भूत की सच्ची कहानियाँ हिन्दी में

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आज के इस माडर्न युग में भी भूत-प्रेत से जुड़ी घटनाएं देखने को मिलती हैं। ऐसी घटनाएं अक्सर पिछड़े हुए क्षेत्रों में देखने को मिलती हैं। क्योंकि वे साइंस पर ज्यादा विश्वास नही करते। वे किसी भी रोग को ठीक करने के लिए जादू-टोना और झाड़-फूँक का सहारा लेते हैं। यही वह कारण हैं कि उन्हें भूत-प्रेत पर अधिक विश्वास हो जाता हैं। कहानीज़ोन आज आपके लिए कुछ डरा देने वाली भूतिया कहानी सुनने जा रहे हैं। जिसे अकेले में पढ़ना डरावना हो सकता हैं।

1. भूतिया ट्रेन का डिब्बा:

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मीरपुर गाँव में सरिता नाम की एक लड़की रहती थी। उसके पिता हरीराम एक गरीब मजदूर थे। वे दिन भर मजदूरी करते फिर भी उनके घर का खर्च नहीं चल पाता था। हरीराम बहुत परेशान हो उठा। उसने सोचा मेहनत से कुछ नहीं होने वाला। मेरी किस्मत खराब हैं। मुझे सबसे पहले अपनी किस्मत ठीक करनी होगी।

वह साधु-संत और फकीर के पास जाने लगा। लोग उसे तरह-तरह की बातें बताते थे। जिसे वह पूरी शिद्दत से करता था। एक दिन उसे एक तांत्रिक बाबा मिला उसने कहा, “तुम्हारी किस्मत तुरंत बदल सकती हैं।” लेकिन इसके लिए तुम्हें एक बलि देनी पड़ेगी। वह बलि तुम्हें रात बारह बजे इस शमशान में आकर देनी पड़ेगी।

हरीराम ने अगली रात एक बकरी लेकर आया। वह उस बकरी की बलि देकर चला गया। लेकिन उसके जीवन में कोई बदलाव नहीं आ रहा था। एक दिन फिर वह उसी तांत्रिक के पास गया। उस तांत्रिक ने पूछा, “तुमने बलि किसी दी थी। हरीराम ने कहा- “मैंने एक बकरी की बलि दी थी।” उसकी बातों को सुनते ही तांत्रिक गुस्से से लाल-पीला हो उठा।

उसने कहा, “बलि दिए हुए माँस को मैं खाता हूँ।” मुझे इंसान का माँस ही चाहिए। तुमने मेरी साधना भंग कर दी, जिसकी सजा तुम्हें मिलेगी। उसने अपनी त्रिशूल हरीराम के पेट में घुस दी, जिसके कारण उसकी मृत्यु हो गई। तांत्रिक को मारते हुए उसकी बेटी सरिता ने देख लिया। तांत्रिक उस लड़की के पीछे पड़ गया।

सरिता भागते हुए रेलवे स्टेशन पर एक ट्रेन में छिप गई। कुछ देर बाद मुंबई से दिल्ली जाने वाली गरीब रथ ट्रेन का हार्न बजा। सरिता उसी ट्रेन के A1 कोच में सीट नंबर 51 पर बैठी थी। अचानक उसके सामने वही अघोड़ी बाबा आया। उसे देख सरिता बहुत डर गई। अघोड़ी बाबा ने सरिता को भी मार दिया।

उसका त्रिशूल खून से लथपथ था। उसे देखे सभी यात्री सहम गए थे। अघोरी बाबा चलती ट्रेन से नीचे एक नदी में कूद गया। वह तैरकर नदी से बाहर निकल गया। अगले स्टेशन पर ट्रेन रुकी सरिता की लाश को उतरकर पोस्टमॉर्डम के लिए भेज दिया गया। कुछ दिन बाद उस ट्रेन का A1 कोच में सीट नंबर 51 पर जो भी बैठता उसकी रास्ते में दम घुटने से मौत हो जाती थी।

