जब बच्चे बड़े होने लगते हैं तो वे किसी भी चीज को लेकर जिद्द करते हैं। चाहे वह कोई खिलौना हो या फिर मोबाइल अथवा टेलीविजन ही क्यों न हो। इसलिए अक्सर माता-पिता अपने बच्चे का मन बहलाने के लिए उन्हें प्रेरणादायक मनोरंजन से भरपूर कहानियाँ सुनना पसंद करते हैं। कहानियों को सुनते-सुनते बच्चा जल्दी सो जाता हैं। लेकिन ध्यान रहना चाहिए कि कहानी छोटी और शिक्षाप्राद होनी चाहिए। इसलिए आज हम कहानीज़ोन के इस लेख में बच्चों के लिए bedtime story in hindi में सुनने जा रहे हैं जोकि निम्नलिखित प्रकार से हैं:
1. बंदर और मगरमच्छ कि दोस्ती:
किसी नदी किनारे एक बंदर और मगरमच्छ रहते थे। दोनों में अच्छी दोस्ती थी। बंदर मगरमच्छ को मीठे-मीठे फल खिलाता था। जबकि, मगरमच्छ बंदर को अपनी पीठ पर बैठाकर सैर कराता था। दोनों खूब मस्ती करते थे। वे हमेशा खुश रहते थे। एक बार बारिश न होने की वजह से वह नदी सूख गई। अब मगरमच्छ का पानी के बिना रहना मुश्किल हो रहा था। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें?
एक दिन मगरमच्छ नदी के किनारे मायूस बैठा था। तभी उसका दोस्त बंदर उछलता-कूदता हुआ उसके पास आया। उसने पूछा, “मेरे दोस्त आज तुम बहुत उदास लग रहे हो क्या बात हैं? मगरमच्छ ने अपनी उदासी का कारण बंदर से बात दिया। बंदर ने कहा, “दोस्त! उदास मत हो, मैं कुछ न कुछ जतन करता हूँ। इतना कहकर बंदर वहाँ से चला गया।
उसने पूरे दिन अपने दोस्त के लिए नदी की तलास की। आखिरकार उसे एक ऐसा नदी मिल गया जिसमें बहुत पानी था। अगले दिन वह भागते हुए अपने दोस्त मगमच्छ के पास आया। उसने कहा, “दोस्त मैंने तुम्हारी समस्या हल निकाल लिया।” मैं एक ऐसा नदी देखकर आया हूँ। जिसमें बहुत सारा पानी हैं। बंदर ने अपने दोस्त को उस नदी में ले गया। वहाँ पहुंचकर उसके खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वह तुरंत बिना कुछ बोले नदी में चला गया।
बंदर ने सोचा मैं अपने दोस्त को यहाँ पर ले आया हूँ। वह मेरी तारीफ करेगा मुझे अपनी पीठ पर बैठकर नदी का सैर करवाएगा। लेकिन वह बिना कुछ बोले नदी में चला गया। बंदर ने सोचा कोई बात नहीं मगरमच्छ के लिए यह नई जगह हैं। कल इसके ऊपर बैठकर घूम लूँगा। मगरमच्छ इतना खुश था की वह नदी के अन्य जीव जन्तुओ से दोस्ती करना शुरू कर दिया। धीरे-धीरे वह अपने दोस्त बंदर को भूलता जा रहा था।
बंदर कई दिनों से नदी के किनारे अपने दोस्त मगरमच्छ का इंतजार करता रहा। लेकिन मगरमच्छ उससे मिलने नहीं आया। बंदर बहुत चिंतित रहने लगा। एक दिन वह उदास होकर नदी के किनारे बैठा था। तभी उस नदी से एक मगरमच्छ बाहर आया। उसने बंदर की उदासी का कारण पूछा। बंदर ने अपने दोस्त मगरमच्छ की सारी कहानी सुना दी।
उसकी बातों को सुनकर मगरमच्छ ने बंदर से कहा, “क्या तुम मुझसे दोस्ती करोगे? मैं तुम्हें तुम्हारे दोस्त की तरह पूरे नदी में सैर कराऊँगा।” बंदर ने उस मगरमच्छ से दोस्ती कर ली। उसने अपनी पीठ पर बंदर को बैठाकर नदी में सैर कराने के लिए चल दिया। बीच नदी में बंदर को उसका पुराना दोस्त मिला। उसने बंदर को देख अपना मुँह दूसरी तरफ फेर लिया।
