सोलहवीं शताब्दी में दक्षिण भारत के गुंटूर, आंध्र प्रदेश में जन्में ‘तेनालीराम’ विजयनगर राज्य के ‘राजा कृष्णदेव राय’ के मुख्य विदूषक और कवि थे। तेनालीराम अपने बुद्धिमानी और हाजिर जवाब के लिए प्रसिद्ध थे। इसीलिए, राजा कृष्णदेव राय तेनालीराम से अक्सर सलाह लिया करते थे। एक बार राजा के दरबार में किसी उत्सव की तैयारियाँ चल रही थी। जिसके कारण तेनालीराम के ऊपर समारोह की देखभाल की अधिक जिम्मेदारियाँ थी। इसलिए, उन्हें अपने घर गए हुए कई दिन बीत चुके थे।
तेनालीराम एक दिन राजा के दरबार से समारोह खत्म करके अपने घर गए। घर पहुंचकर उन्हें पता चला कि उनके गाँव में किसी जंगल से भटकता हुआ एक शेर आ गया हैं। जोकि, गाँव के कई लोगों को अपना शिकार बना चुका हैं। उसकी दहशत पूरे गाँव में फैल चुकी थी। जिसके कारण लोगों का अपने घर से बहार निकल पाना मुश्किल हो गया था। शेर को आसानी से अपना शिकार मिल जाता था। इसलिए, वह प्रतिदिन गाँव में शिकार करके जंगल की झाड़ियों में छिप जाता था।
गाँव के लोग बड़ी हिम्मत करके तेनालीराम के पास गए। उन्हें शेर की घटना के बारें में बताते हुए कहा, ‘तेनाली’ तुम ही हम लोगों को शेर के आतंक से बचा सकते हो। तेनालीराम, गाँव वालों से कहता हैं- इसमें मैं क्या कर सकता हूँ? कुछ दिन बाद जब मैं राजा के दरबार में जाऊंगा तो शेर को पकड़ने वाले शिकारियों को भेज दूंगा।
तेनालीराम की बातों को सुनकर एक बुजुर्ग व्यक्ति ने अपने ऊँचे स्वर में कहा, “गाँव वालों तेनालीराम का दिमाग सिर्फ राजा के महल के अंदर चलता हैं। इसीलिए, तेनालीराम जब राजा के दरबार में जाएंगे तो वह हम लोगों के बचने का उपाय बताएंगे। तब तक आप लोग शेर का शिकार होने का इंतजार करो।
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तेनालीराम को उस बुजुर्ग व्यक्ति का व्यंग कटाक्ष अच्छा नहीं लगा। कुछ देर शांत रहने के बाद तेनालीराम गाँव के लोगों को अपने साथ मजबूत जाल, डंडा, फावड़ा और रस्सी लेकर चलने के लिए कहता हैं। जंगल के पास पहुंचकर तेनालीराम ने जंगल से गाँव आने वाले रास्ते पर शेर के पदचिन्ह के आधार पर बीच रास्ते में एक बड़ा गड्ढा खोदने और गड्ढे को घास-फूस से हल्का ढकने के लिए भी कहा। इसके बाद उसी गड्ढे पर जाल को बिछवा दिया।
गड्ढे से थोड़ी दूर आगे एक बकरी को भी बँधवा देता हैं। सभी लोग जाल की रस्सी को अच्छे से पकड़कर छिप जाते हैं। जैसे ही बकरी मिमियाना शुरू करती हैं। शेर उस तरफ तेजी से भागते हुए आता हैं। बकरी अपनी तरफ शेर को आते देख सहम गई और मे मे मे करने लगी। जैसे ही शेर का पैर गड्ढे में पड़ा गाँव के लोगों ने तेजी से रस्सी खींच ली। जिससे शेर गड्ढे में जाल के अंदर फँस गया। गाँव के लोग शेर को जाल में फंसा देख खुशी से झूम उठे।
अगले दिन तेनालीराम ने राजा के दरबार में पहुंचकर अपने गाँव की घटना को सुनाया। राजा ने तेनालीराम की बुद्धिमानी और बहादुरी के लिए बहुत सराहा। राजा के आदेश पर शिकारी शेर को पकड़कर दूर जंगल में छुड़वा देते हैं। इस तरह से तेनालीराम को एक बार फिर अपने गाँव में बुद्धिमत्ता के लिए जाने जाना लगा।