रामू की कहानी:
यह कहानी एक छोटे से गांव में रहने वाले साधारण लड़के की हैं। जिसका नाम रामू था। उसके घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। उसके पिता मिट्टी के बर्तन बनाने का काम करते थे। रामू भी अपने पिता के काम में हाथ बँटाता था। बड़ी मुश्किल और कड़ी मेहनत के बाद दो वक्त का भोजन मिल पाता था। अपने घर के हालात देखकर रामू समझ गया था कि चाहे कुछ भी हो जाए मैं अपने घर की स्थिति बदलकर रहूँगा।
वह जानता था की घर के हालात सुधारने का मात्र एक जरिया हैं वह हैं, शिक्षा! रामू घर के काम के साथ-साथ अपने सपने के लिए खूब मन लगाकर कर रहा था। वह हमेशा यह सपना देखता था कि एक दिन वह डॉक्टर बनकर अपने माता-पिता का नाम रौशन करेगा। रामू का मार्गदर्शन करने वाला कोई नहीं था। इसके अलावा, पैसे की तंगी के कारण वह किसी महंगे स्कूल में पढ़ने के बारें में सोच भी नहीं सकता था।
लेकिन, उसके अंदर कुछ अलग करने का जुनून था। रामू के दिमाग में हमेशा अपने घर की परिस्थितियाँ चलती रहती थी। वह अपने गांव के छोटे से स्कूल में पढ़ता था, जहाँ पर सुविधाओं की भारी कमी थी। उसने पैसों की कमी के कारण पुरानी किताबों को खरीद कर पढ़ाई की। आर्थिक तंगी होने पर भी रामू ने अपनी पढ़ाई जारी रखी। प्रतिदिन वह सुबह जल्दी उठकर स्कूल जाता और देर रात तक अपनी पढ़ाई में लगा रहता।
रामू की परीक्षा:

लेकिन, कहा जाता हैं कि भगवान हमें मजबूत बनाने के लिए बहुत बड़ी-बड़ी परीक्षाएं लेते हैं। रामू का संघर्ष तो तब शुरू हुआ, जब वह 10वीं कक्षा में असफल हो गया। रामू ने अपनी पढ़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ी थी। लेकिन, उसकी मेहनत के बावजूद वह कक्षा में पास नहीं हो सका। यह उसके लिए किसी गहरे आघात से कम नहीं था। वह बहुत टूट गया था। क्योंकि उसे लगता था कि वह अब कभी अपनी मां की उम्मीदों पर खरा नहीं उतर पाएगा।
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रामू के माता-पिता भी बहुत दुखी थे। उन्हें यह समझ में नहीं आ रहा था कि उनका बेटा इतनी मेहनती है फिर वह असफल क्यों हो गया? अगली सुबह रामू के पिता चाक पर मिट्टी के बर्तन बना रहे थे। वही बगल में रामू पढ़ रहा था, उसकी माँ भी उसके पास थी। रामू को प्रेरणा देते हुए कहा “किस पहाड़ पर एक लड़का चढ़ने की कोशिश कर रहा हैं। जबकि, दूसरा लड़का उसे नीचे से देख रहा हैं।”
आप बताओ शिखर पर कौन पहुंचेगा, रामू ने कहा, “जो चढ़ने की कोशिश कर रहा हैं, न की जो नीचे खड़े होकर देख रहा हैं”। फिर रामू के पिता कहा- हाँ, लेकिन कुछ कमियों के कारण वह लड़का गिर भी सकता हैं। इसलिए, उसे पूरी तैयारी और सावधानी के साथ शिखर पर चढ़ना होगा। ठीक इसी प्रकार तुम इस बार परीक्षा में सफल नहीं हो सके तो जरूर कोई कमी रह गई होगी।
तुम्हें अपने बनाए लक्ष्य से पीछे नहीं हटना चाहिए। बल्कि, नए इरादे और मजबूत योजना के साथ अपने लक्ष्य को प्राप्त करने का संकल्प होना चाहिए। रामू को अपने पिता की बातों से थोड़ा सहारा मिला। लेकिन वह अब भी खुद को असफल महसूस कर रहा था। उसे लगा कि शायद उसके लिए डॉक्टर बन पाना संभव नहीं होगा।