बंदर और उसके नए दोस्त को कोई फर्क नहीं पड़ा। दोनों की दोस्ती एक मिसाल बनती जा रही थी। दोनों हमेशा एक दूसरे के सुख-दुख में शामिल रहते थे। एक बार इस नदी में भी सूखा पड़ गया। बंदर ने अपने दोस्त को लेकर किसी और नदी में चला गया। अब दोनों उस नदी में आराम से रहने लगे थे। जबकि बंदर का पुराना दोस्त उसी सूखी नदी के पास रहता था।
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एक दिन बंदर उसी नदी के पास से अपने दोस्त के लिए कुछ फल लेकर जा रहा था। तभी उसकी मुलाकात उसके पुराने दोस्त मगरमच्छ से हो गई। मगरमच्छ उसके सामने गिड़गिड़ाने लगा कि उसे भी पानी वाले नदी में लेकर चले। लेकिन, बंदर ने यह कहते हुए मना कर दिया कि तुम जैसे दोस्त विश्वास के लायक नहीं होते जो अपना दिन बदलते देख अपने दोस्त को भूल जाते हैं।
नैतिक सीख:
मुश्किल समय में साथ देने वाले दोस्त को भूलना नहीं चाहिए।
2. घनिष्ट मित्रता:

एक तलाब के किनारे पेड़ पर एक कबूतर रहता था। उसी पेड़ के नीचे एक चींटी रहती थी। दोनों में घनिष्ट मित्रता थी। कबूतर दिन भर अपने खाने की तलाश में दूर-दूर घूम आता था। लेकिन चींटी उसी पेड़ पर चढ़ती और उतरती रहती थी। एक दिन कबूतर एक आम लेकर आया। वह अपने दोस्त चींटी के साथ मिल बाँटकर खाने लगा। दोनों आपस में बात करते हुये हँस रहे थे। तभी चींटी अचानक शांत हो गई।
उसे शांत देख कबूतर ने कहा, “क्या हुआ मेरे दोस्त? तुम कुछ बोल क्यों नहीं रही हो। चींटी ने बड़े नम्र आवाज में कहा, “काश! मेरे भी पंख होते तो मैं भी तुम्हारी तरह उड़कर बाहर की दुनिया देख आती। लेकिन मेरा जीवन तो बस इन बिलों से लेकर इस पेड़ तक ही हैं। कबूतर चींटी की भावनाओं को समझ गया। उसने कहा, “चलो मैं तुम्हें दूर कही घूमा लाता हूँ।” कबूतर ने चींटी को अपने ऊपर बैठाकर दूर निकाल गया।
कुछ दूर उड़ने के बाद उसे एक नदी दिखाई दिया। नदी के पास जंगल था। दोनों ने उस जंगल में रुकने के लिए सोचा। चींटी को नदी के किनारे उतार कर चिड़िया इधर-उधर कुछ खाने की तलाश में लग गई। चींटी उस जंगल में पहुंचकर बहुत खुश थी। अचानक तूफान का झोंक आता हैं। चींटी उस तूफान में उड़कर नदी के बीच में पहुच जाती हैं।
चींटी मदद के लिए अपने दोस्त कबूतर को आवाज लगाती हैं। कबूतर नदी के ऊपर उड़ते हुए देखता है कि उसका दोस्त मुस्किल में हैं। जोकि पानी के तेज बहाव में बहता हुआ जा रहा हैं। वह अपने दोस्त को बचाने के लिए एक पत्ता उठाकर लाती हैं। उस पत्ते को चींटी के पास गिरा देती हैं। चींटी उस पत्ते पर चढ़ जाती हैं। धीरे-धीरे वह पत्ता नदी के एक किनारे लग जाता हैं। कबूतर उसके पास आकार अपने दोस्त को लेकर अपने घर को चले जाते हैं।
नैतिक सीख:
