1. बुद्धिमान किसान की चतुराई – The cleverness of a wise farmer:
रहमत नगर में माधो नाम का एक किसान रहता था। उसके पास कई सारे खेत थे। लेकिन, उसका खेत पहाड़ी क्षेत्र में होने के कारण वहाँ सिंचाई के लिए नदी का पानी नहीं पहुँच पता था। जिसके कारण उसे बारिश पर निर्भर रहना पड़ता था। कभी-कभी बारिश न होने की वजह से उसके खेतों में लगी फसल सूख जाती थी।
माधो अक्सर सोचा करता था कि वह अपने उन खेतों को बेचकर कहीं अच्छी और उपजाऊ खेत खरीद ले। लेकिन, उसके खेतों की कोई अच्छी कीमत नहीं दे रहा था। एक दिन माधो अपने खेतों को देखकर वापस घर को जा रहा था। बीच रास्ते में उसने एक खेत में एक बौने को खुदाई करते हुए देखा। उसने बौने से पूछा क्यों भाई! यहाँ पर खुदाई क्यों कर रहे हो। बौना बहुत चालाक था।
उसने एक पोटली में कुछ कंकड़ डालकर एक सोने का सिक्का डाल दिया था। बौना ने उस पोटली को किसान को दिखाते हुए कहा – “इस पूरे खेत में इस तरह की बहुत सारी पोटली हैं। किसान को लालच आ गया। उसने बौने से कहा – “इस रहस्य के बारें में अब मुझे भी पता हो गया हैं तो अब इस खजाने का हकदार मैं भी हूँ।
बौने ने कहा – हाँ, हाँ क्यों नहीं इसके पहले कोई तीसरा व्यक्ति आए हम दोनों पूरे खेत की जुताई करके सिक्कों की पोटली को निकाल लेते हैं। बौने और किसान ने मिलकर पूरे खेत की जुताई कर ली। लेकिन, उन्हें कुछ नहीं मिला। दरअसल, बौना बहुत आलसी था। वह अपना काम अकेले नहीं करना चाहता था।
किसान बुद्धिमान और चतुर था। वह बौने की सारी चतुराई समझ गया। उसने बौने से कहा – तुम्हारी गलती की भरपाई करने के लिए तुम्हें कुछ दंड भोगना पड़ेगा। अगले दो वर्षों तक जो कुछ तुम्हारे खेत में लगाया जाएगा उसका आधा हिस्सा मेरा होगा। बौना बोला – “मुझे मंजूर हैं मगर जमीन के ऊपर जो उगेगा वह सब मेरा होगा और जमीन के नीचे जो कुछ उगेगा वह तुम्हारा होगा।
किसान उसकी बात से सहमत हो गया। उसने कहा- “लेकिन, फसल मैं उगाऊँगा।” बौना बहुत आलसी था। उसने हाँ कर दी। किसान अगले दो साल तक जमीन के अंदर होने वाली फसल आलू, गाजर और मूंगफ़ली लगाई। फसल कटने के बाद बौने को सिर्फ पत्ते मिलते थे। जबकि किसान को अच्छी फसल मिलती थी। इस तरह से किसान ने बौने को सबक सिखा दिया। बौना लालच और आलस की वजह से कहीं का नहीं हुआ।
कहानी से सीख:
लालची और आलसी व्यक्ति को हर जगह धोखा ही मिलता हैं।
2. अपना घर सबसे प्यारा – My Home is the Sweetest:

किसी तालाब में तीन मछलियाँ रहती थी। उन तीनों में बहुत गहरी दोस्ती थी। वे हमेशा एक साथ खाने की खोज में जाती और जो भी मिलता उसे मिल बाँटकर खाती थी। दोपहर के समय तीनों मछलियाँ आराम कर रही थी। तीसरी मछली ने सोचा क्यों ना थोड़ा तालाब के किनारे-किनारे चक्कर लगा आती हूँ।
