5 Moral Tales in Hindi – नैतिक कहानियाँ इन हिन्दी

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नैतिक कहानियों का प्रमुख उद्देश कहानी से मिलने वाली प्रेरणा को आसानी से समझना होता हैं। इसलिए, कहानीज़ोन के इस लेख में आज हम प्रेरणा और मनोरंजन से भरपूर 5 moral tales in hindi में देखेंगे। जोकि, निम्नलिखित प्रकार से हैं।

1. सोने का अंडा देने वाली मुर्गी:

अकबरपुर गाँव में झुरी नाम का एक धोबी रहता था। झुरी लोगों के कपड़े धुलकर अपना जीवन यापन करता था। एक दिन झुरी बीमार पड़ गया। उसके पास अब पैसों की तंगी आना शुरू हो चुकी थी। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह अपने घर का खर्च कैसे चलाए? एक दिन उसके दिमाग में एक विचार आया कि क्यों न कुछ मुर्गे और मुर्गियों को पाल लिया जाए जिससे कुछ कमाई का जरिया हो जाएगा।

अगले दिन झुरी बाजार से कुछ मुर्गे और मुर्गियाँ ले आया। उसी रात एक मुर्गी ने सोने का एक अंडा दिया। सुबह झुरी और उसकी पत्नी अंडे को देख आश्चर्यचकित रह गए। उसके अगले दिन मुर्गी ने फिर एक सोने का अंडा दिया। अब झुरी की पत्नी खुशी के मारे समा नहीं रही थी। वह मुर्गी प्रतिदिन एक सोने का अंडा देती रही।

एक दिन झुरी की पत्नी ने अपने पति से कहा, “इस तरह एक-एक अंडे कब तक हम एकट्ठा करते रहेंगे। क्यों न हम इसका पेट फाड़ कर सारे अंडे निकाल ले”? उसने अपने पति को मुर्गी का पेट फाड़ने के लिए कहा। झुरी ने मुर्गी का पेट फाड़ दिया। उसे मुर्गी के पेट में कुछ भी नहीं मिला। इस प्रकार से मुर्गी की मृत्यु हो गई।

नैतिक शिक्षा:

जल्दी और ज्यादा लालच के चक्कर में आया हुआ धन भी चला जाता हैं।

2. अपनी ताकत की पहचान:

मयंक के पिता कुली का काम करते थे। एक दिन उनकी तबीयत खराब हो गई। अब वे स्टेशन नहीं जा सकते थे। मयंक के घर में पैसों की तंगी आने लगी। एक दिन मयंक ने सोचा, “चलो मैं ही स्टेशन जाकर कुछ पैसे काम कर लाता हूँ”। अगले दिन से मयंक स्टेशन पर कुली का काम करने जाने लगा। एक दिन मयंक स्टेशन पर गाड़ी आने के इंतजार में बैठा था। वहीं पास में एक बुजुर्ग व्यक्ति भी आने वाली ट्रेन की प्रतीक्षा कर रहे थे।

बुजुर्ग व्यक्ति ने मयंक को अकेला बैठा देख, उसे अपने पास बुलाकर पूछा, “तुम इतनी छोटी उम्र में कुली का काम क्यों कर रहे हो? मयंक ने अपने घर की हालत के बारे में बुजुर्ग व्यक्ति को बताया।” बुजुर्ग व्यक्ति ने कहा- “अपने पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए अगर कल को तुम्हें भी कुछ हो गया, तो तुम्हारे घर का खर्च कैसे चलेगा?”

बूढ़े व्यक्ति ने मयंक को समझाते हुए कहा- “एक बार एक बाज का अंडा मुर्गी के अंडे से मिल गया। जब उसमें से चूजा निकला और बड़ा हुआ तो उसने एक दिन देखा कि आसमान में एक बाज उड़ रहा हैं। उसने अपनी माँ से पूंछा कि आसमान में कौन उड़ रहा हैं। उसकी माँ उसे समझाती हैं की वह बाज हैं। हम उनकी तरह नहीं उड़ सकते।

वह पक्षियों का राजा हैं। इस तरह वह बाज का बच्चा पूरे जीवन मुर्गों की तरह जीवन जीता रहा। एक दिन उसकी मृत्यु हो जाती हैं। ठीक इसी प्रकार हम लोगों में बाज की तरह ही कई गुण होते हैं, जिन्हे हम पहचान नहीं पाते। अगर बाज की तरह आसमान में उड़ना चाहते हो तो मुर्गों का साथ छोड़ना पड़ेगा।

नैतिक शिक्षा:

अपनी ताकत को पहचानो उसे अपना हथियार बनाकर जीवन में आगे बढ़ो, एक दिन सफलता जरूर मिलेगी।

