और अनुभव उसे आगे बढ़ाती हैं।

5. Hindi stories in hindi with moral – स्वतंत्रता:

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आम के पेड़ पर बैठा एक कौवा टहनी पर चोंच मार-मार कर साफ कर रहा था। तभी उसे पकड़ो-पकड़ो की आवाज आती सुनाई दी। उसने देखा की एक चिड़िया के पीछे दो बच्चे लगे हैं। इतने में कौवा उड़कर चिड़िया को अपने चंगुल में पकड़कर एक झाड़ी में छिप गया। कौवे ने पूछा तुम कहाँ से आ रही हो? तुम्हारे पीछे ये बच्चे कैसे पड़ गए।

चिड़िया ने कहा, “मैं पिंजरे में रहती थी एक बच्ची मुझे खाना-पानी देने के लिए पिंजरा खोला ही था कि मैं मौका पाकर निकल आई। इसलिए वे बच्चे मुझे फिर से पकड़ना चाहते हैं। कौवे ने कहा, “लेकिन तुम अब कहाँ रहोगी? चिड़िया उदास हो गई। कौवे ने कहा, “इस आम के पेड़ पर मेरा घोंसला हैं। जब तक तुम अपना घर नहीं बना लेती मेरे पास ही रुक जाओ।

चिड़िया कौवे की बात मान गई। इस तरह से कई दिनों तक चिड़िया कौवे के साथ थी। लेकिन, वह मन ही मन उदास थी वह सोच रही थी इससे अच्छा तो पिंजरा था। वहाँ पर बैठे-बैठे भर पेट खाने को तो मिल जाता था। एक दिन कौवे को बिना बताए चिड़िया उस घर पर जाकर देखती हैं तो वहाँ पर पिंजरे में दो तोते बैठे थे।

चिड़िया को ईर्ष्या होने लगी। वह वापस उसी पेड़ पर आकर बैठ गई। एक दिन चिड़िया ने बाहर झाँक कर देखा तो बर्फ की चादर पडी हुई थी। हर जगह सफेद ही सफेद था। जिससे नीचे पडे दाने भी बर्फ से ढँक गए थे। दो दिन तक वह चिड़िया भूखी रही। तभी उसने देखा की दो लड़के पेड़ के नीचे दाना डाले हुए थे।

चिड़िया उड़कर उस दाने को खाने जा रही थी तभी कौवे ने बड़बड़ कर चिड़िया को डांटा। उसने कहा, तुम देख नहीं रही बच्चे दाने के साथ जाल भी बिछा रखे हैं। चिड़िया कई दिनों तक अपने आप को रोक कर रखी।

लेकिन, एक दिन वह अपने भूख को बर्दाश्त नहीं कर सकी उसने नीचे पडे दाने खाने के चक्कर में जाल में फँस गई। वह जोर-जोर से चिल्ला रही थी बचाओ-बचाओ। उसने सोचा इससे अच्छा तो कौवे का घोंसला था। जहाँ पर पूरी स्वतंत्रता था। जब चाहो जहाँ भी जा सकते हो।

तभी उसकी आवाज सुनकर कौवा वहाँ आया उसने उसे जाल में फँसा देख उसे डांटे हुए कहा, “मेरे मना करने के बाऊजूद तुम यहाँ आ गई। कौवे ने कोशिश करके अपने चोंच से जाल खींचा जिससे चिड़िया आजाद हो गई।” कौवे ने चिड़िया को फटकार लगाते हए कहा आज के बाद अगर तुम किसी लालच में पडी तो अपना अंजाम खुद देख लेना, मुझे मत बुलाना। चिड़िया ने कौवे से माफी माँगी आगे से सतर्क रहने के लिए वादा किया।

नैतिक सीख:

आजादी का अपना अलग ही आनन्द होता हैं।

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