भूत की कुछ कहानियां ऐसी भी होती हैं जो अधिक डरा सकती हैं। जिससे व्यक्ति आगे की कहानी को पढ़ने की हिम्मत नहीं रखता। लेकिन अगर कहानी वास्तविक हो तो उसे पढ़ने में अधिक आनंद आता हैं। इसके अलावा व्यक्ति उस कहानी में दिलचस्पी भी अधिक लेता हैं। कहानीज़ोन की आज की कहानियां कुछ इसी प्रकार से लिखित हैं:
1. भूतिया जंगल:

तापती नदी के किनारे बसा एक गाँव जिसका नाम अमरपुर था। उस गाँव में पहुंचना आसान नहीं था। क्योंकि, तापती नदी को पार करके जंगल के रास्ते होते हुए उस गाँव में जाना पड़ता था। लेकिन अंधेरा होने से पहले नदी को पार कराने वाला मल्लाह अपने घर चला जाता था। उस गाँव के लोगों को पता था कि शाम सात बजने के बाद उस रास्ते से कोई आता-जाता नहीं था।
क्योंकि नदी के किनारे वाले जंगल में भूतों का वास होता था। वे रात में उसी जंगल में टहला करते थे। एक दिन हरिया की पत्नी यशोदा नदी उस पार गई थी। उसे वापस घर आने मे देर हो गई। रात को आठ बज चुके थे। उसने देखा कि नदी पार कराने वाला मल्लाह भी जा चुका था। उसे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि वह नदी कैसे पार करें। उसे भूतों का डर भी लग रहा था।
तभी वह सामने देखती हैं कि मल्लाह नाव लेकर उसकी तरफ चला आ रहा हैं। वह उसके पास पहुंचकर बोला, “मैंने तुम्हें कहा था समय से पहले आ जाना, लेकिन तुम आने में बहुत देर कर दी। मैं घर जा ही रहा था कि तुम्हें देख लिया। चलो बैठो जल्दी घर चले। हरिया की पत्नी यशोदा नाव में बैठ गई। मल्लाह जंगल की तरह अपना मुँह करके बैठ था। वह धीरे-धीरे अपना चप्पू चलाने लगा। नाव हिचकोले लेती नदी में चल रही थी।

यशोदा सोचे जा रही थी कि मल्लाह इतनी रात कभी नहीं रुकता, आज कैसे रुक हुआ हैं। जबकि मल्लाह की आवाज भी बदली-बदली आ रही थी। वह अंदर से बिल्कुल डरी हुई थी। नाव नदी के बीचों-बीच पहुँच चुकी थी। यशोदा ने मल्लाह से पूछा, “आज तुम कुछ ज्यादा देर तक क्यों रुके हो। मल्लाह ने कुछ नहीं बोला।” हरिया की पत्नी बिल्कुल सहम गई। उसे समझ में आने लगा कि वह फँस चुकी हैं।
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नाव किनारे लगते ही मल्लाह अचानक से गायब हो गया। हरिया की पत्नी धीरे-धीरे जंगल के रास्ते अपने घर को जाने लगी। बीच रास्ते में उसने देखा की मल्लाह आगे-आगे गाँव की तरफ जा रहा था। हरिया की पत्नी ने मल्लाह से कहा, “रुको इतनी तेज क्यों चल रहे हो, मुझे भी साथ लेते चलो। मल्लाह एकाएक हरिया की पत्नी यशोदा की तरफ देखा उसका चेहरा भयानक तथा लाल-लाल आँखे थी।
उसे देखते ही यशोदा बेहोश होकर वही गिर पड़ी। वह भूत उसके अंदर समा गया। सरिता उठी और अपने गाँव की तरफ चली गई। उसके पति ने पूछा, तुम नदी कैसे पार करके आई। यशोदा ने कहा, “मुझे मल्लाह ने नदी पार करवाया था।” उसका पति थोड़ा डरा हुआ था। उसने सोच कि मल्लाह इतनी रात तक तो वहाँ नहीं रहता।
