Image credit: gemini
किसी खेत में पत्ते पर बैठे हुए एक टिड्डा गाना गा रहा था।
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एक चींटी अपने खाने की व्यवस्था कर रही थी।
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टिड्डे ने चींटी से कहा, क्यों इतनी मेहनत करती हो। आओ तुम्हें गाना सुनाऊँ।
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चींटी ने उसके ऊपर ध्यान नहीं दिया। वह अपने घर को चली गई।
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कड़ाके की सर्दी पड़ने लगी, अब कोई भी बाहर नहीं दिख रहा था।
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ठंड के कारण टिड्डा काँप रहा था। उसे कुछ सुझाई नहीं दे रहा था कि खाने की व्यवस्था कहाँ से की जाए।
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टिड्डे ने सोचा चलो चींटी बहन से मदद माँगते हैं।
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चींटी अपने खाने का भंडार भरकर रखी थी।
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टिड्डा चींटी से यह कहते हुए मदद ली की वह अब अच्छे दिनों में अपने खाने का भंडार भरकर रखेगा।
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उस दिन के बाद टिड्डा भी अपने खाने का भंडार भरकर रखने लगा।
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