छोटी और नैतिक कहानियों की मदद से बच्चों के ज्ञान में वृद्धि की जा सकती हैं। ठीक इसी प्रकार से अगर देखा जाए तो small motivational stories in hindi के जरिए आप बच्चे को बहुत कम समय में मनोरंजन के साथ-साथ ज्ञानवर्धन कर सकते हैं। इसलिए, कहानीज़ोन (kahanizone) आपके बच्चों के लिए नई-नई शिक्षाप्राद कहानियां लाते रहते हैं। आज के इस लेख में प्रेरणा से भरपूर कहानियां निम्नलिखित प्रकार से हैं:
1. सलाह नहीं, मदद करो -No advice, do the help:

बहुत समय पहले की बात हैं। एक तालाब में एक चिड़िया का परिवार डूब गया। उस परिवार में घर का मुखिया (चिड़ा) ही बच था। अब वह बहुत दुखी रहने लगा। उसका सबकुछ उजाड़ चुका था। एक दिन गुस्से में आकर उसने तालाब को सुखाने की कसम खा ली। उस दिन से उसने उस तालाब के पानी को अपनी चोंच में भर-भर कर आसपास के खेतों और नदियों में ले जाकर डालने लगा।
‘चिड़ा’ को ऐसा करता देख एक चिड़िया ने पूछा, तुम ऐसा क्यों कर रहे हो? “उसने अपने साथ हुए घटना को बताया” चिड़िया बोली तुम कितने बडे मूर्ख व्यक्ति हो, ऐसा करने से तुम कई जन्मों में तालाब के पानी को नहीं सूखा सकते। ‘चिड़ा’ बोला, “मदद करनी हैं तो करो, वरना सलाह मत दो!” उस चिड़िया ने ‘चिड़ा’ की मदद करनी शुरू कर दी। देखते-देखते लाखों की संख्या में चिड़िया उस ‘चिड़ा’ के साथ आ गए।
सभी चिड़िया को तलाब के पानी को दूर ले जाते देख, एक औरत ने चिड़िया से पूछा तुम लोग ऐसा क्यों कर रहे हो। चिड़िया, ने उस औरत को सारी बात बता दी। औरत ने कहा तुम लोग ऐसा कब तक कारोगे? चिड़िया बोली, “मदद करनी हैं तो करो, वरना सलाह मत दो!”
औरत घर जाकर अपने पति से सारी बात बता देती हैं। उसका पति कहता हैं, चिड़िया ऐसा कब तक करेंगी। औरत अपने पति से कहती हैं, “मदद करनी हैं तो करो, वरना सलाह मत दो! उस व्यक्ति ने यह बात सभी गाँव वालों से बताता हैं। गाँव वाले पानी निकलने वाले इंजन को अपने साथ लेकर उस तलाब के पानी को खाली कर देते हैं। चिड़िया को सूखे तालाब में अपने परिवार के लोगों का अथिर-पंजर दिखाई दिया।
कहानी से सीख:
सलाह देना से अच्छा मदद करना।
2. किसान और बच्चे – Farmers and children:

एक समय की बात हैं। एक किसान अपने खेतों की सिचाई कर कर रहा था। जिसके कारण उसने अपने जूते और कपड़ों को दूर खेत के किनारे एक पेड़ के नीचे रख दिया था। घंटों बाद वहाँ पर कुछ बच्चे आकर खेलने लगे। खेलते-खेलते बच्चों को मस्ती सूझी उन्होंने किसान के भाव को जानने की इच्छा जाहिर की।
बच्चों ने किसान के जूते में कुछ कंकड़ और कपड़ों में पैसे डाल दिए। सभी बच्चे वही झाड़ी के पीछे छिप गए। किसान कपड़े पहनते समय देखा कि उसके जेब में कुछ पैसे रखें हैं। उसने इधर-उधर देखा, उसे कोई दिखाई नहीं दिया। वह भगवान का शुक्रिया किया और उस पैसों को खुशी-खुशी अपने पास रख लिया।
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उसने जूते पहनकर चलना शुरू किया, जूते में कंकड़ होने के कारण चल नहीं सका। जूता निकालकर देखा तो उसमें कुछ कंकड़ डाले हुए थे। वह चीखते-चिल्लाते हुए कहने लग, “मेरे साथ ऐसा किसने किया, कोई मेरे सामने क्यों नहीं आता” ऐसा कहते हुए गुस्से से भरा हुआ अपने घर को चला जाता हैं।
बच्चे झाड़ी के पीछे निकलने के बाद एक दूसरे को समझाते हैं। देखा तुम लोगों ने! थोड़ा सा दुख क्या आया। किसान ने हम लोगों को क्या-क्या कहा।
कहानी से सीख:
सुख-दुख जीवन के दो पहलू हैं। हमें हर परिस्थितियों में एक समान रहना चाहिए।
3. अटूट विश्वास – Unwavering faith:

