पंकज अपनी क्लास का मेधावी छात्र था। उसे शांत रहना पसंद था। वह ज्यादा किसी से मतलब नहीं रखता था। वह अपना खाली समय अधिकतर लाइब्रेरी में बीताता था। उसी क्लास में नेहा भी पढ़ती थी। पंकज की तरह नेहा भी ज्यादा किसी से लगाव नहीं रखती थी। कॉलेज में फ्रेशर पार्टी होने वाली थी। टीचर ने सभी बच्चों को पार्टीसीपेट करने के लिए कहा।
पंकज और नेहा एक ग्रुप में थे। उन्हें एक नाटक प्रस्तुत करना था। जिसमें पंकज नेहा का हसबैंड बना था। नाटक बहुत अच्छे से बीता। बच्चों और टीचर को पंकज और नेहा का किरदार खूब पसंद आया। अगले दिन क्लासरूम में पंकज और नेहा एक दूसरे को देखकर हल्की सी स्माइल पास किए। नेहा कॉलेज के हॉस्टल में रहती थी। जबकि, पंकज कॉलेज की बस से आता था।
एक दिन मौसम खराब होने के कारण कुछ टीचर कॉलेज नहीं आ सके। जिसके कारण लंच के बाद बच्चों को लाइब्रेरी में पढ़ाई करने के लिए कहा गया। पंकज लाइब्रेरी के एक कोने में बैठकर पढ़ाई कर रहा था। तभी नेहा बुक लेकर पंकज के सामने खाली पड़ी कुर्सी पर आकर बैठ गई। दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुराये।
नेहा ने कहा, “उस दिन पार्टी में आपका रोल कॉलेज के सभी लोगों को खूब पसंद आया। पंकज ने कहा, आपका भी! नेहा बोली, “तुम्हें मैं अक्सर अकेले देखती हूँ। तुम्हारी अन्य बच्चों के साथ दोस्ती क्यों नहीं हैं? पंकज ने कहा, आज तक मुझे मेरी सोच का दोस्त ही नहीं मिला। नेहा ने कहा, अच्छा तो ये बात हैं! हाँ, पंकज ने कहा।”
दोनों तेजी से हँस पड़े, नेहा बुक से देखकर कॉपी में कुछ लिखने लगी। पंकज भी अपनी पढ़ाई में व्यस्त हो गया। कुछ समय बाद नेहा ने बहुत हिम्मत करके अपनी कॉपी पंकज की तरफ बढ़ाते हुए पूछा, इस प्रश्न का जबाब क्या होगा? पंकज ने पेज पलट कर देखा, कॉपी में लिखा था, क्या तुम मुझसे दोस्ती करोगे? पंकज को नेहा उसी दिन पसंद आ गई थी, जब दोनों ने नाटक में भाग लिया था।
पंकज ने अपना पेन निकालकर बड़ी लंबी चौड़ी बात लिखी, “नेहा! तुम मुझे फ्रेशर पार्टी में ही पसंद आ गई थी। मगर, मैं तुमसे अभी तक अपनी दिल की बात नहीं कह सका। लेकिन, क्या तुम सच में मुझसे प्यार करती हो? लिखकर कापी को नेहा की तरफ बढ़ा दिया। नेहा, ने जबाब में लिखा, पंकज! मुझे भी उसी दिन से लगने लगा था कि तुम मेरे दोस्त बन चुके हो। मैं, सच में तुमसे दोस्ती करना चाहती हूँ।
पंकज ने फिर लिखा, तो कैंटीन चले, नेहा ने मुस्कुरा कर सिर हिला दिया। दोनों ने कैंटीन में एक दूसरे को चॉकलेट देकर अपने प्यार का इजहार कर दिया। नेहा पंकज के पास बैठी थी। मौका देखकर पंकज ने नेहा के सिर पर हल्का सा किस किया। नेहा ने भी पंकज को कसकर हग कर लिया। दोनों उस दिन से एक साथ रहने लगे।
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दोनों की दोस्ती धीरे-धीरे बढ़ती जा रही थी। क्लास के और कुछ दोस्तों को भी पता चल गया कि पंकज और नेहा बहुत अच्छे दोस्त है। पंकज अब नेहा के बारे में सोचता रहता था। उसने पढ़ाई की तरफ ध्यान देना कम कर दिया। आखिरी सेमेस्टर की परीक्षा होने वाली थी। नेहा ने कहा, “हम दोनों एक ही कंपनी में जॉब जॉइन करेंगे और एक साथ ही रहेंगे।” पंकज भी इस बात से सहमत था। दोनों का सिलेक्सन भी एक अच्छी कंपनी में हो गया था।

परीक्षा होने के बाद दोनों को कंपनी जॉइन करनी थी। लेकिन, पंकज अपने आखिरी सेमेस्टर की परीक्षा को पास नहीं कर सका। अब दोनों के बनाए सभी प्लान टूट चूके थे। कंपनी सफल बच्चों को ही ले रही थी। पंकज ने नेहा से कहा, “तुम कंपनी जॉइन कर लो, मैं छः महीने बाद जॉइन कर लूँगा।
पंकज अपनी पढ़ाई में लग गया। नेहा जॉब करने लगी। कुछ महीनों बाद जब पंकज ने नेहा से बात करने के लिए फोन किया तो नेहा ने यह कहकर बात करने से मना कर दिया, कि इस बार भी तुम फेल न हो जाओ, ज्यादा बात मत करो।
