लखनपुर गाँव में रामू का धोबी अपने पत्नी और बच्चों के साथ रहता था। रामू बहुत ही आलसी और निकम्मा किस्म का इंसान था। वह अपने परिवार की जिम्मेदारियों को नहीं समझता था। घर का खर्च चलाने के लिए उसकी पत्नी लोगों के कपड़े धुला करती थी। जबकि, रामू सारा दिन खाली बैठा रहता था। शाम ढलते ही वह अपने दोस्तों के साथ मौज-मस्ती करने चला जाता था।
रामू की पत्नी उसके व्यवहार से बहुत परेशान थी। उसकी तबीयत दिनों प्रतिदिन खराब होती जा रही थी। उसे अब लगने लगा था कि उसका आखिरी समय आने वाला हैं। अब उससे कपड़े भी नहीं धुले जाते थे। एक दिन वह बहुत उदास थी। वह कपड़ों का गट्ठर लेकर नदी के किनारे धुलने जा रही थी। उसे कुछ सुझाई नहीं दे रहा था। वह अपने आप को खत्म करने की योजना बना ली। उसे नदी के रास्ते में एक कुआँ दिखाई दिया।
जंगल के आसपास दूर-दूर तक कोई दिखाई नहीं दे रहा था। उसने बिना कुछ सोचे समझे कुएँ में छलांग लगा दी। वह कुएं में डूबकर मर गई। रामू शाम को जब घर आया तो देखा उसकी पत्नी घर पर नहीं थी। उसने अपनी पत्नी को खोजना शुरू कर दिया। गाँव वाले भी उसकी पत्नी को खोज रहे थे।
रामू को किसी ने बताया कि उसकी पत्नी को दोपहर में कपड़ों का गट्ठर लिए हुए नदी की तरफ जाते हुए देखा था। गाँव वाले और रामू नदी की तरफ निकल पड़े। सभी ने रास्ते में देखा कि एक कुएँ के पास कपड़ों का गट्ठर पड़ा था। गाँव वालों को समझ में आ गया कि रामू की पत्नी यही कही होगी। सभी जंगल के चारों तरफ उसे खोजने लगे, लेकिन रामू की पत्नी कही नहीं मिली।
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सभी थककर कुएं के पास बैठ गए। अचानक कुएं से हा…हा… हँसी की आवाज गूँज उठी सभी डर गए। रामू की पत्नी चुड़ैल बन चुकी थी। उसने कहा, “आ गए मुझे खोजने, अब तुम सभी मारे जाओगे हा… हा… हँसने लगी। सभी को पता चल गया कि रामू की पत्नी कुएं गिरकर आत्महत्या कर ली हैं। जिसके कारण अब वह चुड़ैल बन चुकी हैं।
सभी लोग भागते हुए अपने-अपने घर को चले गए। रामू बहुत उदास था, उसे अपने गलतियों का पछतावा हो रहा था। उसी रात उस कुएं से जोर-जोर हँसने की आवाज आने लगी। वह आवाज बिल्कुल रामू की पत्नी की तरह ही थी। एक दिन रामू कही गया हुआ था। उसे वापस आने में देर हो गई।
वह उसी जंगल के रास्ते से वापस आ रहा था। रामू बहुत डरा और सहमा था। उसे ऐसा लग रहा था कि उसकी पत्नी चुड़ैल के रूप में उसे रास्ते में न मिल जाए। रामू तेजी से अपने घर की तरफ चलते चला जा रहा था। बीच रास्ते में दो पेड़ों के बीच में अचानक देखता हैं कि एक औरत जिसकी आँखें लाल-लाल खुले हुए बड़े-बड़े बाल और सफेद साड़ी पहने हुए खड़ी हैं। झाड़ियों में आग जल रही थी। उसे देख रामू भयभीत हो उठा। रामू वापस पीछे मुड़कर भागना चाहा।

अचानक फिर से वह चुड़ैल उसके सामने आकर खड़ी हो गई। रामू उस औरत को ऊपर से नीचे की तरफ देखता हैं। उस औरत के दोनों पैर नहीं थे। उसका मुँह बिल्कुल नहीं दिख रहा था। चुड़ैल ने कहा, “पहचाना मुझे! तेरे आलस और निकम्मेपान के कारण मैं कुएं में गिरकर आत्महत्या कर ली।” आज तुम्हारी आलस हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी हा…हा…। रामू ने कहा मुझे मत मारो मैं तुम्हारा पति हूँ। चुड़ैल ने कहा, पति! कैसा पति? कौन सा पति, तुम्हें तो कोई पत्नी नहीं मिलनी चाहिए थी।
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चुड़ैल ने रामू के दोनों हाथ पकड़कर दूर नदी के किनारे निकाल गई। इस तरह रामू का अंत हो जाता हैं। अगले दिन से जंगल के उसे कुएं में से आवाज आना बंद हो जाती हैं। लोगों को समझ आ गया कि कल रामू इसी जंगल के रास्ते वापस घर आ रहा था। जरूर चुड़ैल बनी उसकी पत्नी रामू को मार दिया होगा। अब गाँव वाले उस जंगल के रास्ते जाने से भी डरते थे।
कुछ महीनों बाद उस गाँव में सूखा पड़ गया। सभी नदियाँ तालाब कुएं सब सुख गए। गाँव वालों को पानी की किल्लत होने लगी। एक दिन जंगल के रास्ते वाले कुएं से पानी बहता हुआ दिखाई दिया। लोगों को डर था कि अगर उस कुएं से पानी लेने जाएंगे तो चुड़ैल उनको मारकर खत्म कर देगी।
एक दिन उसी गाँव से एक फकीर गुजर रहा था। वह बहुत प्यासा था, उसने गाँव के कई लोगों ने पीने के लिए पानी माँगा लेकिन लोग पानी की किल्लत बताते हुए मना कर दिया। फकीर को पूरी बात गाँव वालों ने बता दी। फकीर जंगल के कुएं के पास गया और देखा की उस कुएं में साफ पानी था।
फकीर ने कुएं में से पानी निकालकर पिया। गाँव वालों को कुएं के पास बुलाकर कहा, “डरो मत, आओ वह चुड़ैल तुम लोगों को नुकसान नहीं पहुंचाएगी। क्योंकि उसे अपने पति को सबक सीखना था।” अब वह उसे मार चुकी हैं। उस दिन से गाँव के लोग उस कुएं से पानी भरने लगे।