राजू की गरीबी:
रहमतपुर गाँव में राजू नाम का एक लड़का रहता था। राजू के जन्म के कुछ दिन बाद ही बीमारी के कारण उसके पिता की मृत्यु हो गई। अब राजू और उसके दो भाई बहनों की जिम्मेदारी उसकी माँ पर आ गई थी।
राजू की माँ ने किसी तरह राजू और उसके भाई-बहन को पाल-पोषकर बड़ा किया। राजू बहुत ही होनहार और ईमानदार था। उसके घर की परिस्थितियाँ ठीक न होने के कारण वह बारह साल की छोटी उम्र में ही पैसों के लिए काम पर जाने लगा था।
राजू काम के लिए रेलवे स्टेशन जाया करता था। लेकिन, कुछ ही दिनों में राजू की संगत बुरे लोगों के साथ हो गई। जिन्होंने उसे बीड़ी, सिगरेट और शराब पीना सिखा दिया। अब राजू पूरे दिन जो भी पैसा कमाता उसे अपने दोस्तों के साथ नशीले पदार्थों तथा धूम्रपान पर खर्च कर डालता था। राजू घर पर पैसा देना बंद कर चुका था। जिसके कारण उसके घर में परेशानियाँ बढ़ने लगी थी।
Emotional story in hindi – संगत का असर:

एक दिन राजू, रेलवे स्टेशन पर काम न मिलने पर, किसी यात्री का बैग चोरी करके घर भाग आया। घर पर उसने देखा की उस बैग में कुछ पैसे थे। राजू के हाथ में बैग देख, “माँ पूछा यह बैग किसका हैं और कहाँ से लाए हो?” राजू ने पूरी घटना अपनी माँ को बता दी। राजू की माँ ने उसे दुबारा ऐसा करने से मना करते हुए कहा, “अगर दुबारा तुमने फिर से चोरी की तो मैं तुम्हें घर से बाहर निकाल दूँगी।”
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एक दिन फिर से राजू ने एक बैग चोरी करके भागा और वह पुलिस के हाथों पकड़ा गया। पुलिस ने राजू की अच्छे से पिटाई की। राजू पुलिस से जिंदगी में कभी चोरी नहीं करने का वादा करके घर जा रहा था। बीच रास्ते में उसकी मुलाकात एक महात्मा से होती हैं जोकि कहीं प्रवचन करके वापस अपने घर को जा रहे थे।
महात्मा ने राजू को रोते हुए देख पूछा, बेटा! तुम क्यों रो रहे हो? राजू ने सारी घटना उस महात्मा से बताई। महात्मा जी ने राजू को समझाया कि तुम्हारी माँ ने तुम्हें किसी तरह से पाल-पोषकर इस उम्मीद में बड़ा किया कि तुम घर के हालत को बदलने में मदद करोगे। लेकिन, तुमने अपनी संगत खराब कर ली फिर भी तुम्हारी माँ ने तुम्हें अपने आप से अलग नहीं किया।
महात्मा का उपदेश – Emotional story in hindi:

राजू! जरा तुम सोचो आज की हरकत के बारें में जब तुम्हारी माँ को पता चलेगा तो क्या वह तुम्हें सच में घर से बाहर निकाल देगी, नहीं! महात्मा ने राजू को और समझाते हुए कहा- “बेटा, कितना भी नालायक क्यों न हो जाए। लेकिन, उसके लिए माँ की ममता वही रहती हैं।
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महात्मा की बातों को सुनकर राजू को अपने किये पर पछतावा होने लगा। उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे। महात्मा ने राजू से कहा- “सुबह का भूला अगर शाम को घर वापस आ जाए तो उसे भूला नहीं कहते हैं।” अगर तुमने अपने गुनाहों को कबुल कर लिया और फिर से एक नई राह चुनने के लिए तैयार हो, तो जाओ और शुरू करो अपनी नई जिंदगी। भूल जाओ अपने बीते दिनों को।
राजू घर पहुँचकर अपनी माँ के चरणों में गिर गया और सारी घटना को सुनाया। उसकी माँ उसके सिर पर अपना हाथ फेरती हुई बोली, “बेटा! अगर तुम अपने आप को बदलने के लिए तैयार हो तो तुम्हारी गलती माँफ की जा सकती हैं। राजू अपनी माँ की गोद में सिसक-सिसक कर रो रहा था। राजू ने उस दिन से गलत दोस्तों का साथ छोड़ दिया और वह अब एक नेक इंसान बन गया।
कहानी से सीख:
माँ की ममता कभी कम नहीं होती।
