मध्यप्रदेश के छोटे से गाँव में एक बहुत पुरानी हवेली थी। लोग उसे “राजा रघु प्रताप सिंह की हवेली” कहते थे। यह हवेली लगभग सौ साल पुरानी थी, जोकि अब खंडहर बन चुकी थी। हवेली की दीवारें टूटी हुई थी, उसके ऊपर काई जम चुकी थी। जिसके कारण उन दीवारों के ऊपर घास और कंटीले झाड़ी उग गए थे। खिड़कियों के शीशे टूटे हुए थे। हवा चलने पर दरवाजे और खिड़कियाँ ऐसे चरमराते थे कि मानो उसे कोई खोल रहा हो।
उस गाँव के लोग कहते थे, जो भी व्यक्ति रात को उस हवेली की तरफ गया आज तक वापस नहीं लौट सका। लेकिन सभी गाँव वाले कहते थे- “इस हवेली के अंदर जरूर कोई राज़ छिपा हुआ हैं।” जिसे आज तक कोई समझ नहीं सका। एक-दो लोग हिम्मत करके अंदर जा चुके हैं। लेकिन वे दुबारा वापस नहीं आ पाए।
रोहन जोकि दिल्ली में रहता था। वह लोककथाओं और भूत-प्रेत की कहानियों पर रिसर्च कर रहा था। वह अनेकों ऐसे स्थान पर जा चुका था। जहाँ पर लोग जाने से डरते थे। रोहन बहुत निर्भीक और बहादुर था। एक दिन वह किसी बस स्टैंड पर एक व्यक्ति से मिला। उसने उस व्यक्ति से काफी देर तक बातें करता रहा। बातों-बातों में उसे मध्यप्रदेश के राजा रघु प्रताप सिंह की हवेली के बारें में पता चला।
उस हवेली के बारें में जानकार रोहन रोमांचित हो उठा। वह सोचने लगा कि अगर “मैं उस हवेली का राज़ सबके सामने ला दिया तो लोग मेरी तारीफ करेंगे। पूरे गाँव ही नहीं, पूरे शहर में मेरी चर्चाएं होगी। रोहन ने अपना मन बना लिया कि वह मध्यप्रदेश के उस हवेली में जरुर जाएगा।
दो दिन बाद रोहन उस गाँव में पहुँचा। उसने अपने साथ कैमरा, टॉर्च और नोटबुक लिया हुआ था। वह शाम होने का इंतजार करने लगा। शाम ढलते ही वह उस हवेली की तरफ चल पड़ा। रास्ते में उसे एक चाय की दुकान दिखाई दी। उस दुकान को एक बूढ़ा व्यक्ति बंद कर रहा था। उसने रोहन को हवेली की तरफ जाते हुए देख हड़बड़ाकर बोला – “अरे… भाई उधर कहाँ जा रहे हो? शाम होते ही उस तरफ कोई नहीं जाता।”
क्योंकि, आगे बहुत पुरानी हवेली हैं। उस हवेली से औरत और बच्चों के रोने और हँसने की आवाजें आती हैं। रात में आज तक जो भी उधर गया हैं, वह वापस नहीं लौट पाया। रोहन ने कहा, “अरे काका कैसी बातें करते हो? यह सब अंधविश्वास हैं।” आज के इस युग में भूत-प्रेत कहाँ होते हैं। मैं कल सुबह इस हवेली की हकीकत सबके सामने लाकर रहूँगा।
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बूढ़े व्यक्ति ने कहा, “मेरी बात नहीं मान रहे हो देखना तुम जरूर पछताओगे। वह बूढ़ा व्यक्ति अपने घर को चल जाता हैं। रोहन उस हवेली की तरफ आगे बढ़ने लगा। रात हो चुकी थी, रोहन हवेली के गेट पर पहुंचा उसने टार्च जलाकर देख कि जंग लगा आधा खुला हुआ गेट था। वह जैसे ही गेट को खोलने के लिए धक्का दिया। अंदर से अजीब सी सरसराहट की आवाज़ें आना शुरू हो गई।

रोहन हाथ में टार्च, कैमरा लिए हुए हवेली के अंदर घुसते चला जा रहा था। अचानक उसे लगा की कोई उसके पीछे-पीछे चल रहा हैं। उसने पलटकर देखा तो उसे कोई दिखाई नहीं दिया। रोहन हवेली के अंदर आँगन में पहुँच चुका था। उसने देखा एक लालटेन जल रहा था। वह समझ गया, यहाँ जरूर कोई हैं।
