फेयरी टेल की कहानियाँ आमतौर पर राजकुमार, राजकुमारी तथा बौनों के साथ जुड़ी होती हैं। इस तरह की कहानियों में अविश्वसनीय, असंभव जैसी बातें बताई जाती हैं जोकि कल्पना के आधार पर लिखित होती हैं। फेयरी टेल की कहानियों में जादू, भूत, प्रेत, श्राप आदि तरह के घटनाए देखने को मिलती हैं। तो चलिए आज fairy tales in hindi की कहानी देखते हैं, जोकि निम्न प्रकार से हैं:
1. राजकुमार का स्वप्न:

राजा उदयभान सिंह के बेटे का नाम राजकुमार सूरज सिंह था। राजकुमार अपने पिता के नक्शे कदम पर चल रहा था। वह अपने पिता की तरह योद्धा बनना चाहता था। जिसके लिए वह भरसक प्रयास भी कर रहा था। एक दिन राजकुमार सूरज सिंह गहरी नींद में सो रहे थे। उसने स्वप्न में देखा कि किसी दूसरे राज्य के राजा ने अपनी विशाल सेना लेकर उसके राज्य पर चढ़ाई कर दिया।
उसके पिता राजा उदयभान सिंह उनका डटकर मुकाबला कर रहे हैं। राजकुमार महल से यह सब नजारा देख रहा था। तभी उसने देखा की उसकी सेना परास्त हो रही हैं। उसका पिता भी समपर्ण करने के कगार पर हैं। उसने तुरंत अपने साथियों को कहा- “रणक्षेत्र में चलो मैं भी युद्ध लड़ूँगा।” वह अपनी ढाल-तलवार लेकर निकला ही था कि उसने अपनी दाई तरफ देखा कि एक विशाल सेना उसकी तरफ तेजी से चली आ रही हैं।
वह थोड़ा डर गया, उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि यह सेना किसकी हैं। वह सेना राजकुमार सूरज सिंह के पास पहुँच गई। सेनापती और सैनिक एक-एक कर बगल होने लगे। तभी बीच में उसे एक सुंदर राजकुमारी दिखी। वह घोड़े पर सवार थी उसके हाथों में ढाल-तलवार था। उसकी खूबसूरती और साहस देख राजकुमार मंत्रमुग्ध हो गया। राजकुमारी अपने घोड़े को लेकर राजकुमार के पास आई।
उसने अपना परिचय देते हुए कहा- “मैं भानगढ़ के राजा विजय प्रताप सिंह की एकलौती बेटी राजकुमारी “ज्योतिबा” आपकी रक्षा के लिए आई हूँ।” मुझे पता हैं कि आपके पिता युद्ध हारने के दहलीज पर हैं। उनकी आधे से अधिक सेना मारी जा चुकी हैं। ऐसे में हम दोनों मिलकर युद्ध को जीत सकते हैं। राजकुमार ने कहा, लेकिन तुम मेरी मदद क्यों करना चाहती हो।
राजकुमारी “ज्योतिबा” ने कहा, “मेरे पिता ने मुझे बताया था कि एक बार हमारे पड़ोस के राजा हमारे राज्य पर आक्रमण कर दिए थे तब आपके पिता “राजा उदयभान सिंह” ने अपनी सेना लेकर हमारे राज्य को बचाया था। इसलिए मेरा भी फर्ज बनाता हैं कि मैं आज तुम्हारे राज्य को पराजित होने से बचाऊँ। राजकुमारी “ज्योतिबा” और राजकुमार सूरज सिंह अपनी सेना लेकर रणक्षेत्र में पहुँच गए।
राजकुमारी “ज्योतिबा” की तलवारबाजी देख राजा उदयभान और राजकुमार सूरज सिंह दंग रह गए। बहुत जल्द दूसरे राज्य की सेना राजा उदयभान के सामने समर्पण कर दिया। राजकुमार सूरज सिंह राजकुमारी “ज्योतिबा” के आकर्षण में पड़ गए। उसने युद्ध में मैदान में ही निश्चय कर लिया कि मैं अपनी शादी राजकुमारी “ज्योतिबा” से ही करूंगा। राजकुमार को उससे प्यार हो गया।
अचानक राजा उदयभान सिंह ने राजकुमार को नींद से जगा दिया। उसका स्वप्न टूट गया। राजकुमार सूरज सिंह ने स्वप्न के बारें में अपने पिता से बताते हुए कहा, “पिताजी मुझे उसी राजकुमारी से शादी करनी हैं।” राजा ने अपने बेटे को समझाया कि वह स्वप्न हैं। जोकी सच नहीं होता। उस तरह की राजकुमारी नहीं मिल सकती। इसलिए तुम अपने स्वप्न को भूला दो।