इस तरह गरीब रथ के उस कोच में 51 नबर सीट पर कई मौत हो चुकी थी। एक दिन उसी ट्रेन के A1 कोच में 51 नंबर सीट पर एक बच्ची बैठी थी। उसके सामने वाले सीट पर एक फकीर बाबा बैठे थे। बाबा को तंत्र विद्या का प्रचंड ज्ञान था। बीच रास्ते में उस लड़की का दम घुटने लगा। उसने अपने गले को पकड़कर बैठ गई। उसे ऐसा लग रहा था कि मानो कोई उसका गला दबा रहा हो।

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फकीर बाबा को बात समझने में देर नहीं लगी। उन्होंने अपने थैले में से एक चमत्कारी पत्थर निकलकर उस लड़की को दिखाने लगे। लड़की फकीर बाबा के ऊपर हमला कर दी जिससे बाबा नीचे गिर गए। बाबा तुरंत खड़े होकर अपने गले से एक माला निकलकर उस बच्ची के गले में डाल दिया।

माला डालते ही शमशान में बैठा तांत्रिक आग से जलने लगा। उसकी मायावी शक्ति छिड़ हो गई। वह उसी शमशान में जलकर रख हो गया। अब जो भी उस ट्रेन की 51 नंबर सीट पर सफर करता उसे कोई भी प्रेत-आत्मा परेशान नहीं करती थी।

2. गड़ा हुआ जींद:

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रामसूरत नाम का एक व्यापारी था। उसका कपड़ों का व्यापार था। वह कई सालों से मेहनत कर रहा था। लेकिन उसकी तरक्की नहीं हो पा रही थी। वह और अधिक मेहनत करने लगा उसके पास पैसे तो खूब आने लगे। लेकिन वह पैसा उसके पास टिकता नहीं था। कभी घर वालों के इलाज में पैसा खर्च हो जाता तो कभी व्यापार में घाटा लग जाता। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि उसका पैसा कहाँ जा रहा हैं।

रामसूरत ने सोचा क्यों न कोई ज्योतिषी से मिला जाए। वह एक ज्योतिष के पास गया और अपने मन की सारी बातों को बता दी। ज्योतिषी ने उसे कुछ उपाय बताया, लेकिन उसका कोई फ़ायदा नहीं हुआ। व्यापारी रामसूरत और परेशान रहने लगा। उसने सोचा चलो किसी और के पास चलते हैं। जिससे अपनी समस्या का हल पूछा जाए।

रामसूरत अपनी समस्या का समाधान खोजते-खोजते एक अघोड़ी बाबा के पास पहुँचा। रामसूरत को देखते ही अघोड़ी बाबा ने कहा, आ गया तू तुम्हारे घर में बरक्कत नहीं हो रही। तुझे पाता हैं, ऐसा क्यों हो रहा? रामसूरत ने कहा- नहीं बाबा तभी तो मैं आपके दरबार में आया हूँ। अघोड़ी बाबा ने कहा, “तुम अपने दोनों हाथ इस पानी के बाल्टी डालो” रामसूरत ने अपने दोनों हाथ पानी के बाल्टी में जैसे ही डाला पानी का रंग खून जैसा लाल हो गया।

अघोड़ी बाबा ने कहा, “तुम्हारे घर में जींद गड़ा हुआ हैं। उसे निकलना पड़ेगा। बाबा ने पूरा विधान बताकर रामसूरत को घर भेज दिया। उसी रात बारह बजे अघोड़ी बाबा रामसूरत के घर आए। उन्होंने घर के अंदर लगभग पाँच फिट नीचे एक गड्ढा खुदवाया। बाबा ने उस गड्ढे में पाँच बाल्टी पानी डालने के लिए कहा।

