कहानी एक ऐसा जरिया हैं, जिसके माध्यम से हम अपने बच्चों का मनोरंजन के साथ-साथ ज्ञानवर्धन भी कर सकते हैं। ठीक इसी प्रकार से देखा जाए तो कहानी से बच्चे के अंदर कई तरह की जागरूकता आती हैं, जैसे कहानी में आगे क्या होगा? कहानी का कौन सा पात्र सही था और कौन सा गलत। इसके अलावा कहानी के माध्यम से बच्चों को अच्छी-अच्छी नैतिक शिक्षा भी प्राप्त होती हैं। इसलिए, हम आपको आज बच्चों की मनपसंद 5 मजेदार कहानियां सुनाने जा रहे हैं जोकि, निम्नलिखित प्रकार से हैं:
1. चील और मुर्गा – Cheel aur murga:

झुरी नाम का एक गरीब व्यक्ति था। जिसके पास लगभग 50 मुर्गे और मुर्गियाँ थी। वह मुर्गियों के अंडों को बेचकर अपना जीवन यापन करता था। उसके मुर्गीघर में एक शैतान मुर्गा भी रहता था। जिससे सभी मुर्गे और मुर्गियाँ हमेशा परेशान रहते थे। वह आए दिन किसी न किसी मुर्गी या मुर्गों से झगड़ता रहता था। वह चाहता था कि सभी उसके कहने के अनुसार चले। लेकिन, उस मुर्गे की हरकत की जानकारी झुरी को नहीं थी।
एक दिन वह मुर्गा कुछ ज्यादा आवेश में आ गया। जिसके कारण उसी मुर्गीघर में रह रहे एक मुर्गे से लड़ गया। उन दोनों की लड़ाई इतनी तीव्र हो गई कि दोनों लड़ते हुए मुर्गीघर से बाहर आ गए, दोनों लड़ते-लड़ते बहुत बुरी तरह से घायल हो चुके थे। लेकिन, वह शैतान मुर्गा पीछे हटने का नाम नहीं ले रहा था। आखिरकार वह उस मुर्गे को हरा देता हैं। इस तरह से हारा हुआ मुर्गा मुर्गीघर के अंदर चला जाता हैं।
अब वह शैतान मुर्गा अपनी शेखी दिखाने के चक्कर में मुर्गीघर के ऊपर चढ़कर जोर-जोर से बाग लगाने लगता हैं। अचानक ऊपर उड़ रही एक चील की नजर उस मुर्गे पर पड़ती हैं। चील मुर्गे के ऊपर झपट पड़ता हैं और उसे अपने मजबूत पंजों में दबाकर आकाश में उड़ जाता हैं। इस घटना को देख अन्य मुर्गे और मुर्गियों में खुशी की लहर दौड़ पड़ती हैं।
नैतिक शिक्षा:
अहंकार और घमंड जल्दी पतन की ओर ले जाता हैं।
2. बंदर और लोमड़ी – Bandar aur lomadi:

एक बार की बात हैं जंगल के राजा शेर सिंह की अचानक मृत्यु हो गई। जिसके कारण जंगल के जानवरों ने एक नए राजा का चुनाव करना चाहा। एक दिन जंगल में सभी जानवर एकत्र हुए। सभी जानवरों ने अपने-अपने मत प्रकट किए। अधिकतर जानवरों ने बंदर को जंगल का राजा चुनने के लिए अपना प्रस्ताव प्रकट किया। जानवरों ने कहा सबसे पहले बंदर अपनी कला से जंगल के सभी जानवरों का मन मोहित करें।
बंदर ने जानवरों को रिझाने के लिए तरह-तरह के नृत्य सबके सामने पेश किया। जिससे जंगल के सभी जानवर प्रसन्न हुए तथा बंदर की खूब सराहना की। इस प्रकार से बंदर को जंगल का नया राजा घोषित किया गया। लेकिन उन्ही जानवरों में लोमड़ी ने अपना मत बंदर के पक्ष में नहीं दिया। वह बंदर को राजा बनाए जाने के कारण नाखुश थी।
एक दिन एक शिकारी ने किसी पेड़ में जाल के अंदर केले बांध दिए। जिसे देखकर लोमड़ी भागकर बंदर के पास जाती हैं। बंदर से कहती हैं- महाराज की जय हो! आपके राज्य में मैंने आम के पेड़ पर केला लगा हुआ देखा। जब से आप इस जंगल के राजा बने हो चमत्कार पे चमत्कार हो रहे हैं। बंदर अभिमान से भर गया। उसने सोचा कि वह बहुत बुद्धिमान हैं। जिसकी वजह से लोग उसकी जय जयकार कर रहे हैं।
बंदर गुरूर के साथ आम के पेड़ पर लगे केले को देखने के लिए जाता हैं। वहाँ पहुँचकर बिना सोचे समझे केले को लेने के लिए पेड़ पर चढ़ता है। जिसके कारण वह जाल में फँस जाता हैं। जिसे देखकर लोमड़ी बहुत खुश होती हैं। वह बंदर से कहती हैं- “आप दिखावे के चक्कर में अपने आप की अहमियत भूल चुके हो।”
नैतिक सीख:
वास्तविकता दिखावे से नहीं बल्कि उसके मन, कर्म और वचन से पता चलती हैं।
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3. दो दोस्त और भालू – Do dost aur bhalu:

एक समय की बात हैं जंगल के रास्ते से दो दोस्त जा रहे थे। एक का नाम रामू था तथा दूसरे का नाम श्यामू था। दोनों जब बीच जंगल में पहुंचे। तो उन्होंने देखा कि सामने से एक भालू आ रहा हैं। रामू झट से एक पेड़ पर चढ़ गया। जबकि, श्यामू को पेड़ पर चढ़ना नहीं आता था। जिसके कारण वह पेड़ पर नहीं चढ़ा। उसने कहीं सुन हुआ था कि भालू मरे हुए व्यक्ति को नहीं खाता।
इसलिए वह उसी पेड़ के नीचे अपनी साँसे रोककर लेट गया। जब भालू आया तो उसके सिर और कान को चाटा, भालू ने सोचा कि यह इंसान मरा हुआ हैं। जिसकी वजह से वह आगे चला जाता हैं। वहीं पेड़ पर बैठा उसका दोस्त यह सब देख रहा था। भालू के जाने के बाद रामू पेड़ पर से नीचे उतरा और श्यामू से पूछा भालू ने आपके कान में क्या कहा?
श्यामू ने उसे जबाब देते हुए कहा- “ऐसे दोस्त का कभी साथ नहीं देना चाहिए जो की बुरे वक्त में साथ छोड़ दें। रामू लज्जित हो गया। वह श्यामू से दुबारा धोखा न देने के लिए वचन दिया।
नैतिक सीख:
हर परिस्थितियों में साथ देने वाला व्यक्ति ही सच्चा साथी होता हैं।
4. लोमड़ी और मूर्ख गधा – Lomadi aur murkh gadha:

किसी जंगल में एक लोमड़ी और गधा साथ-साथ रहते थे। दोनों में अच्छी दोस्ती थी। वें दोनों हमेशा एक साथ रहते थे। एक बार लोमड़ी और गधा जंगल के रास्ते पानी पीने के लिए नदी पर जा रहे थे। लोमड़ी की अचानक निगाह रास्ते के किनारे शेर की खाल पर पड़ी। उसके दिमाग में एक विचार आया कि वह अपने दोस्त गधे को शेर की खाल को पहना दे तो लोग उसके दोस्त को जंगल का राजा समझेंगे। लोमड़ी ठीक ऐसा ही करती हैं।
उस दिन से गधा शेर की भेष-भूषा में जंगल के सभी जानवरों के सामने दरबार लगाने लगा। लेकिन, गधा मूर्ति की तरह चुप होकर बैठा रहता था। लोमड़ी उसके साथ हमेशा रहती थी जोकि, मंत्री की तरह उसका काम करती थी। सभा खत्म होने के बाद दोनों जंगल के जानवरों को मूर्ख बनाने के लिए खूब हँसते थे। इसी तरह कई दिनों तक लोमड़ी और गधा जंगल के अन्य जानवरों को मूर्ख बनाते रहे।
एक दिन जंगल में गधा घास खा रहा था। किसी पेड़ पर नीलू बंदर बैठा था। जोकि गधे को घास खाते देख रहा था। अगले दिन वह जंगल के सभी जानवरों को यह बात बता देता हैं। जिसके कारण सभी जानवरों ने उसकी असलियत को जानना चाहा। उसी दिन जब शाम को सभा लगी, गधा शेर की खाल पहनकर सभी के सामने बैठा था। उसके पास में बैठी लोमड़ी जंगल के सभी लोगों की फ़रियाद सुन रही थी।
अचानक कही से किसी गधी की आवाज चिपों-चिपों सुनाई दी। गधा झट खड़ा हो गया और वह भी जोर-जोर से चिपों-चिपों चिल्लाने लगा। सभी जानवरों को पता चल गया कि यह शेर नहीं, गधा हैं। सभी जानवरों ने गधे और लोमड़ी की जंगल के जानवरों को गुमराह करने के लिए खूब पिटाई की और गधे की खाल को फाड़ दिया।
नैतिक सीख:
झूठ ज्यादा दिन तक नहीं छिपता, एक न एक दिन सच्चाई जरूर सामने आती हैं।
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5. बिना पूंछ की लोमड़ी – Bina punch ki lomadi:

एक बार की बात हैं। एक लोमड़ी किसी घनी झाड़ी में फँस गई। उसने उस झाड़ी से निकलने के लिए अपने शरीर को बहुत खीचा-तानी की, जिसकी वजह से उसके शरीर में खरोंचे भी आ गई। अंततः लोमड़ी झाड़ी से निकलने में कामयाब हो गई। लेकिन, उसकी पूंछ उसी झाड़ी में कटकर गिर गई। किसी तरह वह भागते हुए अपनी गुफा में जा पहुंची। सुबह जब वह नींद से जागी तो देखा कि उसकी पूंछ कटी हुई हैं। अब लोमड़ी परेशान हो गई। वह सोचने लगी कि उसके अन्य साथी उसे क्या कहेंगे।
इस तरह से लोमड़ी कई दिनों तक गुफा से बाहर नहीं निकली। एक दिन लोमड़ी के दिमाग में एक ख्याल आया। उसने जंगल के सभी लोमड़ियों को एक दावत पर अपने घर बुलवाया। लोमड़ी ने जंगल की सभी लोमड़ियों का बहुत अच्छा खातिर व्यवहार किया। जंगल की सभी लोमड़ियों ने पूँछा, लोमड़ी दोस्त आपने यह दावत किस खुशी में रखी है।
लोमड़ी ने अपना जबाब देते हुए कहा- “कल मुझे एक शिकारी ने पकड़ लिया, उसने मुझे इस शर्त पर छोड़ा कि मैं उसे अपनी पूंछ दे दूँ नहीं तो जान से हाथ धोना पड़ेगा”। लोमड़ी अपने घर आए हुई अन्य लोमड़ियों से कहती हैं कि आप लोग भी अपनी पूंछ कटवा दो नहीं तो शिकारी कभी भी आप लोगों को भी पकड़ सकता हैं। उसकी बातों को सुनकर सभी लोमड़ियों में डर का माहौल बन गया।
सभी लोमड़ी एक-एक करके उसके पास आई और उसने सभी की पूंछ काट दी। वहीं पेड़ पर बैठा एक बंदर यह सब देख रहा था। उसने लोमड़ियों की मूर्खता पर जोर-जोर से हँसना शुरू कर दिया। वहाँ पर आई सभी लोमड़ी बंदर से पूछने लगी, “बंदर भाई, तुम क्यों हँस रहे हो”। बंदर ने जबाब दिया कि- “मुझे तुम लोगों की मूर्खता पर हँसी आ रही हैं, चलो मेरे साथ, मैं तुम्हें कुछ दिखाना चाहता हूँ।
बंदर लोमड़ियों को लेकर जंगल की उस झाड़ी को दिखाने ले गया। जहाँ पर लोमड़ी की पूँछ कटकर फसी हुई थी। बंदर झाड़ी में फसी लोमड़ी की सारी घटना बताता हैं। उसकी बातों को सुनकर सभी लोमड़ी गुस्से में उस लोमड़ी के ऊपर हमला कर देती हैं और उसे मार डालती हैं।
नैतिक सीख:
कोई भी फैसला लेने से पहले हमें उसके बारें में गहराई से जाँच-पड़ताल करना चाहिए।