राजकुमार सूरज सिंह अब हमेशा उसी राजकुमारी के ख्याल में खोया रहता था। राजा ने अपने राजकुमार को समझाने के लिए एक महात्मा को दरबार में बुलाया और उसे पूरी कहानी सुना दी। महात्मा जी ने कहा, हे राजन! राजकुमार सूरज सिंह अब विवाह योग्य हो चुके हैं। अतः आप आसपास के राज्य में किसी सुंदर राजकुमारी से शादी करवा दो। जोकी राजकुमार के स्वप्न वाली राजकुमारी की तरह हो।
राजा उदयभान सिंह ने स्वयंवर रचा। लेकिन फिर भी राजकुमार को कोई लड़की पसंद नहीं आई। अब राजा बहुत परेशान रहने लगा था। एक दिन राजा उदयभान दूर राज्य में शाहीभोज पर जाना था। राजा ने सोचा चलो अपने राजकुमार को भी साथ ले चलते हैं। जिससे राजकुमार का थोड़ा मन भी बहल जाएगा। राजा और राजकुमार शाहीभोज में पहुँचें थे। वहाँ पर कई राज्य के राजा अपने परिवार के साथ आए थे।
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शाहीभोज चल रहा था कि किसी राज्य की सेना ने उसके राज्य के ऊपर आक्रमण कर दिया। इस बात की खबर सबसे पहले उसे राज्य के “राजकुमारी भावना प्रातप सिंह” को लग गई। उसने बिना किसी से बताए अपनी सेना लेकर युद्ध करने लगी। कुछ समय बाद आए हुए सभी मेहमानों को पता चल गया कि इस राज्य के ऊपर किसी अन्य राज्य की सेना ने आक्रमण कर दिया हैं।
सभी मेहमान महल की छत से देखा की राजकुमारी भावना प्रताप सिंह और राजा सूरज प्रातप सिंह अकेले युद्ध लड़ रहे थे। दोनों मिलकर सेना को परास्त कर दिया। लेकिन अचानक राजकुमारी भावना प्रताप सिंह के कंधे पर एक तीर लग गई। राजकुमार सूरज प्रताप ने राजकुमारी भावना को अपने कंधे पर उठाकर घोड़े से महल में आ गए।
राजकुमारी, सूरज प्रातप सिंह को देख उनके प्यार में डूब गई। उसी समय उसे अपना दिल दे बैठी। इस तरह से राजा उदयभान सिंह के राजकुमार को सपनों की राजकुमारी मिल गई जोकी हू-बहू उसके सपने में आई राजकुमारी के समान थी।
2. राजकुमारी और सुनहरी चिड़िया:

राजा बलबीर सिंह के एकलौती बेटी का नाम राजकुमारी कल्याणी सिंह था। वह बहुत ऊर्जावान और साहसी थी। वह अपने पिता के साथ कई युद्ध लड़ चुकी थी। एक दिन राजकुमारी कल्याणी सिंह अपने महल के उपवन में टहल रही थी। वह उपवन बहुत ज्यादा खूबसूरत था। उस उपवन में अनेकों तरह के फल-फूल लगे थे। राजकुमारी कल्याणी ने देखा की एक पक्षी जिसके पंख सुनहरे रंग के थे। वह महल में लगे सेब को तोड़कर उड गई।
राजकुमारी कल्याणी ऐसा पक्षी पहली बार देखी थी। उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि इस दुनिया में ऐसे भी पक्षी होते हैं। राजकुमारी पूरी रात नहीं सो सकी वह उसी पक्षी के बारें में ही सोचती रही। अगले दिन राजकुमारी अपनी सेना के साथ घोड़े पर सवार होकर उस पक्षी का इंतजार करने लगी। दोपहर होते ही वह पक्षी फिर उपवन में आई। वह सेब लेकर उड गई। राजकुमारी कल्याणी उस चिड़िया का पीछा करने लगी।