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3. निरंतर प्रयास का महत्त्व:

मोहित पढ़ने में कमजोर इसलिए था कि वह अपने आपको कमजोर मानता था। वह किसी भी किताब को पढ़ने को कोशिश करता लेकिन, वह उसे याद नहीं कर पाता था। क्योंकि, वह अपने मन ही मन यह कहता था कि यह मुझे याद नहीं होगा। उसकी परीक्षा नजदीक थी। अब वह परेशान हो रहा था कि वह परीक्षा में क्या लिखेगा उसे कुछ आता भी नहीं हैं।

एक दिन मोहित अपने कमरे में पूरी रात चिंता के कारण सो नहीं पा रहा था। रात के दो बजे अचानक उसके कमरे की लाइट जलती देख उसकी माँ ने उसके कमरे में जाकर देखा कि मोहित बेड पर बैठकर रो रहा था। माँ ने मोहित से उसके रोने का कारण पूछा। मोहित अपनी पढ़ाई के बारें में बताता हैं कि उसे कुछ याद नहीं हो रहा हैं। एक सप्ताह बाद उसकी परीक्षा शुरू है।

उसकी माँ उसे समझाती हैं- बेटा! “मजबूत आत्मविश्वास, मेहनत और लगन, सफलता की कुंजी होती हैं”। अगर रस्सी पत्थर को बार-बार घिसे तो पत्थर पर निशान बना देती हैं। ठीक इसीप्रकार अगर पानी एक ही स्थान पर बार बार गिरे तो वहाँ सुराग बना देती हैं। इसलिए, अपने पूरे आत्मविश्वास के साथ अपनी किताबों को बार-बार पढ़ो, देखो तुम्हें अपने आप सब कुछ याद हो जाएगा।

नैतिक सीख:

मजबूत आत्मविश्वास, कड़ी मेहनत और लगन से कुछ भी प्राप्त करना संभव हैं।

4. मेंढ़क का दिखावा:

किसी तालाब में कई सारे मेंढ़क रहते थे। उसी तालाब में कीकू नाम का एक मेंढ़क रहता था। जोकि, अपने आप को बहुत बुद्धिमान और सर्वज्ञाता समझता था। मेंढकों की जब भी कोई सभा होती थी वह सबके सामने अपने आपको वक्ता के रूप में प्रदर्शित करता था। उस मेंढ़क के कुछ चापलूस साथी भी थे जो बात-बात में उसकी वाह-वाही करते थे।

एक दिन उसी तालाब में कुछ भैंसें नहाने के लिए आई उनके पैरों तले कुछ मेंढ़क दबकर मर गए। उसी दिन सभी मेंढ़क एक जगह एकत्र होकर मौन धारण किए हुए थे कि अचानक कही से कीकू मेंढ़क आ गया। उसने कहा हमें शोक मनाने से कुछ नहीं मिलेगा। तुम लोग बताओ वह कौन था और कैसा था। जिससे हम निपटने का कुछ प्लान बना सके।

तभी एक मेंढ़क ने अपने दोनों हाथ फैलाकर बताया उसका शरीर बहुत बड़ा था। कीकू मेंढ़क ने थोड़ा अपना पेट फुलाया और पूछा इतना बड़ा था? फिर और मेंढ़को ने कहा- नहीं! और बड़ा था। कीकू फिर से अपना पेट फुलाता हैं और पूछता हैं इतना बड़ा था? सारें मेंढकों ने कहा- नहीं! इस तरह कीकू कई बार अपने पेट को फुलाते हुए बड़ा किए जा रहा था अचानक उसका पेट फट गया और उसकी मृत्यु हो गई।

नैतिक सीख:

दिखावे के चक्कर में अपने अस्तित्व को नहीं भूलना चाहिए।

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5. कुत्ता और हड्डी:

किसी जंगल में कुत्ते को एक हड्डी मिल गई। वह उसे अपने घर आकर खाना चाहता था। कुत्ता तुरंत हड्डी लेकर अपने घर की तरफ आ रहा था। रास्ते में नदी पर बने लकड़ी के पुल से होकर आना था। पुल के बीचों बीच आकर नदी के पानी में अपनी परछाई देखी। उसे लगा क्यों न मैं इस कुत्ते से इसकी हड्डी छीन लूँ।

कुत्ता बिना सोचे समझे नदी में कूद पड़ा, नदी के पानी का बहाव होने के कारण वह बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचाते-बचाते किनारे लगा। ज्यादा लालच के चक्कर में उसके हाथ आई हुई हड्डी भी चली गई। अब वह उदास होकर सोचने लगा कि लालच बुरी बला हैं।

नैतिक सीख:

ज्यादा लालच नुकसानदायक होता हैं।

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