सच्चे आशिक राजू और संगीता – Sad Love Story in Hindi 

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संगीता और राजू बहुत अच्छे दोस्त थे। दोनों दसवीं कक्षा में पढ़ते थे। राजू बहुत ही हंसमुख स्वभाव का लड़का था। उसके चेहरे पर हमेशा मुस्कान बनी रहती थी। वह जब भी किसी से बात करता तो हँसते हुए ही बात करता था। उसके अंदर अनेकों ऐसे कई अच्छाइयाँ थी। जिसके कारण संगीता उसके साथ रहना पसंद करती थी। पढ़ाई में दोनों एक दूसरे की मदद भी करते थे। परीक्षा नजदीक थी दोनों अपनी-अपनी पढ़ाई पर खूब ध्यान दे रहे थे।

परीक्षा का परिणाम घोषित हुआ। अपनी कक्षा में राजू प्रथम और संगीता ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया। वह दिन दोनों के लिए खुशी का दिन था। संगीता को विश्वास हो चुका था कि राजू वाकई में एक मेहनती लड़का हैं। दोनों की दोस्ती धीरे-धीरे और बढ़ने लगी। दोनों बारहवीं कक्षा में पहुँच चुके थे। इस बार भी बोर्ड की परीक्षा थी। दोनों ने जी जान से मेहनत करना शुरू कर दिए थे।

एक दिन लंच करने के बाद राजू स्कूल के मैदान में एक पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ाई कर रहा था। उसे अकेले पढ़ते देख संगीता भी उसके पास आ गई। संगीत और राजू खूब सारी बातें करने लगे। दोनों बहुत खुश थे। संगीता ने राजू से कहा, “राजू! क्या मैं तुमसे एक बात पूछ सकती हूँ?” राजू ने हँसते हुए कहा, हाँ… हाँ क्यों नहीं, पूछो क्या पूछना हैं।

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संगीता से राजू के सामने अपनी हथेली फैलाते हुए कहा, “पहले तुम वादा करो, मना तो नहीं करोगे।” राजू ने मुस्कुराते हुए उसके हथेली पर अपना हाथ रखते हुए कहा। “बताओ! तुम क्या पूछना चाहती हो? मैं मन नहीं करूंगा।” संगीता ने कहा, “राजू क्या हम अपनी दोस्ती को प्यार में बदल सकते हैं?” राजू संगीता की बातों को सुनकर कुछ देर के लिए शांत होकर उसे देखता ही रहा।

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राजू ने संगीता से पूछा, “संगीता! क्या तुम सच में मुझसे प्यार करती हो?” संगीता ने कहा, “राजू! तुम्हें देखकर मुझे पता नहीं क्यों ऐसा लगता हैं कि तुम मेरे जीवन साथी हो। क्या मैं अपने दोस्त को अपना जीवन साथी मान सकती हूँ? राजू ने कहा, “मैं जब भी तुम्हें देखता हूँ तो मुझे भी ऐसा लगता हैं। राजू पेड़ के पीछे खड़े होकर अपने दोनों हाथों को फैलाते हुए कहा, “संगीत, आई लव यू!” संगीता राजू के गले से लग गई।

दोनों एक दूसरे के गले लग कर बहुत खुश हुए। उस दिन से राजू और संगीता की दोस्ती प्यार में बदल गई। बारहवीं की परीक्षा नजदीक थी। दोनों पढ़ाई की तरफ और ध्यान देना शुरू कर दिए। राजू, संगीता से हमेशा एक बात ही कहता था कि इस बार तुम्हें कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करना हैं। जिसके लिए तुम कठोर परिश्रम करो। राजू उसे बहुत मोटिवेट करता रहता था।

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इस बार भी परीक्षा में राजू अपने कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया। जबकि, संगीता इस बार तृतीय स्थान प्राप्त की। संगीता राजू के उम्मीदों पर खरी रही उतर सकी। वह अपने आपको राजू के सामने बहुत लज्जित महसूस करने लगी। राजू उसे समझाते हुए कहा, “कक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करने के लिए तुमने खूब मेहनत की जरूर कही कोई कमी रह गई होगी। जिससे तुम प्रथम स्थान प्राप्त नहीं कर सकी। उसके लिए अब पछताना ठीक नहीं होगा। जो होना था, वह हो चुका हैं। अब हमें आगे की पढ़ाई के बारें में सोचने की जरूरत हैं।