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चिडिया उड़ते-उड़ते किसी और राज्य में जा पहुंची। राजकुमारी को विश्वास था कि वहाँ पर ऐसी और चिड़िया होंगी। लेकिन वहाँ पर इस तरह की कोई और चिड़िया नहीं थी। उस राज्य में पहुंचते ही चिड़िया अपने स्वर में आवाज लगाने लगी। जिससे उस राज्य के सैनिक पूरी सेना लेकर बाहर आ गए। राजकुमारी कल्याणी पूरी तरह से सैनिकों से घिर गई। उनके साथ कम सैनिक थे।
राजकुमारी ने उने सैनिकों से लड़ाई शुरू कर दी। उसने सारे सैनिकों को मार गिराया। युद्ध समाप्त हुआ, वह चिड़िया उड़कर राजकुमारी के कंधे पर आकर बैठ गई। उसने कहा, “आज से मैं आपकी दासी हूँ।” अभी तक मैं इस राज्य के राजा की दासी थी। मुझे पाने के लिए न जाने कितने युद्ध हुए हैं। जो युद्ध में विजयी होता हैं मैं उसी के साथ रहती हूँ।
राजकुमारी कल्याणी और चिड़िया अपने राज्य में वापस लौट आए। राजकुमारी चिड़िया के लिए अच्छे-अच्छे खाने-पीने का इंतजाम किया। अब वह राजकुमारी के साथ रहने लगी। उस चिड़िया की एक बहुत अच्छी खशियत थी की कोई भी आपदा आने से पहले उसे अंदेशा हो जाता था। जिससे वह राजकुमारी को सतर्क कर देती थी। इस तरह राजकुमारी और चिड़िया दोनों बहुत गहरे दोस्त बन गए।
3. गाँव को ढकने वाला जादुई छाता:

सुखपालपुर नाम का एक बहुत ही सुखी और समृद्ध गाँव था। उस गाँव में लगभग पच्चीस से तीस घर थे। उस गाँव के लोग बहुत ही ईमानदार और नेक इंसान थे। वे हमेशा एक दूसरे के सुख-दुख में काम आते थे। उस गाँव में न तो कभी सुखा पड़ता था और न ही कभी बाढ़ आती थी। उसी गाँव में हरी नाम का एक धोबी रहता था। उसके घर में उसकी पत्नी और एक बेटी रहती थी, जिसका नाम मायरा था।
धोबी की बेटी मायरा बहुत ही चतुर और होशियार थी। एक दिन उसने सपना देखा कि उसके गाँव को लूटने के लिए आज रात कुछ डाकू आने वाले हैं। सुबह उठकर उसने अपने स्वप्न को अपने पिता से बता दी। उसके पिता ने यह बात पूरे गाँव में फैला दी। कुछ लोगों ने उसके ऊपर विश्वास नहीं किया। उन्होंने कहा, क्या सपना कभी सच होता हैं।
कुछ लोग हरी की बातें मानकर रात में डाकुओं को पकड़ने की तैयारी कर ली। जब रात में सब सो गए तो डाकुओं का गिरोह उस गाँव में घुसने वाला ही था कि गाँव वालों के बिछाए जाल में डाकु फँस गए। गाँव वाले उन्हें पकड़कर पेड़ से बांध दिया। सुबह होते ही गाँव के मुखिया ने एक पंचायत जुटाई। उन्होंने कहा, डाकुओं को पकड़वाने का सुझाव मायरा ने दिया हैं। इसे सजा भी मायरा देगी।
मायरा ने डाकुओं को सजा सुनाते हुए कहा, “इन डाकुओं से पूरे गाँव की गंदगी, नाली, स्कूल और पंचायतघर साफ कराएंगे। इसके अलावा इन्हें गाँव में एक तालाब खोदने के लिए कहा जाए। जिसमें बारिश का पानी इकट्ठा हो सके।” गाँव के मुखिया और सभी लोगों को मायरा की सजा सुनकर बहुत खुश हुए। मुखिया जी डाकुओं को काम पर लगा दिया। इस तरह डाकुओं को एक सीख मिली, उन्होंने दुबारा चोरी करना छोड़ दिया।
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कुछ दिन बाद मायरा ने एक बार फिर सपना देखी की उसके गाँव में लगातार कई दिनों तक बारिश होने वाली हैं। जिसके कारण उसका पूरा गाँव बाढ़ के पानी में डूब जाएगा। उसने फिर से अपने स्वप्न को अपने पिता से बताया। उसके पिता ने यह बात पूरे गाँव में फैला दी। गाँव के लोगों ने एक पंचायत बुलाई सभी परेशान थे कि कैसे किया जाए की गाँव को डूबने से बचाया जा सके।