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अपने थैले से एक ताबीज निकालकर एक गिलास पानी में डाल दिए। बाबा ने पाँच बार उस ताबीज के पानी को गड्ढे में डाला। अचानक उस गड्ढे से एक खतरनाक जींद निकला। उसने मोटी आवाज में कहा, “अघोड़ी तुमने मुझे बाहर निकलकर अच्छा नहीं किया।” आज तुम सभी मारें जाओगे।

इतना कहते ही वह हा… हा… करके हँसने लगा। अघोड़ी अपने बैग में लिया हुआ एक डिब्बा खोला काफी मसक्कत के बाद। उसने उस जींद को पकड़कर डिब्बे में बंदकर दिया। उसी दिन से व्यापारी के घर में तरक्की होनी शुरू हो गई। अब व्यापारी बहुत खुशी भरा जीवन यापन करने लगा।

3.पहाड़ों का भूत:

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ठंड का समय था, एक स्कूल के अध्यापक बच्चों को घूमाने पहाड़ों पर ले गए। कई साल पहले उसी पहाड़ से नीचे गिरकर एक लड़के की मौत हो चुकी थी। बच्चे वहाँ पहुंचकर पहाड़ पर खूब मौज मस्ती कर रहे थे। तरह-तरह के गेम भी खेल रहे थे। उन्ही बच्चों में एक बच्चा जिसका नाम श्याम था वह अकेले एक पेड के सहारे बैठा था। अचानक उसे लगा की कोई उसके अंदर समाहित हो गया हैं।

अध्यापक ने बच्चों से कहा, “चलो पहाड़ के नीचे अपने-अपने टेंट में चलो, कल फिर आएंगे। सभी बच्चे और अध्यापक अपने-अपने टेंट में जा चुके थे। बच्चों ने डिनर खत्म कर अपने-अपने बेड पर सो गए। श्याम अपने बेड से उठा और उसी पहाड़ी की तरफ चल दिया। श्याम को पहाड़ी की तरफ जाते देख उसे टेंट का मालिक एक मशाल लेकर उसके पीछे-पीछे चल दिया।

वह उस पहाड़ी के हर क्षेत्र से अच्छे से परिचित था। श्याम पहाड़ी की चोटी पर चढ़ चुका था। जैसे ही उस शैतानी आत्मा ने श्याम को पहाड़ से नीचे खाई में गिरना चाहा। टेंट का मालिक उसका हाथ पकड़कर ऊपर खींच लिया। टेंट का मालिक अपने हाथों में मसाल लिया हुआ था। उसने श्याम से पूछा तुम कौन हो, तुम इस बच्चे को नीचे खाई में क्यों गिरना चाहते हो।

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उसने कहा, मेरा नाम विशाल हैं, मैं कई साल पहले यहाँ पिकनिक मनाने आया था। मैं इस खाई में गिरकर मर गया था। अब इस पहाड़ी पर मैं किसी को नहीं आने दूंगा। यहाँ जो भी आएगा उसका यही हाल होगा। टेंट के मालिक श्याम की तरफ मसाल लिए आगे बढ़ रहा था। उसने कहा, “तुम श्याम को छोड़ तो नहीं तो मैं इसी मसाल से तुम्हें जलाकर राख कर दूंगा। जैसे ही वह श्याम के पास तक जलती मसाल लेकर आगे गया।

वह शैतान आत्मा जोर-जोर से चिल्लाने लगा, मुझे मत जाओ मैंने इस बच्चे को छोड़ दिया। इस तरह वह शैतान आत्मा उसे छोड़कर खाई में समा गया। टेंट का मालिक उसे लेकर नीचे आया तो सभी नीचे जागे थे। उन लोगों को टेंट का मालिक पूरी कहानी बताया तो सभी आश्चर्यचकित हो गए। स्कूल के अध्यापक ने उस मालिक को श्याम की जान बचाने के लिए और अधिक पैसे दिए।

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