रात ज्यादा हो गई गाँव के सभी लोग सो गए। यशोदा अपना रूप बदलकर गाँव में घूमने के लिए निकल गई। उसका पति चुपके-चुपके उसके पीछे चल दिया। उसने देखा कि यशोदा बिना पैर के चल रही थी। वह और अधिक डर गया। अचानक उसने देखा कि वह किसी बच्चे को लेकर जंगल की तरफ भाग गई। यह सब देख उसक पति बहुत घबरा गया।
वह घर आकर देखा तो उसकी पत्नी खाट पर लेटी थी। उसे देख वह चिल्लाने लगा। हरिया की आवाज सुन आस-पास के लोग इकट्ठा हो गए। हरिया ने पूरी कहानी गाँव वालों को बता दिया। उसी गाँव में एक फकीर रहता था। सभी उसके पास गए और सारी बातों को बता दिया। फकीर ने हरिया को एक मुट्ठी भरकर सरसों का बीज दिया। उसने कहा, “इस बीज को अपनी पत्नी के सिर पर पाँच बार घूमाकर मुझे लाकर दो। लेकिन ध्यान रहे कि उसे पता नहीं चलना चाहिए।
हरिया ने चुपके से अपनी पत्नी के सिर पर एक मुट्ठी बीज को पाँच बार घूमा कर फकीर बाबा को दे दिया। उसी रात लगभग बारह बजे फकीर बाबा बडा सा अलाव जलाकर बैठे थे। जैसे ही यशोदा के ऊपर भूत सवार हुआ वह भागते-भागते फकीर के घर जा पहुँचा। उसने फकीर के ऊपर हमला कर दिया। लेकिन फकीर बाबा चैतन्य थे। उन्होंने उसे उसी अलाव में गिरा दिया। वह शैतान आत्मा जलकर राख हो गई।
2. खूनी कुआँ:

रोहित अपने दोस्तों के साथ पिकनिक मनाने एक अंजान जगह पर जा रहा था। रोहित के दोस्त बस में खूब सारी मस्ती कर रहे थे। बस सुनसान इलाके में चल रही थी दूर-दूर तक कोई दिख नहीं रहा था। शाम का समय भी हो चुका था। उस रास्ते में राहगीर दिखाई नहीं दे रहा था। आगे सड़क जंगल की तरफ जा रही थी। ड्राइवर को डर लग रहा था।
बीच जंगल में अचानक बस बंद हो गई। ड्राइवर नीचे उतरकर देखा कि बस में सब ठीक था। लेकिन बस चालू नहीं हो रही थी। उसने सोचा की हमें बस के कुलिंग इंजन में पानी डालने की आवश्यकता हैं। वह बस में रखे वाटर कूलर को लेने गया। लेकिन उस वाटर कूलर में पानी नहीं था। उसे लगा की बिना पानी डाले बस नहीं चल सकती।
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वह इधर-उधर देखा तो उसे थोड़ी दूर पर एक कुआँ दिखाई दिया। उस कुएं पर रस्सी से बंधी एक बाल्टी भी रखी थी। उसने उस बाल्टी को कुएं में डालकर पानी निकालना चाहा। उसने बाल्टी के पानी को कुएं से खींचकर बाहर निकला तो देखा वह बाल्टी खून से भरी थी। वह बहुत डर गया। उसने कुएं में झांककर देखा तो वह कुआँ खून से भरा था। अचानक उसे लगा की उसे कोई धक्का दे दिया वह कुएं में गिर गया।

कुछ देर बाद बस में बैठे बच्चे देखते हैं कि ड्राइवर अंकल बाल्टी में पानी लेकर आ रहे हैं। रात अधिक हो चुकी थी। ड्राइवर ने बस के कुलिंग इंजन में पानी डाला बस स्टार्ट हो गई। ड्राइवर बस लेकर किसी दूसरे रास्ते सुनसान जगह पर जाने लगा। रोहित के गले में एक अनोखा जादुई पत्थर पहन रखा था। उस पत्थर की खूबी थी कि किसी भी शैतान आत्मा के संपर्क में आने पर वह पत्थर गर्म होकर फट जाएगा।