मुश्किल परिस्थितियों में साथ देने वाला व्यक्ति ही सच्चा दोस्त कहलाता हैं।
3. किसान और उसकी समझदार बेटी:
किसी गाँव में एक किसान रहता था। उसके पास एक छोटा खेत था। जिसमें वह अनाज उगाता था। लेकिन खेत छोटा होने के कारण किसान को पूरे साल भर के लिए अनाज नहीं हो पाता था। एक दिन वह घर के सामने चारपाई पर बैठा कुछ सोच रहा था। तभी उसके पास उसकी बेटी आई और अपने पिता के चिंता का कारण पूछी। पिता ने अपनी बेटी को सारी बात बता दी।
बेटी ने कहा, “पिताजी आपको एक बार अपने राज्य के राजा के पास मदद के लिए जाना चाहिए।” अपनी बेटी की बात मानकर किसान राजा के दरबार में गया उसने अपनी सारी कहानी सुना दी। राजा ने कहा, “मैं तुम्हें तुम्हारे घर के पास एक जमीन दे रहा हूँ। उस जमीन पर जो भी अनाज पैदा करोगे वह तुम्हारा होगा। लेकिन जमीन हमारी ही रहेगी। किसान ने राजा की बात मानकर अपने घर को आ गया।
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उसने अपनी बेटी को बताया की राजा ने उन्हें खेत दिया हैं। किसान और उसकी बेटी दोनों बहुत खुश हुए। अगले दिन किसान उसकी बेटी अपने बैलों को लेकर खेत की जुताई करने के लिए चले गए। किसान खेत की जुताई कर रहा था। खेत के बीचों बीच उसका हल जमीन में किस ठोस चीज से टकरा गई। उसने मिट्टी को हटा कर देखा तो उसे सोने की ओखली मिली।
किसान ओखली को देखकर आश्चर्यचकित हो उठा। उसने ओखली को राजा को देने का मन बना लिया। लेकिन वही खड़ी किसान की लड़की ने अपने पिता को ऐसा करने के लिए मना करते हए कहा, “पिताजी अगर आप इस ओखली को लेकर राजा के पास जाओगे तो राजा इसकी मूसली भी आप से ही मांगेंगे जोकि आपको नहीं मिली हैं। उस समय आप क्या जवाब दोगे?
लेकिन किसान ने अपनी बेटी की बात नहीं मानी वह ओखली लेकर राजा के दरबार में पहुँचकर सारी कहानी सुना दी। राजा के मंत्री ने कहा, “महाराज कोई भी ओखली और मूसली को एक साथ ही छिपाता।” जरूर किसान ने मूसली रख लिया और आपको ओखली देने आया हैं। राजा मंत्री की बात को मानते हुए किसान को कारागार में बंद करवा दिया।
महीनों बाद राजा जेल के बगल से गुजर रहे थे। तभी उन्होंने सुना की किसान कहा रहा था कि “काश! मैंने अपनी बेटी की बात मान लिया होता तो वह कारागार में बंद नहीं होता।” राजा ने किसान की बेटी को बुलाकर पूछा, “सच-सच बताओ उस दिन खेत की जुताई करते समय क्या हुआ था। किसान की बेटी पूरी घटना को राजा से बता दी। राजा ने लड़की की बुद्धिमानी को सराहा। उसे अपनी गलती का ऐहसास हुआ उसने किसान को रिहा कर दिया।
नैतिक सीख:
सत्य परेशान हो सकता हैं, लेकिन पराजित नहीं हो सकता।
4. ताकत का घमंड:

एक नदी के किनारे जंगल में अकड़ू नाम का एक हाथी रहता था। अकड़ू हाथी अपने जंगल का सबसे ताकतवर जानवर था। उसे अपने बल पर बहुत ज्यादा घमंड था। वह आए दिन किसी न किस जानवर को परेशान करता रहता था। उसकी हरकतों से जंगल के सभी जानवर परेशान थे। उसी जंगल में एक पेड़ पर कौवा अपने घोंसले में अंडा दिया हुआ था। एक दिन अकड़ू हाथी उसी रास्ते से जा रहा था।