सभी ने कहा, इस गाँव को डूबने से मायरा ही बचा सकती हैं। सभी ने मायरा से कहा, “बेटी तुम ही इस गाँव को बचा सकती हो।” कुछ करो बेटी। मायरा ने गाँव वालों को विश्वास दिलाया कि वह कोई न कोई रास्ता जरूर निकाल लेगी। उसी रात मायरा ने सपना देखा कि उसके हाथ में एक जादुई छाता हैं। जिससे वह पूरे गाँव को ढक दी हैं। बारिश का पानी गाँव से बाहर चला गया पूरा गाँव बाढ़ से डूबने से बच गया।
अगले दिन मायरा बाजार से एक छाता ले आई। उसने उसे खोला तो वह पूरे गाँव को ढक दिया। अचानक तेज गरज-और चमक के साथ बारिश शुरू हो गई। मायरा ने उस छाते से पूरे गाँव को ढककर बचा लिया। इस तरह से उस गाँव के लोग मायरा को अपने गाँव की परी मनने लगे।
4. जादुई लोटा:

किसी गाँव में दूधनाथ नाम का एक गरीब व्यक्ति रहता था। वह लोगों के घर जा-जा कर भिक्षा माँगा करता था। किसी तरह से वह अपने परिवार का पालन-पोषण करता था। लेकिन दूधनाथ का दिल बहुत बडा था। उसके द्वार पर जो भी आता था, उसे वह बिना कुछ खिलाए जाने नहीं देता था। एक दिन शाम को दूधनाथ अपने हाथ-पैर धुलकर खाना खाने जा रहा था। अचानक दूधनाथ के घर पर एक साधु महात्मा आए। वह कई दिनों से भूखे थे। उसने दूधनाथ से कहा, “क्या इस महात्मा को कुछ खाने को मिलेगा।”
दूधनाथ बिना कुछ सोचे खाने की थाली उस महात्मा को दे दिया। महात्मा जी ने बड़े चाव से भोजन ग्रहण किए। दूधनाथ भिक्षा की तलाश में फिर से निकल गया। लेकिन उस दिन उसे किसी ने कुछ नहीं दिया। शाम होने को आ चुकी थी। उसे जोरों की भूख लगी थी। वह निराश मन से वापस अपने घर को जा रहा था। रास्ते में अचानक उसे वही साधु महात्मा फिर से मिले। दूधनाथ ने सोचा अभी तो मेरे पास कुछ नहीं हैं अगर साधु महात्मा कुछ मांगेंगे तो मैं उन्हें क्या दूंगा।
महात्मा जी दूधनाथ के मन में चल रहे विचार को पढ़ लिए। महात्मा जी ने दूधनाथ को रोककर कहा, “हे मानव मैं तुम्हारे सेवा भवना से खुश हूँ। उन्होंने दूधनाथ को एक लोट देते हुए कहा, “तुम जो भी चाहते हो इस लोटे के ऊपर हाथ रखकर मांग सकते हो।” यह तुम्हें सब कुछ देगा। लेकिन ध्यान रहे इस लोटे का अनर्थक उपयोग मत करना।
दूधनाथ उस लोटे को लेकर घर चला गया। महात्मा जी के बताएनुसार उसने उस लोटे से खाने के लिए कुछ माँगा, देखते-ही-देखते उसकी मांग पूरी हो गई। इस तरह से जब भी वह भिक्षा नहीं पाता था उसी लोटे से खाने को माँगता थ। एक बार उसके गाँव में अकाल पड़ गया किसी के पास खाने-पीने सामग्री नही थी। लोग परेशान रहने लगे। उसने पूरे गाँव में खबर फैला दी कि जब तक नई फसल नहीं आ जाती, मैं पूरे गाँव के खाने का बंदोबस्त करूंगा।
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गाँव वाले सोच में पड़ गए जो इंसान हम लोगों से खाने को माँगता था। वह आज हम लोग के खाने की व्यवस्था कर रहा हैं। ऐसा कैसे हो सकता हैं। दूधनाथ महात्मा के दिए हुए लोटे से पूरे गाँव के लोगों को भोजन कराता था। एक दिन महात्मा जी भी भोजन करने के लिए आए। उन्हें देख दूधनाथ नतमस्तक हो गया। महात्मा जी ने कहा, “दूधनाथ तुम बहुत अच्छा कार्य कर रहे हो। ऐसे करते रहो। इस तरह दूधनाथ एक दिन उस गाँव का सबसे बड़ा दानी व्यक्ति बन गया।