उस पत्थर के फटने के साथ-साथ उसके सामने का शैतान भी जलकर राख हो जाएगा। ड्राइवर बना शैतान को पता चल गया कि किसी बच्चे के पास कोई ऐसा जादुई पत्थर हैं। जिससे मैं जलकर राख हो सकता हूँ। उसने बस को बीच रास्ते में रोक दी। ड्राइवर ने रोहित से कहा, “तुम बस से नीचे उतार जाओ” रोहित समझ चुका था कि ड्राइवर के अंदर शैतान आत्मा समा चुकी हैं। उसके गले का पत्थर गर्म होने लगा।
ड्राइवर रोहित के संपर्क में था। उसको मानो कुछ होने लगा था। अचानक एक भयानक शैतान आत्मा ड्राइवर के अंदर ने निकला। उसने रोहित के ऊपर हमला कर दिया। रोहित नीचे गिर गया, उसके गले से पत्थर की ताबीज निकल गई। रोहित उछालकर उस पत्थर वाले धागे को उठाकर उस शैतान को दिखाने लगा।
पत्थर शैतान के सामने एकदम लाल हो गया। अचानक वह पत्थर फटा उसके फटते ही शैतान आत्मा के ऊपर भयानक आग लग गई। वह चिल्लाते हुए उसी कुएं की तरफ भाग गया।
3. भूतिया अस्पताल:

एक रात अचानक सुरेश की तबीयत खराब हो गई। उसके घर वाले उसे लेकर कैलाश हॉस्पिटल में ले गए। वहाँ पहुंचकर उन्होंने देखा कि वह हॉस्पिटल सुनसान पड़ा था। उसके भाई विजय ने वहाँ बैठे गार्ड से डॉक्टर के बारें में पूछा। गार्ड ने कहा, “मेरा आज पहला दिन हैं। मुझे यहाँ के बारें में कुछ पता नहीं हैं, मैं देखकर आता हूँ।
गार्ड आपरेशन रूम के दरवाजे में लगे शीशे से देखा तो अंदर कई सारे भूत किसी व्यक्ति का खून पी रहे थे। वह भागते हुए सुरेश के पास आया उसने कहा, “तुम अपने भाई को किसी और अस्पताल में लेकर चले जाओ तो अच्छा होगा। यहाँ रहना ठीक नहीं हैं। वह गार्ड बहुत डर गया था। इतना कहते ही वह वहाँ से भाग गया।
सुरेश के भाई विजय ने कहा, “लगता हैं गार्ड ने किसी का ऑपरेशन करते हुए देख लिया। विजय अपने भाई को लेकर ऑपरेशन रूम के पास तक पहुँचा ही था कि उस रूम से डॉक्टरों की टीम निकलती हुई दिखी। सभी डॉक्टर सफेद ऐप्रन पहने हुए थे। वे अपने मुँह में मास्क लगा रखे थे। किसी का चेहरा नजर नहीं आ रहा था।
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विजय अपने दोनों हाथों को जोड़ते हुए स्टेचर पर लेटे सुरेश की तरफ दिखाते हुए कहा, “डॉक्टर साहब मेरे भाई को बचा लो।” डॉक्टर ने इशारे से स्टेचर को आपरेशन रूम में की तरफ लाने को कहा। दो डॉक्टरों ने स्टेचर को लेकर अंदर रूम मे जाने लगे। एकाएक सुरेश की निगाह डॉक्टरों के पैर पर पड़ी। उनके पैर नहीं थे, वह समझ गया ये डॉक्टर नहीं भूत हैं।
वह जोर-जोर चिल्लने लगा, लेकिन उसके भाई विजय ने उसे अंदर भेज दिया। डॉक्टरों ने रूम के दरवाजे को अंदर से बंदकर के सुरेश को मारकर उसका खून पीने लगे। सुरेश का भाई बहार इंतजार किए जा रहा था। उसे इंतजार करते हुए सुबह हो चुकी थी। लेकिन उस रूम का दरवाजा नहीं खुला। सुरेश के भाई ने दरवाजा तोड़कर देखा कि उसका भाई मरा पड़ा था, उस रूम में उसके पास कोई नहीं था।
तभी गार्ड उस हॉस्पिटल के मालिक को लेकर आया। सुरेश के भाई विजय ने पूरी घटना उस मालिक से बता दी। मालिक ने कहा, “इस अस्पताल में रात में कोई डॉक्टर नहीं रहता हैं।” यह गार्ड इस अस्पताल की रखवाली के लिए के लिए रखा गया था। इसके पहले जो गार्ड था उसे इस अस्पताल के बारे में सब पता था।
