शिक्षाप्रद कहानी – राजा और चिड़िया

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बहुत समय पहले की बात हैं। किसी राज्य में एक राजा रहता था। उसने अपने महल को बहुत खूबसूरत बनवाया था। जिसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से आते थे। राजा ने अपने महल में बेशकीमती संगमरमर के पत्थर लगवाए थे। राजा का विश्रामकक्ष और अधिक सुंदर था। जब भी वह अपने विश्रामकक्ष में जाता था तो वह अपने पूरे दिन की थकान भूल जाता था।

क्योंकी, उसका शयनकक्ष बहुत आकर्षक ढंग से सजाया गया था। जो देखने में मनमोहक लगता था। उसके कमरे की खिड़कियों और दरवाजों पर सुंदर-सुंदर नक्काशी की गई थी। एक दिन राजा अपने शयनकक्ष में विश्राम कर रहा था। उसे कमरे की खिड़की से ठक-ठक की आवाज आती हुई सुनाई दी। उसने अपने दरबारी को आदेश दिया कि इस आवाज के बारें में पता करो।

दरबारी ने बाहर जाकर देखा और वापस आकर राजा से बताया कि- “महाराज, आपके शयनकक्ष की खिड़की पर एक चिड़िया बैठी हैं जो अपनी चोंच से शीशे पर ठक-ठक कर रही हैं। दरबारी की बात सुनकर राजा ने अपने शयनकक्ष की खिड़की खोली,उसने देखा कि एक खूबसूरत चिड़िया खिड़की के आसपास मँडरा रही हैं। देखते-ही-देखते वह चिड़िया राजा के कमरे के अंदर आ गई।

चिड़िया की खूबसूरती देख राजा बहुत प्रसन्न हुआ। उस चिड़िया के पंख बहुत रंग-बिरंगे और उसकी आंखे बहुत सुंदर थी। राजा उस चिड़िया की सुंदरता देख मंत्रमुग्ध हो गया। राजा यह समझ गया कि यह चिड़िया किसी और राज्य से आई हैं। क्योंकि इतनी सुंदर चिड़िया राजा ने अपने राज्य में कभी नहीं देखी थी। कुछ समय बाद चिड़िया खिड़की के रास्ते उड़ गई।

राजा उस चिड़िया को देखने के लिए तुरंत खिड़की के पास गया। लेकिन, चिड़िया बगीचे में कहीं गुम हो गई। अगले दिन फिर से राजा के शयनकक्ष में खिड़की से ठक-ठक की आवाज आई। राजा ने जैसे ही अपने कमरे की खिड़की को खोली, वही चिड़िया फिर से राजा के कमरे में आ गई। इस तरह से यह सिलसिला कई दिनों तक चलता रहा।

एक दिन राजा ने उस चिड़िया से कहा- प्यारी चिड़िया तुम ऐसे प्रतिदिन करती हो। तुम हमारे महल के बगीचे में रुक जाओ, तुम्हें किसी भी चीज की कमी नहीं होगी। तुम महल के बगीचे में लगे, फल भी खा सकती हो। चिड़िया राजा से कहती हैं- “राजन, आपको मेरा प्रणाम! मुझ जैसी तुच्छ चिड़िया को अपने राज्य में रहने के लिए आमंत्रित करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद!”

लेकिन, मैं एक प्रवासी चिड़िया हूँ। हर साल जब हमारे राज्य में गर्मी बढ़ जाती हैं, तब मैं आपके राज्य में आ जाती हूँ। क्योंकि, यहाँ पर ठंड शुरू हो जाती हैं। मुझे ठंड में रहना बहुत अच्छा लगता हैं। राजा ने कहा- ”प्यारी चिड़िया तुम हमेशा के लिए न सही कुछ दिनों के लिए ही हमारे राज्य में रुक जाओ।”

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इस तरह से चिड़िया, राजा के महल में रहने के लिए तैयार हो जाती हैं। अब राजा और चिड़िया के बीच बहुत गहरी दोस्ती हो जाती हैं। राजा चिड़िया की बहुत देख-भाल करता था। वह चिड़िया को देखे बिना नहीं रह पाता था। जबकि, चिड़िया को भी राजा के प्रति अत्याधिक लगाव हो गया था। इस तरह से दोनों को समय का पता नहीं चला। देखते-देखते सर्दी से गर्मी का मौसम आ गया।

अब चिड़िया सोचने लगी इस गर्मी में मैं यहाँ नहीं रह पाऊँगी। वह सोचती हैं कि हमारे राज्य में अब ठंड भी शुरू हो गई होगी। चिड़िया राजा से अपने राज्य जाने के लिए आदेश लेकर उड़ गई। राजा और चिड़िया का बिछड़ना बहुत दुखदायी था। क्योंकि चिड़िया अपने राज्य के लिए लगभग छे महीने के लिए जा रही थी।

चिड़िया अपने राज्य को जाते समय राजा से वादा करके गई कि इस बार जब वह वापस आएगी तो वह राजा के साथ हमेशा रहेगी और चिड़िया अपने राज्य को चली जाती हैं। चिड़िया जब तक वहाँ रही, प्रतिदिन वह राजा से मिलने के लिए व्याकुल रहती थी।