नेहा और पंकज की फोन पर बात लगभग बंद हो चुकी थी। पंकज की दुबारा परीक्षा होती हैं। वह इस बार परीक्षा में सफल हो जाता हैं। उस दिन वह बहुत खुश था। यह बात बताने के लिए उसने नेहा को फोन किया। लेकिन उसका फोन स्विच ऑफ था। पंकज ने सोचा कोई बात नहीं, क्या पता नेहा कंपनी में हो या फिर उसके फोन की बैटरी खत्म हो चुकी हो।
शाम को फिर से पंकज ने नेहा को फोन किया। लेकिन उसका फोन अभी भी स्विच ऑफ था। उसने कई बार फोन किया लेकिन उसकी नेहा से बात नहीं हो सकी। पंकज को अगले दिन उसी कंपनी में जॉब जॉइन करना था। जिसमें पहले उसे और नेहा को ऑफर लेटर मिले थे। कंपनी में पहले दिन सभी कागजी कारवाही करते हुए पंकज को दोपहर हो चुकी थी।
कंपनी के मैनेजर ने कहा, पंकज! कैंटीन में जाकर लंच कर लो। लंच के बाद फिर यही मिलते हैं। फिर तुम्हें ट्रेनिंग देता हूँ। पंकज कैंटीन में पहुंचा और जो देखा तो उसके पैरों तले जमीन खिसक गई। नेहा उसकी कॉलेज फ्रेंड किसी हैंडसम लड़के के साथ हँसते हुए एक थाली में खाना खा रही थी। दोनों बहुत खुश नजर आ रहे थे।

पंकज नेहा के पीछे वाली टेबल पर बैठकर लंच करने लगा। नेहा की बातों को सुनकर पंकज को समझ आ गया कि हो न हो, यह उसका बॉयफ्रेंड हैं। तभी नेहा का फोन बजता हैं। उधर, से आवाज आई तुमने अपना पुराना नंबर क्यों बंदकर दिया। नेहा कहती हैं, “उस नंबर पर किसी फालतू लड़के का फोन आता था। इसलिए, मेरे दोस्त मोहित ने वह नंबर बंद करवा दिया।”
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पीछे बैठे पंकज को नेहा की बातों को सुनकर बहुत दुख हुआ। उससे खाना नहीं खाया गया। वह उठकर अपने ट्रेनिंग रूम में चला गया। पंकज बुद्धिमान था, उसे एक महीने की ट्रेनिंग देकर टीम हेड बना दिया गया। अब नेहा और मोहित, पंकज के टीम में आ चुके थे। पहले दिन पंकज ने अपनी टीम को एक कैबिन में बुलकर मीटिंग ली। नेहा अपने सामने पंकज को देखकर कुछ बोलना चाहती थी लेकिन पंकज ने चुप करवा दिया।
पंकज का स्वभाव कॉलेज लाइफ से ही बहुत साधारण था। लेकिन उसने नेहा के चक्कर में फँसकर अपना कीमती समय खराब कर दिया था। पंकज ने नेहा और मोहित को कभी बदले की भावना से नहीं देखा। वह उन्हें कभी परेशान भी नहीं करता था। नेहा ने मोहित को यह बात भी कभी नहीं बताई कि पंकज और मैं कॉलेज में एक साथ पढ़ते थे।
नेहा समझती थी कि मोहित उससे शादी करेगा। लेकिन मोहित ऐसा कभी नहीं सोचता था। उसने नेहा से टाइमपास के लिए दोस्ती की थी। कुछ दिन बाद मोहित ने इस कंपनी को छोड़कर किसी और कंपनी को जॉइन कर लिया। उसने नेहा से साफ-साफ बोल दिया कि हमारी तुम्हारी दोस्ती यहीं तक थी। मेरा रिश्ता हो चुका हैं। मैं कुछ ही दिनों शादी करने वाला हूँ।
मोहित की बात सुनकर नेहा को ऐसा लगा कि मानो वह पेड़ पर से नीचे गिर गई। अब वह कहीं की नहीं रही। एक दिन पंकज कैंटीन में लंच कर रहा था। तभी सामने से नेहा भी कैंटीन में आई। वह पंकज के सामने जाकर कुर्सी पर बैठ गई। उसने पंकज से कहा, “सर मुझे माँफ कर दो। मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई।” पंकज ने कहा, “मोहित ने कंपनी क्यों छोड़ दी?” नेहा ने अपने और मोहित के बीच की सारी कहानी उसे सुना दी।
पंकज ने उसे इग्नोर करते हुए कहा, अच्छा तो लंच ओवर हो चुका हैं। मैं चलता हूँ, मुझे बहुत काम हैं। अब नेहा टूट चुकी थी। एक दिन पंकज ने एक कार्ड नेहा को देते हुए कहा, “मैं शादी करने जा रहा हूँ, ये मेरी शादी का कार्ड हैं। शादी में जरूर आना। शादी का कार्ड खोलकर देखा तो उसमें ‘पंकज और नेहा’ का नाम लिखा था। नेहा पंकज के गले लगकर जोर-जोर से रोने लगी।
पंकज ने कहा, “तुमने मुझसे बात न करने के लिए अपना फोन नंबर भी बदल लिया। लेकिन, मैं प्रतिदिन तुम्हें फोन करने की कोशिश करता रहा। कंपनी के पहले दिन ही मैंने तुम्हें और मोहित को कैंटीन में साथ-साथ लंच करते हुए देख, समझ गया था। मैंने तुम्हें भुलाने की बहुत कोशिश की।
लेकिन, मेरे दिल से तुम्हारा प्यार नहीं निकल सका। नेहा रोते हुए बोली मुझे माँफ कर दो प्लीज…। पंकज ने नेहा को अपने गले से लगाते हुए कहा, मेरे जीवनसाथी यह तुम्हारी पहली और आखिरी गलती हैं।