दो दोस्तों की कहानी:
एक समय की बात हैं, चेतपुर नामक गाँव में दो दोस्त सुधीर और रोहित रहते थे। दोनों में बहुत गहरी दोस्ती थी। सुधीर एक गरीब परिवार से था। जबकि, उसका दोस्त रोहित उस गाँव के सबसे अमिर परिवार से था। रोहित की मुलाकात सुधीर से पहली बार स्कूल के रास्ते में हुई थी। उस दिन रोहित साइकिल से अपने स्कूल जा रहा था। जबकि, सुधीर अपने घर का खर्च चलाने के लिए रेलवे स्टेशन पर मजदूरी करने पैदल जा रहा था। तभी, रोहित ने अपनी साइकिल उसके पास रोकी और उससे पूछा आप कहाँ जा रहे हो?
सुधीर ने बड़े हल्के मन से जबाब दिया मैं रेलवे स्टेशन पर मजदूरी करने के लिए जा रहा हूँ। सुधीर की बात सुनकर वह आश्चर्यचकित हो गया। रोहित ने दुबारा से उससे पूछा क्या आप स्कूल नहीं जाते हो। सुधीर ने जबाब दिया मेरी पढ़ाई शाम को काम से लौटने के बाद मेरी माँ कराती हैं। क्योंकि, मेरे पास स्कूल की फीस भरने के लिए पैसे नहीं हैं। अगर मैं स्कूल जाऊंगा तो मेरे घर का खर्च कैसे चलेगा। मेरी माँ की दवा के लिए पैसे कहाँ से आएंगे। इसलिए, मैं पूरे दिन मजदूरी करता हूँ।
रोहित ने सुधीर की मदद की:
उसकी बातें सुन रोहित बहुत भावुक हो गया। शाम को जब वह स्कूल से अपने घर आया तो वह बिना किसी से बात किए हुए अपने कमरे में चला गया और वहाँ बैठकर सोचने लगा। मेरी तरह ही सुधीर भी हैं। लेकिन, उसके पास पैसे की कमी होने के कारण वह पढ़ाई नहीं कर पा रहा हैं। हम कैसे उसकी मदद कर सकते हैं। इस तरह से वह सुधीर के बारें में पूरी रात सोचता रहा। अगले दिन सुबह रोहित अपने पास रखे कुछ पैसों को लेकर सुधीर के पास गया और उससे बोलने लगा “देखो सुधीर तुम्हारी यह उम्र पढ़ने की हैं।”

मेरी तरह ही आपकों भी पढ़ने का अधिकार हैं। मैं समझ सकता हूँ कि आप पैसे की कमी की वजह से पढ़ाई नहीं कर पा रहे हो। आप मेरे साथ स्कूल चलो, मैं आपकी पढ़ाई में मदद करूंगा। सुधीर ने कहा आप मेरी पढ़ाई का खर्च उठा लोगे। लेकिन, मेरी और मेरी माँ के खाने-पीने की व्यवस्था कहाँ से हो पाएगी। रोहित ने कहा अगर आप मुझे अपना बड़ा भाई मानते हो तो हम दोनों मिलकर आपके घर के खर्च को चलाने की व्यवस्था भी कर लेंगे।
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इस तरह से सुधीर रोहित के साथ स्कूल जाने के लिए तैयार हो गया। अगले दिन सुबह रोहित, सुधीर के पास आता हैं और उसे अपने साथ लेकर स्कूल जाता हैं। स्कूल पहुँचकर रोहित अपने प्रिंसपल से सुधीर को मिलवाता हैं और उसके बारें में सारी बातें बताता हैं। प्रिंसपल रोहित की बातें सुन, सुधीर का दाखिला बिना पैसे के कर लेता हैं। इसके साथ-साथ प्रिंसपल ने सुधीर के लिए हर साल मुफ़्त किताबें तथा स्कूल ड्रेस देने का वादा भी किया। जबकि, सुधीर की माँ को स्कूल में नौकरी भी दे दी।
सुधीर भी स्कूल जाने लगा:
अब प्रतिदिन रोहित अपने घर से साइकिल लेकर सुधीर के घर पर आता और दोनों साथ स्कूल जाते। रोहित अपने घर से अच्छी-अच्छी चीज खाने के लिए लाता था। जिसे दोनों मिलकर खाते और खुश रहते। एक दिन रोहित के पिता को सुधीर और रोहित की दोस्ती के बारें में पता चला। रोहित के द्वारा सुधीर के लिए उठाए कदम को लेकर रोहित के पिता ने उसकी बहुत सराहना की। इसके अलावा, उसके पिता ने रोहित और सुधीर के लिए नई साइकिल भी दिलाई।
इस तरह से दोनों अपनी पढ़ाई मेहनत और लगन के साथ करने लगे। जिसकी वजह से दोनों अपने स्कूल में सबसे उच्चतम स्थान हासिल करते थे। इस प्रकार से दोनों की पढ़ाई पूरी हो चुकी थी। अचानक एक दिन सुधीर की माँ की मृत्यु हो जाती हैं। यह सदमा सुधीर बर्दाश नहीं कर पाता हैं। क्योंकि, उसकी जिंदगी में उसके माँ के अलावा उसका कोई नहीं था। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अब वह क्या करें? उसी शाम वह बिना किसी से बताए हुए किसी ट्रेन में बैठ एक शहर में पहुंच जाता हैं। जहाँ पर कुछ दिन इधर-उधर भटका तथा ठोकरे खाया।
सुधीर को नई दिशा मिल गई:
एक दिन वह किसी फूटपाथ पर एक पेपर बिछाकर सोया हुआ था। सुबह उठा तो उसी जगह पर बैठ कर कुछ सोच रहा था। तभी अचानक से उसकी निगाह उसी पेपर में छपी एक नौकरी के लिए मांगे गए आवेदन पर पड़ी। जिसके लिए सुधीर के पास योग्यता भी थी। सुधीर ने सोचा क्यों न मैं इस नौकरी की तैयारी करू। उसने आवेदन फार्म को भरा और उस नौकरी की तैयारी में जी जान से जुट गया। जबकि, अपने खर्च चलाने के लिए कही पर दो घंटे काम करना भी शुरू कर दिया। इसके साथ-साथ बाकी समय अपनी पढ़ाई में देने लगा।
इस तरह से एक दिन उसने उस परीक्षा को पास भी कर लिया जिससे वह अपने जिले का अधिकारी भी बन गया। उसे देख पूरे गाँव में खुशी का माहौल बन गया। सभी सुधीर की मेहनत और सफलता से बहुत खुश थे। एक दिन उसका दोस्त रोहित उससे मिलने आया, दोनों एक दूसरे से मिलकर बहुत खुश हुए। सुधीर ने अपने दोस्त रोहित का बहुत आभार जाताया कि मेरी सफलता में आपका बहुत बड़ा योगदान हैं।
नैतिक शिक्षा:
अगर समस्या हैं तो उसका समाधान भी हैं। हर किसी के जीवन में उतार-चढाव आते हैं। बस हमें अपने आप पर भरोसा रखना चाहिए। हमेशा सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ना चाहिए।