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किसी तरह से ठंड बीत गई। उसे अब कई किलोमीटर उड़कर राजा के पास जाना था। लेकिन वह राजा से मिलने के लिए बहुत खुश थी। चिड़िया ने सोचा कि लगभग छे महीने बाद राजा से मिलने जा रही हूँ, क्यों न राजा को कोई खास उपहार दिया जाए। जिसे पाकर राजा खुश हो सके। चिड़िया के राज्य में एक ऐसा फल था, जिसे खाने वाले का काया-कल्प हो जाता था, मतलब शरीर बीमारी से मुक्त हो जाता था।

चिड़िया इस तरह के अच्छे फलों को लेकर राजा से मिलने के लिए उड़ चली। इधर राजा ने भी चिड़िया के लिए एक ऐसा बगीचा बनवा दिया, जिसमें पूरे साल सर्दी का ऐहसास हो सकेगा। चिड़िया को उड़ते-उड़ते रात होने को आ गई। उसने एक पेड़ देखा जहाँ पर वह रात बिताने के लिए अपने फल को रखकर सो गई। उसी पेड़ पर एक विषधारी साँप रहता था जोकि कई रोगों से ग्रसित था।

उसने उस फल को थोड़ा सा खा लिया। जैसे ही उसने फल को खाया उसके सारे रोग दूर हो गए और वह पूरी तरह से स्वस्थ हो गया। अगले दिन चिड़िया फल लेकर राजा के दरबार में पहुँची। राजा और चिड़िया एक दूसरे को देखकर बहुत खुश हुए। चिड़िया राजा को फल देते हुए उसकी विशेषता बताती हैं। राजा उस फल को खाकर रोगमुक्त होना चाहता था।

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राजा जैसे ही उस फल को खाने के लिए अपने मुँह तक ले गया। वहीं बैठे उसके एक बुद्धिमान मंत्री ने राजा को रोकते हुए कहा- “महाराज आपको मारने के लिए इसमें दूसरे राज्य के राजा की कोई चाल भी हो सकती हैं। इस फल को खाने से पहले हमें इसकी जाँच करनी चाहिए। राजा वही पास में बैठे अपने पालतू कुत्ते को एक फल खाने को देता हैं, जैसे ही कुत्ता वह फल खाता हैं। वह अपने प्राण को त्याग देता हैं।

यह सब देख राजा बहुत दुखी हुआ। उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि चिड़िया उसको इतना बड़ा धोखा देगी। वह उदास होकर अपने कमरे में चला गया, चिड़िया के कुछ सफाई देने से पहले ही सिपाहियों ने उस पर वार कर दिया। जिसके कारण चिड़िया की मृत्यु हो गई। सिपाहियों ने चिड़िया के शव के साथ उसके द्वारा लाए काया-कल्प फल को महल के बगीचे में दबवा दिया।

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बगीचे में जहाँ पर चिड़िया को दफनाया गया था, उसी जगह एक पेड़ उग गया। वह पेड़ देखने में बहुत अनोखा था। देखते-देखते उस पेड़ में सुंदर-सुंदर फूल आ गए। कुछ दिन में चिड़िया जैसा फल लाई थी ठीक उसी प्रकार फल आ गए। दरबार के लोग अनुमान लगाने लगे कि वह चिड़िया राजा से अपना बदला लेना चाहती हैं। इस फल को जो भी खाएगा उसकी मृत्यु निश्चित हैं।

राजा अब भी चिड़िया से बेपनाह मोहब्बत करता था। इसलिए वह उस पेड़ को कटवाना नहीं चाहता था। जबकि, राजा उन फलों को उसी बगीचे में दबवा देता था जिसे कोई खाता नहीं था। एक बार राजा बीमार पड़ गया। उसे ठीक करने के लिए बड़े-बड़े बैद्य और हकीम आए। लेकिन वह ठीक नहीं हो सका। अब राजा अपनी बीमारी के कारण बहुत परेशान रहने लगा।

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उसे अब भी चिड़िया की बहुत याद आती थी। एक दिन अकेले में वह अपने बगीचे में टहलने के लिए गया था। उसने सोचा अब मेरी जिंदगी और नहीं बची हैं इस विषैले फल को खाकर अपनी जिंदगी खत्म कर लेता हूँ। शायद मेरी मुलाकात जन्नत में चिड़िया से हो जाए। राजा बिना कुछ सोचे, वह एक फल तोड़कर खा लिया।

राजा ने जैसे उस काया-कल्प फल को खाया उसके शरीर का रक्त संचार तेज हो गया। उसके अंदर एक अलग ऊर्जा निकलने लगी। देखते-ही -देखते राजा के सारे दुख-दर्द कुछ ही पलों में गायब हो गए। राजा उसी पेड़ को पकड़कर जोर-जोर से रोने लगा और उस पेड़ से कहने लगा- “प्यारी चिड़िया मुझे माँफ कर दो, तुम मेरे लिए जरूर यह उत्तम फल लाई होगी। लेकिन कहीं रास्ते में इस फल में किसी जानवर ने विष मिला दिया होगा। राजा को अपने किए पर बहुत पछतावा हुआ।

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