रामपुर गाँव में एक गरीब ब्राम्हण अपनी पत्नी के साथ रहता था। उसकी पत्नी बहुत लालची, कंजूस और गुस्सैल थी। पंडित अपना घर चलाने के लिए प्रतिदिन दूर-दूर तक के गाँवों में पूजा-पाठ कराने जाया करता था। जिससे उसे कुछ पैसे तथा आटा, चावल मिल जाता था। पूरे दिन कमाए पैसों को वह शाम को अपनी पत्नी को दे देता था। जिससे उसकी पत्नी घर चलाती थी और थोड़े-थोड़े पैसे की बचत भी करती थी।
एक दिन पंडित को गाँवों में घूमते-घूमते सुबह से शाम हो गई। लेकिन, उसे पूजा सुनने वाला कोई जजमान नहीं मिला। जिसके कारण पंडित को शाम को खाली हाथ ही वापस लौटना पड़ा। पंडित घर आकर देखता हैं कि पंडितानी आँगन में झाड़ू लगा रही होती हैं। वह अपने पतिदेव को खाली हाथ देखकर गुस्से से लाल-पीली हो गई।
उसने आव देखा न ताव, झाड़ू से पंडित की पिटाई करना शुरू कर दी। अब पंडितजी के ऊपर दे दनादन झाड़ू पड़ रही थी। जिसके कारण वह गोल-गोल घूम रहे थे। मौका पाते ही पंडित जी भाग निकले। लेकिन पंडितानी भी झाड़ू लेकर उनके पीछे लग गई। पंडित भागकर एक नीम के पेड़ पर चढ़ने लगे।
पंडितानी का गुस्सा अब भी ठंडा नहीं हुआ था। उसने नीम के पेड़ पर ही आठ-दस झाड़ू जमा दिए। पंडितजी अपनी जान बचाते हुए नीम के पेड़ से नीचे उतरकर और आगे भागने लगे। उसी नीम पर एक भूत रहता था। झाड़ू की मार देखकर, वह भी पंडित के पीछे भागने लगा। पंडित जी ने अपने पीछे किसी को आते देखकर, वह और जोर-जोर से भागना शुरू कर दिए।

कुछ दूर आगे जाने के बाद भूत जब उनके नजदीक पहुँच गया तो पंडितजी रुक गए। भूत बोला, “डरो मत पंडितजी, मैं भी उस झाड़ू वाली के डर से भाग रहा हूँ। चलो हम तुम साथ चले।” रास्ते में ब्राम्हण ने भूत को अपनी गरीबी की कहानी सुनाई। भूत ने उसे बड़ा आदमी बनने की तरकीब बताई। भूत ने कहा की वह ‘अमीर घर के लड़कों के ऊपर सवार हो जाएगा।’ पंडितजी झूठमूठ की झंड-फूंक करेंगे, तो वह उन्हें छोड़ देगा।
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इस तरह से पंडित जी देखते-देखते अपने आसपास के कई गाँवों में सबसे अमीर आदमी बन गए। लेकिन भूत का रहस्य उन्होंने अभी तक किसी को नहीं बताया था। इस तरह से पंडित जी कुछ दिनों में झाड़-फूंक करने के लिए बहुत मशहूर हो गए। लेकिन, कहाँ किसी को पता था कि पंडितजी बिल्कुल मूर्ख हैं और यह सब भूत का फैलाया हुआ जाल था।
एक दिन भूत ने कहा, पंडितजी तुमने अब बहुत सारा धन कमा लिया हैं। तुम अब मेरा साथ छोड़ो, मैं अपने दादा के गाँव जा रहा हूँ। लेकिन, तुम एक बात हमेशा ध्यान रखना कि अब मैं किसी के ऊपर सवार हूँगा तो तुम वहाँ मत आना। भूत की बात पंडित को थोड़ा अटपटी लग रही थी। लेकिन, पंडित भूत से डरता था। इसलिए, उसने उसकी हाँ में हाँ मिला लिया और भूत पंडित के घर से चला गया।

रास्ते में उसे घोड़े पर सवार राजकुमार दिखाई दिया। भूत बिना सोचे-समझे राजकुमार के ऊपर सवार हो गया। राजकुमार किसी तरह से गिरते-पड़ते अपने महल पहुंचा। उसकी हालत देख सभी दरबारी उसे उठा कर उसके विश्रामकक्ष में ले गए। राजा अपने बेटे को ठीक करने के लिए बड़े-से-बड़े बैद्य और झाड़-फूंक करने वालों को बुलाते हैं। लेकिन, राजकुमार की तबीयत में कुछ सुधार नहीं होता हैं।
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किसी मंत्री के कहने पर राजा पंडितजी को बुलावा भेजते हैं। पंडित दरबारियों की बात सुनकर समझ जाते हैं कि राजा के बेटे के ऊपर वही भूत सवार हैं। लेकिन, पंडित राजा के दरबारियों को मना भी नहीं कर सकता था। उसने अपना दिमाग चलाया और जब वह राजा के बेटे के पास पहुँचा। पंडित को देख भूत आग-बबूला हो गया। उसने डांटते हुए कहा- “तुम्हें मैंने मना किया था फिर भी तुम यहाँ आ गए”
पंडित ने हिम्मत से काम लिया और कहा- “नाराज मत हो मेरे भाई, मैं तुमसे कुछ बात कहने आया हूँ। पंडित जी ने उसके कान में कहा- भाई वह झाड़ू वाली औरत यहाँ भी पहुँच गई हैं। पंडित की बातों को सुनते ही भूत ने कहा- “अरे बाप रे! बाप, भागो! वह राजकुमार को छोड़कर भाग निकला। इस तरह से कहा जाने लगा कि मार के आगे भूत भागे।”