5. जादुई छड़ी और राजकुमारी:

किसी राज्य में “वसुन्धरा” नाम की एक राजकुमारी रहती थी। उसे अपनी दादी से बहुत लगाव था। उसकी दादी उसे परियों की कहानियाँ सुनाया करती थी। जिसे वह बहुत ध्यान से सुना करती थी। कुछ समय बाद उसके दादी की मृत्यु हो गई। राजकुमारी अब अकेले रहने लगी। एक दिन उसे याद आया कि मेरी दादी ने एक कहानी सुनाई थी जिसमें एक जादुई छड़ी हवा में हिलाने से मरे हुए व्यक्ति वापस आ जाते हैं।
राजकुमारी उस जादुई छड़ी की खोज में निकल पड़ी। जादुई छड़ी खोजते-खोजते कई दिन हो गए। लेकिन अभी तक उसे वह छड़ी नही मिली। वह उदास होकर अपने महल को जा रही थी। अचानक उसने जंगल के रास्ते में एक झोपड़ी देखी। उस झोपड़ी के सामने एक बच्ची खेल रही थी। जिसके हाथ में एक जादुई छड़ी थी। उसे देख राजकुमारी वसुन्धरा अपने काफिले को झोपड़ी के सामने रोका।
उसने बच्ची से छड़ी मांगी। बच्ची ने राजकुमारी को वह छड़ी दे दी। उसे लेकर राजकुमारी वसुन्धरा अपने महल में आ गई। उसने ठीक बारह बजे रात में मन में इच्छाएं लिए हुए छड़ी को आसमान की तरफ हिलाते हुए कहा, “अबी-डबी-सबी-छू, दादी प्रकट हो” इतना कहते ही उसे एक भूतनी चुड़ैल सामने दिखी। उसने राजकुमारी के ऊपर हमला कर दिया। जिससे राजकुमारी जमीन में गिर गई। और उसका जादुई छड़ी टूट गई।
राजकुमारी बहुत बहादूर थी, उसने उस चुड़ैल का डटकर सामना किया। लेकिन वह चुड़ैल जाने का नाम नहीं ले रही थी। राजकुमारी ने अपने कमरे से छलांग लगाते हुए अपने घोड़े पर जा बैठी। घोड़े से कहा, “चल चेतक जंगल की तरफ।” राजकुमारी वसुन्धरा उसी झोपड़ी के पास पहुच गई जहाँ उसे वह छड़ी मिली थी। उसने झोपड़ी के अंदर देखा तो वह बच्ची सो रही थी। उस झोपड़ी में और कोई नहीं था।
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राजकुमारी ने उस बच्ची की उठाते हुए उससे पूछा, “तुम्हें वह छड़ी कहाँ मिली थी। बच्ची राजकुमारी की लेकर एक गुफा में गई।” वहाँ पर रखी हुई जादुई छड़ी दिखाई। राजकुमारी ने उस जादुई छड़ी को लेकर जैसे ही बाहर आई उसे कई दानव घेर लिए। फिर से उसने जादुई मंत्र पढ़ा और छड़ी को हवा में हिला दिया। राजकुमारी के सामने एक जिन्न प्रकट हुआ उसने कहा, “आपकी ख़्वाहिश मेरा हुक्म हैं”
राजकुमारी ने दानव को मरने का हुक्म दे दिया। जिन्न सभी दानव को मर डाला। राजकुमारी जादुई छड़ी लेकर अपने महल को चली गई। महल पहुंचकर उसकी मुलाकात फिर से उसी चुड़ैल से हुई। राजकुमारी ने जादुई मंत्र पढ़ फिर से जिन्न प्रकट हुआ, उसने कहा आपकी “आपकी ख़्वाहिश मेरा हुक्म हैं” राजकुमारी ने चुड़ैल को मरने का आदेश दे दिया।
चुड़ैल राजकुमारी की दादी के रूप में आ गई। राजकुमारी अपने दादी को पकड़कर बोली दादी आप मुझे छोड़कर नहीं जा सकती। आप मुझे कहानी सुनाओ। दादी ने कहा, “हम सभी को एक दिन जाना हैं।” किसी को आज तो किसी को कल। अगर तुम्हें कहानी सुनना हैं तो इस जादुई छड़ी से कहानी सुन सकती हो। इतना कहते ही दादी गायब हो गई।