संगीता और राजू किसी डिग्री कॉलेज में दाखिला ले लिया। दोनों का प्यार बढ़ता ही जा रहा था। एक दिन कॉलेज के पार्क में संगीता और राजू को एक दूसरे के बाहों में बाहे डालकर बैठे हुए थे। अचानक संगीता के पिता ने देख लिया। लेकिन संगीता के पिता को विश्वास नहीं हुआ की वह संगीता हैं।

उन्होंने अपने ड्राइवर को भेजकर दोनों को फोटो खींचकर लाने के लिए कहा। फ़ोटो में देखकर उसके पिता समझ गए की वह संगीता ही हैं। शाम को संगीता घर आई तो उसके पिता ने पूछा, “संगीता! कॉलेज के पार्क में तुम्हारे साथ वह लड़का कौन था।” संगीता आना-कानी कर रही थी। तभी उसके पिता ने मोबाइल में फ़ोटो दिखाते हुए पूछा, यह लड़का कौन हैं।

संगीता ने अपने पिता से कहा, “मैं और राजू दोनों स्कूल फ्रेंड हैं। हम दोनों एक दूसरे से प्यार करते हैं। हम दोनों ने शादी करने का भी मन बना चुके हैं। इतना सुनते ही संगीता के पिता तेज से चिल्लाते हुए कहा, “भूल जा! उस राजू के बच्चे को, तुम्हारी शादी उससे नहीं हो सकती।”

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मैंने तुम्हारी शादी मेरे बचपन के दोस्त सक्सेना साहब के बेटे से करने के लिए पहले ही बात कर चुका हूँ। वे सभी लोग कल तुम्हें देखने भी आ रहे हैं। इतने सुनते ही संगीता चुपचाप अपने कमरे में चली गई। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करें? उसने राजू को फोन करके सारी बात बता दी।

अगले दिन राजू अपने पिता को लेकर संगीता के घर उसका हाथ मांगने आ गया। राजू को अपने घर देख संगीता के पिता आग-बबूला हो उठे। उन्होंने राजू के पिता से कहा, “आप हमारे गाँव के जमींदार हैं तो इसका मतलब यह नहीं हैं। की आप जो चाहोगें वही होगा। राजू के पिता ने संगीता के पिता को समझाते हुए कहा, “दोनों बच्चे एक दूसरे से प्यार करते हैं। दोनों बचपन से एक दूसरे को अच्छे से जानते भी हैं।

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इसलिए, हम दोनों लोग के लिए बेहतर यही होगा की दोनों की शादी करा दिया जाए। लेकिन, काफी समझाने के बाद भी संगीता के पिता राजू के साथ अपनी बेटी का रिश्ता मानने के लिए तैयार नहीं हुए। संगीता की शादी सक्सेना साहब के बेटे से तय हो गई। संगीत और राजू के दिन जैसे-तैसे कट रहे थे। एक दिन राजू और संगीता ने सक्सेना साहब से मिलकर उन्होंने अपनी पूरी कहानी सुना दी।

सक्सेना साहब ने संगीता के पिता को फोन लगाकर कहा, “वे अपनी बेटी की शादी राजू के साथ करवा दे। दोनों एक दूसरे के बिना नहीं जी सकते। मैं अपने बेटे के लिए कही और रिश्ता देख रहा हूँ। सक्सेना साहब की बात सुनकर संगीता के पिता बहुत गुस्सा हुए। संगीता का घर से निकलना भी अब मुश्किल हो चुका था। राजू के पास सबसे बड़ी समस्या थी कि संगीता को अपना जीवन साथी कैसे बनाए।

संगीता अब खाना-पीना भी छोड़ चुकी थी। एक दिन संगीता की तबिया खराब हो गई। उसके पिता ने उसे अस्पताल में भर्ती करवाया। डॉक्टर संगीता का बहुत इलाज किया। लेकिन संगीता ठीक नहीं हो रही थी। उसके अधिक सोचने के कारण उसके दिमाग का संतुलन बिगड़ चुका था। संगीता की माँ ने उसके पिता को बहुत समझाया। जिससे उसके पिता को भी लगा की मेरी बेटी की भलाई किस्में हैं।

संगीता के माता-पिता राजू के घर जाकर अपनी बेटी की शादी की बात की। राजू और संगीता की शादी हो गई। धीरे-धीरे संगीता ठीक हो गई। वे दोनों फिर से अपना जीवन खुशहाल होकर जीने लगे।

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