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एक बार बादशाह अकबर और बीरबल आपस में बात कर रहे थे।
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चलते-चलते बादशाह अकबर ने बीरबल से पूछा, "मजबूरी क्या होती हैं? इसके बारें में मुझे बताओ।
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बीरबल सोच में पड़ गए कि राजा को कैसे समझाऊँ कि मजबूरी क्या होती हैं।
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कड़ाके की ठंड पड़ रही थी, पैसे के चक्कर में आकर एक धोबी राजा के कहने पर पूरी रात नदी में खड़ा रहा
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सुबह जब धोबी राजा के पास आया तो राजा ने पूछा तुम इतनी ठंड में पूरी रात नदी में कैसे खड़े रहे।
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धोबी ने कहा, महाराज मैं आपके महल से निकल रहे मशाल की ज्योति को पूरी रात देखता रहा, जिससे मुझे गर्मी मिलती रही।
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उसकी बातों को सुनते ही राजा क्रोधित हो उठा। उसने धोबी से कहा, मेरे महल से निकल जा, तुझे कोई ईनाम नहीं दूंगा।
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धोबी के साथ राजा का न्याय देखकर बीरबल बहुत उदास हुए। वह राजा को ऐहसास दिलाना चाहते थे।
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उस दिन से बीरबल राजा के दरबार में नहीं गए। कुछ दिन बाद बादशाह अकबर बीरबल के घर आए।
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बीरबल ऐसे कौन खिचड़ी पकाता हैं। महाराज जब मशाल से गर्मी मिल सकती हैं तो खिचड़ी भी पक सकती हैं। राजा को अपनी गलती समझ आ गई।
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