किसी स्कूल में मोनू, धीरू और रामू एक ही कक्षा में पढ़ते थे। तीनों में बहुत घनिष्ट मित्रता थी। मोनू बहुत बुद्धिमान और गुणवान था। लोग उसकी लिखावट की बहुत तारीफ करते थे। उसके पापा बहुत बड़े व्यापारी थे। मोनू हमेशा अपने स्कूल की खेल प्रतियोगिता से लेकर बोर्ड परीक्षा तक प्रथम स्थान हासिल करता था। जबकि, धीरू दूसरे और रामू तीसरे स्थान पर रहते थे।
12वीं बोर्ड की परीक्षा नजदीक आ चुकी थी। तीनों दोस्त अपनी-अपनी तैयारी में लग गए थे। एक दिन मोनू को अपने पापा के टेबल पर सिगरेट की डिब्बी दिखी। उसने एक सिगरेट लिकाली और पीने लगा। सिगरेट का कश उसे बहुत अच्छा लग रहा था। इस तरह से धीरे-धीरे उसको सिगरेट पीने की लत लग गई। अब मोनू से बिना सिगरेट पिए रहा नहीं जाता था।
मोनू अपने दोनों दोस्त धीरू और रामू से अलग उन बच्चों के साथ रहने लगा जो तंबाकू गुटखा जैसी नशीली पदार्थों का सेवन करते थे। एक दिन मोनू के दोनों दोस्तों ने उसे नशीले पदार्थों का सेवन करते हुए देखा, जिसके कारण अब वे दोनों मोनू से दूर रहने लगे। लेकिन, कुछ समय बाद धीरु को भी सिगरेट, तंबाकू जैसी नशीली चीजों का सेवन करने की आदत पड़ गई।
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मोनू और धीरू की आदतों को देख रामू ने अपने दोनों दोस्तों से दूरियाँ बना ली। अब रामू परीक्षा की तैयारी के लिए अपने दोनों दोस्तों में से किसी से मदद नहीं लेता था। 12वीं की परीक्षा समाप्त होती हैं, कुछ दिन बाद उसके परिणाम घोषित हुए। एक बार फिर से मोनू प्रथम, धीरू द्वितीय और रामू तृतीय स्थान हासिल करता हैं।
तीनों दोस्तों ने पहले से ही सेना में जाने के लिए मन बना चुके थे। अब वे तीनों अपनी तैयारी शुरू कर देते हैं। कुछ महीनों बाद सेना में भर्ती के लिए आवेदन मांगे गए। तीनों ने अपने-अपने आवेदन भरे। भर्ती के लिए लिखित परीक्षा आयोजित की गई। जिसमें तीनों फिर से पहले दूसरे और तीसरे क्रम में परीक्षा में उत्तीर्ण हुए।
तीनों को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया। तीनों दोस्त आसानी से साक्षात्कार में भी सफल हो गए। अब उन तीनों को स्वास्थ्य परीक्षण के लिए एक हास्पिटल में भेजा गया। जहाँ पर कुछ चेकअप के बाद डॉक्टर मोनू और धीरू को नशीले पदार्थों के सेवन के कारण उन्हे अस्वास्थ्य घोषित कर देते हैं। जबकि, रामू स्वास्थ्य परीक्षण में सफल घोषित होता हैं।
इस तरह से अब रामू के दोनों दोस्त मोनू और धीरू को अपने किए पर बहुत पछतावा होने लगा। उन दोनों की कई सालों की मेहनत बेकार जाती हैं। दोनों अपने दोस्त रामू के पास जाकर आगे से नशीले पदार्थों का सेवन न करने के लिए कसम खाते हैं। लेकिन, कुछ दिन बाद मोनू के गले में अचानक दर्द शुरू होता हैं। उसके पिता ने उसे बड़े से बड़े अस्पताल में दिखाया, जहाँ पर यह पता चला कि उसको कैंसर जैसी भयानक बीमारी हुई हैं।
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उसे अस्पताल में भर्ती करवाया गया कुछ दिन बाद मोनू की मृत्यु हो गई। उसकी खबर सुनकर उसके दोनों दोस्त धीरू और रामू को बहुत दुख हुआ। धीरू को भी स्वास्थ्य से संबंधित दिक्कते होने लगी। धीरू ने अपना इलाज करवाया, कुछ समय बाद वह पूरी तरह से ठीक हो गया। लेकिन, उसके इलाज में अधिक समय लगने के कारण उसकी उम्र निकल जाती हैं। जिससे वह अब किसी नौकरी के लिए योग्य नहीं रहता।
जबकि, शुरू से लेकर अंत तक तृतीय स्थान हासिल करने वाला रामू सफलतापूर्वक प्रथम स्थान हासिल कर लेता हैं। इसलिए कहा जाता हैं- ‘जैसी संगत, वैसी रंगत।’ नशीली पदार्थों का सेवन करना दुखदाई होता हैं। इसलिए, इन पदार्थों और उनके सेवन करने वालों से दूर रहना चाहिए।
नैतिक शिक्षा:
कुसंग का ज्वार भयानक होता हैं, नशे को न कहें!