तेनालीराम विजयनगर के राजा कृष्णदेव राय के दरबार में बड़े विद्वानों में से एक थे। इसलिए, राजा हमेशा उनकी सलाह लिया करते थे। एक दिन उसे दरबार में अधिक देर हो गई, जिसके कारण तेनालीराम को घर जाते समय शाम हो चुकी थी। रात के समय घर जाते हुए रास्ते में उसे झाड़ियों के पीछे से फुसफुसाने की आवाज आती हुई सुनाई दी। वह किसी पेड़ के पीछे छिपकर उन लोगों की बातों को सुनने लगे।
वे लोग आपस में बात कर रहे थे कि ‘तेनालीराम’ को राजा अक्सर उसकी बुद्धिमानी के कारण सोना, चांदी जैसे जवाहरात देते हैं। जिसके कारण वह अमीर हैं। लेकिन हम लोगों के पास कुछ नहीं हैं। फिर भी हम कल उससे ज्यादा अमीर हो जाएंगे। यह कहते हुए सभी धीरे-धीरे हँसने लगे। तेनालीराम उन लोगों की बातों को सुनकर समझ गया कि वे लोग उसके घर में चोरी करने वाले हैं। वह भागते हुए अपने घर पहुंचा।
तेनालीराम ने अपने घर के दरवाजे को खटखटाया उसकी पत्नी ने दरवाजा खोला। तेनालीराम चारपाई पर बैठ गया। उसकी पत्नी एक गिलास पानी देते हुए कहने लगी। अपने घर के पीछे वाले खेत में धान की फसल सूखने को आ गई हैं। अगर उसे पानी नहीं मिला तो धान सुख जाएगा। तेनालीराम अपनी पत्नी को समझाते हुए कहता हैं, “तुम्हारी बातें ठीक हैं, लेकिन मुझे कुछ जरूरी काम करना हैं”
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उसने अपने घर में से एक बड़ा बाक्स निकाला और उसको ईंट, पत्थर से भर दिया। उसकी पत्नी कहती हैं, ”आप क्या कर रहे हो, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा हैं।” तेनालीराम अपनी पत्नी को समझाते हुए कहते हैं। तुम मेरी मदद करो, मैं तुम्हें सब कुछ बता दूंगा। वें दोनों पत्थर से भरे बाक्स को धान के खेत के पास वाले कुएं में गिराने लगे। उसकी पत्नी फिर से पूंछती हैं, हम ऐसा क्यों कर रहे हैं?
तेनालीराम ने पत्नी के कान में फुसफुसाते हुए सारी घटना बता दी। फिर तेज आवाज में कहता हैं, “आज मैंने सपना देखा की हमारे घर में चोरी होने वाली हैं, इसलिए हम सोने, चांदी और हीरे, मोती के आभूषण इस कुएं में छिपा दे रहे हैं। जिससे चोरों को हमारे घर में कुछ नहीं मिलेगा। पेड़ के पीछे छिपे चोरों ने तेनालीराम की बातों को सुन लिया।
तेनालीराम और उसकी पत्नी जैसे ही घर के अंदर गए चोर चुपके-चुपके कुएं तक आ पहुंचे। कुएं में झाँक कर देखा तो उसमें पानी अधिक था। उन सभी को कुएं के पास रस्सी से लगी एक बाल्टी दिखाई दी। वे सभी कुएं से पानी निकाल कर बाहर गिराने लगे। पानी नाली के रास्ते खेत में जाने लगा। चोरों ने पूरी रात कुएं से पानी निकाला, सुबह जब उन्हें बाक्स दिखाई दिया तो उनमें से एक चोर ने कहा, ”मैं नीचे जाकर बाक्स को रस्सी में बांध देता हूँ और तुम लोग ऊपर खीच लेना।”
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बाक्स को ऊपर लाकर उसका ताला तोड़कर देखा तो उसमें सोने, चांदी के बजाय ईंट पत्थर भरे हुए थे। सभी चोरों को बात समझ में आ गई कि तेनालीराम ने उन्हें मूर्ख बना दिया। इतने में तेनालीराम अपने साथ सिपाहियों को लेकर आ गया। उन्हें देखते ही चोर भागने की कोशिश करने लगे। लेकिन सिपाहियों ने सभी को दबोच लिया और उन्हें ले जाकर कारागार में डाल दिया।
इतने में तेनालीराम की पत्नी भी वहाँ पहुँची। उसे देख तेनालीराम कहता हैं, ”भाग्यवान! कैसी रही मेरी तरकीब? देखो फसल को पानी मिल गया। उसकी पत्नी कहती हैं, आप सचमुच में बहुत चतुर इंसान हो। आपकी बुद्धिमानी के कारण चोरी भी नहीं हुई और धान को पानी भी मिल गया। इस तरह से आपने एक तीर से दो शिकार भी कर डाले। और दोनों जोर-जोर से हँसने लगे।