उसे तालाब के किनारे एक मेंढ़क दिखाई दिया जोकि एक पत्थर पर बैठ कर टर्र-टर्र कर रहा था। मछली ने कहा- “आप पूरे दिन टर्र-टर्र करते रहते हो थकते नहीं क्या?” मेंढ़क गुस्से भरे स्वर में बोला- “मैं क्यों थकूँगा, मुझे तो टर्र-टर्र करना अच्छा लगता हैं। वैसे तुम एक बात बताओ तुम पूरी उम्र एक ही तालाब में रहते-रहते बोर नहीं होती।”
मुझे देखो मैं कभी एक तालाब से दूसरे तालाब में तो कभी समुद्र तक भी घूम आता हूँ। मुझसे पूँछों यह दुनिया कितनी बड़ी हैं मुझे पता हैं। तुमने तो इस दुनिया में सिर्फ एक ही तालाब देखा हैं। मेंढ़क की बातों को सुनकर मछली उदास होकर और आगे चली गई। तभी वह एक जामुन के पेड़ के पास पहुँची।
उस पेड़ पर एक बंदर बैठा था। बंदर मामा क्या आप कुछ जामुन मेरे लिए भी गिरा दोगे ? मैं और मेरे दो दोस्त भी खा लेंगे, मछली ने कहा। बंदर ने मछली को ताना मारते हुए कहा – “तुम लोगों का जीवन बेकार हैं। तुम लोग बस एक ही तालाब में इधर उधर भटकती रहती हो।” मुझे देखो, मैं दिन भर इधर उधर छलांग लगाता रहता हूँ।
मैं प्रतिदिन खाने के लिए नई-नई चीजें खोजता हूँ। तुम लोग अपने लिए कोई नया घर क्यों नहीं खोज लेती। मछली बंदर की बातों में आ गई। उसने उस तालाब को छोड़ने के लिए मन बना लिया। वह मुँह लटकाए हुए अपने दोनों दोस्तों के पास पहुँची। उसे उदास देख दोनों मछलियों ने उसकी उदासी का कारण जानना चाहा।
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वह मछली अपने दोनों दोस्तों से कहती हैं – हम लोग एक तालाब में ही सीमित होकर मर जाएंगे। क्या हम लोगों को पता हैं। इस दुनिया के बाहर भी बड़ी दुनिया हैं। उसके दोस्त भी उस मछली के कहने पर आ गए। तीनों उस तालाब को छोड़कर एक नदी में आकर बहुत खुश हो गए। तभी, उन तीनों को एक मगरमच्छ खाने के लिए उनके पीछे पड़ गया।
बड़ी मुश्किल से जान बचाते हुए एक समुद्र में जा पहुँची। अब वे तीनों वहाँ बहुत खुश होने लगी। कुछ समय बाद उन तीनों के पीछे एक व्हेल मछली खाने के लिए पीछे पड़ गई। किसी तरह से तीनों अपनी-अपनी जान बचाकर अपने पुराने तालाब में आ गई। अब उस तालाब में तीनों आराम से रहने लगी। क्योंकि उन्हे अब पता चल गया था कि अपना घर सबसे अच्छा होता हैं।
कहानी से सीख:
किसी को देखकर या फिर किसी के कहने पर आकर लिया गया फैसला हानिकारक सिद्ध हो सकता हैं।
3. जल्दी अमिर बनने की चाहत – Desire to Become Rich Quickly:

हरीराम बीच बाजार में एक चाट-समोसे का ठेला लगाता था। उसके ठेले पर खाने वाले लोगों की भीड़ लगी रहती थी। हरीराम चाट-समोसे बेचता था। लेकिन, उसकी चाहत बहुत बड़ी थी। वह बहुत जल्द बड़ा आदमी बनना चाहता था। जिसके कारण वह ग्राहकों के साथ हेरा-फेरी भी किया करता था।
अगर कोई ग्राहक समोसे खाने से पहले उसे पैसे दे देता तो वह उसके समोसे खाने के बाद दुबारा से पैसे माँगने लगता था। यहाँ तक की वह बात-बात में लड़ाई भी कर लेता था। हरीराम का रवैया ग्राहकों के प्रति बहुत खराब था। लेकिन, बाजार में चाट-समोसे की एक ही दुकान होने के कारण उसके पास ग्राहकों की भीड़ लगी रहती थी।