एक बार कुछ यात्री हवाई जहाज में यात्रा कर रहे थे। बीच रास्ते कुछ खराबी के कारण अचानक उस हवाई जहाज का संतुलन बिगड़ गया। जहाज के पायलट ने यात्रियों को सूचित किया कि जहाज में कुछ खराबी आ गई हैं। कृपया धैर्य रखें, हम उसे ठीक करने की कोशिश कर रहें हैं। सभी यात्री परेशान हो उठे। उनके अंदर हड़बड़ी मच गई। कुछ यात्रियों को अपने सामने मौत भी दिखने लगी।
उसी जहाज में एक बच्ची भी थी जोकि अपने खिलौने के साथ मजे से खेले जा रही थी। अचानक अनोउंसमेंट होता हैं कि जहाज की खराबी को ठीक कर लिया गया हैं। इस प्रकार सभी यात्रियों के जान में जान आती हैं। एक यात्री ने उस बच्ची से पूँछ, “बेटा जहाज में खराबी आने से हम लोग परेशान हो गए थे।
लेकिन तुम खेले जा रही थी, ऐसा क्यों? लड़की ने उस व्यक्ति को जबाब दिया। “अंकलजी! इस जहाज को मेरे पापा चला रहे थे। इसलिए, मुझे पता था कि वें मुझे जरुर बचा लेंगे।
कहानी से सीख:
हमें अपने गुरु के ऊपर अटूट विश्वास होना चाहिए।
4. लक्ष्य की प्राप्ति – Achievement of goal:

गुरुकुल में बच्चे शिक्षा ले रहे थे। उस गुरुकुल के आचार्य बच्चों को आध्यात्मिक, भौतिक और व्यवहारिक ज्ञान के बारें में समझाया करते थे। प्रतिदिन प्रातःकाल के समय आचार्य शिष्यों को लेकर नदी तक घूमने जाया करते थे। वहाँ पर अपने साथ लिए एक लोटे को रगड़-रगड़ कर साफ किया करते थे।
आचार्य को ऐसा करते देख, एक दिन एक शिष्य ने पूँछा- “गुरुदेव आप प्रतिदिन इस लोटे को रगड़ कर साफ क्यों करते हैं? इसे आप एक सप्ताह में भी साफ कर सकते हैं।” गुरुजी अपने शिष्य की बातों को स्वीकारते हुए कहा, ठीक हैं इसे एक सप्ताह बाद ही साफ करेंगे। धीरे-धीरे समय बीता एक सप्ताह बाद गुरुजी बच्चे को वही लोटा देते हुए कहा, “इसकी सफाई कर वही पुरानी चमक वापस लाओ।”
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शिष्य ने कई बार उस लोटे को साफ किया। लेकिन, उसकी पुरानी चमक नहीं आ सकी। शिष्य ने गुरु जी को लोटा देते हुए कहा, आचार्य इससे ज्यादा और साफ नहीं हो पायेगा। आचार्य ने कहा, ठीक इसी प्रकार अगर हम प्रतिदिन अपने आप को निखारेंगे नहीं तो हमारे अंदर ईर्ष्या, द्वेष और नफरत जैसी गंदगी जमा हो जाएगी। जिसे दूर कर पाना आसान नहीं होगा।
कहानी से सीख:
मंजिल प्राप्त करने के लिए हमें प्रतिदिन चलना पड़ता हैं। एक दिन में हमें मंजिल नहीं प्राप्त हो सकती।
5. राजा और दरबारी – King and courtier:

किसी राज्य में उधमसिंह नाम का एक राजा रहता था। राजा बहुत विनम्र और दयालु स्वभाव का था। वह अपने राज्य के लोगों की समस्या जानने के लिए घूमा करता था। जिसके कारण उसके राज्य के सभी व्यक्ति उससे बहुत अधिक लगाव रखते थे। राजा से किसी का दुख-दर्द नहीं देखा जाता था।
कड़ाके की ठंड पड़ रही थी। राजा अपने राज्य में घूमने के लिए निकले हुए थे। उन्हें दरबार पहुचने में शाम होने को आ चुकी थी। राजा को महल में जाते समय एक दरबारी दिखा। जोकि बूढ़ा था। वह पतले कपड़े पहने हुए था। राजा उसे अपने पास बुलाकर पूछा, तुम्हें ठंड नहीं लग रही हैं? जोकि, इतने पतले कपड़े पहने हुए हो। बूढ़े दरबारी ने कहा, महाराज मेरे पास यही कपड़े हैं। जिसे मैं बहुत समय से पहन रहा हूँ।
राजा ने कहा, “ठीक हैं! अभी मैं महल जाकर तुम्हारे लिए गरम कपड़े भेजवाता हूँ।…… राजा महल में पहुंचकर यह भूल गए कि मैं किसी को एक उम्मीद देकर आया हूँ। उन्होंने कपड़े नहीं भेजवाये। उसी रात उस बूढ़े दरबारी को ठंड लगने से उसकी मृत्यु हो जाती हैं।
सुबह जब अन्य दरबारियों ने उसे देखा तो उसकी शरीर अकड़ी पड़ी हुई थी। उसके हाथ में एक पर्ची थी। जिसमें लिखा था, “मैं कई वर्षों से बिना गरम कपड़े में अपनी डीयूटी करता था। लेकिन राजा के एक अधूरे उम्मीद के कारण…. कल रात मुझे ठंड लग गई।
कहानी से सीख:
उम्मीद पर खरा उतरना सबसे बड़ी मानवता हैं।