छोटे बच्चे गीली मिट्टी की तरह होते हैं। आप उन्हें चाहे जैसा आकार दे सकते हैं। बच्चों की ज्ञानेंद्रियों का विकास करने के लिए उन्हें हम शिक्षाप्रद छोटी और मधुर कहानियाँ सुना सकते हैं। कहानियों से बच्चे की बुद्धिमत्ता को बढ़ावा मिलता हैं। ठीक इसी प्रकार से देखा जाए तो यह कह सकते हैं कि कहानियाँ बच्चे के सर्वांगीण विकास में सहायक होती हैं।
1. Short moral story – सीख भरा बगीचा:

गोलू के घर के समाने एक छोटा सा मैदान था। अक्सर गोलू उस मैदान में खेलता था। कभी-कभी मौसम अच्छा होने पर शाम के समय अपने दादा के साथ उसी मैदान में बैठकर चाय की चुसकियाँ भी लिया करता था। रविवार का दिन था गोलू के दिमाग में एक विचार आया। उसने सोचा क्यों न इस मैदान में कुछ फल-फूल और सब्जियाँ लगाई जाए।
गोलू ने अपने दादा की मदद से उस मैदान में फल और सब्जियों के पौधे लगा दिए। गोलू अपने बगीचे की बहुत देख-भाल करता था। पौधे बड़े हो चुके थे उसमें छोटे-छोटे फल आना शुरू हो गए थे। एक दिन गोलू स्कूल गया हुआ था। उसके दादा घर में आराम कर रहे थे। तभी एक बैल आया उसने पूरे बगीचे को तहस-नहस कर डाला।
शाम को जब गोलू स्कूल से घर आया तो देखा उसके बगीचे के पेड़-पौधे उजड़ चुके थे। गोलू के दादा ने बैल के बारें में बताया। गोलू बहुत दुखी हुआ। अगले दिन उसके दादा ने उसे अपने पास बुलाकर समझाते हुए कहा, “बेटा क्या तुम्हें पता हैं, हमने गलती कहाँ पर की? हमें बगीचे को कँटीले तारों से घेरकर रखना चाहिए था। जिससे हमें इस प्रकार की हानि नहीं होती।
गोलू और उसके दादा ने उस छोटे से मैदान को कँटीले तारों से चारों तरफ घेर दिया। फिर से गोलू ने उस मैदान में फल-फूल और सब्जियां लगा दी। इस बार गोलू ने पहले से अधिक मेहनत की थी। देखते-देखते उसके बगीचे में फल और सब्जियाँ उग गए। जिन्हे देख गोलू बहुत खुश हुआ। उसे ऐहसास हो गया कि मेहनत जरूर रंग लाती हैं।
नैतिक सीख:
किसी भी कार्य को करने से पहले उसकी पूरी तैयारी करना अत्यंत जरूरी होता हैं।
2. Kids stroy in hindi – आलसी मछली का पछतावा:

किसी वन में एक तालाब था। उस तालाब में तीन मछलियाँ रहती थी। तीनों में बहुत गहरी दोस्ती थी। वें तीनों हमेशा एक साथ रहती थी। पहली मछली बहुत ही आलसी थी, दूसरी मछली बुद्धिमान थी। तीसरी मछली सोच समझ कर कोई भी निर्णय लेती थी। एक दिन एक मछुआरा उसी तालाब में जाल लगाने के लिए बात कर रहा था।
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दूसरी मछली ने उसकी बातों को सुन लिया। उसने अपनी साथी दोनों मछलियों को मछुआरे के बारें में बताया। लेकिन, पहली मछली ने उसकी बातों को अनसुना करके छोड़ दिया। जबकि, अन्य दोनों मछलियां उस तालाब को छोड़कर किसी और तालाब में चली गई।
अगले दिन मछुआरे ने तालाब में जाल फैला दिया, जिसमें आलसी मछली फँस गई। अब उसे पछताव होने लगा उसने सोचा काश! मैंने अपने दोस्त की बात मान ली होती तो आज बच जाती।
नैतिक सीख:
आलस व्यक्ति को दीमक की तरह खाकर खत्म कर देता हैं।
3. Naitik kahani in hindi – मेहनत फिर रंग लाई