एक दिन हरीराम ने अपनी दुकान सुबह-सुबह खोल दी। उस दिन उसकी बेटी को देखने के लिए लड़के वाले आने वाले थे। वह सुबह से दोपहर तक सौ रुपये कमा लिया था। उसने पास की मिठाई की दुकान से सारे खुल्ले पैसे दे कर एक सौ रुपये का कडक नोट ले लिया। अब वह अपनी दुकान बंद कर के रिश्तेदार की खातिरी के लिए सामान लेने के लिए निकलने वाला ही था कि उसकी दुकान पर फटे-पुराने कपड़े पहने रामू आया।
उसने दो रुपये का नोट देते हुए एक रुपये का समोसा लिया। पूरे दिन की बिक्री के पैसे हरीराम के हाथ में ही थे। जब वह रामू को समोसे का दोना पकड़ा रहा था तो वह सौ रुपये का नोट भी उसके हाथ में चला गया। लेकिन, रामू उसके पैसों से बिल्कुल अंजान था। जब उसने अपने एक रुपये वापस मांगे तो हरीराम गुस्से से भरी आवाज में बोला – “एक रुपये का नोट देकर, एक रुपये और मांग रहा हैं। चला जा यहाँ से, नहीं तो तुम्हें पुलिस के हवाले कर दूंगा।
हरीराम की डांट भरी आवाज सुनकर रामू डर गया। वह समोसे का दोना लेकर अपने घर को चला गया। इधर हरीराम मेहमानों के लिए सामान की खरीदारी करने चला गया। सामान लेने के लिए दुकान पर पहुंचकर देखता हैं कि उसके पास से पैसे गायब हैं। अब वह परेशान हो उठा। उसने अपने जेब और थैलों को टटोल कर देखा उसे कुछ नहीं मिला।
वह भागते हुए अपनी दुकान पर पहुंचकर इधर-उधर खोजबीन करने लगा। लेकिन, उसे वहाँ भी कुछ नहीं मिला। अब वह चिंतित होकर अपनी दुकान पर बैठ गया। तभी रामू फिर से उसके पास आया। इसके पहले रामू उससे कुछ कहता हरीराम रामू के ऊपर जोर-जोर से यह कहते हुए चिल्लाने लगा। कि मैंने तुम्हें कह दिया कि तुमने मुझे एक रुपये दिए थे। फिर भी तुम पैसे मांगने आ गए।
रामू ने सौ रुपये का कडक नोट उसकी तरफ बढ़ाते हुए कहा – “अंकल मैं अपने एक रुपये मांगने नहीं, मैं यह सौ रुपये आपको देने आया हूँ। जोकि, आपके समोसे पकड़ाते समय दोने के साथ मेरे पास आ गया था।” पैसा देख उसकी आँखें चमक उठी। उसने गल्ले से एक रुपये का नोट देते हुए कहा – रामू अगर आज तुम भी मेरी तरह बेईमान होते तो मेरी इज्जत का क्या होता।
हरीराम ने रामू का माथा चूमते हुए यह कसम खाई की भविष्य में वह कभी भी बेईमानी नहीं करेगा, और वह सामान लेने बाजार को चला गया।
कहानी से सीख:
अन्याय और बेईमानी इंसान को बहुत बड़ा नुकसान पहुँचाती हैं।
4. बुद्धिमान सियार की सलाह – Advice from the wise jackal:

किसी जंगल में एक विशालकाय बरगद का पेड़ था। उस पेड़ पर एक कौवा अपनी पत्नी के साथ रहता था। कौवा बहुत दुखी रहता था। क्योंकि, उसकी पत्नी जब भी अंडे देती, उसी पेड़ पर रहने वाला एक काला साँप आकर उन अंडों को खा जाता था। एक दिन कौवा अपने भोजन की तालाश में कहीं गया हुआ था। वह जंगल में एक पेड़ पर बैठ कर रोए जा रहा था।
