कहानियों के माध्यम से बच्चों में मनोरंजन के साथ-साथ मानसिक विकास में वृद्धि भी होती हैं। बच्चे गीली मिट्टी के समान होते हैं, उन्हें आप जिस प्रकार बनाना चाहे, वैसा बना सकते हैं। इसलिए, अपने घर के अंदर और बाहर के परिवेश को अच्छा बनाए रखना चाहिए। जबकि, बच्चों के ऊपर संगत का बहुत बड़ा असर पड़ता हैं। जिसके कारण बच्चे अपने आस-पास के लोगों को देख कर बहुत कुछ सीखते हैं। अगर आप अपने बच्चे के नैतिक ज्ञान में वृद्धि करना चाहते हैं तो आप उन्हें अच्छी-अच्छी कहानी भी सुना सकते हैं, जोकि एक कहानी इस प्रकार हैं।
शेर और बकरी की कहानी:
एक समय की बात हैं हीरा नाम का एक चरवाह था, उसके पास बहुत सारी बकरियाँ थी। जिसको चराने के लिए वह जंगल ले जाया करता था। बकरियाँ घास खाने के बाद जंगल के किनारे नदी में पानी भी पीने जाया करती थी। उसी जंगल में एक खूंखार शेर भी रहता था। जोकि, बकरियों का शिकार करने के लिए बहुत दिनों से घात लगाये हुए बैठा था। लेकिन सभी बकरियाँ हमेशा एक साथ रहती थी जिसके कारण शेर उनके ऊपर हमला नहीं कर पता था।

एक दिन शेर ने सोचा इस चरवाहे को मार देते हैं। जिससे हमें शिकार करने में आसानी हो जाएगी। अगले दिन शेर चरवाहे को मारने के लिए जा रहा था तो उसने सोचा अगर वह चरवाहे को नहीं मार पाया, तो उसके हाथ से सभी बकरियाँ भी निकल जाएंगी और वह इस जंगल में बकरियों को लेकर कभी नहीं आएगा। उसने अपने बढ़ते कदम को पीछे खीच लिया और चरवाहे को मारना उचित नहीं समझा।
शेर दुबारा से झाड़ियों में छिप गया और मन ही मन में सोचने लगा कि बकरियों को अपना शिकार कैसे बनाया जाए। इसी तरह से कई दिन बीत चुके थे। शेर को कोई तरकीब नहीं सूझ रही थी। एक दिन शेर ने सोचा मुझे सबसे पहले इन बकरियों को झुंड से अलग करना चाहिए। जिससे चरवाहा सभी बकरियों पर ध्यान नहीं दे पाएगा।
इन्हें भी देखें: हाथी की मानसिक गुलामी – Mental slavery of elephant
अब शेर बकरियों के झुंड के अंदर फूट डालना चाहता था। इस काम के लिए शेर ने बंदर की मदद ली। शेर के कहने के अनुसार, बंदर ने सभी बकरियों को अलग-अलग स्थान पर हरी-हरी घास के बारे में बताया और सभी बकरियाँ उस स्थान की खोज में निकल पड़ी। जिसके कारण अब बकरियों के झुंड में फूट डल गई थी।

शेर अलग-अलग बकरियों को देख उन पर टूट पड़ा और मार कर खा डाला। अब चरवाहे के पास एक भी बकरी नहीं बची हुई थी। जिसके कारण चरवाहा बहुत दुखी हुआ और अपने घर वापस लौट गया। इस प्रकार यह कहा जा सकता हैं कि जब तक हम एक हैं तो कोई भी हमारा कुछ बिगाड़ नहीं सकता। लेकिन अलग होने पर हर कोई हमारा फ़ायदा उठा सकता हैं।
नैतिक सीख: यह कहानी हमें सिखाती है कि अगर हम एक होकर झाड़ू की तरह बंधे रहेंगे तो हमें कोई कमजोर नहीं कर सकता। एकता में ही बल हैं!