गार्ड ने बीती रात हुई घटना के बारें में सारी बात सुरेश के भाई को बता दिया। सुरेश के भाई विजय ने पुलिस थाने में जाकर रिपोर्ट कर दिया। पुलिस ने उस अस्पताल को सील कर बंद करवा दिया। उस दिन से उस अस्पताल में कोई नहीं जाता था।
4. अधूरी इच्छा:

ठंड का समय था रामसिंह अपने परिवार को लेकर गाँव जा रहा था। उसकी ट्रेन लेट हो चुकी थी। जिससे वह अपने स्टेशन पर लगभग बारह बजे रात में पहुँचा। स्टेशन से बहार निकलकर उसने देखा कि दूर-दूर तक उसे कोई दिखाई नहीं दे रहा था। कोहरा भी अधिक था। उसकी पत्नी ने कहा, आज की रात यही स्टेशन पर गुजार लेते हैं, सुबह घर चलेंगे।
तभी अचानक रामसिंह ने देखा कि उसके गाँव का एक व्यक्ति बैटरी रिक्शा लेकर स्टेशन की तरफ चला आ रहा था। उसने सोचा, थोड़ा समय और लगेगा चलो घर चलकर आराम करेंगे। अब तो अपने गाँव का भी व्यक्ति मिल गया हैं जो घर तक छोड़ देगा। वह व्यक्ति रामसिंह के परिवार को बैटरी रिक्शे में बैठाकर गाँव की तरफ निकल दिया।
बीच रास्ते में अचानक उसका रिक्शा खराब हो गया। उसने देखा कि बैटरी भी खत्म हो चुकी थी। रामसिंह और उसकी पत्नी परेशान हो उठे। अचानक उसने देखा कि एक ऑटो पीछे से चला आ रहा था। रामसिंह उस ऑटोवाले को रोककर घर छोड़ने के लिए कहा। ऑटोवाले ने कहा, “ठीक हैं बैठो छोड़ देता हूँ।”
रामसिंह ने देखा कि ऑटो ने एक बच्ची बैठी थी। जिसके बारें में ऑटोवाले को नहीं पता था। उसने सोच यह बच्ची इस ऑटोवाले की होगी। वह अपनी बेटी को उसके पास बैठा दिया। उसकी बेटी उस बच्ची के साथ खेल रही थी। रामसिंह अपने गाँव पहुँच चुका था। उसने देखा की वह बच्ची एकाएक गायब हो गई। रामसिंह ने ऑटोवाले से पूछा आपकी बच्ची कहाँ गई।
उसने कहा, “कौन सी बच्ची-मेरे कोई बच्ची नहीं हैं।” मेरे दो बेटे हैं वो अभी घर पर हैं। रामसिंह उस ऑटो वाले को पूरी बात बता दिया। उसने कहा, “आपको कुछ भ्रम हो गया हैं। मैंने अपनी ऑटो पर किसी बच्ची नहीं बैठाया था।” वह पैसे लेकर अपने घर चला गया। रामसिंह हैरान और परेशान रहने लगा।
उसे चिंता सता रही थी कि कही वह बच्ची उसकी बेटी के अंदर तो नहीं समा गई। एक दिन वह बच्ची खाना खा रही थी। उसने घर में बने पूरे खाने को खत्म कर दी। इस बात की खबर रामसिंह को चली तो वह समझ गया कि मेरी बेटी के अंदर वह बच्ची समा चुकी हैं। जिसकी वजह से वह खाना खाए जा रही हैं।
रामसिंह अपनी बेटी को लेकर एक तांत्रिक के पास गया। तांत्रिक ने उस बच्ची के ऊपर सवार आत्मा के बारे में पता लगा लिया। उसने रामसिंह से पूछा, “आपकी बेटी किसी स्कूल में पढ़ती हैं। यह बच्ची भी उसी स्कूल में पढ़ती थी। दोनों एक साथ गाँव जाना चाहती थी। लेकिन एक दिन एक्सीडेंट में उस बच्ची की मृत्यु हो गई। जिसके कारण उसके गाँव जाने की इच्छा उसकी अधूरी रह गई। इसलिए उसकी आत्मा आपके बेटी के साथ गाँव आई हैं। लेकिन यह आत्मा बच्ची और आपको किसी भी तरह से नुकसान नहीं पहुंचाएगी।