रामू बहुत ही मेहनती किसान था। उसने अपने खेतों में धान की फसल लगाई थी। एक दिन अचानक तेज बारिश हुई, उसकी सारी फसल बर्बाद हो गई। अगले दिन रामू अपनी फसल को देखने गया। वह बर्बाद हुई फसल को देखकर खेत के किनारे बैठकर चिंता में डूब गया। तभी, उसके पीछे से एक बच्चे ने कंधे पर हाथ रखते हुए कहा। आज जो हुआ है वह नहीं होना चाहिए था।
लेकिन उसी बात को लेकर चिंता में मत डुबो, उठो! फिर से मेहनत करो। मुझे विश्वास हैं इस बार आप की मेहनत और रंग लाएगी। उसकी बातों ने रामू के अंदर आशा की किरण जगा दी। रामू ने उठकर अपने पीछे देखा तो उसका बेटा खड़ा था। उसने तुरंत अपने बेटे को गोद में उठा लिया। और फिर से फसल उगाने का वादा किया।
इस बार रामू ने अपने खेत में खूब मेहनत की । बहाव के कारण उसके खेत समतल और उपजाऊ हो गए थे। जिसके कारण हर बार से भी ज्यादा इस बार लहलहाती फसल उसके खेतों में लगी थी। जिसे देख उसे विश्वास हो गया कि भगवान जो भी करता हैं अच्छा करता हैं।
नैतिक सीख:
जिसके अंदर गिरकर उठने और उठकर चलने की हिम्मत है, उसे सफल होने से दुनिया की कोई ताकत नही रोक सकती।
4. Best hindi story – शेर, पंडित और चालाक कौवा:

पूरनपुर नामक गाँव के पास एक घना जंगल था। एक दिन कही से भटकते हुए एक शेर उस जंगल में आ पहुँचा। उसने उस जंगल के जानवरों को मार कर खाना शुरू कर दिया। शेर के आतंक से पूरे जंगल में खौफ का माहौल रहने लगा। शेर कभी-कभी उसी जंगल से सटे गाँव में भी चला जाता था। जिससे उस गाँव के लोगों को भी नुकसान पहुँचाता था।
गाँव वालों ने शेर से परेशान होकर एक सभा का आयोजन किया। सभी ने मिलकर शेर को पकड़ने की योजना बनाई। एक दिन गाँव के किनारे एक बकरी बांध दी गई। किसी ने बकरी को डंडे से पीटा जिससे बकरी ने आवाज की। उसकी आवाज को सुनकर शेर उस तरफ तेजी से भागा। गाँव वालों के बनाए योजना के अनुसार शेर बकरी के पास पहुँचने से पहले ही एक गड्ढे में गिर गया। गाँव वालों ने उसे पकड़कर एक पिंजरे में बंद कर दिया।
अब वह शेर लोगों से अपनी आजादी के लिए भीख माँगने लगा। लेकिन उसे कोई आजाद नहीं कर रहा था। एक दिन एक पंडित उसी शेर के पिंजरे के पास से गुजर रहे थे। शेर ने रोते हुए पंडित जी से कहा, महाराज! मुझे छोड़ दीजिए। अब मैं किसी को परेशान नहीं करूँगा। मैं इस जंगल और गाँव को भी छोड़कर दूर चला जाऊँगा।
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पंडित जी को शेर के ऊपर दया आ गई। उसने पिंजरे को खोल दिया। पिंजरे से बाहर निकलते ही शेर ने कहा, “मैं कई दिनों से भूखा हूँ। मैं अपनी भूख तुम्ही से मिटाऊँगा। अपनी मौत सामने खड़ी देख पंडित जी के पैरों तले जमीन खिसक गई। वहीं पेड़ पर बैठा एक कौवा पंडित जी और शेर को देखे जा रहा था। उसने पूछा क्या बात हैं पंडित जी, तुम्हें शेर महाराज क्यों खाना चाहते हैं।
पंडित जी ने सारी घटना सुना दी। कौवे ने पंडित जी से कहा, “मैं मान ही नहीं सकता कि शेर महाराज पिंजरे में कैद थे। उन्हे तुमने आजाद करवाया है।” उसने शेर महाराज से कहा आप मुझे फिर से दिखाओ कि इस पंडित ने तुम्हें कैसे आजाद करवाया। शेर फिर से पिंजरे में चला गया। पंडित जी ने मौका पाकर दरवाजा बंदकर दिया। शेर अंदर ही दहाड़ मार-मार कर परेशान हो उठा। पंडित जी ने कौवे को उसकी बुद्धिमत्ता के लिए धन्यवाद कहा।
नैतिक सीख:
बुद्धिमानी से लिया गया निर्णय बड़ी सी बड़ी परेशानी को टाल देती हैं।
5. छोटे पौधे, बड़ी सीख:

विनय बहुत शैतान लड़का था। वह रास्ते में किसी भी पशु-पक्षियों पर पत्थर फेंक कर मार देता था। उसे पक्षियों और जानवरों को परेशान करने में खूब मजा आता था। इसके अलावा उसकी और कई तरह की बुरी आदतें भी थी। जिसके कारण उसके माता-पिता उसे लेकर बहुत चिंतित रहते थे। गर्मियों की छुट्टियाँ हुई। विनय अपने नाना के घर गया हुआ था।
वहाँ पर भी उसकी आदत सुधर नहीं रही थी। आए दिन लोग उसकी शिकायतें लेकर आ जाते थे। विनय के नाना जब उसे समझाते तो वह कान पकड़कर माँफी मांग लेता और दुबारा शैतानी न करने के लिए वादा करता था। एक दिन विनय और उसके नाना एक पार्क में गए। नाना ने एक पौधा दिखाते हुए विनय से कहा, “बेटा! विनय तुम इस पौधे को उखाड़ सकते हो? विनय ने झट से उस पौधे को उखाड़ दिया।
नाना ने उससे बड़ा एक दूसरा पौधा दिखाते हुए कहा, “बेटा इस पौधे को भी उखाड़ कर दिखाओ।” विनय ने थोड़ी मशक्कत करने के बाद उस पौधे को उखाड़ दिया। वह खुश हो रहा था कि मुझ जैसा बलवान कोई नहीं हैं। नाना ने उसे एक बड़ा पौधा उखाड़ने के लिए कहा, “विनय ने उस पौधे को उखाड़ने के लिए बहुत कोशिश की। लेकिन वह पौधा उससे नहीं उखड़ा।
विनय को उसके नाना ने समझाते हुए कहा, “बेटा, बिल्कुल ऐसी ही हमारी आदतों के साथ होता हैं। इन्हें शुरुआत में छोड़ना बहुत आसान हैं। लेकिन, जब वे हमारे स्वभाव में गहराई तक जड़े जमा लेती हैं तो उसे बड़े पौधे की तरह उखाड़ना या फिर छोड़ना बहुत मुश्किल होता हैं।
नाना ने आगे कहा, बेटा तुम अभी अपनी गलतियों को सुधार सकते हो। क्योंकि तुम अभी छोटे हो। विनय ने उसी दिन से प्राण ले लिया कि वह शैतानी नहीं करेगा और वह अच्छा बच्चा बनाकर दिखाएगा।
नैतिक सीख:
छोटी-छोटी गलतियाँ जीवन में भारी पड़ सकती हैं।