उसने आवाज दी कोई हैं यहाँ पर…. लेकिन आगे से कोई आवाज नहीं आई। उसने कैमरे में बोलना शुरू कर दिया। “आज मैं राजा रघु प्रताप सिंह के महल के अंदर से लोगों को सच्चाई दिखाने जा रहा हूँ। आप लोग हमारे साथ बने रहो। आज एक बहुत बड़े रहस्य से पर्दा उठने वाला हैं।”
जैसे ही उसने बोलना शुरू किया था कि आँगन से ऊपर जाने वाली सीढ़ी से किसी के आने की ठक-ठक-ठक और पायल की छन-छन की आवाज़ आने लगी। वह चौक गया, सीढ़ी की तरफ उसने टॉर्च की रोशनी डाली, मगर कुछ नहीं दिखा। उसे सीढ़ी के ऊपर किसी औरत की खड़ी होने की परछाई दिखाई दी। उसने फिर से आवाज दिया कौन हैं वहाँ पर सामने आओ।
रोहन हवेली के आँगन से एक कमरे में घुसा उसे एक टेबल पर रखी एक डायरी दिखाई दी। उसने डायरी खोलकर देखा जिस पर लिखा था, “मेरे पति राजा रघु प्रताप सिंह मुझे इस हवेली में कैद कर दिया हैं। उन्होंने दूसरी शादी कर ली है, और मुझे मरने के लिए छोड़ दिया है। मैं यहाँ चीखती रही, लेकिन किसी ने दरवाज़ा नहीं खोला। मेरी आत्मा इसी कोठी में भटक रही है।” डायरी का आखिरी पन्ना खून से सना हुआ था। जिसमें लिखा था, “राजकुमारी सावित्री”
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रोहन को हावली की हकीकत पता चल गई थी। वह उस कमरे से बाहर निकलने के लिए कदम बढ़ाया ही था कि उसे अजीब-अजीब तरह की आवाजें सुनाई देने लगी। उसने हिम्मत करके आवाजों और परछाई की वीडियो बनाना शुरू कर दिया। लेकिन वह अंदर से बहुत डरा था। वह जल्दी से दरवाजे से बहार निकलना चाहता था।

अचानक उस कमरे का दरवाजा बंद हो गया। रोहन उस दरवाजे को खोलने का प्रयास करने लगा। तभी हा… हा… की आवाज करती हुई एक औरत जोकि सफेद साड़ी पहने हुए, जिसकी आँखें लाल थीं और चेहरा धुंधला था, वह हवा में उसके ऊपर वार कर देती हैं। रोहन टार्च और कैमरे के साथ नीचे गिर जाता हैं।
वह औरत मोटी आवाज में रोहन से कहती हैं, “तुम मेरी हवेली में क्या करने आए हो?” रोहन काँपते हुए बोला – “म… मैं सच्चाई जानना चाहता था।” औरत ने भयानक चीख मारी –“सच्चाई जानने वाले कभी जिंदा नहीं रहते!” उस प्रेत आत्मा ने रोहन को कमरे के चारों दीवारों पर उठा-उठा कर फेंका, रोहन का सिर फट चुका था। उसके शरीर के चारों तरफ से खून निकल रहे थे। उस भूतनी औरत ने रोहन को गायब कर दिया।
अगली सुबह चायवाला बूढ़ा व्यक्ति गाँव वालों को लेकर उसे हवेली के अंदर गया। गाँव वालों ने कमरे के अंदर रोहन का टार्च, कैमरा और खून की बूंदे देखी। जबकि रोहन कही दिखाई नहीं दिया। गाँव वालों ने कैमरा खोलकर देखा तो अजीब-अजीब आवाजों वाला वीडियो और औरत की साया वाली फ़ोटो थी। सभी गाँव वाले समझ चुके थे की रोहन का अंत हो चुका हैं।
अब कोई भी रिसर्चर उस हवेली की तरफ जाने की हिम्मत नहीं करता। अगर कोई नया पत्रकार या रिसर्चर उस कोठी का ज़िक्र करता है, तो गाँव वाले सिर्फ इतना कहते थे –“सावित्री अब अकेली नहीं है… वह कई लोगों को मारकर अपने तरह बना चुकी हैं।” इसलिए अब उस हवेली से आदमी और औरत की आवज आने लगी हैं।