चील का परिवार:
किसी गाँव के बाहर एक पीपल का पेड़ था। उस पेड़ पर चील और उसका परिवार घोंसले में रहते थे। उसी पेड़ के नीचे मुर्गी का परिवार भी रहता था। एक बार चील का एक अंडा गिरकर मुर्गी के अंडे से मिल गया। मुर्गी अपने अंडे की तरह चील के अंडे की भी देख-रेख करती और उसे अपना समझती थी। क्योंकि, उसको दोनों अंडों में कोई फर्क समझ नहीं आ रहा था।
कुछ समय बाद चील के अंडों से चूजे निकल आए। चील अपने बच्चों का बहुत ध्यान रखती थी। धीरे-धीरे उसने अपने बच्चों को उड़ना सीखाना शुरू कर दिया। देखते-ही-देखते चील के सारे बच्चे आकाश की ऊँचाइयों को छूना शुरू कर दिए। चील के बच्चे अपने दूर दृष्टि वाली आँखों तथा शक्तिशाली पंजों से शिकार करना सीख चुके थे।
उसी पेड़ के नीचे मुर्गी के बच्चे बड़े होकर कीड़े-मकोड़े खाना, बाग लगाना, फुदकना आदि करते थे। जबकि, मुर्गी के बच्चे बहुत ऊपर नहीं उड़ पाते थे। वे कुछ ही दूरी तक उड़ते और फिर से जमीन पर बैठ जाते थे। अधिकतर मुर्गी के बच्चे अपने पैर से चलकर जाते थे। वे अपने पंखों के सहारे उड़ने की कोशिश भी नहीं करते थे। उन्ही बच्चों में चील का बच्चा भी वही कर रहा था जो अन्य सभी मुर्गी के बच्चे कर रहे थे।
इन्हें भी देखें: Class 2 Short Moral Stories in Hindi – छोटे बच्चों की कहानियाँ
मुर्गी का परिवार:

एक दिन चील पेड़ के ऊपर बैठा था और नीचे मुर्गी के बच्चों को देख रहा था। अचानक चील की नजर नीचे चल रहे चील के बच्चे पर पड़ती हैं। वह देखती हैं कि हमारा बच्चा मुर्गी के बच्चों की तरह कीड़े-मकोड़े को खा रहा हैं। वह फुदक-फुदक कर चलते हुए और सभी चूजों की तरह बाग लगा रहा हैं। यह सब ऊपर से देख रहे चील को याद आया कि यह तो हमारे गिरे हुए अंडे से निकला हुआ बच्चा हैं।
संगत का प्रभाव:
चील को बहुत आश्चर्य हुआ कि हमारा बच्चा किस संगत में पड़ गया हैं? जिसके कारण हमारा बच्चा वहाँ के रहन-सहन को अपना चुका हैं। जबकि, हमारे बच्चे का जन्म आसमान की ऊँचाइयों को छूने के लिए हुआ था। अपने शक्तिशाली पंजों और तेज दृष्टि से अपने मनपसंद शिकार करने के लिए हुआ था। चील मन ही मन में बहुत दुखी होकर सोचने लगा।
चील ने अपने घर के मुखिया को सारी बात बात दी। घर के मुखिया ने कहा, “घबराओ मत! यह बच्चा हमारा हैं। इसके लिए हमें मुर्गियों से बात करनी चाहिए। चील ने ठीक ऐसा ही किया। उसने मुर्गी के बच्चे और अपने बच्चे के बीच में अंतर करके भी दिखाया। चील की बात से मुर्गी सहमत हो गई उसने उसके बच्चे को वापस कर दिया।
और देखें: 5 Best Moral Stories for Childrens in Hindi
चील और उसके परिवार के लोगों के अथक प्रयास के कारण उसका बच्चा धीरे-धीरे आसमान की ऊँचाइयों को छूने लगा। वह अपने पंजों के बल पर बड़े-बड़े शिकार करने लगा। यह सब देख चील और उसका परिवार खुशियों से भर गया।
नैतिक सीख:
जैसी संगत वैसी रंगत! इसलिए हमें अपने परिवेश को अच्छा रखना चाहिए।