वह गहरी निराशा में डूबा हुआ था, लेकिन उसकी मां ने उससे कहा, “रामू, यह तो केवल एक पड़ाव है। जो लोग अपने सपनों को हासिल करने की सच्ची चाह रखते हैं, वे कभी हार नहीं मानते। तुम भी हार मत मानो, और कड़ी मेहनत करो। एक दिन तुम जरूर सफल होंगे।” रामू को माँ की बात दिल से लग गई उसने अपने आप को संभाला। उसने तय कर लिया कि वह अपनी असफलता को सफलता में बदलने के लिए कड़ी मेहनत करेगा।
रामू अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से सलाह ली और यह पाया कि अपनी कमजोरियों को समझकर ही आगे बढ़ा जा सकता है। उसने अपनी सभी गलतियों को पहचाना और उन पर काम करना शुरू किया। उसके पास अब भी सीमित संसाधन थे, लेकिन उसने इसे अपनी कमजोरी नहीं, बल्कि एक चुनौती के रूप में लिया।
मेहनत रंग लाई:
रामू ने फिर से 10वीं की परीक्षा देने का निर्णय लिया। इस बार उसने पूरी रणनीति बनाई और दिन-रात मेहनत करने लगा। वह किसी भी प्रकार की चूक नहीं करना चाहता था। आखिरकार उसकी मेहनत रंग लाई और उसने बोर्ड परीक्षा में अच्छे अंक के साथ सफलता प्राप्त की। इस बार उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। उसके माता-पिता की आँखों में खुशी के आंसू थे कि उनके बेटे ने अपनी असफलता को सफलता में बदल दिया।
अब रामू का आत्मविश्वास फिर से लौट आया और उसने आगे की पढ़ाई के साथ-साथ मेडिकल की तैयारी करने का मन बना लिया। रामू ने एक कोचिंग एक लिए प्री प्रवेश परीक्षा दी, जिसमे वह सफल हो गया। जिससे अब रामू को फ्री में मेडिकल की कोचिंग क्लासेज मिलने लगी। इसके बावजूद, रास्ता आसान नहीं था। उसके घर की स्थिति ठीक न होने की वजह से उसे बहुत सारी मुश्किलों का सामना करना पड़ता था।
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लेकिन रामू ने कभी हार नहीं मानी। वह जानता था कि जो लोग सच्चे दिल से प्रयास करते हैं। आगे का रास्ता अपने आप खुद-ब खुद बनता जाता हैं। वे एक दिन अपनी मंजिल जरूर प्राप्त करते हैं। सालों की कठिन मेहनत और संघर्ष के बाद, आखिरकार रामू का सपना पूरा हुआ। उसे मेडिकल कॉलेज में दाखिला मिल गया।
उसने पढ़ाई में अपना सबकुछ समर्पित कर दिया था। रामू की कड़ी मेहनत और लगन से पढ़ाई करके डॉक्टर बन गया। उसके घर परिवार में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। उसकी यह यात्रा सिर्फ एक व्यक्तिगत सफलता नहीं थी। बल्कि उन सभी लोगों के लिए प्रेरणा बन गई जो अपने सपनों को पूरा करने में कठिनाइयों का सामना करते है।
रामू ने यह साबित कर दिया कि असफलताएँ सिर्फ अस्थायी होती हैं, और अगर आप सच्चे दिल से मेहनत करें, तो कोई भी मुश्किल आपको आपकी मंजिल तक पहुँचने से नहीं रोक सकती।
कहानी से सीख:
कड़ी मेहनत और लगन के भरोसे जीवन में बड़ी से बड़ी उपलब्धि हासिल की जा सकती हैं।