राम सिंह ने तांत्रिक से कहा, “बाबा आपने जो बताया वह सब सही बात हैं।” लेकिन कैसे भी करके उसे हमारे बेटी से दूर करो। तांत्रिक ने रामसिंह के बेटी से पूछा, “बेटा आपने अपने दोस्त से क्या-क्या वादे किए थे।” बेटी से सारी बातें बता दी। तांत्रिक ने रामसिंह को कहा, “बच्ची को इन जगह पर घूमा दो। वह अपने आप चली जाएगी।” राम सिंह ने अपनी बेटी को गाँव में कई जगह घुमाया, जिससे उस बच्ची की अधूरी इच्छा पूरी हो गई। एक दिन वह अपने आप उसे छोड़कर चली गई।
5. ट्रेन का खाली डिब्बा:

बंगाल के एक छोटे स्टेशन से मुंबई के लिए एक ट्रेन रवाना हुई। उस ट्रेन का A1 कोच खाली था। उस कोच में कोई यात्री नहीं बैठा था। ट्रेन आगे चलती जा रही थी। किसी स्टेशन पर एक परिवार के कुछ लोग A1 कोच में चढ़ें। उस कोच में कोई भी नहीं था। अचानक एक व्यक्ति चाय बेचते हुए उस कोच में आया। उसने उस परिवार के सभी लोगों को चाय पीला दी।
उसके जाने के बाद पूरे परिवार के लोग बेहोश हो गए। वही चायवाला दुबारा से चाय लेकर आया। उसने देखा की सभी बेहोश पड़े हैं। उसने उन सभी यात्रियों को उठाकर बाथरूम में बंद कर दिया। अगले स्टेशन पर टिकट चेक करने वाला एक टीटी आया। उसने देखा कि उस कोच में कोई नहीं था। वह बाथरूम खोलकर देखा तो कई लोग बेहोश पड़े थे।
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टीटी उन्हें देख डर गया। वह अपने पीछे देखा की एक चायवाला खड़ा था। उसने टीटी को चाय पीने के लिए कहा। लेकिन टीटी ने मना कर दिया। चायवाले ने कहा, चाय पी ले नहीं तो अगला नंबर तुम्हारा हैं। टीटी समझ गया यह कोई इंसान नहीं बल्कि इसके अंदर प्रेत-आत्मा हैं। इसी ने इन लोगों को बेहोश किया हैं। वह चलती ट्रेन से नदी में कूद गया।
चायवाला शैतान हर स्टेशन पर किसी न किसी को बेहोश करके बाथरूम में बंद कर देता था। ट्रेन मुंबई पहुचने वाली थी। एक अघोरी बाबा उस ट्रेन की A1 कोच में चढ़ा। उसने देखा कि उस कोच में कोई नहीं था। एक व्यक्ति चाय का डिब्बा रखकर उलटा मुँह करके बैठा था। उसने उसके पीछे से पीठ पर हाथ रखा।
चायवाला अपना भयानक रूप लेकर उस अघोरी के सामने जोर-जोर से हँसने लगा। उसने कहा, “आज तुम्हारा आखिरी दिन हैं।” उसे देख साधु बिल्कुल डरा नहीं। उसने अपने कंधे पर टंगे थैले में से एक ताबीज निकलकर उसके गले में डाल दिया। चायवाला शैतान ट्रेन के अंदर गिर गया। अघोरी बाबा ने पूछा, “तुमने इस ट्रेन में किस किस को मरा हैं।” वह चिल्लाते हुए बाथरूम दिखा रहा था।
साधु बाथरूम देखकर आश्चर्यचकित हो उठा। उसने उस चायवाले शैतान से कहा, “तुम अपनी शैतानी आत्मा इन लोगों के अंदर से निकाल दो तो मैं तुम्हें छोड़ दूंगा, नहीं तो मैं तुम्हें आज यही जलाकर राख कर दूंगा। चायवाले ने अपनी शैतानी आत्मा बाथरूम में बंद व्यक्तियों के अंदर से निकाल दिया। साधु उस शैतान आत्मा को अपने साथ ले गया। उसे हमेशा के लिए विलुप्त कर दिया।