तभी वहाँ से एक सियार गुजरा। उसने कौवे को रोते हुए देख पूँछा – “कॉक महाराज आप क्यों रो रहे हो। पहले तो कौवे ने सियार से कुछ बताने से कतराने लगा। लेकिन, सियार ने उसे हौसला दिलाते हुए कहा। दोस्त दुख को एक दूसरे से बांटने से दिमाग हल्का हो जाएगा। मुझे बताओ! क्या पता मै आपकी कुछ मदद कर सकूँ।”
कौवा साँप के बारें में सियार से सारी बातें बता देता हैं। सियार उसे विश्वास दिलाता हैं। तुम्हारी समस्या का समाधान बहुत जल्द निकल जाएगा। थोड़ा धीरज रखो। मैं उसे सबक सीखाने का कोई न कोई जतन करूँगा। अगले दिन सियार ने कौवे को एक युक्ति बताते हुए कहा- “तुम नगर के राजा के महल में जाओ और एक कीमती हार लाकर सांप के बिल में डाल देना। बाकी का काम अपने आप हो जाएगा। लेकिन, ध्यान रहे हार उस वक्त उठाना जब राजा और उसके सिपाही देख रहे हो।”
कौवे को सियार की पूरी बात समझ नहीं आई। लेकिन वह हार लेने के लिए महल को उड़ गया। कौवा मौका पाकर हार लेकर दरबार से निकल पड़ा। राजा ने उसको पकड़ने के लिए सिपाहियों को उसके पीछे भेज दिया। कौवे ने उड़ते-उड़ते बरगद के पेड़ पर बने सांप के बिल में हार को रख दिया। कौवे के पीछे-पीछे सैनिक भी लगे थे।
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वे झट से पेड़ पर चढ़ गए जैसे ही हार निकालने के लिए बिल में हाथ बढ़ाया। उस बिल से भयंकर सांप निकला जिसे सैनिकों ने अपने भाले से छेद-छेद कर टुकड़े-टुकड़े कर दिया। इसलिए, कहा गया हैं जो कार्य हथियार से नहीं किया जा सकता हैं, वह बुद्धि से हो सकता हैं। अब कौवा और उसकी पत्नी खुशी-खुशी उसी पेड़ पर रहने लगे।
कहानी से सीख:
कठिन परिस्थितियों में हमें बहुत ही धैर्य के साथ काम लेना चाहिए।
5. चिड़िया और मूर्ख बंदर – The Bird and the Foolish Monkey:

किसी जंगल में एक पेड़ पर चिड़िया का घोंसला था। वह पेड़ बहुत घना था। एक दिन अचानक तेज बारिश और तूफान आना शुरू हो गया। बारिश बहुत तेज थी। जिसके कारण जंगल के पशु-पक्षी अपने-अपने लिए सुरक्षित स्थान खोजने के लिए यहाँ वहाँ भागने लगे। एक बंदर कही से भागते हुए उस पेड़ के नीचे आ बैठा। जोकि, ठंड से काँप रहा था। वह इधर-उधर देखे जा रहा था।
उसे देख घोंसले में से चिड़िया बोली – “तुम्हें भगवान ने इंसानों की तरह सुंदर-सुंदर हाँथ पैर दिए है। तुम अच्छे समय में अपने लिए घर तो बना सकते हो। बंदर पानी और ठंड के कारण चिड़चिड़ा हो गया था। उसने चिड़िया को बोला तुम अपना ज्ञान अपने पास रखो। मुझे उपदेश मत दो तुम चुपचाप बैठकर अपना काम करो।
लेकिन, चिड़िया ने अपना उपदेश देना नहीं छोड़ा बंदर को गुस्सा आ गया। वह झट से उठा और पेड़ पर चढ़कर चिड़िया के घोंसले को उखाड़कर फेंक दिया। बेचारी चिड़िया अब बेघर हो गई। अब वह पानी से बचने के लिए इधर-उधर पत्तों में छिपने लगी।
कहानी से सीख:
मूर्खों को उपदेश देना खुद के लिए हानिकारक साबित हो सकता हैं।