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उसने देखा कि कौवा पेड़ पर अपने बच्चों के साथ खेल रहा था। अकड़ू हाथी को कौवे की खुशी नहीं देखी गई। उसने उस पेड़ को ही उखाड़ फेंक। जिससे उसके बच्चे नीचे गिरने के कारण मर गए। कौवा अपने बच्चों को देखकर बहुत दुखी हुआ। लेकिन वह वेबस था, क्योंकि वह उस हाथी का कुछ कर नहीं सकता था। कौवा उदास होकर नदी के किनारे एक पत्थर पर बैठकर रो रहा था।
कौवे को रोते देख चींटी ने पूछा, “क्या हुआ भाई तुम क्यों रो रहे हो?” कौवे ने चींटी को पूरी कहानी सुना दी। चींटी ने कहा, “तुम घबराओ मत हम तुम्हारे बच्चों का बदला लेकर रहेंगे। एक दिन चींटीयों ने हाथी के कान में घुसकर काटना शुरू कर दिया। जिसके कारण हाथी उछाल-उछाल कर अपने सूँड को पेड़ पर मरने लगा। लेकिन चींटीयों ने काटना बंद नहीं किया। देखते-ही-देखते हाथी की हालत खराब हो गई वह गिरकर मर गई।
नैतिक सीख:
अहंकार व्यक्ति को बहुत जल्द पतन की तरफ ले जाता हैं।
5. आंतरिक गुण का महत्त्व:
एक बार की बात हैं राजा का सेवक बूढ़ा हो चुका था। उसने अपने मंत्री को आदेश दिया कि कोई दूसरा सेवक खोजा जाए। राजा के मंत्री ने पूरे राज्य में फरमान जारी करवा दिया कि उन्हें राजा के सेवक की जरूरत हैं। जो भी सेवक बनेगा उसे अधिक धनराशि मिलेगी। राजा के दरबार में कई लोग सेवक बनाने के लिए आए लेकिन मंत्री को कोई सेवक पसंद नहीं आया।
एक दिन एक व्यक्ति राजा के दरबार में आया। जिसका रंग रूप अच्छा नहीं था। उसने मंत्री जी से राजा का सेवक बनाने का प्रस्ताव दिया। मंत्री ने उसकी कई परीक्षाएं ली। वह व्यक्ति मंत्री के सभी वसूलो पर खरा उतरा। मंत्री ने उस व्यक्ति से कहा, “आज से तुम राजा के सेवक हो।” लेकिन राजा को अपने सेवक का रूप, रंग देखकर बिल्कुल पसंद नहीं आया।
गर्मी का मौसम था अगले दिन दरबार में राजा ने पानी मंगाया। सेवक ने राजा को सोने के पात्र में पानी ले जाकर दे दिया। राजा ने जैसे ही पानी का एक घूंट पिया उसने पानी को थूक दिया। उसने अपने सेवक को कहा इस गर्मी में इतना गर्म पानी। राजा का मंत्री सब देख रहा था। उसने सेवक को मिट्टी के घड़े से पानी लाने के लिए कहा, “राजा ठंडा पानी पी कर तृप्त हो उठा।”
मंत्री राजा के पास गया। उसने कहा, “महाराज! सोने के पात्र सुंदर, मूल्यवान और अच्छा भी हैं। लेकिन इसके अंदर शीतलता प्रदान करने के गुण नहीं हैं। ठीक इसी प्रकार, मिट्टी का बर्तन साधारण हैं। लेकिन उसके अंदर शीतलता प्रदान करने के गुण हैं। मंत्री ने राजा से कहा, “महराज! इसी तरह से हमें रूप, रंग के चक्कर में न पड़कर उसके अंदर के गुणों के बारें में जानना चाहिए। मंत्री की बात सुनकर राजा का ऐहसास हुआ कि उसकी सोच गलत थी।
नैतिक सीख:
बाहरी गुणों को न देखकर आंतरिक गुणों को देखना चाहिए।