बच्चों को शेर, बंदर, हाथी, खरगोश, चूहा जैसे जानवरों की कहानी सुनना बहुत अच्छा लगता हैं। क्योंकि, इन जानवरों को बच्चे कभी न कभी जरूर देखें हुए होते हैं। जबकि, इन सभी जानवरों में शेर और बंदर की कहानी बहुत प्रसिद्ध हैं। बंदर हर कहानी में अपने चतुर और चालाक स्वभाव के लिए जाना जाता हैं। इसलिए, आज हम कहानीज़ोन के इस लेख में आपको एक मजेदार छोटी कहानी सुनाने जा रहे हैं, जोकि इस प्रकार हैं:
जंगल में शेर की दहशत:
चंपक वन में सभी जानवर बहुत हंसी-खुशी रहते थे। वे सभी सुख-दुख में हमेशा साथ देते थे। चंपक वन बहुत सुंदर वन था। जहाँ पर जानवरों को खाने पीने की कोई कमी नहीं होती थी। वन के पास नदी होने के कारण जंगल के जानवरों को पानी पीने के लिए दूर भी नहीं जाना पड़ता था। इस तरह से सभी जानवर इस वन में बहुत खुश रहते थे। जबकि, इस जंगल में कोई भी जानवर किसी जानवर को हानि नहीं पहुंचता था।
एक बार चंपक वन में एक शेर रहने के लिए आ गया। जोकि बहुत खूंखार शेर था, उसकी भूख किसी जानवर को खाये बिना नहीं मिटती थी। शेर ने चंपक वन में देखा कि यहाँ पर तो बहुत सारे छोटे-छोटे जानवर हैं। जिसे वह खाकर अपनी भूख मिटा सकता हैं। उस दिन से शेर आसानी से किसी भी जानवर के ऊपर झपट पड़ता था और उसको मारकर खा जाता था।

अब चंपक वन के जानवरों में डर और भय का माहौल पैदा हो गया था। सभी जानवर सोचने लगे, “हम सभी मारे जाएंगे अब हम क्या करें”? एक दिन सभी जानवर मिलकर शेर के पास गए। शेर अपने पास सारे जानवरों को आते देख मन ही मन में खुश होकर सोचने लगा कि आज तो मुझे बड़ी पार्टी मिलने वाली हैं। सभी जानवर शेर के सामने आ गए और उनमें से बंदर ने कहा,”शेर दादा आप हमें खाने के लिए इधर-उधर मत भटका करो, हम लोग एक-एक करके आपके पास आते जाएंगे और हमें आप खा लेना”।
बंदर की बात सुन शेर बहुत खुश हुआ और बोला देखो तुम लोगों की शर्त मुझे मंजूर हैं। लेकिन, तुम लोग यह भी ध्यान से सुन लो अगर मैं किसी दिन भूखा सोया तो तुम लोगों को एक साथ मार दूंगा। शेर की बात सभी जानवरों ने मान ली और एक-एक करके शेर के पास जाना शुरू कर दिया जिसके कारण शेर को बैठे-बैठे भोजन मिलने लगा।
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बंदर की चतुराई:
एक दिन शेर के पास बंदर का जाने का नंबर आया, बंदर ने सोचा मुझे अभी और जीना हैं मुझे मरना नहीं हैं। रास्ते में जाते-जाते बंदर भगवान से यही प्रार्थना करते हुए जा रहा था कि अपनी जान कैसे बचाए? तभी शेर की गुफा में घुसते समय उसको एक कुआं दिखाई दिया जिसमें साफ पानी भरा था। बंदर को गुफा में देखकर शेर दहाड़ मारकर खड़ा हो गया और शेर बंदर के पास आ पहुँचा और बोलने लगा,”तू तो बहुत छोटा हैं। तुझे खाकर मेरी भूख नहीं मिटेगी आज जंगल के सारे जानवर मारे जाएंगे”।

बंदर रोते हुए बोला महाराज आज आप का जन्मदिन हैं, जिसके उपलक्ष्य में मेरे साथ दो मेमने और आ रहे थे। हमें रास्ते में एक शेर मिला जो आप से भी ज्यादा शक्तिशाली हैं। जिसने दोनों मेमनों को खा लिया और आपको डरपोक और बुजदिल बोलते हुए मेरे साथ आप की गुफा में आ गया। बंदर की बातें सुन शेर गुस्से से लाल-पीला हो गया और बोलने लगा मेरे अलावा इस जंगल में कौन आ गया मुझे उससे मिलाओ। बंदर ने बोला महाराज मत मिलों उससे, वह आपसे कई गुना शक्तिशाली हैं।
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शेर को और गुस्सा आ गया और बोला,”तुम जल्दी से मुझे उससे मिलाओ नहीं तो मैं तुम्हें खा जाऊंगा”। बंदर ने बोला ठीक हैं महाराज, आओ देखो इसी कुएं में छिपा हैं। शेर ने कुएं के अंदर देखा तो उसकी गुस्से वाली परछाई दिखाई दी। शेर ने सीधा कुएं में छलांग लगा दी और बाहर न निकल पाने के कारण कुएं में ही मर गया।
बंदर तुरंत उछलते हुए चंपक वन में जाकर सारी कहानी सभी जानवरों को बताई। बंदर की बात सुन सभी जानवर खुशी से झूम उठे और बंदर को अपने सिर पर उठा लिया और खूब खुशियां मनाई और कहने लगे “जान बची सो लाखों पाए”।
कहानी से नैतिक सीख:
अपनी बुद्धि और विवेक के सहारे लिए गए फैसले, व्यक्ति को बड़े से बड़े खतरों से बचा सकता हैं। किसी भी परिस्थिति में धैर्य और साहस के साथ काम लेना चाहिए। जिस प्रकार से बंदर के साहस ने चंपकवन के कितने जानवरों की जान बचा ली।